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नमस्कार मित्रो.. आपका अपना दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। पिछली कहानियो को पसंद करने के लिए और ढेर सारे मेल भेजने के लिए आप सब मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद।
ज्यादा बाते न करते हुए सीधा आज की कहानी पे आते है। जो के मेरी पड़ोसन भाभी और मेरे बीच हुए सेक्स के बारे में है। उमीद है आपको बहुत पसंद आएगी। हुआ यूं के मेरे घर के बिलकुल पीछे घर में रहने वाली भाभी जिसे हम मीना के नाम से जानेंगे। उसकी उम्र यही कोई 25 के करीब थी।
उसका अफेयर गांव के ही किसी राकेश नाम के लड़के से चल रहा था। तो वो अपने पति के फोन से ही कभी कबार छिप छिपाके उस से बाते कर लेती थी। एक दिन मैं बाइक से कही काम से जा रहा था तो उसने मुझे आवाज़ लगाई,” दीप एक मिनट बात सुनकर जाना।
मैं रुक गया और उनसे मुझे रोकने की वजह जाननी चाही।
वो — कृप्या एक मिनट के लिए तुम्हारा फोन देना तुम्हारे भाई संदीप (उसका पति) को लगाकर पूछना है, के काम से कब तक वापिस आएंगे ?
मैंने उनका बताया हुआ नम्बर डायल करके उनको फोन दे दिया। वो फोन को मुझसे करीब 20 फ़ीट की दूरी पे ले गयी और धीमी सी आवाज़ में 5 मिनट तक पता नही क्या बात की और फोन वापिस दे दिया। मैं अपने काम पे चला गया।
करीब हफ्ते बाद एक दिन ऐसे ही रात को अपने कमरे में अकेला लेटा हुआ था और फोन में लोड ज्यादा होने की वजह से फालतू की फाइल्स को हटा रहा था। तो अचानक उस दिन वाली फ़ाइल सामने आ गयी । मैंने उसे प्ले करके सुना तो हैरानी से मेरा मुंह खुले का खुला ही रह गया। उन दोनों की बात कुछ इस तरह की थी…
वो — हलो राकेश, मैं मीना बोल रही हूँ। ध्यान से मेरी बात सुनो।
राकेश — हाँ, मीना डार्लिंग बोलो।
वो — पागल, यहाँ जान या डार्लिंग न बोलो। किसी पड़ोसी लड़के का फोन लिया है बात करने के लिए बहाने से के अपने पति से बात करनी है। ये फोन वाला बहुत खडूस स्वभाव का व्यक्ति है। इसे जरा सा भी शक न होने देना। इसे जरा सा भी कोई शक हो गया तो हमारी खैर नही होगी। ऐसे करना आज मेरे पति, मेरी ननद के यहां गए है। वो 5-7 दिन के बाद वापिस आएंगे..
ऐसा करना आज रात को मैं तेरा इंतज़ार करूंगी। तुम वही पुराने समय पे आ जाना। बच्चों के सो जाने के बाद हसीन रात का मज़ा लेंगे। खाने पीने का मैंने इंतज़ाम कर लिया है। ज्यादा देरी से न आना। हो सकता है मैं इंतज़ार करती करती सो जाऊ और तुम्हे ऐसे ही बेरंग वापिस जाना पड़े।
राकेश — तुम टेंशन न लो मेरी छमक छल्लो, मैं वक्त पे पहुँच जाऊंगा। तुम बस माहौल को रंगीन बनाने का इंतज़ाम रखना, बाये जानेमन…
वो– बाये… ठीक है, बाद में बात करती हूँ। अब फोन वाला घूर घूर के देख रहा है। उसे फोन वापिस देना है ।
और फोन काट दिया।
ये रिकॉर्डिंग सुनकर मेरे तन बदन में आग लग गयी। गुस्से के मारे उन्हें बहुत गालियाँ दी और उनके द्वारा किये दुर व्यवहार का बदला लेने की सोची। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
एक दिन फेर वही भाभी मेरे घर पे आई और आते ही मुझे नमस्ते बोला, मुझे उसकी शक्ल देखते ही गुस्सा चढ़ने लगा। लेकिन समय की नज़ाकत को समझते हुए चुप रहने में ही फायदा समझा। मन में सोचा के यदि तुम्हे ही अपना लण्ड न चुसवाया न मेरा नाम भी दीप नही।
वो — दीप, तुम्हारा फोन देना, तुम्हारे भाई साहब को अपनी बहन के यहां गए हुए एक हफ्ता होने वाला है। उस दिन के बाद न कोई फोन आया और न कोई संदेस, मुझे उनकी बहुत चिंता हो रही है। प्लीज़ ये पर्ची वाला नम्बर डायल करके दे दो। ज्यादा बात नही करूंगी बस इतना ही पता करना है के कब तक आयेंगे। क्योंके शाम का वक़्त है, यदि वो आने का बोलेगे तो उनके आने से पहले खाना वगैरह बनालूंगी।
मुझे उस दिन की रिकॉर्डिंग सुनकर पता चल गया था के आज भी वही रासलीला होने वाली है। क्यों न आज के दिन का मज़ा लिया जाये और खुद से हुए दुरव्यवहार का बदला लिया जाये। मैंने नम्बर डायल करके फोन उनको सौंप दिया।
आज भी मुझसे करीब 10-15 फ़ीट दूर होकर बात कर रही थी। मेने उसकी बात पे कोई ध्यान नही दिया। क्योंके सब कुछ रिकॉर्ड हो रहा था। वो बात करके अपने घर चली गयी। उसके जाने के बाद मैंने अपने कमरे में जाकर वो रिकॉर्डिंग प्ले करके सुनी।
वो — हलो राकेश, आज का क्या प्रोग्राम है ?
राकेश — वही जो एक हफ्ते से चल रहा है। लेकिन आज तो संदीप ने वापिस आना था। फेर कैसे हम इकठे हो पाएंगे।
मीना — वो नही आएगा, मैंने दोपहर को किसी और के फोन से उसे फोन किया था। वो बोला,” कल शाम तक आऊंगा। ऐसे करना आज जल्दी आ जाना। कल को भी तुम बहुत देरी से आये थे। जिसकी वजह से नींद खराब हो जाती है। बच्चे 9 बजे तक सो जाते है। आज 9.30 तक आ जाना..
ताकी जल्दी से काम निपटा कर सो सके। सुबह जल्दी उठकर बच्चों को स्कूल भी भेजना होता है। आज भी मैं देरी से जागी थी। जिसकी वजह से आज बच्चे बिन नाश्ता किये ही स्कूल चले गए। बा की बाते रात को करूंगी… वही खडूस का फोन है और मुझे घूर के देख रहा है.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा हा…
और फोन काट दिया।
मैंने सोच लिया आज तो इसको पेलकर ही अपनी बेइज़ती का बदला लूँगा। शाम को करीब 7 बजे मैं उनके घर चला गया। उस वक्त वो खाना खा रही थी। मुझे आया देख उसने खाना वही छोड़ दिया और मुझसे पूछा, आइये दीप जी, इस समय कैसे आना हुआ ?
मैं — क्यों यदि आप मेरे घर जा सकती है तो मैं नही आ सकता क्या ??
वो — नही… नही… आप तो शायद बुरा मान गए। मेरे कहने का मतलब ये नही था। बल्कि आपसे पूछा है के मैं इस वक़्त आपकी क्या मदद कर सकती हूँ।
मैं — हां, मदद तो सिर्फ आप ही कर सकती है। ये लीजिये फोन आपके पति का आया है बात करलो।
जैसे ही उसने फोन पकड़ कर कान को लगाया तो उसके हलो कहते ही दिन वाली रिकॉर्डिंग चालू हो गयी। जिसे सुनते ही उसके तो जैसे फ्यूज़ ही उड़ गए। उसके चेहरे पे पसीने की बूंदे उभर आई। उसने मुझे फोन वापिस देते हुए थोडा सख्त लहज़े में कहा,” ये क्या बदतमीज़ी है, और यहां क्या लेने आये हो ?
मैं — अब ये भी मैं बताऊ के क्या बात है। रही बात लेने की तो जो राकेश को देती हो, मुझे भी दे दो हा… हा… हा… !
वो — बकवास बन्द करो और चले जाओ यहां से, वरना मैं शोर मचाकर मोहल्ला इकठा कर लूंगी और बोलुगी के ये अकेली देखकर मुझसे ज़बरदस्ती करने आ गया।
मैं — कोई बात नही, मचा लो शोर । तुम इधर शोर मचा लो। उधर मैं यही 2 रिकॉर्डिंग संदीप भाई को भेज देता हूँ।
वो– 2 कोनसी बताना जरा ?
मैं – एक आज वाली और एक उस दिन वाली जब मुझे बाइक से रोक कर फोन माँगा था।
मेरी बात सुनकर वो थोडा शांत पड गयी, और हाथ जोड़ते हुए बोली,” देखो दीप, प्लीज़ ऐसा भूल से भी न करना, तुम्हारी इस हरकत से मैं कहीं की नही रहूंगी। तुम जिस लड़की को बोलोगे, उस से तेरा टांका फिक्स करवा दूंगी। मेरी बहुत पहचान बनी हुई है। लेकिन मुझसे ये काम नही होगा।
मैं — देखलो, मर्ज़ी है तुम्हारी, मेने तो आज की रात ही लेनी है, तुम्हारे इस इंकार से तुम 2 लण्डों (संदीप + राकेश) से हाथ धो लोगी। फ़िलहाल तो मैं जा रहा हूँ। जो भी फैसला हुआ घर आकर बता जाना। तुम्हारे पास 1 घण्टे का समय है। उसके बाद मेरा समय शुरू हो जायेगा।
इतना बोलकर मैं घर आ गया। मुझे पूरा यकीन हो गया के वो हाँ ही कहेगी क्योंके उसके पास कोई और रास्ता ही नही है। करीब आधे घण्टे बाद वो हमारे घर आई। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
उस वक्त मैं अपनी छत पे बने अपने कमरे में था और उसी का ही इंतजार कर रहा था।
बाहर से आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी।
वो (मेरी माँ से) – नमस्ते, आंटी दीप कहाँ है?
माँ — नमस्ते मीना बेटी और बताओ इस वक्त कैसे आना हुआ। सब खैरियत तो है ?
वो — हाँ, सब ठीक है, लेकिन चलते चलते टीवी अचानक बन्द हो गया है। बच्चों के पापा भी घर पे नही है। तो बच्चे शोर मचा रहे हैं के या तो टीवी ठीक करवाके दो या हम फ़िल्म देखने पड़ोसियों के घर जायेंगे। आप तो जानते ही हो के किसी के घर जाने का वक़्त नही रहा है। ज़माना खराब है। सो मेने सोचा दीप को टीवी के बारे में थोड़ी जानकारी है। इसे दिखा लेती हूँ। यदि समझ में आया तो ठीक कर देना। वरना सुबह राहुल के पापा को बाजार भेजकर ठीक करवा लेंगे।
माँ — दीप, छत पे अपने कमरे में पढ़ रहा है। उस से पूछ लो। यदि जाने के लिए मानता है। तो ले जाओ, मुझे कोई ऐतराज़ नही है।
वो — ठीक है, आँटी जी।
इतना बोलकर वो मेरे कमरे में आ गयी और माँ को सुनाने की खातिर वही टीवी वाली बात दुहरायी और आँख के इशारे से उसके घर पे जाने का न्यौता दिया।
मैं उसका इशारा समझ गया और माँ को हम पर शक न हो इसलिए मैंने भी उसे बोल दिया के मैं सिर्फ बाहर से टीवी देखकर ठीक कर सकता हूँ,। ज्यादा रिपेयर तो मुझे भी नही आती।
वो — चलो कोई बात नही, जितनी आती है देख आओ, समझ में आये तो ठीक कर देना वरना वापिस आ जाना। जिस से बच्चों को भी यकीन हो जायेगा के चाचू से भी ठीक नही हुआ है।
मैं उसके साथ उसके घर पे आ गया। घर में घुसते ही उसने अंदर से कुण्डी लगाली और मुझसे कहा के सुनो दीप, मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है। लेकिन तुम्हे मुझसे एक वादा करना होगा के तुम ये बात किसी और से नही कहोगे।
मैं — कौनसी बात ?
रिकॉर्डिंग वाली या ये जुगाड़ वाली ?
मेरे मुंह से “जुगाड़” शब्द सुनकर उसकी हंसी निकल गयी और बोली हाँ ये दोनों बाते हम दोनों में ही रहनी चाहिए।
मैंने सहमती में हाथ मिलाया और उसे वही पे जफ्फी डालने लगा।
वो — रुको,, रुको अभी नही पहले बच्चों को सो जाने दो। तब तक तुम खाना पानी से फ्री हो जाओ। हम आज रात छत पे मिलेंगे और वही तुम्हारे कमरे में करवाई डालेंगे।
मुझे उसकी बात जच गई और मैं उसकी गाल पे पप्पी लेकर वापिस अपने घर पे आ गया। करीब 10 बजे वो छत पे आ गई और मेरे कमरे का दरवाजा हल्के से खटखटाया। मैंने दरवाजा खुला होने की आवाज़ दी और वो अंदर आ गई और दरवाजा अंदर से लोक कर लिया । अंदर आते ही उसने मुझे ज़ोर से जफ्फी डाल ली और मैंने उसे बैड पे ही लिटा लिया। उसकी सांसे तेज़ चल रही थी।
तो दोस्तो ये था मेरी इस चुदाई की कहानी का पहला एपिसोड, यह आपको जैसा भी लगा हो, कृप्या अपने विचार मेरे साथ सांझे जरुर करे, मेरा ईमेल पता है “[email protected]”, आपके कीमती विचार मेरे लिए एक प्रेरणा बनते है, जिससे मैं आपके लिए और सेक्सी कहानियां लिख पाता हूँ!
अगला एपिसोड जल्द ही पढने को मिलेगा, सिर्फ देसी कहानी डॉट नेट पर!
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