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नमस्कार दोस्तों, यह है मेरी हिन्दी सेक्स कहानी का अगला एपिसोड, पढ़िए और मजे लीजिए!
करीब 10 बजे मीना छत पे आ गई और मेरे कमरे का दरवाजा हल्के से खटखटाया। मैंने दरवाजा खुला होने की आवाज़ दी और वो अंदर आ गई और दरवाजा अंदर से लोक कर लिया । अंदर आते ही उसने मुझे ज़ोर से जफ्फी डाल ली और मैंने उसे बैड पे ही लिटा लिया। उसकी सांसे तेज़ चल रही थी।
वो — दीप, यहां कोई डर वाली बात तो नही है न, मतलब यहां तुम्हारे घर का कोई आएगा तो नही ना।
मैं — नही सुबह 7 बजे तक तो कोई नही, फेर माँ आएगी चाय देने।
वो — (लम्बी चैन की साँस लेते हुए) — फेर कोई बात का डर नही है। हम आराम से अपनी करवाई डाल सकते है।
ऐसा करो हमारे पास 1 घण्टे का वक्त है। इतने समय में अपने दिल की हर एक रीझ पुगालो। सुबह बच्चों को स्कूल भी भेजना है। सो मुझे जल्दी जाना पड़ेगा। मेरे घर में होते तो कोई जल्दी वाली बात नही थी।
मैं – लेकिन आज तो राकेश भी आने वाला था न, फेर… ??
वो — माँ चुदाये अब राकेश… हा..हा.. हा सुबह बोल दूँगी के तुम टाइम पे नही आये तो मैं क्या कर सकती हूँ। छोडो तुम ये बातें अपने काम में मन लगाओ। वरना उसके चक्र में अपना मज़ा भी फीका करवा लोगे। ऐसे करो एक एक करके मेरे कपड़े उतारो।
हम धीमी सी आवाज़ में बाते कर ही रहे थे के अचानक मेरे कमरे का दरवाजा खटकने की आवाज़ आई। हमारे तो जैसे पैरों तले ज़मीन निकल गई हो। मैंने जल्दी से उसे बैड के निचे छिपाया और सोकर उठने की एक्टिंग करता हुआ दरवाजा खोलने के लिए आ गया। जब दरवाजा खोला तो बाहर माँ दूध का गिलास और प्लेट में कुछ मिठाई लिए खड़ी थी।
माँ — क्या हुआ दीप बेटा, सो गए थे क्या ?
मैं– (जम्हाई लेने की एक्टिंग करके) – हाँ माँ सुबह कॉलेज जल्दी जाना था, इस लिए जल्दी सो गया।
माँ — आज तो तुम दूध पीना ही भूल गए। मेने सोचा चलो मैं खुद पकड़ा आती हूँ और आज दोपहर को शहर से तेरे मौसा जी आये थे, उनके घर बेटे ने जन्म लिया है। तो वो मिठाई का डिब्बा देकर गए है। दिन में तुम्हे मिठाई देना भूल गयी। सोचा शाम को दूध के साथ दे आती हूँ। ये लो प्लेट और गिलास पकड़ लो और आराम से खा पीके सो जाना।
मैंने अपनी माँ से वो खाने पीने का समान पकड़ लिया और माँ को बाहर से ही वापिस मोड़ दिया। फेर जल्दी से दरवाजा बन्द करके हल्के से मीना को आवाज़ लगाई के बाहर आ जाओ खतरा टल चूका है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
वो जब बैड के निचे से बाहर निकली तो पसीने से भीगी हुई थी। मैंने उसे बैड पे बिठाके पानी पिलाया और पंखे की हवा में आराम करने का आग्रह किया। करीब 10 मिनट में जब वो नॉर्मल हुई तो बोली,” आज तो तुमने मरवा ही दिया था। समय रहते यदि मैं छिपती न तो मेरी तो इज़्ज़त की धज़्ज़ियाँ उड़ जाती। इतनी कठिनाई तो कभी मैंने, मेरे असली पत्नी जीवन में कभी नही देखी..
एक घण्टे में से 20 मिनट तो आंटी ने खराब कर दिए। अब जल्दी करो, मेरे जाने का वक़्त नज़दीक हो रहा है। बच्चे भी छोटे है न शायद खुद को अकेले पाकर डर न जाये, मुझे उनकी भी फ़िक्र हो रही है।
चलो जल्दी करो मेरे कपड़े उतारो, मैं तुम्हारे उतारती हूँ।
उसकी इस बात से मुझे आइडिया आया क्यों न आज की रात “सुहागरात” की तरह मनाई जाये, ताजो आज की रात बरसो तक एक सुनहरी याद बनकर याद रहे।
मैंने अपने दिल की बात मीना को बताई। वो बोली,” आज की रात तुम्हारी हूँ, जैसे भी दिल करे करलो।
मैंने उसे बैड पे दुल्हन की तरह घुंगट निकालकर बैठने को कहा। वो मान गयी। फेर मैं भी दूल्हे की तरह दरवाजे की तरफ से आया और उसके पास आकर बैठ गया। हल्के से उसका घुंगट उठाकर मुंह दिखाई की रस्म निभायी। फेर मैंने मुंह दिखायी में उसे अपने पर्स से कुछ पैसे दिए। फिर हमने इकठे एक गिलास से ही दूध पिया और मिठाई भी खायी।
फेर मैंने धीरे धीरे उसके ओर अपने सारे कपड़े उतारे और उसको लिटाकर माथे से लेकर निचे पैरो तक एक एक अंग को बड़ी शिद्दत से चूमा। मेरी ये हरकत आग में घी का काम कर रही थी। मतलब उसपे काम धीरे धीरे असर कर रहा था।
उसकी आँखे बंद थी और मुंह से हल्की हल्की आह.. सी.. सी.. आह… जैसी कामुक सिसकिया निकल रही थी। उसने मुझे आँख बन्द किये ही बोला, “पतिदेव अब और न तरसाओ, मैं काम अग्नि में जल रही हूँ। मेरी प्यास बुझादो प्लीज़… आह्ह्ह…
मैंने उसे और तड़पाने का प्लान बनाया और उसके होंठो को अपने होठो में भींचकर उनका रसपान करने लगा। करीब 10 मिनट ऐसे ही स्मूच करने के बाद मैंने उसके बड़े बड़े बूब्स पे टूट पड़ा। मैंने दोनो हाथो से उसे बारी बारी से पकड़कर उनको चूमा और हल्के से उनकी निप्पलो को काटा।
उसकी तो जैसे जान निकले जा रही थी। फेर मैं उसके एक दम स्पॉट पेट से होता हुआ उसकी क्लीनशेव चूत पे पहुँच गया। उसपे हल्की हल्की बदबू आ रही थी।
मैंने फेर भी हल्के से मन मारकर उसके दाने को जीभ से चाटना शुरू कर दिया। वो मज़े में आकर मेरा मुंह अपनी चूत पे दबा रही थी। जब मुझे लगा के उसका होने वाला है तो मैंने अपना मुंह वहां से हटा लिया और अपना लण्ड उसके आगे करके उसे चूसने को कहा।
वो ना चाहते हुए भी मेरे लण्ड को मुंह में लेकर चूस रही थी। कभी वो मेरे आंडो को जीभ से चाटती तो कभी मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने दाँतो से हल्के हल्के काटती।
जब मेरा भी वीर्य निकलने वाला था तो मैंने उसका मुंह पकड़ के अपनी कमर तेज़ चलानी शुरू करदी। लण्ड उसके हलक तक घुसा दिया और उसके मुंह में ही अपना माल छोड़ दिया। उसकी तो जैसे साँस ही अटक गयी थी। उसकी खांसी रुकने का नाम नही ले रही थी।
मैंने सोचा साला क्या पंगा ले लिया यार, मेरे कमरे में उसके खाँसने की आवाज़ सुनकर घर का कोई सदस्य न आजाये। मैंने उसे पानी पिलाया और अपने दुर व्वयहार के लिए मांफी मांगी। वो साली गुस्से से अपने वादे से मुकर गई और अपने कपड़े उठाकर बाहर जाने लगी।
मैंने उसको एक बार फेर माफी मांगी ओर आगे से ऐसी गलती दुबारा न करने का भरोसा दिया। फेर पता नही उसके मन में क्या आया और बोली,” ठीक है ये आपकी पहली और आखरी गलती है। अब जल्दी से लण्ड चूत में डालो और मुझे भी अपने घर जाने दो। मेरा अभी अभी रस्खलन हुआ था तो अभी सोया हुआ लण्ड उसकी चूत में कैसे डालता। तो मैंने उसे लण्ड की तरफ इशारा करके दुबारा खड़ा करने को बोला।
वो — एक शरत पे मुंह में लुंगी के अब मेरे मुंह में नही झड़ोगे।
मैं– हाँ, वादा करता हूँ, इस बार मैं चूत में ही झड़ूंगा।
उसने मुझे लेट जाने का इशारा किया और मैं लेट गया। अब फेर उसने मेरे लण्ड को अपनी चुनरी से साफ किया और दुबारा अपने मुंह में ले लिया। अब मैं आँखे बन्द किये उसके द्वारा किये फोरप्ले का मज़ा ले रहा था।
जब उसे लगा के मेरा मुंह अजीब सा बन रहा है तो वो मेरे लण्ड से अपना मुंह हटाकर अपनी चूत खोलकर आहिस्ते आहिस्ते उसपे बैठकर निचे की और दबाव बनाने लगी। ऐसा उसने तब तक किया जब तक पूरा जड़ तक लण्ड उसकी चूत में घुस न गया।
फेर वो मेरे ऊपर बैठकर मेरे जाघो पे अपने हाथ पीछे की और मोड़कर उठक बैठक करने लगी। करीब 10 मिनट तक ऐसे ही हिलते रहने के बाद, फेर वो मेरे ऊपर लेटकर हिट लगाने लगी। कभी वो मेरे होंठ चूमती, तो कभी अपने बूब्स मेरे मुंह में देती।
करीब 10-12 मिनट तक चले इस कामुक खेल में हम दोनों एक साथ रस्खलित हुए और हांफते हुए एक दूसरे की बाँहो में लिपटे रहे। मैंने फेर उसकी गांड पे हाथ रखकर उसको पेलने की चाह बताई।
वो — पागल हो गए ओ क्या? मैंने तो आज तक सन्दीप को इसका मज़ा नही लेने दिया। तुम्हे कैसे हाँ बोल दूँ। आज के लिए इतने में ही सब्र करो। आज तुमने बहूत मज़ा दिया है मुझे दीप.. मेरा दिल फेर चाहा तो किसी दिन फेर एक रात तुम्हारी बाँहो में गुजारूंगी और तुम्हारी ये रहती इच्छा भी जल्द ही पूरी करूंगी। मन तो अब भी जाने का नही है। लेकिन बच्चे घर पे अकेले है। सो अब जाना पड़ेगा..
लेकिन उस से पहले तुम वो दोनों रिकॉर्डिंग को मिटा दो। तुम्हे मेरी कसम है। मैंने तुम्हारी शर्त मानी है। अब तुम भी मेरी बात मानो। मैंने उसके सामने वो दोनों रिकॉर्डिंग डिलीट करदी और उसे जाने की इज़ाज़त दे दी। वो कपड़े पहन कर अपने घर चली गयी।
सो दोस्तो ये थी मेरी एक नई काम गाथा आपको जैसी भी लगी अपने कीमती विचार हमारे ईमेल पते पे भेज दे, मेरा ईमेल पता है “[email protected]”, आपके कीमती विचार हमे आगे से और अच्छा लिखने में मददगार साबित होंगे।
किसी और दिन नई कहानी में बताऊंगा के कैसे मैंने उसकी टाइट गांड का मज़ा लिया। आज के लिए इतना ही, फेर किसी दिन एक नई गाथा लेकर फेर हाज़िर होऊंगा। तब तक के लिए अपने दीप पंजाबी को दो इज़ाज़त… नमस्कार …!
???? समाप्त ????
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