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मैं गुजरात में रहने वाला एक फिजियोथेरेपिस्ट हूँ। मेरी उम्र 36 साल है.. दिखने मैं सामान्य रंग वाला 6 फीट हाइट का हूँ। एक सामान्य आदमी के जैसा ही मेरा लम्बा और मोटा लंड है। मुझे अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स स्टोरी बहुत ज्यादा पसन्द है। आज पहली बार मेरे साथ बीती कहानी आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ। यह एक सच्ची घटना है।
हमारे पेशे में फिट रहना आवश्यक है.. इसी वजह से अपने शरीर का ध्यान रखना पड़ता है। खुदा की मेहरबानी से मेरा शरीर पहले से ही ठीक-ठाक है। इसी वजह से काफ़ी महिला पेशेंट्स मुझसे किसी ना किसी तरह से बात करने का बहाना ढूँढती रहती हैं। लेकिन मेरा प्रोफेशन होने की वजह से मैं उनको भाव नहीं देता हूँ।
एक दिन यह सब बिगड़ गया। एक पेशेंट जिसका नाम था नजमा.. वो मेरे पास ट्रीटमेंट के लिए आई। वो दिखने में सामान्य शरीर की थी.. उसका काला रंग था और फिगर 32-22-26 का होगा।
एक एक्सिडेंट की वजह से रीड की हड्डी में फ्रेक्चर होने की वजह से उसका चलना-फिरना और उठना-बैठना बंद हो गया था।
मैं उसकी हड्डी पर अपना हुनर आजमा रहा था। धीरे-धीरे रिकवरी आने लगी और इस दौरान हम दोनों भी काफ़ी घुल-मिल गए थे। वो अपनी माँ के साथ ट्रीटमेंट के लिए आती थी।
एक बार ट्रीटमेंट के दौरान उसने मेरा लंड छू लिया.. मुझे लगा ग़लती से हो गया होगा। अगले दिन फिर वही हुआ.. इस बार मैंने उसके सामने देखा तो उसने अजीब सी स्माइल दी।
मेरे लंड में भी हलचल होने लगी.. मेरा लंड उसको सलामी देने लगा। मैं उसके और करीब गया.. ताकि वो मेरा लंड आसानी से छू सके। उसने भी जवाब में मेरा लंड छू दिया।
मैंने उसकी माँ को बताया कि अब थोड़ी एलेक्ट्रिक ट्रीटमेंट देनी पड़ेगी और इस बहाने से मैं उसको अलग कमरे में ले गया।
क्योंकि उसकी माँ आज उसके साथ ऐसे वक्त पर आई थी कि इस टाइम और कोई पेशेंट नहीं था.. तो मैंने उसकी माँ को बाहर इंतज़ार करने के लिए बोल कर दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लिया।
अब मैं उसके पास गया और पूछा- इरादा क्या है? उसने बोला- आप इतने तो बुद्धू हो नहीं कि आपका लंड पकडूँ.. और आप ना समझें कि इरादा क्या है?
मैं हैरान रह गया और बोला- मेरा ले सकोगी? वो बोली- इस एक्सरसाइज़ की ट्रीटमेंट भी आप ही सिखा दीजिए।
मैंने उसके ऊपर लेट कर उसके बालों को सहलाते हुए होंठों को उंगलियों से दबाया और बालों और कानों से खेलते हुए किस करने लगा। वो भी जवाब में मेरा साथ देते हुए होंठों को चूसने लगी।
मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाने लगा। कुछ मिनट किस करने के बाद वो अलग हुई और बोली- माँ बाहर ही हैं टाइम वेस्ट मत करो मेरी जान..
उसने ये कह कर धक्का देकर मुझे खड़ा करके सीधे ही मेरे पैन्ट की ज़िप खोल दी और अंडरवियर उतार कर मेरे लंड को सीधे ही मुँह में ले लिया। मैं हक्का-बक्का रह गया और वो लंड को भूखी बिल्ली की तरह चूसने लगी।
कुछ मिनट बाद जब होश आया.. तो मैंने उसकी कमीज़ की ज़िप खोली और उतार दी।
हय.. क्या कबूतर थे यार उसके.. फिर मैंने उनको सहलाया और चूसा.. इस दौरान वो मेरे लंड की मुठ मारती रही। मैंने उसको लिटाया और सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसने चड्डी भी नहीं पहनी थी.. काली झांटों के बीच रिसती हुई चूत दिखाई दी।
मैं उसकी चूत को उंगली से सहलाने लगा। मैंने चूँकि अपना लवड़ा उसके मुँह से निकाल लिया था तो वो बोली- चुसवा लिया इतनी जल्दी.. आप में तो दम ही नहीं लगता।
मुझे ताव आ गया.. मैंने उसका मुँह पकड़ कर लंड पर रखा और हाथ से मुँह को धक्का देने लगा। उसके मुँह को देर तक चोदा.. तो उसका पूरा मुँह लौड़े की मोटाई से फंसने लगा और वो लंड की मोटाई से रोने जैसी शक्ल करके ‘बस’ करने का इशारा करने लगी। तब जाकर मैंने लंड को बाहर निकाला।
वो बोली- ये लंड है या लोहा.. इतना चुसा लिया.. अभी तक कुछ नहीं निकला। मैंने कहा- मेरा लंड अभी और देर तक भी तक चूसोगी.. तो भी पानी नहीं निकलेगा।
ये कहते हुए उसको और गर्म करने के लिए उसकी चूत की तरफ मुँह ले गया। जैसे ही जीभ ने उसकी चूत को छुआ.. वो सिहर उठी और उसने मुझको अपने ऊपर ले लिया.. कहने लगी- साब अब मत तड़पाओ.. इतनी गर्म हो चुकी हूँ और टाइम भी ज़्यादा हो गया है.. बस अपने इस मूसल लंड को मेरी चूत में पेल दो।
मैंने उसको ज़्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और लंड उसकी चूत पर रख दिया। मैंने हल्का सा धक्का लगाया लेकिन लंड अन्दर नहीं गया।
वो बोली- साहब पेशेंट पर इतनी हमदर्दी रखोगे तो पेशेंट ठीक कैसे होगा? लगाओ ज़ोर का झटका और फाड़ दो मेरी मुनिया को..
मैंने ज़ोर का झटका मारा और अभी टोपा ही सिर्फ़ अन्दर गया होगा.. उसकी आँखों से आँसू आने लगे। मैं निकालने जा ही रहा था कि उसने मुझे पकड़ लिया और रोते हुए धीरे से कहा- चोदने में प्यार नहीं हवस देखी जाती है.. भूल जाओ प्यार को.. और कुतिया की तरह मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदो.. चाहे मैं जितना रोऊँ.. रोने देना।
अब मैंने कुछ सुने बिना ज़ोर का झटका दिया.. वो चिहुंक उठी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… फिर भी बिना परवाह किए मैंने तुरंत ही दूसरा ज़ोर का झटका देकर पूरा लंड चूत में पेल दिया। अब मैं उसको ज़ोर-ज़ोर से ठोकने लगा. वो सीत्कारना चाहती थी.. पर कुछ कर नहीं पाई.. चिल्लाना चाहती थी पर चिल्ला नहीं पाई.. बस ‘सी.. आ.. उ.. हा..’ जैसे धीरे-धीरे आवाज़ निकालने लगी।
मुझे अपनी तरफ खींच के कान में बोली- आपने तो आज मुझे अपनी रखैल बना कर रख दिया.. अब यह चूत आज से आपकी हुई।
उसका पानी निकल गया.. मैंने एक-दो किस की और फिर से पेलना चालू कर दिया।
थोड़ी देर बाद बाहर से उसकी माँ की आवाज़ आई- अभी कितनी देर है? नज़मा बोली- बस जब यह मशीन निकले तो आती हूँ.. माँ से इतना कह कर आँख मार दी और हँसने लगी।
कुछ और देर बाद वो चार बार झड़ चुकी और बोली- साब अब बस अब माँ को शक हो जाएगा.. कल जी भर के मेरी मार लेना.. अब नहीं सहा जाता।
कैसे भी कंट्रोल करके उसके ऊपर से उतरा और उसने मेरे लंड को चूस कर साफ किया।
यह कुछ अजीब एहसास रहा।
मेरी यह हिन्दी सेक्स स्टोरी कैसी लगी यह मुझे मेल करें।
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