This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मामी बैड पर लेटते हुए बोली- विवेक, आओ तुम मेरी बगल में लेट जाओ। मामी के आदेश अनुसार मैं उनके बगल में जैसे ही लेटा, वे मेरी ओर करवट कर के अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूमने लगी।
मैं भी उत्तर में उनका साथ देते हुए अगले पांच मिनट तक उनके होंठों को चूमने अथवा चूसने लगा और साथ साथ उनकी चूचुकों को ऊँगली और अंगूठे के बीच में मसलने लगा।
उत्तेजित मामी की उत्तेजना और बढ़ गई तब उन्होंने मेरे होंठों से अपने होंठ हटाये और मेरा सिर पकड़ कर नीचे किया और मेरे मुँह में अपनी चूचुक डाल कर चूसने को कहा।
मैं तुरंत बारी बारी से उनकी दोनों चूचुकों को चूसने लगा और जब मामी के मुँह से हल्की आवाजें निकलने लगी, तब मैंने अपने एक हाथ की बड़ी उंगली उनकी योनि में डाल कर उनके जी-स्पॉट को कुरेदने लगा तथा अंगूठे से उनके भगनासे को सहलाने लगा।
तब मामी भी मेरे लिंग को अपनी मुट्ठी में जकड़ कर जोर से हिलाने लगी और कुछ ही क्षणों में उसे तन कर खड़े होने के लिए विवश कर दिया। अगले कुछ ही मिनटों में मामी के मुँह से लम्बी सिसकारियाँ निकलने लगी और वे अपने कूल्हे हिलाने लगी। मैं समझ गया कि मामी संसर्ग के लिए तैयार हो चुकी है लेकिन मैं उनके ओर से संकेत की प्रतीक्षा करने लगा।
कुछ ही क्षणों में मामी बोली- विवेक, तुम्हारे हाथों और मुँह में कोई जादू है तथा तुम इस कला में बहुत निपुण लगते हो। तुमने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया है कि अब मुझे तुम्हरे साथ संसर्ग किये बिना नींद ही नहीं आएगी। अब तुम देर मत करो और अपने इस लोहे के लिंग को जल्दी से मेरी योनि में उतार दो।
मैंने उठ कर मामी को सीधा लिटाया और उनकी टांगें चौड़ी करके उसके बीच में बैठ कर अपने लिंग को उनकी योनि के होंठों के बीचे रख कर एक जोर का धक्का दिया। उस धक्के के लगते ही मेरा आधा लिंग मामी की योनि में चला गया और उनके मुँह से निकली एक ज़ोरदार चीख मेरे कानों में घुस गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैंने अपने को रोक कर झट से मामी के मुँह पर हाथ रख चुप कराया और उनसे पूछा- मामी, क्या हुआ? आप इतनी जोर से क्यों चीखीं? वह आहें भरती हुए बोली- विवेक मुझे बहुत ही जोर से दर्द हुई, मुझे ऐसा लगा कि तुमने मेरे अन्दर अपना लिंग नहीं बल्कि मोटा सा कीला ठोंक दिया है।
मैंने उन्हें पुचकारते हुए और अपने लिंग को उनके हाथ से छुआते हुए कहा- मेरी प्यारी मामी जान, मैंने तो आपके अंदर अपना लिंग ही डाला है। अगर आपको विश्वास नहीं है तो हाथ लगा कर देख लीजिये।’
मेरे लिंग को हाथ लगाते ही उन्होंने कहा- यह क्या किसी लोहे के कीले से कम है? याह अल्हा, अभी तो यह आधे से अधिक बाहर ही है। जब पूरा अन्दर डालोगे तो पता नहीं कितना दर्द और करोगे?’ मैंने कहा- मामी, आप यह मत सोचो कि आप के अंदर कुछ डाला जा रहा है, आप अपने शरीर को ढीला छोड़ दो। फिर देखना यह कैसे फराटे से घुसता है।
इसके बाद मामी का ध्यान संसर्ग के हटाने के लिए मैंने उनसे पूछा- मामी, जब मामा तुम्हारे में डालते हैं तब क्या तुम्हें दर्द नहीं होती? मामी ने उत्तर दिया- अरे विवेक, तुम्हारे मामा का तो पतला है इसलिए कब अन्दर जाता है इसका पता ही नहीं चलता। तुम्हारा लिंग तो उनके लिंग से दुगना मोटा है इसीलिए तुम्हारे लिंग द्वारा मेरी योनि को अधिक फैला देने से मुझे दर्द होने लगा है। एक और बात है कि तुम्हारे मामा ने पिछले तीन माह से मेरे साथ संसर्ग ही नहीं किया है।
मामी की बात सुन कर मैंने झट से पूछा- मामा ने तीन माह से आपके साथ संसर्ग क्यों नहीं किया? मेरी बात सुन कर वह बोली- पता नहीं क्या हो गया है। बहुत कोशिश करने के बाद भी उनका लिंग तन कर खड़ा ही नहीं होता है और जब कभी खड़ा हो जाता है तो वह मेरे अन्दर जाते ही सिकुड़ जाता है। इसलिए अब उन्होंने प्रयास करना ही बंद कर दिया है।
मैंने उनसे पूछा- तब तो आप यौन संसर्ग की बहुत प्यासी होंगी, क्या आप उस प्यास को बुझाने के लिए मेरे साथ संसर्ग कर रही हैं? उत्तर में मामी ने कहा- विवेक, ऐसी बात नहीं है। अगर मैं तीन माह तक प्यासी रह सकती हूँ तो उससे भी अधिक प्यासी रहने का साहस रखती हूँ। जब तुम वापिस चले जाओगे तब भी तो मुझे प्यासा रहना पड़ेगा।
उनकी बात सुन कर मैंने कहा- जब आपको पता है कि मेरे जाने के बाद आपको प्यासा रहना पड़ेगा तो फिर मुझसे क्यों संसर्ग कर रही है? मामी कुछ देर रुक कर बोली- तुम्हें सच बताऊँ तो मैंने पहले दिन ही तुम्हें नहाते हुए देख लिया था। जब तुमने गीला अंडरवियर उतार कर अपने तने हुए लिंग को पोंछा था और उसके बाद जब भी तुम मुझे अर्ध नग्न या पूर्ण नग्न देख कर बाथरूम में जा कर हस्तमैथुन करते थे, तब मैं तुम्हें देखती थी।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मामी ने कहा- जब मैं तुम्हारे लिंग में से ढेर सा वीर्य निकलते देखती, तब मेरे मन में उस वीर्य को पीने और तुम्हारे साथ संसर्ग करने की लालसा जाग उठती थी। पिछले इतने दिनों से मैंने अपने को नियंत्रण में रखा हुआ था लेकिन तुम्हारे शेवर के कारण ही आज मैंने तुम्हें अपनी योनि को छूने दिया।
फिर मामी बिना रुके आगे बोली- तुम्हारे हाथों में कुछ ऐसा जादू है कि बिना संसर्ग किये तुमने सिर्फ छूने से ही मुझे योनि-रस का विसर्जन के लिए विवश कर दिया। और जब तुमने मेरी योनि चूमने की अनुमति ली लेकिन उसे चाटने एवं चूसने लगे और मेरे भगनासे एवं जी-स्पॉट की जीभ से सहलाने लगे। मैं इतनी उत्तेजित हो गई कि मैं अपने पर लगाये सभी नियंत्रण आदि भूल गई।
मामी जब यह सब बातें बोल रही थी तब मैंने अहिस्ता अहिस्ता लिंग पर दबाव डाल कर उसे पूरा उनकी योनि में प्रवेश करा दिया। जैसे ही मामी चुप हुई मैंने उनसे पूछा- मामी, मुझे लगता है कि अब हम संसर्ग शुरू कर सकते हैं क्योंकि आप को पता भी नहीं चला कब मेरा पूरा लिंग आपकी योनि के अन्दर चला गया।
मेरी बात सुनते ही मामी चौंक गई और जब अपनी योनि को सिकोड़ा तब उन्हें एहसास हुआ कि मैं सही कह रहा था। तब उन्होंने संसर्ग शुरू करने का संकेत दे दिया। मैंने जैसे ही धक्के लगाने शुरू किये तभी मामी बोली- विवेक, तुमने अपना बाकी का लिंग मेरे अंदर कब घुसाया मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला। मुझे तो तुम इस संसर्ग कला में बहुत ही निपुण तथा अनुभवी लगते हो?
मामी की बात का उत्तर देते हुए मैंने कहा- मामी, जब आप बातें कर रही थी तब मैंने इसे आप के अंदर सरका दिया था। मैं ना तो संसर्ग कला निपुण हूँ और ना ही मुझे इसका कोई अधिक अनुभव है। मामी ने तुरंत पुछा- क्या मैं जान सकती हूँ कि तुमने यह अनुभव कहाँ से और किससे लिया है?
मैंने धक्कों की गति में तेज़ी लाते हुए कहा- मामी, अगर कल कोई मुझसे पूछे कि मैंने मुंबई में किस किस के साथ संसर्ग किया था और वह कौन है तो क्या आप चाहेंगी कि मैं आपका नाम बता दूँ? इसलिए ऐसी बातें किसी से साझा नहीं की जा सकती।
मेरी बात सुन का मामी चुप हो गई और मेरे धक्कों के कारण अधिक उत्तेजित ही जाने से उन्होंने अपना ध्यान संसर्ग पर केंद्रित कर लिया। मेरे हर धक्के का उत्तर वह अपने कूल्हे उठा कर मेरे लिंग को अपनी योनि की गहराइयों तक पहुँचाने की चेष्टा करती।
मैं लगभग पन्द्रह मिनट तक लगातार धक्के लगाता रहा और इस दौरान मामी सिर्फ एक बार ही स्खलित हुई तब मैंने धक्के लगाने की गति को बहुत ही तीव्र कर दिया।
पांच मिनट बीते ही थे की मामी ने एक लम्बी सिसकारी ली और उनका बदन अकड़ने लगा तब उन्होंने मेरे शरीर को अपनी बाहों तथा टांगों में जकड़ लिया। उनकी योनि एकदम से सिकुड़ गई तथा उनके कूल्हे ऊपर को उठ गए थे तभी मेरे मुँह से एक लम्बी हुंकार निकली और हम दोनों ने एक साथ ही अपना अपना रस स्खलित कर दिया।
पसीने से भीगी एवं हाँफती हुई मामी निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गई और मैं उन्हीं की तरह निढाल होकर उनके शरीर के ऊपर ही लेट गया।
कुछ मिनटों के बाद मैं अपने लिंग को मामी की योनि से बाहर निकाल कर उनकी बगल में लेट गया उनके स्तनों से खेलने लगा।
दस मिनट लेटे रहने के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में गए और एक दूसरे के गुप्तांगों को साफ़ करने के बाद नग्न ही बिस्तर पर एक दूसरे से लिपट कर सो गए।
सुबह पांच बजे मामी उठी और मुझे भी उठा कर कहा- विवेक, रात की पारी में ओवर टाइम करने के बाद कभी कभी तुम्हारे मामा जल्दी भी आ जाते हैं। तुम जल्दी से उठ जाओ और कपड़े पहन कर अपने बिस्तर पर जा कर सो जाओ।
मामी के कहने के अनुसार मैं झट से उठा और मामी के होंठों पर एक चुम्बन लेने के बाद कपड़े पहने और अपने बिस्तर पर चादर ओढ़ कर सो गया।
साढ़े छः बजे मामा आये तो मामी ने उनके लिए दरवाज़ा खोला और जब उन्होंने चाय नाश्ता कर के शयनकक्ष में सो गए तब मामी ने उसका दरवाज़ा बंद कर दिया।
सात बजे मामी ने मुझे जगाने के लिए मेरी चादर के अंदर हाथ डाल कर मेंरे लिंग को पकड़ कर हिलाया और मेरे होंठों पर एक चुम्बन ले लिया। मैं भी उनके चुम्बन का उत्तर दे कर उठा और बाथरूम में घुस गया।
मूत्र विसर्जन करके मैं जब नहा रहा था तब मामी भी बाथरूम में घुस आई और अपने कपड़े उतार कर मेरे साथ ही नहाने लगी।
मेरे द्वारा मामा के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि वह बेडरूम के दरवाज़े को बाहर से बंद करके कुण्डी लगा कर ही नहाने आई थी। नहाते हुए मेरे लिंग को साबुन मलते समय मामी उत्तेजित हो गई और उन्होंने तुरंत उसको पानी से धोकर अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी।
मामी की इस क्रिया से मैं भी उत्तेजित हो गया और मैंने भी उनके गुप्तांगों एवं शरीर के संवेदनशील अंगों को सहलाना तथा मसलना शुरू कर दिया।
लगभग दस मिनट बाद मामी ने मेरे लिंग को चूसना छोड़ कर मुझे टॉयलेट सीट पर बिठा कर मेरे लिंग को अपनी योनि में डाल कर मेरी गोद में बैठ गई तथा उचक उचक कर उसे अन्दर बाहर करने लगी।
कुछ मिनटों के बाद जब वह हाँफने लगी तब मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और घोड़ी बना कर उसके पीछे से उसकी योनि में अपना लिंग डाल कर संसर्ग शुरू कर दिया।
तीव्र गति से संसर्ग करते हुए अभी दस मिनट ही व्यतीत हुए थे कि मुझे अपने लिंग पर मामी की योनि में हो रही तीव्र सिकुड़न महसूस हुई तब मेरा लिंग फूलने लगा।
मैं समझ गया की मामी कि योनि और मेरा लिंग अपने अपने रस विसर्जन के लिए बिल्कुल तैयार है इसलिए मैंने सात आठ अत्यंत तीव्र धक्के लगा दिए। उन सात आठ धक्कों के परिणाम में मामी की योनि ने गर्म गर्म लावा उगल दिया और उसकी गर्मी पर काबू पाने के लिए मेरे लिंग ने वीर्य रस की बौछार कर दी।
एक मिनट तक स्थिर रहने के बाद मैं मामी से अलग हो कर नीचे बैठ गया और मामी मेरी गोद में आ गिरी। उस समय मामी पसीने से भीगी हुई थी, उनकी टांगें अकड़ी हुई थी तथा शरीर कांप रहा था। मैंने उन्हें अपने बाहुपाश में बाँध लिया और चूमते हुए कहा- मामी, क्या हुआ? आप कांप क्यों रही है?
मामी ने कुछ क्षणों के बाद एक लम्बी सांस लेते मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- विवेक, मैंने बिल्कुल सही कहा था कि तुम संसर्ग कला में अत्यंत निपुण हो। तुमने उस कला का एक नमूना मुझे अभी दिखाया है जिसमें यौन सुख, आनन्द एवं संतुष्टि का मिश्रण कूट कूट कर भरा था। मेरी योनि में आज पहली बार इतनी अधिक हलचल एवं सिकुड़न महसूस हुई।
मैंने उनकी बात सुन कर चुप रहा और उन्हें अपने सीने से चिपकाते हुए शावर के नीचे लेजा कर नहलाने एवं खुद नहाने लगा।
दस मिनट नहाने के बाद हम तारो ताज़ा हो कर बाथरूम से बाहर निकले और अपने अपने कपड़े पहन कर चाय नाश्ता किया और काम पर चले गए।
कहानी जारी रहेगी। [email protected] [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000