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शाम को साढ़े पांच बजे घर पहुंचा तो मामी रसोई में चाय बना रही थी, उनसे पता चला कि उस दिन मामा को ओवर टाइम के लिए रुकना पड़ेगा इसलिए वे सुबह छह बजे के बाद ही घर आयेंगे।
चाय नाश्ता करते समय मामी ने बातों ही बातों में पूछा- विवेक, क्या तुम मुझे अपना शेवर चलाना सिखा दोगे? यह सुन कर मैंने उनसे पूछा- आप जब कहेंगी तब सिखा दूंगा लेकिन अभी कल ही तो आपके सभी बाल एवं रोयें साफ़ कर दिए थे। क्या वह फिर से बड़े हो गए हैं?
मेरी बात सुन कर उन्होंने हँसते हुए कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है। वास्तव में मेरी जाँघों पर जो रोयें एवं बाल है उन्हें भी साफ़ करने हैं। मैंने उनकी बात सुनते ही कहा- तो इसमें सीखने की क्या ज़रूरत है? मैं हूँ न, आप मुझे जब भी कहेंगी मैं तभी साफ़ कर दूंगा। उन्होंने कहा- नहीं, तुम मुझे शेवर चलाना सिखा दो, मैं अपने आप ही साफ़ कर लिया करुँगी। मामी के आग्रह पर मैंने कहा- ठीक है आप जब भी कहेंगी तभी सिखा दूंगा।’
मेरी ओर से हाँ होते ही वह झट से उठीं और अलमारी में से मेरा शेवर ले आईं और बोली- यह लो और अभी सिखाओ।
मैंने उनके हाथ से शेवर ले कर उन्हें उसे चलाने का तरीका बताने लगा तब उन्होंने कहा- विवेक, ऐसे बता कर नहीं, ऐसे तो मैं समझ गई हूँ। मैं शेवर पकड़ती हूँ और तुम मेरा हाथ पकड़ कर बताओ की इसे शरीर पर कैसे चलाना है जिससे उस जगह के सभी रोयें या बाल साफ़ हो जाएँ।
उनकी बात सुन कर मैंने उनसे कहा- मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं आपको शरीर के किस स्थान पर शेवर चलाना सिखाऊं?
मेरी बात के उत्तर में उन्होंने अपनी एक टांग पर से नाइटी को घुटनों तक उठा दिया और कहा- तुम मुझे यहाँ पर चलाना सिखा दो।’ मैंने शेवर उनके हाथ में देते हुए उन्हें उसे चलाने के लिए कहा और फिर उनका हाथ पकड़ कर शेवर को घुमाने का अभ्यास कराता रहा।
उसके बाद मेरे कहे अनुसार उन्होंने खुद ही अपने घुटनों से थोड़ा ऊपर अपने दोनों जाँघों के रोयें साफ़ किये और बोली- हाँ अब समझ में आ गया की इस शेवर को कैसे चलाना है।’
इसके बाद मैं टीवी देखने लगा तथा मामी खाना बनाने में व्यस्त हो गई।
साढ़े आठ बजे हम दोनों ने खाना खाया और उसके बाद रसोई का काम निपटा कर मामी कब बाथरूम चली गई इसका मुझे पता ही नहीं चला।
लगभग नौ बजे मैं टीवी देखने में बहुत ही लीन था तभी बाथरूम में से मामी की चीख सुन कर मेरी एकाग्रता भंग हो गई। मैं बाथरूम की ओर देख ही रहा था, तभी मामी ने पुकारा- विवेक, जल्दी से आना, लगता है यह शेवर बिगड़ गया है क्योंकि यह बाल नहीं काट रहा बल्कि उन्हें खींच रहा है, ज़रा जल्दी आओ, मुझे बहुत दर्द हो रही है।
मैं जब भाग कर बाथरूम में गया तब वहाँ का दृश्य देख कर हैरान रह गया और मुझे समझ में नहीं आया कि मैं अंदर जाऊं या फिर बाहर से ही बात करूँ।
अन्दर मामी पूर्ण नग्न खड़ी थी और उनके हाथ में शेवर था जो उनके जघन-स्थल के बालों में उलझा हुआ था।
मुझे बाथरूम के दरवाज़े के पास खड़ा देख कर मामी बोली- वहाँ खड़े क्या कर रहे हो? जल्दी से अंदर आओ और मुझे इससे छुड़ाओ। मैंने संकुचाते हुए कहा- मामी, क्या आप ठीक समझती है की मैं अंदर आ जाऊं?’
मेरे प्रश्न पर मामी मुझे शेवर दिखाती हुई झल्ला कर बोली- मैं यहाँ मुसीबत में हूँ और तुम वहाँ खड़े अंदर आने की अनुमति मांग रहे हो? मैंने कहा है न कि जल्दी से अंदर आकर मुझे इससे छुड़ाओ। अब वहीं खड़े ही रहोगे या अंदर भी आओगे?
उनकी बात सुन कर मैं उनके पास गया और उनके हाथ से शेवर लेकर उसे जघनस्थल के बालों में से छुड़ाने लगा। मैंने नीचे बैठ कर ध्यान से देखा तो पाया कि मामी के जघन-स्थल के बाल कुछ अधिक लम्बे होने के कारण उस शेवर में बुरी तरह से फंस गए थे और उन्हें कैंची से काट कर ही निकालना पड़ेगा।
जब मैंने यह बात मामी को बताई तो उन्होंने कहा- तो देर क्यों कर रहा है? जल्दी से अलमारी में से कैंची ले आ और इन बालों को काट कर इस शेवर को अलग कर दे।
मैंने उन्हें उत्तर दिया- मामी, इस तरह खड़े रह कर इसे अलग करना कठिन है और आप को तकलीफ भी अधिक होगी। आप चल कर बैड पर लेट जाईये जिससे मुझे इसे निकालने में सुविधा होगी और आप को कोई कष्ट नहीं होगा।’
मेरी बात सुन कर मामी ने शेवर को पकड़ लिया और टांगें चौड़ी करके चलती हुई अपने बैड पर जा कर लेट गई।
मैं भी उनके पीछे पीछे कमरे की बड़ी लाईट जला कर अलमारी से कैंची निकाली और उनके पास बैठ कर शेवर में फंसे तथा उसके आस पास के बालों को काटने लगा।
कुछ देर के बाद जब शेवर ऊपर की ओर के बालों से अलग हो गया लेकिन नीचे के बाल अभी भी उसमे फंसे थे तब मैंने उनकी दोनों टांगें चौड़ी करके उनके बीच में बैठ गया।
बैठते ही मैंने जब वहाँ का नज़ारा देखा तो मेरा मन बहुत ही उत्तेजित हो गया और मेरा लिंग एकदम से कड़क हो कर तन गया। मामी की योनि जघन-स्थल के उन घने बालों में छुपी हुई थी लेकिन उसकी बनावट एक उभरी हुई डबल-रोटी की तरह थी।
उस योनि को अच्छे से देखने की मंशा एवं लालसा के कारण मेरे हाथ बहुत सुस्ती से चलने लगे और मैंने मामी के जघन-स्थल के बालों को एक एक कर के अलग करने लगा। अपने एक हाथ को उन बालों में फेरता और जो बाल शेवर में फंसा हुआ मिलता उसे काटता।
इसी तरह मैंने उनकी योनि के मुख के आस पास के बालों को काट कर जब देखा तो उसकी सुन्दरता को देखता ही रह गया। मामी की योनि बड़ी चाची की योनि के सामान बहुत ही सुन्दर थी और बुआ की योनि तो उन दोनों के सामने कुछ भी नहीं थी।
लगभग पन्द्रह मिनट तक एक एक बाल छांट कर कैंची से काटने के बाद ही मैं शेवर को अलग कर सका। मामी की टांगों के बीच में से मेरे हटते ही वह एकदम उठी और आईने के सामने अपनी जगह-स्थल के बालों को हाथ से फैला कर देखने लगी।
उनका ऐसा करने से मेरी उत्तेजना और बढ़ गई तथा मेरे कड़क लिंग की नसे फूलने लगी तथा मेरे दिल में मामी की पूरी तरह बाल रहित योनि देखने की लालसा जाग उठी। मेरी दादी जी कहती हैं कि पूरे दिन में एक क्षण ऐसा होता है जिस में आपकी सोची कोई भी इच्छा तुरंत पूरी हो जाती है।
मैंने उनकी इस बात को कभी भी नहीं माना था और हमेशा उनके साथ बहस करता रहता था लेकिन उस दिन मुझे उनके कथन की सत्यता दिखाई दी।
मामी ने मुड़ कर मेरी ओर देखा और बोली- विवेक, ये बाल तो बहुत बुरे लग रहे हैं, तुम इन सबको शेवर से साफ़ कर दो।
मैंने जब यह सुना तो मेरा दिल ख़ुशी से उछल पड़ा लेकिन अपने पर नियंत्रण करते हुए कहा- मामी, जहाँ तक बालों से शेवर को अलग करना था, वह आपके लिए करना थोड़ा कठिन था इसलिए मैंने कर दिया था। लेकिन आपके इस अंग को पूरा बाल रहित करना तो मेरे लिए कठिन कार्य है क्योंकि इसमें मुझे आपकी संवेदनशील जगह पर हाथ लगाना पड़ेगा।
मेरी बात सुन कर मामी ने बैड पर लेटते हुए कहा- मुझे यह सब मालूम है और मैं उसके लिए सहमत हूँ इसलिए तुम बिना देर किये जो मैंने कह रही हूँ वह करो।
मैं एक बार फिर से उनकी टांगों के बीच में बैठ गया और शेवर चला कर उनके जघन-स्थल के बाल साफ़ करने लगा। जब जघन-स्थल के ऊपर वाले सभी बाल साफ हो गए तब मैंने मामी की टांगें अधिक चौड़ी करके उनकी एक टांग को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर रखा और योनि के एक तरफ के बालों को साफ़ कर दिया।
उसके बाद उनकी दूसरी टांग को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर रखा और दूसरी तरफ के होंठ और उसके आस पास के बालों को साफ़ कर दिया।
फिर जब मैंने उनकी योनि के होंठों को अपनी उँगलियों से पकड़ कर एवं फैला कर उनके ऊपर उगे हुए बालों को साफ़ कर रहा था तभी मामी ने एक जोर की सिसकारी ली और मेरा हाथ पकड़ कर योनि से हटा दिया, उन्होंने अपनी दोनों टांगों को भींच लिया और कुछ देर के लिए करवट बदल कर लेटी रही।
मैंने सोचा कि शायद मामी को शेवर से कोई चोट पहुंची थी और चिंतित हो कर पूछा- मामी, क्या शेवर से कोई चोट लगी है या फिर जख्म हो गया है? उन्होंने मुस्कराते हुए अपना सिर हिला कर नहीं का संकेत दिया तो मैं समझ गया की उनकी योनि में रस का स्खलन हुआ होगा।
फिर उन्होंने करवट बदल कर सीधी करी और अपनी टांगो को चौड़ा करके मुझे बाकी के बचे हुए बाल साफ़ करने को कहा। उनकी ओर से संकेत मिलते ही मैंने फिर अपनी उँगलियों से उनकी योनि के होंठों को फैलाते हुए वहाँ के बालों को शेवर से साफ़ किया।
यह देखने के लिए की मामी की योनि एवं जघन-स्थल के सभी बाल साफ़ हो गए है मैंने वहाँ पर अपना हाथ फेर के देखने लगा और जब भी मुझे मौका मिलता मैं उनके भगनासे को अपनी ऊँगली से सहला भी देता।
क्योंकि मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था और अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए मामी को भी बहुत उत्तेजित करके उनके साथ सम्भोग करना चाहता था।
इसलिए मैंने योनि पर अपना हाथ फेरते हुए मामी से कहा- मामी, यहाँ के सभी बाल साफ़ हो गए है। आपकी यह जगह तो बहुत ही सुंदर और आकर्षक लग रही है। मेरे मन में आपकी इस मुलायम एवं चिकनी जगह को एक बार चूमने की लालसा जाग उठी है। आपकी आज्ञा हो तो क्या मैं आपकी इस जगह को चूम लूँ?
मामी ने एक बार तो मुझे घूर के देखा और फिर मुस्कराते हुए सिर हिला कर हामी भरी तथा मेरे सिर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी योनि पर झुका दिया। मैंने भी मामी की दी हुई स्वीकृति का फायदा उठाया और अपनी उँगलियों से उनकी योनि के होंठों को फैलाते हुए अपने होंठ उस पर रख दिए। मेरे होंठों ने जैसे ही मामी की योनि के फैले हुए होंठों को छुआ तभी मेरी जीभ भी हरकत में आ गई और जहाँ मेरे होंठ योनि के होंठों को चूम रहे थे वहाँ मेरी जीभ मामी के भगनासा को सहलाने लगी थी।
कुछ क्षणों के बाद जब मैं वहाँ से हटने ही लगा था तब मामी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी योनि पर दबाते हुए कहा- विवेक, थोड़ी देर और ऐसे ही चूमते और सहलाते रहो।
मामी की बात सुन कर मुझे उतनी ही ख़ुशी हुई जितनी की एक अंधे को आँखें मिलने पर और प्यासे को पानी मिलने पर होती होगी। मामी के कथन को उनकी सहमति समझ कर मैं उनके शरीर पर टूट पड़ा और अपने दोनों हाथों से उनके स्तनों को पकड़ कर मसलने लगा तथा उनकी योनि के होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा। साथ में उनके भगनासे को जीभ से सहलाते हुए मैं अपनी जीभ को उनकी योनि के अन्दर डाल कर उनके जी-स्पॉट को भी कुरेदने लगा।
मेरी इन गतिविधियों का मामी ने कोई विरोध नहीं किया और अपने शरीर को सही दिशा तथा स्थिति में मोड़ कर उन्होंने मुझे पूरा सहयोग दिया।
मैंने अपनी जीभ की क्रिया की बहुत तेज़ कर दिया जिससे कुछ ही क्षणों में मामी का शरीर अकड़ा तथा उनकी योनि में हुई सिकुड़न के साथ ही उसमे से उनके रस की धारा बह निकली।
क्योंकि मैं उस स्वादिष्ट नमकीन रस को ग्रहण करने के लिए तैयार था इसलिए कोई बूँद व्यर्थ किये बिना मैंने उस रस को चाट गया। योनि रस के स्खलन के साथ ही मामी निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गई और लम्बी सांस लेते हुए बोली- विवेक, आजतक मुझे इतना सुख और संतोष नहीं मिला जितना तुमने अभी दिया है। तुमने कुछ क्षणों में मेरे पूरे शरीर की वासना को झिंझोड़ दिया और उसमें से रस का स्खलन करवा कर मेरी उत्तेजना को बिना सम्भोग के तृप्त कर दिया है।
मैं बिना कुछ बोले वहाँ से उठ कर जाने लगा तभी मामी ने मेरे लोअर में मेरे लिंग द्वारा बनाये गए तम्बू को देख कर मुस्करा पड़ी और ऊँगली से उसकी ओर संकेत करते हुए बोली- क्या तुम्हारा लिंग पूरा दिन अटेंशन ही रहता है। कभी तो इसे भी विश्राम करने दिया करो।
मामी की बात सुन कर मुझे कुछ संकोच तो हुआ लेकिन मैंने उत्तर में कह दिता- मामी, यह तो विश्राम ही कर रहा था लेकिन आप ने कुछ ऐसा दिखा दिया जिस के कारण इसमें चेतना आई और यह अटेंशन हो गया।
मामी को मुझसे ऐसे उत्तर की अपेक्षा नहीं थी इसलिए थोड़ी झेंप गई लेकिन जल्द ही अपने को सम्भाल कर बोली- अब मैंने तुम्हें ऐसा क्या दिखा दिया है जिस कारण इस में चेतना आ गई?
मैंने तुरंत उनके उरोजों की ओर संकेत करते हुए कहा- आपकी बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक दो नारंगियाँ, एवं गुलाब की पंखुड़ियों जैसी योनि को देख तथा इसका रस चूस कर इसमें तो भरपूर उर्जा भर गई है।
मेरी बात सुन कर मामी ने मुझे अपने पास बुला कर मेरे लोअर के उपर से ही मेरे लिंग को पकड़ा और फिर झट से छोड़ दिया। यह हिंदी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने जब उनके ओर देखा तो उन्होंने कहा- लगता है तुम्हारे लिंग से काफी पूर्व-रस विसर्जन हुआ है जिससे तुम्हारे लोअर के सामने का हिस्सा तो बुरी तरह गीला हो गया है। ऐसा करो तुम इसे उतार दो ताकि मैं भी तुम्हारे लिंग के दर्शन तो कर लूँ।
मामी के कहने पर मैंने उनके सामने ही अपना लोअर उतार दिया और दो कदम बढ़ा कर अपने तने हुए लिंग को उनके बिल्कुल करीब ले गया। मामी ने उठ कर बैठते हुए मेरे तने हुए लिंग को पकड़ कर उसे दबा कर उसकी कठोरता का जायजा लेते मुझ से कहा- हे भगवान् यह कितना कठोर है? लगता है कि यह माँस-पेशियों से नहीं बल्कि लोहे का बना हुआ है।
इससे पहले कि मैं कुछ बोलूं मामी ने मेरे लिंग के ऊपर की त्वचा को पीछे सरकाते हुए लिंग-मुंड बाहर निकाला और उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं तो पहले से ही बहुत उत्तेजित था लेकिन मामी द्वारा लिंग को चूसने से वह उत्तेजना अत्यंत उचाईयों तक पहुँच गई और पांच मिनट में ही मेरा वीर्य मामी के मुँह में ही स्खलित हो गया।
मामी झट से अपने मुँह को मेरे लिंग के ऊपर भींच लिया और मेरे वीर्य की एक बूँद भी बिना बाहर गिराए सारा का सारा पी गई। जब लिंग से वीर्य निकलना बंद हो गया तब मामी ने मेरे लिंग को बाहर निकाल कर कहा- विवेक, तुम्हारा वीर्य तो बहुत स्वादिष्ट है तथा इसकी मात्रा भी बहुत निकलती है। मेरे अनुमान से तुमने मुझे लगभग आधा कप रस तो अवश्य ही पिला दिया होगा।’
इसके बाद मामी बैड पर लेटते हुए बोली- विवेक, आओ तुम मेरी बगल में लेट जाओ।
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