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मुझे शरारत सूझी, मैं वेटर को दिखाते हुए अपनी चूत को खुजलाने लगी। वो हक्का बक्का रह गया, उसने फ़टाफ़ट खाना मेज पर लगाया और चला गया।
तभी मुझे पूल वाली बात याद आ गई, मैंने पापा से पूछा कि वो वेटर उनसे क्या कह रहा था। पापा जी बोले- वो तुम्हारे बदन की बहुत तारीफ कर रहा था, कह रहा था कि मैडम बहुत ही प्यारी है। और राय दे रहा था कि उसके पास बहुत अच्छी-अच्छी ब्लू फिल्म है, अगर मैं चाहूँ तो तुमको प्यार करते समय उस फिल्म को भी लगा सकता हूँ, प्यार करने का और मजा आयेगा। ‘तो आपने क्या कहा?’ ‘फिलहाल मैंने उसे मना कर दिया।’ ‘मना मत कीजिए, उससे कहिये जो सबसे गन्दी वाली हो वही दे। मैं भी आपके साथ बैठ कर वो मूवी देखना चाहती हूँ।’
हमने खाना खत्म किया और पापा जी ने वेटर को फोन करके सबसे गंदी वाली मूवी लाने को कहा और हम वेटर का इंतजार करने लगे। वेटर आया उसने पेन ड्राइव को टीवी से अटैच किया और किस तरह मूवी चालू करनी है, समझा कर चला गया।
जाते समय उसने मेज पर रखी हुई चीजो को समेटा और पापा जी ने जो टिप्स दी उसे लेकर जाने लगा, लेकिन जाते समय यह कहना नहीं भूला कि अगर कोई भी जरूरत हो तो जरूर याद करना।
उसके जाते ही पापा जी ने लाईट ऑफ करके अपने पूरे कपड़े उतारे और मूवी चालू कर दी। मैंने भी अपने शरीर से कपड़े अलग किए।
मूवी चालू करने के बाद पापा जी मेरे पास आकर चिपक कर बैठ गये, मेरे कंधे में हाथ रख मेरे गोले को सहलाने लगे दूसरे हाथ से मेरी जांघों को सहलाने लगे। मेरे भी हाथ उनकी जांघों को सहलाने लगे थे।
मूवी देखते हुए पापाजी मेरे मम्मे को और दाने को जोर से तो मसल ही रहे थे, साथ ही मेरी जांघ को सहलाते हुए मेरी चूत की फांकों में भी उंगलियाँ चला रहे थे।
चलिये मैं आपको मूवी भी बताती हूँ, उस मूवी में कोई इन्डियन लड़की लड़के थे, दोनों एक कमरे में आते है और लड़का कमरे में रखे हुए कैमरे को सेट करता है और फिर लड़की को लेकर कैमरे के सामने ही एक कुर्सी पर बैठ कर उसके मम्मे को जोर-जोर से दबाता है। फिर एक-एक करके लड़का लड़की के कपड़े उतारता है और उसके जिस्म के एक-एक अंग को कैमरे के सामने सेट करता है।
फिर लड़का लड़की को कैमरे के सामने ही इस प्रकार झुकाता है कि उसकी गांड और चूत का छेद साफ-साफ दिखाई पड़ने लगता है। लड़का भी अपने कपड़े उतारकर उसकी चूत और गांड के छेद को चाटने लगता है, फिर लड़की के मुंह के पास अपने लंड को ले जाता है, लड़की लंड को पकड़ कर चूसने लगती है। लड़का पास पड़ी हुई कटोरी को उठाता है, उसमें अपने लंड को डुबोता है और लड़की के मुंह में ले जाता है। शायद उसमें शहद होगा। कुछ देर ऐसा ही चलता है।
वो सीन देखकर मैंने पापाजी को देखा तो उन्होंने मेरे मम्मे को कस कर दबा दिये और फिर पास पड़े हुए इन्टरकॉम से उसी वेटर को बुलाया।
इधर लड़के ने लड़की को बिस्तर पर लेटा दिया और कटोरी के शहद को उसके मम्मे के ऊपर गिरा कर चाटने लगा, फिर नाभि के ऊपर डालकर उसको चाटने लगा और फिर उसी तरह से चूत के ऊपर डालकर उस्की चूत को चाटने लगा।
इतना करने के बाद लड़के ने लड़की को चोदना शुरू किया, मेरा हाथ ससुर जी के लंड को जोर जोर से मसल रहा था और पापाजी मेरी चूत को मल रहे थे।
कई स्टाईल में चुदाई का सीन चल रहा था। चुदाई सीन देख कर मैं और पापा जी दोनों मस्त हो रहे थे और दोनों के चलते हुए हाथ बताने के लिए काफी थे कि हम कितना मस्त हो चुके थे।
तभी डोर बेल बजी, बाहर उसी वेटर की आवाज आई तो पापा जी ने उसे चार रसगुल्ले, कुछ अंगूर और मेरे कहने पर बिस्तर की चादर बदलने के लिये लाने के लिये बोला। वेटर ने भी वहीं से हामी भरी और चला गया।
उधर एक बार फिर एक दूसरे के जिस्म से खेलते हुए चुदाई की सीन देखने में मस्त हो गये। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
लड़की चुद चुकी थी और लड़का ने लड़की के सर को बिस्तर से नीचे की ओर लटका दिया और अपना लंड उसके मुंह के पास ले जाकर हिलाने लगा। आठ से दस बार लंड को हिलाने के बाद लड़के ने अपने वीर्य को लड़की के मुंह के अन्दर रोक रोक कर छोड़ने लगा और लड़की ने उसे बड़े ही प्यार के साथ गटक लिया और एक-दो बूंद जो लंड से निकल रहा था उसे चाट कर साफ कर दिया।
यह मूवी करीब 15 मिनट की थी, लेकिन काफी मस्त थी।
पापा को बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उन्होंने मुझे उठाकर अपने लंड पर बैठा लिया। मैं भी पनिया गई थी तो उनका लंड गप्प से मेरे अन्दर समा गया। उनके ऊपर उछलते उछलते मैं पापाजी से बोली- अगर आपको बुरा न लगे तो थोड़ा सा उस वेटर को टिप दे दूँ? वो आपकी बहुत सेवा कर रहा है।
पापाजी बोले- क्या उससे भी चुदवाना है तेरे को? ‘नही नहीं, चुदवाना नहीं है, बस उसका मुंह मीठा कराना है।’ ‘मतलब??’ ‘मतलब यह कि मैं चाहती हूँ जो रसगुल्ला आप मंगा रहे हो वो मेरी चूत के अन्दर से अपने मुंह से निकाले और खा ले। यही उसका ईनाम होगा। उसके बाद वो हम लोगों की और मन लगाकर सेवा करेगा। इतना ही नहीं मैं जब कल ऑफिस में हूँगी और आपके लंड में खुजली मचेगी तो वो ही आपके लिये लड़की का इंतजाम भी कर देगा।’
‘नहीं मुझे कोई लड़की तो नहीं चाहिये लेकिन मुझे भी मजा आयेगा… पर देख ले कहीं तू शर्मा न जाये?’ ‘काहे की शर्म?’ मैंने कहा- उसे पता है कि मैं आपसे चुद रही हूँ। इसलिये तो उसने मूवी भी तो देखने के लिये दी है ताकि हम दोनों चुदाई वाली मूवी देखने के साथ-साथ चुदाई का खेल भी खेलें।
तभी हम लोगों की नजर एक बार फिर मूवी पर गई, अब मूवी इंग्लिश थी, जहां एक लड़की अपनी चूची को सहलाते हुए उत्तेजित होने की कोशिश कर रही थी कि तभी दो गंजे मर्द अपने लंड को सहलाते हुए उसके पास आये।
इनमें से एक ने लड़की के सर को पकड़ा और अपने लंड से उसके होंठ को रगड़ने लगा और जैसे ही लड़की ने लंड को चूसने के लिये मुंह खोला, उस गंजे से आदमी ने लड़की के मुंह के अन्दर पेशाब करना शुरू कर दिया, इसी तरह दूसरे गंजे ने भी लड़की के मुंह में पेशाब करने लगा।
लड़की के मुंह में जितना पेशाब जाता, वो उसे बाहर निकाल देती।
जब दोनों लड़की के मुंह में पेशाब कर चुके तब दोनों गंजे जमीन पर लेट गये और फिर लड़की बारी-बारी से दोनों गंजे के मुंह के ऊपर बैठ कर मूतने लगी। दोनों गंजे लड़की मूत को पी गये यहां तक कि दोनों उसकी चूत को चाटने लगे। 5 मिनट की मूवी में मूतने के सीन ने मुझे अपनी सुहागरात वाली कहानी याद दिला दी।
तभी पापाजी बोले- क्या बकवास है, ऐसा नहीं होता है। मैंने पापाजी को अपने सुहागरात की कहानी सुनाई, मेरी सुहागरात की कहानी सुनने के बाद बोले- क्या सच में तुम दोनों ने ऐसा किया था? ‘हां और बहुत मजा आया था।’
मैं अभी भी उनके लंड पर उछल रही थी, तभी पापाजी बोले- अब मेरा छूटने वाला है। उनकी बात सुनकर मैं लंड से हट गई और उनके लंड को अपने मुंह में ले लिया कि तभी बेल फिर बजी तो पापाजी ने वेटर का नाम लिया और बोले- अन्दर आ जाओ।
मैं जमीन पर बैठी हुई पापा जी की मलाई अपने मुंह में भर रही थी कि वेटर अन्दर आ गया। उसकी आँखें हम दोनों को उस पोजिशन में देखकर फटी की फटी रह गई, वो लाईव चुदाई देख रहा था, हकलाते हुए बोला- सर रसगुल्ले और चादर ले आया हूँ।
अब हम दोनों ही एक दूसरे से अलग हो चुके थे।
पापाजी ने वेटर को चादर बदलने के लिये बोले और साथ में चादर को रोज बदलने के लिये बोले। वेटर का और हौसला बढ़ाते हुए बोले- तुमने जो फिल्म दी थी, वो बहुत ही मस्त थी और मेम साब तुम्हें उसका ईनाम देना चाहती हैं।
इस समय वेटर की आँख में थोड़ी सी चमक थी, वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा और अपने खड़े लंड को जो उसके लोअर से साफ दिखाई पड़ रहा था, को अपने हाथ से दबाते हुए बोला- मेम साब थैंक यू। क्या मैं भी कपड़े उतार सकता हूँ?
मैं तुरन्त ही बोल पड़ी- नहीं नहीं, कपड़े उतारने की जरूरत नहीं है। कहकर मैं पलंग पर लेट गई और अपने दोनों ऐड़ियों को अपने कूल्हों से सटाकर दोनों टांगों को चौड़ा करके पापा जी से बोली- आप इस रसगुल्ले को मेरे अन्दर डालो! और फिर वेटर से बोली- तुम यहां आओ और इस रसगुल्ले का स्वाद लो।
पापाजी ने वैसा ही किया और रसगुल्ले को मेरी चूत के अन्दर फंसा दिया। वेटर मेरे पैरों के पास आया और नीचे बैठकर अपने हाथों से मेरी जांघ को पकड़कर थोड़ा और फैला दिया। मेरी नजर पापाजी पर भी थी।
वेटर ने पहले मेरी जांघ के आसपास चाटना शुरू किया। वेटर को इस तरह चाटते देखकर पापा जी का हाथ उनके लंड पर चला गया और वो खुद ही अपने लंड से खेलने लगे।
उधर वेटर मेरी चूत में हल्की सी जीभ फिराता और फिर जांघ के दूसरे हिस्से को चाटने लगता। बीच बीच में तो वो मेरी गांड को भी चाट लेता था। पर जिस तरह वो मेरी जांघ, चूत और गांड को चाट रहा था, मेरी भी उत्तेजना बढ़ने लगी थी और अब मैं कसमसाने लगी थी। वेटर को अपना ईनाम लेने की कोई जल्दी नहीं थी, वो बड़े ही इत्मिनान से मेरी चूत और गांड के आस पास एक एक अंग को चाट रहा था और बीच-बीच में वो अपना रसगुल्ला भी खा रहा था।
मैं बहुत कसमसा रही थी और मेरी कमर अब बिस्तर से लगने को मना कर रही थी क्योंकि अब मैं झड़ने वाली थी। इस बात को वेटर भी जान गया था और अब उसका मुंह मेरे चूत के ऊपर था और जीभ चूत से रसगुल्ला बाहर निकाल रहा था।
रसगुल्ले का अन्तिम कौर और मेरा पानी एक साथ उस वेटर के मुंह में था, वह रसगुल्ले के पीस से साथ साथ मेरे मलाई को भी सफाचट कर गया।
मेरी चूत की पूरी मलाई चूसने के बाद बोला- मेम साहब, मुझे मेरा ईनाम तो मिल गया। बस एक बात और… अपने लंड की ओर इशारा करते हुए बोला- मेरा यह हथियार बहुत अकड़ रहा है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है अगर आप इसकी अकड़ निकाल दें तो मेरा दर्द कम हो जायेगा।
मन तो मेरा भी कर रहा था कि उसके लंड को अपनी चूत में ले लूँ। अगर रितेश होता तो मैं ले चुकी होती… पर पापाजी के सामने मेरा मन नहीं मान रहा था। आप लोग भी सोच रहे होंगे कि साली चूत चटवा ली तो पापाजी का होश नहीं था और अब पापा जी बता रही है।
लेकिन पापाजी मेरी मन की बात समझ चुके थे और बोले चलो इस वेटर को इतना ईनाम और दे दो। चलो हम दोनों ही तुमको साथ साथ चोदते हैं।
वेटर ने पापाजी की बात सुनी थी कि तुरन्त ही उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए। उसका भी लंड पापाजी के लंड के बराबर ही लम्बा था और काले नाग की तरह लग रहा था।
मैं भी अब पूरी रंडी के रूप में आ चुकी थी, मेरे मुंह से निकल ही गया- मादरचोदो, दोनों के लंड की अकड़ मैं निकाल दूंगी। कहकर मैं पंजे के बल जमीन पर बैठ गई और बारी-बारी से दोनों के लंड चूसने लगी।
फिर पापाजी बिस्तर पर लेट गये, मुझे अपने ऊपर कर लिया और अपने लंड को मेरी गांड में प्रविष्ट कर दिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उधर वेटर भी पोजिशन लेकर मेरी चूत को भेद चुका था और चुदाई करने लगा।
जब वेटर रूकता तो पापाजी मेरी गांड को ठोकते और जब पापा जी रूकते तो वेटर मेरी चूत की बैंड बजाता।
काफी देर तक दोनों मेरी चूत गांड चुदाई करते रहे, करीब 10 मिनट तक मैं दोनों के बीच में फंसी रही। फिर दोनों ने मुझे अपने से अलग किया और फिर दोनों ने ही अपने वीर्य को मेरे पेट पर गिरा दिया।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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