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बॉस जीवन के कहने के बाद मैं तैयार हुई और हम दोनों ने एक रेस्टोरेन्ट में लंच किया, फिर ऑफिस गये, वहां पहुंच कर जीवन ने ड्राइवर से गाड़ी की चाबी ली और उसे छुट्टी दे दी।
ऑफिस में दोनों प्रोजेक्ट पर काम करते रहे और बीच-बीच में कभी वो मेरे से खेलता तो कभी मैं उससे खेलती। काम होता रहा और समय खत्म होने के बाद एक-एक करके स्टॉफ के सारे लोग चले गये।
अंत में एक सांवली रंग की लड़की जिसका नाम मोहिनी था, वो आई और बोली- सर आज आपने एक दवाई नहीं ली है। जीवन उसको देखकर मुस्कुराया, अपनी तरफ खींचा और उसकी गांड को सहलाते हुए बोला- दवाई ली है, बस कम्पनी बदल दी थी।
वो थोड़ा सकपकाते हुए बोली- सर, ये क्या कर रहे हैं? मोहिनी को और कस कर अपने से चिपकाते हुए बोले- बदली हुई कम्पनी तुम्हारे सामने बैठी है, इसकी दवा भी मजेदार है और मोहिनी अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो दोनों दवाई एक साथ लेना चाहता हूँ। तुम भी चाहो तो तुम्हारी दवाई भी आकांक्षा की तरह हो सकती है।
मोहिनी ने मेरी तरफ देखा और मुझसे हाथ मिलाते हुए बोली- मैम आपने सर के कौन सी दवा पिला दी जो आपकी इतनी तारीफ कर रहे हैं? जीवन बोला- अपने घर पर दो घंटे का ओवर टाईम बोल दो।
जब जीवन और मोहिनी की बात खत्म हुई तो मैंने जीवन से पूछा- जब तुम्हारा घर यहीं पर है तो तुम होटल में क्यूं ठहरे हुए हो?जीवन बोला- नहीं, मेरा एक रूम बुक ही रहता है। जब भी मुझे होटल में रहना होता है, तो मैं यहां आ जाता हूँ और मजे करके वापस चला जाता हूँ। आज मुझे भी नौ बजे तक घर जाना है, अपने पास दो-तीन घंटे हैं, चलो मजे करते हैं।
हम तीनों बाहर आये और ऑफिस बन्द करने की जिम्मेदारी चपरासी पर छोड़ दी।
होटल पहुंचते ही पापाजी का फोन आ गया, मैंने उन्हें दो घंटे बाद आने का बता दिया। मैंने ससुर जी से पूछा- कुछ इंतजाम हुआ? तो बोले- नहीं, तुम्हारे सिवा किसी को नहीं! ‘ठीक है, फिर मैं काम निपटा कर आती हूँ।”ओ॰के॰’ कहकर पापाजी ने फोन काट दिया।
जीवन एक कुर्सी पर अपनी टांगों को फैला कर बैठ गया और अपनी जांघ को थपथपाते हुए हम दोनों को अपनी जांघ पर बैठने के लिये बोला। मैं और मोहिनी उसकी जांघ पर बैठ गई और उसके होंठ को बारी बारी से चूसने लगी। हम तीनों एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे।
जीवन बारी बारी से हम दोनों की चूचियों को भी मसल रहा था। मोहिनी के होंठ चूसते हुए बोला- शर्माना नहीं, बहुत मजा आयेगा। ‘ठीक है, जैसा आप दोनों करेंगे, मैं भी करूंगी।’
इतना कहना था कि जीवन ने मोहिनी की कुर्ती को उतार दिया, वह जालीदार ब्रा पहने हुये थी। फिर जीवन ने मेरे भी कमीज को खोल कर अलग किया और फिर बारी-बारी से दोनों की ब्रा भी जिस्म से अलग कर दिया। मोहिनी की चूची वास्तव में काफी टाइट लग रही थी और निप्पल तो काफी बड़ी लग रही थी। मुझे ऐसा लगा कि जीवन या उसके दूसरे दोस्तों ने उसका दूध खूब पिया है।
ब्रा उतार कर मोहिनी अपने मम्मों को जीवन के मुंह में डालकर उसे चूसाती रही। इधर मैंने जीवन की पैन्ट उतार कर उसको नंगा कर दिया और उसके लंड को अपने मुंह में भर लिया। मोहिनी अपने मम्मे उसको पिला रही थी, मैं उसका लंड अपने मुंह में लिए हुई थी और उसके अंडों को अपनी हथेली में कैद करके उसकी गांड को उंगली से खुजा रही थी।
मुझे उसका लंड चूसते हुए मोहिनी देखने लगी। मैंने जीवन को थोड़ा सा अपनी ओर खींचा, अब मैं उसकी गांड को भी चाटने लग गई थी और उसके जांघ के आस-पास के हिस्से को भी चाट रही थी।
मोहिनी काफी देर तक मुझको देखती रही, जबकि जीवन का हाथ लगातार मोहिनी के चूतड़ को सहला रहा था। फिर मोहिनी ने मुझे हटने का इशारा किया, मैं हट गई और जीवन की तरफ आकर झुक गई।
मोहिनी भी ठीक उसी तरह से जीवन के लंड और गांड से खेल रही थी, जैसा मैं जीवन के साथ कर चुकी थी। मैं अपनी पैन्टी उतार और जीवन की तरफ पीठ करके झुक गई। थोड़ी देर तक वो मेरे मुलायम चूतड़ को सहलाता रहा फिर जीवन की जीभ मेरी चूत और गांड पर चलने लगी।
कुछ देर तक तो ऐसा ही चलता रहा, फ़िर जीवन उठा और बिस्तर पर इस तरह लेट गया कि उसके कमर के नीचे का हिस्सा बिस्तर से बाहर था और बाकी बिस्तर के ऊपर था। मोहिनी ने तुरन्त ही लंड का क्षेत्र चुना और मैं मोहिनी की तरफ अपने मुंह को करके जीवन के मुंह के ऊपर बैठ गई।
अभी तक मोहिनी ने अपनी पैन्टी नहीं उतारी थी, वो लगातार जीवन के लंड और जांघ को चूस व चाट रही थी। इधर मैं भी उससे अपनी गांड खूब चटवाना चाह रही थी। काफी देर तक मोहिनी उसके लंड से खेलती रही, फिर हम दोनों ने अपना-अपना स्थान बदल लिया, मोहिनी लंड चूसना छोड़ खड़ी हो गई और अपनी पैन्टी उतार दी।
उसकी चूत क्या उभरी हुई थी, पुतिया उसकी काफी बड़ी थी और सबसे अहम यह था कि उसके भूरी चूत के ऊपर छोटे-छोटे बाल थे। मोहिनी सीधा जीवन के मुंह के ऊपर आई और अपनी गांड को जीवन के हवाले कर दी।
मैं जीवन के लंड पर चढ़ गई और लंड चूत में लेकर उछलने लगी। बारी बारी से हम दोनों लड़कियाँ जीवन के लंड से खेल रही थी। तभी जीवन बोला- मैं झड़ने वाला हूँ। मैं उसके लंड पर हट गई, जीवन उठा और मोहिनी के मुंह में लंड पेल दिया।
मोहिनी को शायद यह अच्छा नहीं लगा, वो गूं-गूं करने लगी। जीवन बोला- तुम्हीं ने तो कहा था, आज मेरे मन का करोगी। लेकिन मोहिनी तैयार नहीं हुई।
फिर मैंने जीवन के लंड को अपने मुंह में लिया और जीवन मेरे मुंह को चोदने लगा। जब जीवन का निकलने वाला था, तो उसने मुझे मेरी जीभ बाहर करने को कहा, मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल दी। जीवन लंड को हिलाते हुए अपने वीर्य को धीरे-धीरे मेरे जीभ के ऊपर गिराने लगा। जब दो-चार बूंद मेरी जीभ पर गिर जाती तो वो अपने लंड को दबा देता और जब मैं वीर्य का स्वाद चख लेती तो वो फिर मेरी जीभ में अपना माल गिरा देता।
मोहिनी मुझे ये सब करते हुए बड़े ध्यान से देख रही थी, जीवन उसकी तरफ देखते हुए बोला- देखने से नहीं, इसको मुंह में लो और इसका स्वाद चखो, उसके बाद तुम दोनों की चूत से निकलते हुये मलाई मैं भी चखूंगा।
मैंने भी इशारो में मोहिनी को लेने के लिये बोला, मोहिनी ने अपनी जीभ उसी तरह बाहर कर दी, जैसा कि मैंने किया था। जीवन ने भी दो-चार बूंद उसकी जीभ के ऊपर गिराई, मोहिनी उनको चट कर गई लेकिन यह उसका पहला अवसर था, वीर्य को गटकने में उसे मुश्किल हो रही थी।
खैर किसी तरह उसने वीर्य को अपने गले के नीचे उतारा, तब तक जीवन अपने सुपारे को दबाये खड़ा रहा, मैंने मोहिनी को पकड़ा और उसके मुंह को चूसने लगी, मैं उसकी जीभ को अपने मुंह के अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी।
जीवन भी अपने लंड को एक हाथ से पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से मोहिनी की चूची को दबा रहा था। मोहिनी सामान्य होने लगी थी।
मेरे कहने में एक बार फिर मोहिनी ने अपनी जीभ बाहर निकाली, लेकिन इस बार जीवन ने उसके मुंह के अन्दर लंड पेल दिया और जिस तरह से उसने मेरे सिर को पकड़ कर रखा था, उसी तरह से उसने मोहिनी के सिर को पकड़ लिया और वीर्य की एक-एक बूंद उसके मुंह से अन्दर डाल दी। जैसे ही मोहिनी ने मुंह से जीवन ने लंड निकाला, ओंक की आवाज के साथ मोहिनी ने उल्टी कर दी और उसकी आँखों में आंसू आ गये। जीवन को भी अपनी गलती का अहसास हुआ, उसने मोहिनी को उठाया और उसे अपने सीने से लगाते हुए सॉरी बोलने लगा।
उसके बाद उसने बाथरूम में पड़ा एक कपड़ा उठाया और उस जगह को साफ किया। फिर हम तीनों ही पलंग पर लेट गये। थोड़ी देर तक तो हम दोनों जीवन पर अपनी टांगें चढ़ा कर लेटी रही पर कुछ देर बाद जीवन के जिस्म से आती हुई मर्दाना खुश्बू को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मैं उसके जिस्म से और सट गई, मेरी दो उंगलियाँ उसके निप्पल को अपने बीच में दबाने लगी और मेरा दूसरा हाथ उसकी जांघ को सहलाने के साथ-साथ उसके मुर्झाये हुए लंड को भी बहकाने की कोशिश में लगा था।
इधर मोहिनी के हाथों ने हरकत करनी शुरू कर दी। बीच-बीच में हम दोनों साथ साथ उसके निप्पल को दांतों से काट लेती या फिर चूसने लगती। हम लोगों का इस तरह से करते रहने से नतीजा सामने आने लगा, जीवन का जिस्म अकड़ने लगा और लंड भी बहकावे में आने लगा। लंड के टाईट होते तक मैं उसके सुपारे के कटे हिस्से को नाखून से खुरच रही थी।
जीवन को ताव दिलाने के लिये इतना ही काफी था, वो उठा और हम दोनों को सीधा लेटाते हुए दोनों की चूत के अन्दर अपनी उंगली फंसा दी। मुझे महसूस हुआ कि उसकी कम से कम तीन उंगली मेरी चूत के अन्दर हरकत कर रही थी, अगर मेरी चूत के अन्दर तीन उंगली थी तो निश्चित रूप से मोहिनी की चूत में भी तीन उंगलियाँ फंसी होंगी।
फिर मुझे लगा कि जीवन मेरे अन्दर अपनी उंगली से चूत की अन्दरूनी दीवार को खरोंच मार रहा था। हम दोनों के मुंह से कहराने की आवाज आ रही थी, और हम दोनों ने शायद साथ-साथ अपने पैरों को मोड़ लिया था ताकि चूत के अन्दर से उसका हाथ बाहर आ जाये।
लेकिन नहीं, हाथ बाहर नहीं आया, पानी बाहर आ गया और फिर हम दोनों को अपने हाथ दिखाते हुए चाटने लगा और फिर चूत से बहते हुए पानी को चाटने लगा।
बहुत देर तक उसने बारी-बारी से हम दोनों की चूत को चाटना जारी रखा। उसके बाद उसी पोजिशन में हम दोनों की चुदाई करने लगा। बारी बारी से दोनों की चुदाई हो रही थी, चुदाई की कोई नई पोजिशन नहीं थी, हम दोनों पलंग पर लेटी हुई थी, लंड दोनों की चूत में बारी बारी डालता और फिर अपने दोनों हाथ हमारे जिस्म से सटाते हुए पलंग पर टिका देता और चुदाई करने लगता।
इस चुदाई से मुझे काफी आराम मिल रहा था। मैं एक बार उसकी जबरदस्त चूत चुदाई के आगे पस्त हो चुकी थी पर जीवन था कि हार मान ही नहीं रहा था… लेकिन कब तक?
कुछ शॉट उसने और लगाये होंगे कि वो हम दोनों के बीच में आकर हम दोनों की छाती पर लंड से निकलते हुए वीर्य की धार छोड़ दी। हम दोनों ने ही उसके वीर्य को उसकी निशानी के तौर पर अपनी छाती पर मल लिया।
मैं काफी थक चुकी थी, सुबह के दस बजे से उसने मुझे शायद पाँच बार चोद दिया होगा। वो हम दोनों के बीच में लेटा हुआ था और हम दोनों के मम्मे पर हाथ फिरा रहा था।
करीब आधे घण्टे तक हम तीनों यूं ही पड़े आराम करते रहे, फिर उसने घड़ी की तरफ देखा और बोला- हमको चलना चाहिये। बस एक आखिरी खेल! ‘खेल?’ मोहिनी उसकी तरफ देखते हुए बोली। ‘हाँ मैं चाहता हूँ कि हम तीनों एक साथ मूतें।’
उसके कहने के साथ ही हम तीनों टॉयलेट गये और तीनों एक दूसरे की तरफ मुंह करके मूतने लगे। हम लोगों की पेशाब की धार एक दूसरे की धार से टकराकर उसके छींटे हमी लोगों के ऊपर पड़ रहे थे।
तीनों पेशाब करके आये और कपड़े पहनने जा ही रहे थे कि मोहिनी बोली- मैं थोड़ा फ्रेश हो लूं, फिर चलते हैं। इतना कहकर वो एक बार फिर टॉयलेट में घुसी और दरवाजा बन्द करने लगी तो मैं मोहिनी से बोली- अभी तक हम सभी खुल कर एक दूसरे के नंगे जिस्म के साथ थे, और तू टट्टी दरवाजा बन्द करके करेगी? तू हम सबके सामने ही टट्टी कर और जीवन तुम्हारी गांड साफ करेगा।
मोहिनी बिना किसी ऐतराज के वहीं सामने पॉट पर बैठ गई और टट्टी करने लगी। फिर जीवन ने उसकी गांड साफ की और हाथ धोकर मेरी गांड को थपथपाते हुए बोला- आकांक्षा, आज वास्तव में तुमने मुझे खूब मजा दिया। अब मेरी बारी है अपना वादा पूरा करने की।
उसके बाद मोहिनी की गांड थपथपाते हुए बोला- अब तुम मुझे रोज नये तरीके से दवा दोगी। मोहिनी उसके ये शब्द सुनकर मुस्कुराने लगी।
फिर हम तीनों रूम से बाहर आ गए, मैं अपने रूम में आ गई जहाँ मेरे ससुर मेरा इंतजार कर रहे थे।
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