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मैं आज आपको एक सच्ची सेक्सी घटना बताने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपने गाँव की एक भाभी की बुर को चोदा और उनको गर्भवती किया।
दोस्तो.. मैं राजीव कानपुर से हूँ। मैं 35 साल का अच्छे शारीरिक सौष्ठव वाला पुरुष हूँ। मैं अक्सर अपने गाँव जाता रहता हूँ। गाँव में हमारे परिवार की कुछ खेती भी है.. तो उसकी देखभाल के लिए जाना पड़ता है।
करीब दो महीने पहले मैं गाँव गया हुआ था और घर की चाभी कानपुर में ही भूल गया था। उस समय खूब ज्यादा सर्दी पड़ रही थी। मैं करीब रात 8 बजे गाँव पहुँचा।
गाँव में वैसे भी सब लोग जल्दी ही सो जाते हैं। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता है उस परिवार के मुखिया मेरे चाचा लगते हैं। उनके परिवार में उनका बेटा और बहू और एक बेटी है। बेटे की शादी करीब 5 साल पहले हुई थी। मैं उन्हें भैया-भाभी कहता था। भैया विदेश में रहते थे। बहन की शादी हो गई थी.. और चाची जी पहले ही खत्म हो गई थीं.. तो अब उनके घर में केवल दो लोग ही बचे थे। चाचा जी दिन भर खेतों में काम करते और रात में सो जाते।
खैर.. जैसे ही मैं गाँव पहुँचा, मैं उन चाचा जी से मिला, मैंने उन्हें अपनी समस्या बताई.. तो उन्होंने कहा- कोई बात नहीं तुम मेरे घर पर ठहर जाओ.. दो चार दिन में जब तुम्हारा काम हो जाए तो चले जाना।
उन्होंने अपनी बहू को आवाज़ दी… वो बाहर आईं। मैंने ‘नमस्ते’ किया और वो चाय पानी के इंतजाम में लग गईं। चाय के बाद वो खाना बनाने लगीं और मैं चाचा के साथ गप्पें लड़ाने लगा।
कुछ देर बाद भाभी आईं और खाने के लिए बोला.. तो चाचा जी बोले- मैं तो खाना खा चुका हूँ.. जाओ तुम भाभी के साथ खा लो।
मैं अन्दर गया और अपनी पैन्ट शर्ट उतार कर लोवर और टी-शर्ट पहनने लगा। जब मैं अपने कपड़े उतार रहा था.. तो भाभी बड़े गौर से मुझे देख रही थीं।
एक बात मैं आपको बता दूँ कि यह भाभी की दूसरी शादी थी.. पहली जगह उनको बच्चा ना होने के कारण ससुराल वालों ने निकाल दिया था।
खैर मैं हाथ-मुँह धोकर खाने बैठ गया और बातचीत शुरू हो गई। मैं- और भाभी कैसी हो? भाभी- ठीक हूँ.. राजीव अपनी बताओ। मैं- मैं तो ठीक ही हूँ.. और भतीजा कब दे रही हो? भाभी- कहाँ से दूँ.. तुम्हारे भैया तो विदेश में हैं.. और आते हैं तो 10-15 दिनों के लिए ही आते हैं.. बच्चा कहाँ से होगा? अभी पिछले महीने आए थे, परसों ही वापिस गए हैं, तो भी कुछ ख़ास नहीं हुआ था।
उनकी बिन्दास भाषा सुनकर मैं भी समझ लिया कि कुछ मामला तो है। मैं- मैं कुछ मदद करूँ? भाभी- तुम क्या मदद करोगे.. तुम भी दो चार दिन रुकोगे और चले जाओगे। मैं- क्या बात करती हो भाभी.. आप हाँ तो करो.. बच्चे के लिए तो दो-चार दिन ही काफ़ी हैं।
भाभी- हट झूठे कहीं के.. दो-चार दिन में कहीं बच्चा होता है। तुम्हारे भैया तो दस-बारह दिनों तक किए.. कहीं कुछ नहीं हुआ। मैं- तुम एक बार आजमा के तो देखो.. अगर ना हुआ तो कभी मुझसे बात ना करना। मैं इतना कह कर हँसने लगा।
भाभी थोड़ा गंभीर भाव से होते हुए बोलीं- अगर तुम ऐसा कर दो.. तो मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी.. मेरे ऊपर से बांझ का कलंक भी मिट जाएगा। मैं- ठीक है तो फिर आज रात पक्का रहा। भाभी- हाँ, लेकिन अभी नहीं.. बाबू जी के सोने के बाद मैं तुम्हें जगा लूँगी।
खाना खाते-खाते सारी बातें फाइनल हो गई थीं। अब तो बस चाचा के सोने का इंतजार था। मेरी खाट चाचा के बगल में ही लगा दी। थोड़ी देर में चाचा सो गए मुझे भी नींद आने लगी।
तभी धीरे दरवाजा खुलने की आवाज़ आई.. मैं समझ गया ये भाभी ही होंगी। वो धीरे से दबे पाँव मेरी खाट तक आईं और मुझे हिला कर जगाया और बड़ी धीरे स्वर में बोलीं- राजीव, अन्दर आ जाओ।
मैं भी उठा और उनके पीछे-पीछे अन्दर चला गया, उन्होंने धीरे से कुण्डी लगा दी। अब हम दोनों कमरे के अन्दर थे और चाचा जी दूसरे कमरे में गहरी नींद में सो रहे थे।
अन्दर पहुँचते ही मैं उनके बिस्तर पर बैठ गया और उनको अपने बगल में बिठा कर उनको किस करने लगा। मेरे होंठ जैसे ही उनके होंठों से मिले.. वो मेरा साथ देने लगीं।
हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए एक-दूसरे के होंठों को पी रहे थे। उनकी लार का मस्त रस था। हमारी लार एक-दूसरे की लार से मिल रही थी और हम उसे ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… पुच्छ पुच..’ करते हुए पी रहे थे।
ना जाने कितने दिनों से वो प्यासी थीं। अब मैंने उनकी साड़ी का पल्लू गिरा दिया और ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोला- भाभी तुम बहुत सुंदर हो। भाभी शर्मा गईं और बोलीं- तुम भी बहुत तगड़े हो।
इतना कहते कहते मैंने उनके ब्लाउज को उतार दिया था। वाह.. क्या नज़ारा था। उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी। अन्दर दिया जल रहा था.. उसकी रोशनी में वो काम की देवी लग रही थीं। उनके बड़े-बड़े दूध और कड़क निप्पल मुझे न्यौता दे रहे थे कि आओ और मुझे चूस जाओ।
मैंने भी देर ना करते हुए उनके भरे-भरे दूधों को पीना शुरू कर दिया। ‘पुच.. पुच.. मुहह.. मुहह..’ करते हुए मैंने उनके चूचों को पीना जारी रखा। वो भी मस्त होती जा रही थीं और ‘अहह.. अहह.. राअज्ज्जीव.. सीई..’ कर रही थीं।
अब मैंने उन्हें धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी।
आह.. भाभी क्या मस्त माल लग रही थीं। ऊपर से बिल्कुल नंगी और नीचे सिर्फ़ पेटीकोट था। उनके पैर बिस्तर के किनारे लटके होने की वजह से बुर का उभार और कटाव कोई भी देख ले.. तो मर ही जाए।
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए.. सिर्फ़ अंडरवियर पहने रखी। वो मेरे लंड के उभार को देख रही थीं। मैं उनकी बुर के उभार को मस्ती से निहार रहा था।
फिर मैं धीरे से बिस्तर के नीचे बैठ गया और उनके पेटीकोट को ऊपर की ओर खिसकाने लगा। उनकी संगमरमर सी तराशी हुई टाँगों से पेटीकोट ऊपर सरकने लगा। खिसकाते-खिसकाते मैं पेटीकोट को कमर तक ले आया।
वो बोलीं- इसे उतार ही क्यों नहीं देते? मैंने तुरंत पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट उतार कर नीचे फेंक दिया, नीचे बैठकर मैं उनकी चिकनी जांघों को चाटने लगा।
चाटते-चाटते मैंने उनकी बुर पर हाथ रख दिया। बहुत चिकनी और फूली हुई बुर थी, मेरे मुँह में पानी आ गया। मैं देर ना करते हुए उनकी बुर के उठे हुए हिस्से को चाटने लगा और चाटते-चाटते नीचे बुर की दरार पर अपना मुँह लगा दिया और बुर की लकीर में नीचे से ऊपर कुत्ते की तरह चपर-चपर उनकी बुर को चाटने लगा।
क्या मुलायम बुर थी दोस्तो.. जैसे मिल्क केक को तिकोना काटकर चिपका दिया गया हो। यह हिंदी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
उधर उनका बुरा हाल था और वो अपनी बुर के ऊपर मेरे सर को पकड़े हुए ‘उम्म्म्म.. अहह.. सीईए.. राजीईईईव.. बसस्स्स..’ कर रही थीं।
मैंने उनकी टांगों को थोड़ा और चौड़ा किया और नीचे बुर के छेद से लेकर ऊपर उठे हुए भाग तक चाटने लगा। उनकी सिसकारियों से मेरा उत्साह भी बढ़ रहा था, मैं ‘लपर.. लपर.. पुचुक.. पुचुक.. उम्म्म्म.. उंह.. अहह.. लॅप.. लॅप..’ करते हुए भाभी की बुर को चाट और चूस रहा था। उनकी बुर से पानी तो जैसे नदी की तरह बह रहा था। करीब 15 मिनट चाटने के बाद उन्होंने मेरा सर कसके पकड़ लिया और अपने चूतड़ ऊपर करते हुए अपनी बुर मेरे मुँह में भर दी और गाढ़ा सा कुछ छोड़ दिया।
अब चूँकि उनकी पूरी बुर मेरे मुँह पर लगी थी.. सो पूरा माल मेरे मुँह में गिर गया और मुझे पीना पड़ा।
मैं अपनी कलाई से अपने मुँह को पोंछते हुए उठा और उनके ऊपर चढ़कर उनको चूमते हुए बोला- क्यों भाभी मज़ा आया बुर चटवाने में?
वो बोलीं- राजीव.. ये बुर चाटना कहाँ से सीखा.. तुमने तो आज मुझे बिना कुछ किए ही झाड़ दिया.. तुमने आज मुझे अपना दीवाना बना दिया।
मैं अब उनके ऊपर लेट गया और उनको दोबारा चूमने लगा। फिर हम एक-दूसरे में खो से गए और हमारी लार जो उनकी बुर के पानी की खुशबू से सराबोर थी.. एक-दूसरे में मिलने लगी।
इसके बाद मैं उठा और मैंने अपनी अंडरवियर उतार दी। मेरे खड़े टाइट लंड को देखकर भाभी बोलीं- राजीव जल्दी करो.. अब रहा नहीं जाता।
मैंने भी देर ना करते हुए भाभी की बुर में अपना लंबा और मोटा लंड पेल दिया। चूंकि मेरे चाटने और उत्तेजना के कारण निकालने वाले पानी की वजह से भाभी की बुर पहले ही गीली थी.. सो लंड आराम से बुर के अन्दर तक चला गया।
अब मैंने धीरे से लंड को निकालना और बुर के अन्दर डालना शुरू कर दिया था, भाभी की कामुक सिसकारियाँ भी बढ़ रही थीं ‘सीईए.. अहह.. अहह..’ मेरे हर धक्के के साथ भाभी अपनी कमर उचका देती थीं।
हम दोनों देवर भाभी बिल्कुल नंगे एक-दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे। कमरे में बिस्तर पर घमासान मचा था.. साँसों का तूफान मचा हुआ था, हमारी साँसों और भाभी की सिसकारियों के अलावा और कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था।
हम अब तक मैंने अपनी रफ्तार तेज कर दी थी। मैं अपने लंड को भाभी की बुर की जड़ तक पेल देता.. फिर निकाल लेता। इस प्रक्रिया में कुछ ‘पक्क.. पक्क.. पचक.. पचक..’ की अभिसार भरी आवाज़ आ रही थी।
करीब आधे घंटे की जोरदार चुदाई के बाद मैंने भाभी से कहा- मेरा अब निकलने वाला है। भाभी बोलीं- राजीव मुझे बच्चा दे दो और मेरी बुर में अन्दर ही डाल दो।
मैंने एक बार लंड को बुर से निकाला और जोरदार धक्के के साथ बुर की जड़ में डालकर झड़ने लगा। दोनों तरफ से वीर्य को लेने के लिए झटके पर झटके लगते रहे और मेरे वीर्य से उनकी बुर भर गई। हम दोनों पसीने से भीग गए थे वीर्य अन्दर डालने के बाद मैं उनके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा।
वो मेरा सर सहलाते हुए बोलीं- राजीव आज तुमने मुझे अपना दीवाना बना लिया.. अब मैं और मेरी बुर तुम्हारी हूँ।
उस रात हमने तीन बार जी भरकर सेक्स किया और अगले चार दिनों तक उनके साथ ही रहा। अब मैं वापस आ गया हूँ। करीब डेढ़ महीने बाद उन्होंने फोन पर बताया तुम बाप बनने वाले हो।
अब वो दो महीने से गर्भवती हैं। बीच में एक बार गया था.. भाभी की बुर भी चोदी.. पर धीरे-धीरे चुदाई हुई थी। उनके पति भी खुश हैं और ससुर भी खुश हैं।
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