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दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार! यह हिन्दी सेक्स स्टोरी मेरे दोस्त राकेश की है और मैं इस कहानी को राकेश बन कर ही आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था और दूर के रिश्ते में मेरे बड़े भैया अमित की शादी होने जा रही थी, वे लखनऊ में रहते थे, मैं अपने परिवार के साथ लखनऊ गया उनकी शादी में!
वैसे तो मेरा मन नहीं इतनी दूर जाने का पर मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि मुझे वहा मेरी किस्मत लेकर जा रही है। जब हम वहाँ पहुंचे तो हमारा सभी की तरह स्वागत हुआ पर मैं अपने अमित भैया से मिला तो उन्हें देखकर मैं दंग ही रह गया, उन का शरीर दुबला पतला, जैसे उनके शरीर में तो जान ही नहीं थी। न जाने उनका लंड खड़ा भी होता होगा या नहीं?
मैंने फिर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और रात को हम सभी तैयार होकर शादी में शामिल हो गए। जब मैंने पहली बार उनकी होने वाली दुल्हन यानि भाभी को देखा तो मेरे मुख से तो आह निकल गई, क्या बला की खूबसूरत थी मेरी होने वाली भाभी!
मेरा लंड तो संभाले नहीं संभल रहा था, उनका फिगर बिलकुल फिल्मों की हिरोइन जैसा था 36-24-36, एक तरफ भाभी थी और एक तरफ हमारे अमित भैया! वो कहते हैं ना अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान!
पर यह बात अभी भी मेरे हलक से नीचे नहीं उतर रही थी कि यह जोड़ी कैसे बनी? मैंने खोज खबर से पता लगाया कि भाभी के पिताजी बहुत ही गरीब हैं तो इसीलिए यह रिश्ता हो पाया।
फिर हम लोग शादी के बाद अपने शहर लौट आये।
कुछ दिनों के बाद माँ ने मुझे बताया कि जिस अमित भैया की शादी में हम लोग लखनऊ गए थे ना… वो अब यहाँ आ गए हैं। मैंने पूछा- कैसे? माँ- उनकी नौकरी में तरक्क़ी हुई और उनका यहाँ तबादला हो गया!
यह खबर सुनते ही मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा! और फिर ऊपर से माँ ने मेरे सपने पूरे कर दिए, उन्होंने मुझे किसी काम से अमित भैया के घर भेज दिया।
अब मैं उनके दरवाज़े पर खड़ा घंटी बजा रहा था कि दरवाज़ा खुला और मैंने भाभी को फिर देखा और मेरी नज़रें तो भाभी के दोनों कबूतरों पर जाकर ठहर गई। भाभी ने मुझसे बड़ी ही प्यारी आवाज़ में पूछा- क्या काम है? मैंने भाभी को बताया- मैं अमित भैया का चचेरा भाई हूँ, मुझे माँ ने कुछ सामान के साथ भेजा है।
भाभी ने मुझे घर के अंदर बुला लिया।
उनका घर बहुत ही खूबसूरत था, मैं भाभी को फिर से देखकर अपने आपे में नहीं था, मेरा लंड एकदम खड़ा होकर परेशान करने लगा। जब मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने भाभी से पूछा- भाभी, टॉयलेट कहाँ है? और मैंने टॉयलेट जाकर अपना लंड निकाला जो खड़ा होकर किसी भी छेद में घुस जाने को तैयार था। तभी मेरी नज़र दरवाज़े के पीछे लगी खूंटी पर पड़ी, उस पर भाभी की गुलाबी रंग की पेंटी टगी हुई थी। मैं अपने आप को रोक न सका, मैंने भाभी की पेंटी उठाई और अपने लंड पर चढ़ा ली और पागलों की तरह अपना लंड हिलाने लगा।
दो मिनट में ही मैं झड़ गया, भाभी की पूरी पेंटी मेरे वीर्य से भर चुकी थी। मैं उसे वैसे ही टांग कर आ गया और वहाँ से निकल गया।
और फिर से एक हफ्ते बाद माँ ने मुझे अमित भैया के घर भेज दिया। इस बार मुझे डर था कि भाभी क्या बोलेगी? मेरी पिछली बार की हरकत के लिए! पर हिम्मत करके मैं चला गया और जब मैंने दरवाज़ा खटखटाया तो भाभी ने फिर से दरवाज़ा खोला और मेरी आँखें फटी की फटी रह गई, भाभी ने छोटा गाउन पहन रखा था और जिसके ऊपर के चार बटन खुले थे।
मैं फिर घर के अंदर घुसा और इस बार भाभी ने मुझे बैठने को कहा और मुझसे पूछा- क्या हुआ राकेश? आज बड़े सहमे सहमे से लग रहे हो? क्या बात, आज टॉयलेट नहीं जाओगे? तो इस पर मैंने कहा- नहीं भाभी!
तब भाभी बोली- अच्छा? तुम्हारा अच्छा तरीका है, पिछली बार तुम पेंटी ख़राब करके चले गए? तुम्हें पता है मुझे कितनी परेशानी हुई और आज भी मुझे बिना पेंटी की ही यह गाउन पहनना पड़ा!
मैं तो बस नीचे सर करके भाभी की सभी बातें सुन रहा था… और मैं कर भी क्या सकता था? मैंने काम ही ऐसा किया था।
इतने में भाभी ने मुझसे बोला- ऐसे नहीं चलेगा… अब तुम भी मुझे अपना कच्छा निकाल कर दो, मैं भी उसे गन्दा करुँगी फिर तुम्हें पता चलेगा।
भाभी की यह बात सुनकर मैंने उनकी तरफ देखा और उन्होंने एक ही पल में अपना गाउन उतार दिया और उनकी चूत बिल्कुल मेरी आँखों के सामने थी।
भाभी ने मुझे खड़ा किया और फिर मैंने भी हिम्मत दिखाते हुए अपने होंठ उनके होंठों से लगा दिए और हम दोनों ने 5 मिनट तक एक दूसरे को नहीं छोड़ा।
उसके बाद भाभी ने मेरे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और ऐसा चूसा कि मेरी तो जान ही निकल गई। मैं भाभी के मुंह में ही झड़ गया।
फिर भाभी बोली- राकेश, कब से मुझे इस पल का इंतज़ार था कि कोई आये और मेरी चूत में लंड डालकर मुझे ज़िन्दगी के सबसे सुखी अनुभव का मज़ा दे। इस पर मैंने भाभी से पूछा- क्या अमित भैया कुछ कर नहीं पाते?
भाभी बोली- वह तो सिर्फ नाम के लिए ही मेरे पति है, उनका लंड मूंगफली है ना तो हाथ में ले सकते हैं और ना ही मुँह में… चूत तो बहुत दूर की बात है। ‘भाभी, मुझे लगा ही था जब मैंने उन्हें शादी में देखा था!’
भाभी- अब मेरे चूतिये पति की बात छोड़ो, और मेरी चूत में अपना लंड डालकर मुझे जन्नत दिखाओ देवर जी! ‘हाँ भाभी, मैं भी इसी पल का इंतज़ार कब से कर रहा हूँ, यह लो मेरा मूसल जैसा लंड आपकी चूत में यह गया!’
भाभी- आआह्ह ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… राकेश और ज़ोर से राकेश आआह्ह ह्हह्ह! अपनी भाभी की चूत को आज फाड़ दे… बहन के लौड़े, चोद मुझे… चूतिये चोद मुझे! ‘यह लो भाभी… तुम्हारे तो चूचे भी बड़े मस्त हैं भाभी!’
भाभी- चूस ले इन्हें, बहन के लौड़े खा जा इनको… आह्ह्ह ह्ह्ह आआह ह्ह ‘भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ… मैं झड़ने वाला हूँ!’
भाभी- मैं भी राकेश… मैं भी झड़ने वाली हूँ। राकेश और ज़ोर से… राकेश और ज़ोर से!
और फिर हम दोनों साथ ही झड़ गए, मैंने अपना सारा वीर्य भाभी की चूत में छोड़ दिया।
और फिर मैं रोज भाभी के घर पर आता और उनकी चुदाई करता! तीन महीने बाद खबर आई कि भाभी माँ बनने वाली हैं और अमित भैया के घरवाले बहुत ही खुश हुए। और अमित भैया ने भी किसी को कुछ नहीं बताया जिससे उनकी इज़्ज़त बनी रहे!
मेरी इस हिन्दी सेक्स स्टोरी पर आप पने कमेंट्स नीचे जरूर लिखें। [email protected]
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