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हम दोनों नीचे होटल से बाहर आ गये, जीवन ने ड्राइवर से किसी जगह का नाम बताते हुए वहाँ चलने को कहा। करीब आधे घंटे के सफर के बाद हम लोग जीवन के बताये हुए स्थान पर पहुंचे। वहाँ पर पहुंच कर जीवन मुझे प्रोजेक्ट से सम्बन्धित बात करने लगा।
बातें करते हुए हम दोनों ही ड्राइवर की नजर से दूर आ चुके थे। जीवन ने इधर उधर देखा और जब सन्तुष्ट हो गया कि हम दोनों को कोई नहीं देख रहा है तो उसने अपनी पैन्ट की जिप खोली और मेरे सामने मूतने लगा, मेरी तरफ देखा, बोला- आकांक्षा, मुझे पेशाब बहुत आती है। फिर चुपचाप मूतने लगा।
मूतने के बाद बोला- तुम भी अगर चाहो तो मूत लो। पेशाब आ रहा था, मैंने भी पैन्टी उतारी और वहीं मूतने के लिये बैठने लगी तो बोला- नहीं, बैठो नहीं, खड़ी हो कर करो, देखूँ तो तुम्हारी धार कहाँ तक जाती है।
मैंने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई और खड़ी खड़ी मूतने लगी। जीवन मेरे और करीब आ गया, जब तक मैं मूतती रही तब तक वो मुझे देखता रहा, फिर वो मेरी चूत को सहलाने लगा, फिर उसी हथेली को चाटने लगा।
मैं पैन्टी पहनते हुए बोली- अब क्या करना है? ‘कुछ नहीं, बस एक बार तुम्हारी चूत और चोदना चाहता हूँ। बस उचित जगह देख रहा हूँ।’
बातें करते हुए हम लोग और आगे बढ़े तो एक चट्टान दिखी। बस फिर क्या था जीवन ने मुझे उसी चट्टान के ऊपर बैठाया, मेरी स्कर्ट को ऊपर किया, पैन्टी उतार दी और दो मिनट तक मेरी चूत चाटने के बाद लंड को मेरी चूत में पेल दिया। उसी पोजिशन में मेरी काफी देर तक चुदाई करता रहा और फिर अपने वीर्य को मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया।
मैं उसके वीर्य को साफ करना चाहती थी पर जीवन ने मुझे रोक दिया और पैन्टी को पहनने के लिये कहा। फिर हम दोनों वापस कार की तरफ बढ़ने लगे। उसका वीर्य लगा होने के कारण मेरी चूत और उसके आसपास में चिपचिपाहट होने लगी थी। चलने में थोड़ी असहजता आ रही थी और साथ ही खुजली भी मच रही थी।
किसी तरह मैं कार के पास पहुंची, दोनों ही उस ड्राइवर के सामने सहज बने रहे।
कार में बैठने के बाद मुझे तीव्र खुजली का अहसास होने लगा था, मेरा हाथ बार-बार चूत की तरफ खुजलाने के लिये चला जाता, मैं ड्राइवर की नजर बचा कर चूत को खुजला लेती। जीवन इस बात का मजा ले रहा था।
किसी तरह होटल आया, एक बार फिर मैं जीवन के साथ जीवन के कमरे में थी, खुजली बहुत तेज हो रही थी, मैं अब बेझिझक अपनी चूत को खुजला रही थी। तभी जीवन ने मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं झुंझुलाकर बोली- यार हाथ छोड़ो, बहुत खुजली हो रही है।
‘बस दो मिनट रूको, मैं तुम्हारी खुजली मिटाने का प्रबन्ध करता हूँ।’ कहकर उसने अपने कपड़े उतारे और केवल चड्डी पहन कर जमीन पर बेड का टेक लेकर बैठ गया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी ओर खींचते हुए बोला- जान, अब तुम अपनी चूत चटाओ।
मैं अपनी स्कर्ट उतारने लगी तो बोला- न स्कर्ट उतारो और न पैन्टी उतारो, बस मुझे अपनी स्कर्ट के अन्दर ले लो, बाकी मेरा काम! मुझे कोई ऐतराज नहीं था, मैं उसके और समीप गई, उसने अपने सर को मेरी स्कर्ट के अन्दर कर लिया और अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ को कस कर पकड़ लिया और पैन्टी के ऊपर से चूत चाटने लगा।
पैन्टी मेरी पहले से ही गीली थी, उसके चाटने से और गीली हो रही थी, लेकिन मजा भी खूब आ रहा था। फिर जीवन ने पैन्टी के अन्दर एक उंगली डाली और उसे किनारे करते हुए बुर पर अपनी जीभ फिराने लगा, बुर चाटते हुए जीवन ने मुझे मेरी स्कर्ट उतारने के लिये बोला, मैंने स्कर्ट उतार दी।
उसके बाद, बुर के ऊपर से पैन्टी को किनारे करने के लिये कहा। मैंने अपनी एक टांग बेड पर रखी, पैन्टी को थोड़ा सरकाया, जीवन ने एक बार फिर मेरे चूतड़ को कस कर पकड़ा और अपनी एक उंगली मेरी गांड के अन्दर डाल दी।
उसकी उंगली मेरी गांड के अन्दर चल रही थी और जीभ मेरी चूत पर! जीवन अपने दांतों से मेरी फांकों को जगह-जगह से काट रहा था, लेकिन इतनी ही तेज काट रहा था कि दर्द भी हो तो उसमें मजा आये। मेरे चूतड़ को तो उसने मेरी चूची समझ रखा था, खूब मसल रहा था।
फिर पता नहीं उसे क्या याद आया, वो खड़ा हुआ और मुझे पकड़ कर धड़ाम से पलंग पर गिर गया और मेरी एक चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा और दूसरी उसकी हथेली में कैद हो गई। बारी बारी से वो मेरी एक चूची को अपने मुंह में भरता और दूसरी को बड़े ही बेदर्दी से मसलता।
उसके ऐसा करते रहने से मेरी सिसकारियाँ थोड़ा और बढ़ती गई, मुझे तो लगा उसमें बर्दाश्त करने की काफी स्टेमना है। उसका लंड तना हुआ था और मेरी चूत से मिलने की असफल कोशिश कर रहा था।
मैं एक बार फिर पानी छोड़ चुकी थी और शायद इसका अहसास जीवन को भी हो चुका था, उसका हाथ मेरी चूत पर था और मेरे निकलते हुए पानी को वो उंगली से मेरी गांड में लगाने लगा।
मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं जीवन से बोली- अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर मेरी चूत में उठी हुई आग को शांत करो। बोला- रूको मेरी जान, अभी तो तुम्हारी चूत की आग को और भड़काना है। आओ अब 69 की पोजिशन में आकर मेरे लंड को चूसो और अपनी इस अग्नि कुंड को मेरी तरफ करो।
मैंने उसकी बात को समझते हुए पोजिशन बदल ली और उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।
इतनी देर से जीवन मेरे साथ गांड फाड़ू काम मेरे साथ किये जा रहा था, अब मैं उसके साथ गांड फाड़ू काम करना चाहती थी। केवल उसके लंड को अपनी मुंह में लेकर चूसना नहीं चाह रही थी, मैं कुछ ऐसा करना चाह रही थी कि उसे लगे जिस औरत के साथ वो अपनी सेक्स की प्यास को बुझाना चाहता है, वो भी इस खेल की पुरानी खिलाड़िन है।
इसलिये उसके लंड को मुंह में लेकर उसके अंडे को कस कर दबा देती, वो रिऐक्शन में मेरी पुतिया को काट लेता। मैं और तेज उसके अंडे को दबा देती। थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा, मैं बीच-बीच में उसके सुपारे पर अपने दांत कसकर रगड़ देती, मेरा भी मन कर रहा था कि जीवन के गुलाबी सुपारे को मैं दांतों के बीच लेकर उसे चबाती रहूँ।
हार कर जीवन प्यार से बोला- यार, थोड़ा प्यार से करो। अब मेरे पास भी जीवन को भी मजे देने के लिये तीन चीजें थीं, एक उसका लंड, दूसरा उसके गोले और तीसरा॰॰॰ जब आप इस कहानी को आगे पढ़ोगे तो खुद ही समझ जाओगे।
मैं उसके लंड को अपने हाथों से भी बड़ी तेज-तेज रगड़ रही थी, इससे उसकी चमड़ी नीचे की ओर आती और उसका गुलाबी सुपारा मेरे जीभ से टच कर जाता।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज जीवन के मुंह से आने लगी थी, वो भी मेरी चूत के अन्दर उंगली से रगड़ कर रहा था और बीच-बीच में अपनी जीभ की टो के छेद के अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था। फिर मेरी कमर पर थोड़ा सा दबाव देता तो मेरी गांड उसके मुंह के पास आ जाती और वो मेरी गांड भी चाटता।
मैं भी उसे उसी चीज का मजा देने लगी, मैंने उसकी दोनों टांगों को हवा में उठाने का संकेत दिया, जीवन ने अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया, मैंने उसके गोलों को अपने मुंह में लिया और उसकी गांड को अपनी उंगली से रगड़ने लगी।
जीवन के मुंह से निकल ही पड़ा- जान, मजा आ गया, तुमसे पहले इतना मजा किसी ने नहीं दिया।
लेकिन असली मजा तो उसके लिये अभी तो आगे था, उसके अंडों को चूसने के बाद मेरी जीभ उसकी गांड की तरफ कदम बढ़ा चुकी थी। जैसे ही जीवन को अहसास हुआ कि मेरी जीभ उसकी गांड पर अपना जलवा दिखा रही है तो उसने मुझे मेरा काम और आसानी से करने देने के लिये अपनी दोनों टांगों को और हवा में उठा लिया। मैं अब मस्त हो कर उसकी गांड को चाट रही थी, कभी मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेती तो कभी उसके अंडों को तो कभी मेरी जीभ उसकी गांड की सैर करती।
इधर जीवन भी अपनी उंगली से मेरी बुर चोद रहा था।
अचानक पता नहीं जीवन की उंगली ने मेरी बुर के अन्दर क्या किया कि मुझे महसूस हुआ कि मेरी पेशाब छूटने वाली है। मैं जीवन से अलग होते हुए पेशाब करने के लिये जाने लगी तो जीवन ने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा- कहाँ जा रही हो? मैं बोली- पेशाब बहुत तेज आया है, मूतने जा रही हूँ।
‘अरे वाह, तुम मूतने जा रही हो!’ इतना कह कर वो झटके से बेड से उठा और मुझे गोद में उठाते हुए बोला- मुझे तुमको मूतते देखना बहुत अच्छा लगता है, चलो मैं भी चलता हूँ, तुमको मूतती देखूंगा भी और मैं भी मूत लूंगा।
‘ठीक है, मुझे तुम मूतती हुई देखो, लेकिन अब लंड से मेरी चूत की खुजली भी मिटाओ।’ ‘चलो पहले मूत लिया जाये, उसके बाद तुम्हारी चूत की ठुकाई भी करते हैं।’ फिर जीवन मुझे गोदी में उठाकर टॉयलेट में ले आया और कम्बोड के पास बैठ गया और अपनी दोनों कोहनी को टिका कर हथेलियों के बीच अपने मुंह रख कर एकटक अपनी निगाहें मेरी चूत पर टिका दी।
मेरे मूत की धार छूट रही थी और मूत के छींटे कम्बोड से टकरा कर जीवन के चेहरे पर पड़ रहे थे लेकिन इससे जीवन को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो केवल टकटकी लगाये मुझे मूतता ही देख रहा था।
जब मैं मूत चुकी तो वो खड़ा हो गया और अपने लंड का निशाना मेरी चूत पर करके मूतने लगा। उसके मूत की गर्म धार मेरी चूत पर पड़ रही थी। वो लगातार मेरी चूत पर ही मूतता रहा, उसके बाद नीचे बैठ कर एक बार मेरी चूत चाटने लगा।
मैंने एक बार जीवन से फिर कहा- जीवन, बहुत हो गया चूत और लंड चटाई, आओ अब मुझे चोदो। मेरी बात सुनने के बाद जीवन खड़ा हुआ।
मैं आगे आगे और जीवन मेरे पीछे पीछे चलता हुआ बिस्तर पर आ गया, उसने मुझे बिस्तर पर सीधी लेटाया, मेरी कमर के नीचे दोनों तकिये रख दिए, मेरी कमर इतनी ऊपर उठ चुकी थी कि जीवन का लंड मेरी चूत के अन्दर चला जाये।
जीवन ने लंड को चूत के अन्दर डाला और साथ ही मेरी चूची को दबाते हुए धक्के मारने शुरू कर दिया। इतनी देर से उसके साथ फोर प्ले करने के कारण मैं चर्मोत्कर्ष पर पहुंच चुकी थी और झड़ने वाली थी, मेरी आवाज तेज होती जा रही थी- जीवन, मुझे कस कर चोदो, फाड़ दो मेरी बुर को। मुझे और चोदो।
मेरी मुंह से यही निकल रहा था, जीवन भी प्रति उत्तर में बोले जा रहा था- ले मेरी रानी धक्का बर्दाश्त करो। वो अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे चोदे जा रहा था।
चूत और लंड के मिलन और उसके गीलेपने के कारण फच-फच की आवाज भी आती जा रही थी कि अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं खलास हो गई थी।
मेरे खलास होने के तुरन्त ही, जीवन ने अपने लंड को निकाला और मेरे मुंह पर लाकर हिलाने लगा। मैं यह समझी कि वो अपना माल मुझे पिलाना चाहता है, मैंने अपना मुंह खोल दिया लेकिन उसने अपने वीर्य को मेरे मुंह के ऊपर ही गिराया, एक दो बूंद ही मेरे मुंह के अन्दर गई।
जब उसने अपना पूरा वीर्य मेरे मुंह के ऊपर गिरा दिया तो मुझसे बोला- इसको क्रीम समझ कर अपने चेहरे पर लगा लो। मैंने भी उसकी बात को रखते हुए उसके वीर्य को अपने चेहरे पर मल लिया।
फिर जीवन ने मेरे बगल में आकर मुझे अपने सीने से चिपका लिया और बोला- वास्तव में आकांक्षा, तुम काम देवी हो, तुमने मुझे मेरा चाह हर कुछ करके दिया। कह कर उसने मेरे माथे को चूम लिया और थोड़ी देर तक मुझे ऐसे ही चिपकाये रहा।
मैं उससे बोली- चेहरे पर चिपचिपाहट हो रही है, मैं मुंह धो लूं? ‘मुझसे ऐसे ही थोड़ी देर तक और चिपकी रहो! फिर उठकर मुंह धो लेना और उसके बाद हम लोग लंच के लिये चलेंगे।’
जीवन के कहने पर मैं काफ़ी देर तक उससे चिपकी रही, फिर खुद जीवन ने मुझे मुंह धो कर तैयार होने के लिये के लिये बोला।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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