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मेरे नाम अनिकेत है.. कद 5′ 8″.. उम्र 27 साल है। मैं अन्तर्वासना की हिन्दी सेक्स स्टोरी का नियमित पाठक हूँ। काफ़ी कहानी पढ़ने के बाद मुझे लगा शायद मुझे भी अपनी कहानी आप पाठकों के साथ साझा करनी चाहिए।
यह कहानी मेरी असल ज़िंदगी में घटित हुई है, मैंने सिर्फ पात्रों के नाम बदल दिए हैं। इस घटना से पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था.. सिर्फ ‘अपना हाथ जगन्नाथ’ की तर्ज पर सुख लेता रहा था।
मैंने अपने लिंग की लंबाई या मोटाई जानने में कभी उत्सुकता नहीं दिखाई.. मगर मेरा लिंग इतना कारगर है कि वो किसी भी औरत की जिस्मानी जरूरत को पूरा कर सकती है।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे दिल्ली की एक कम्पनी में नौकरी मिल गई। पगार भी अच्छी थी.. इसलिए मैंने एक फ्लैट किराए पर ले लिया और अकेले रहने लगा।
फ्लैट के मालिक मिस्टर मेहता थे.. उनकी उम्र लगभग 40 साल की थी। वो भी किसी बड़ी कंपनी में ऊँची पोस्ट पर थे।
मेहता ने पूरा फ्लोर खरीदा हुआ था.. जिसमें वो दो फ्लैट को जोड़ कर ‘थ्री-रूम किचन’ में खुद रहता था और ‘वन-रूम हाल किचन’ वाला किराए पर दे रखा था।
मेरी उनके साथ मुलाक़ात सिर्फ महीने की एक तारीख को होती थी.. किराया देने के लिए! उनके घर पर कौन-कौन है.. न उन्होंने कभी बताया.. न मैंने जानने की कोशिश की।
एक दिन मैं ऑफिस से घर लौट रहा था। मुझे मेरे फ्लैट के रास्ते में मोड़ पर चाय के टपरे पर एक आदमी को बेहोश गिरा दिखा। उसका चेहरा मुझे कुछ जाना-पहचाना लगा। मैं नजदीक गया तो मिस्टर मेहता को देखकर मैं हैरान रह गया।
मैं मिस्टर मेहता को सहारा देकर उनके फ्लैट पर ले गया, मैंने डोर-बेल बजाई। कुछ मिनट बाद एक औरत ने दरवाजा खोला और पहली बार मैंने निशा (मकान मालकिन) को देखा। उसकी उम्र 30 के आस-पास होगी।
कहते हैं ऊपर वाला किसी किसी को बहुत फुर्सत से बनाता है। निशा को भी ऊपर वाले ने बहुत ही फुर्सत से बनाया था। उसका गोरा रंग.. बड़ी-बड़ी आंखें और संगमरमर सा तराशा हुआ जिस्म.. मैं तो उसे देखते ही रह गया।
खैर.. मैंने अपने आपको संभाला और कहा- अंकल ने आज शायद कुछ ज्यादा ही पी ली है। मुझे देखकर वो हैरान रह गई.. क्योंकि इससे पहले निशा ने भी मुझे नहीं देखा था, मेरे बताने पर उसे पता चला मैं उनका किराएदार हूँ।
निशा ने मेरी मदद के लिए दूसरी तरफ से मिस्टर मेहता को पकड़ा और सहारा देते हुए मैं उनको उनके कमरे तक ले गया और बिस्तर पर लेटा दिया। फिर मैं अपने कमरे में आकर लेट गया मगर निशा का चेहरा मेरे आँखों से उतर ही नहीं रहा था।
दूसरे दिन सुबह मेरी नींद डोरबेल की आवाज से खुली.. मैंने दरवाजा खोला तो देखा निशा मेरे सामने खड़ी थी। वो मुझे देख कर मुस्कुराई और कहा– कल रात मैं आपको ‘धन्यवाद’ कहना भूल गई थी।
मैंने औपचारिकता पूरा करते हुए कहा- अरे.. कोई बात नहीं.. अभी कैसी तबीयत है अंकल की? इस पर उसने कहा- ठीक है.. वो मुस्कुरा कर चली गई।
अब मैं एक तारीख को जब भी किराया देने जाता था.. तो मेरी आँखें उसके दीदार को तरसती थीं। उस रात जैसी घटना एक-दो बार और हुई और इत्तफाक से हर बार मैंने ही मिस्टर मेहता को उनके फ्लैट तक पहुँचाया।
तीसरी बार के बाद एक दिन शनिवार की सुबह मेरी डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो निशा सामने खड़ी थी। वही मासूमियत.. वही सुंदरता.. वही खूबसूरत चेहरा। मैंने उसे अन्दर आने को कहा।
उसकी आवाज़ थोड़ी नम थी और भरी हुई आवाज़ में उसने मुझसे कहा- पता नहीं किस ज़ुबान से आपको ‘थैंक्स’ कहूँ.. अब तो यह रोज़ का ही हो गया जैसे.. बर्दाश्त की भी हद होती है। मैंने स्थिति को समझते हुए कहा- रोइए मत.. सब ठीक हो जाएगा.. अगर आप बुरा न माने तो मैं एक बात पूछूँ? उसने कहा- पूछो.. ‘कुछ खास परेशानी है क्या आप दोनों के बीच?’ मैंने हिचकते हुए पूछा।
निशा ने अपनी आप बीती सुनाई- मिस्टर मेहता ने लव मैरिज की थी.. मगर शादी के तीन साल बाद डिलीवरी के वक़्त मिस्टर मेहता ने पत्नी और बच्चे दोनों को खो दिया। इस गम को भुलाने के लिए उन्होंने काम और शराब का सहारा लिया। परिवार वालों ने हाथ से निकलते देखा तो मिस्टर मेहता की फिर से शादी करवा दी। अब हम दोनों समाज के लिए पति-पत्नी हैं मगर अलग-अलग सोते हैं।
यह कह कर निशा अपने आँसू पोंछ्ते हुए चली गई और मैंने भी उसे रोकना मुनासिब नहीं समझा। थोड़ी देर बाद वो फिर आई और कहा- आज आपकी छुट्टी है क्या? मेरे ‘हाँ’ कहने पर वो बोली- अगर बाहर किसी के साथ खाना खाने का कोई प्रोग्राम नहीं हो.. तो मेरे घर पर लंच मेरे साथ कर लीजिए।
उसके साथ वक़्त बिताने मिलेगा.. यह ख्याल आते ही मैंने ‘हाँ’ कर दी। उस वक़्त अंकल ऑफिस टूर पर गए हुए थे।
इस तरह महीने गुज़र गए। निशा और मेरी दोस्ती बहुत गहरी हो गई। जब भी अंकल टूर पर जाते मैं उनके यहाँ जाकर अपना समय बिताता था। हम दोनों में सारी बातें खुल कर होने लगी थीं।
कभी-कभी किसी बहाने मैं उसे छू लिया करता था.. वो बुरा नहीं मानती थी। इसी दौरान मेरे एक दोस्त ने मुझे अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज.कॉम के बारे में बताया.. जहाँ मैंने बहुत सी कहानी पढ़ीं और अक्सर निशा को अपनी कामवासना में सोच कर मुठ मार लिया करता था।
एक शाम जब मैं अपने ऑफिस से निकल रहा था.. तो मुझे निशा का मैसेज मिला- रात का खाना मेरे साथ.. तुम्हारी स्पेशल डिश बनाई है।
जब मैं निशा के यहाँ पहुँचा तो उसे देखते ही रह गया। उसने मेहरून रंग की साड़ी पहनी हुई थी.. बाल खुले हुए थे और वही मदहोश कर देने वाली हँसी। आज उसे देखकर उसे चूमने का मन कर रहा था.. बहुत मुश्किल से अपने आपको संभाला था.. क्योंकि मेरे लिंग में कुछ हरकत हो रही थी.. जो उसे देख कर और भड़क उठी थी।
डिनर के बाद वो किचन में बर्तन धोने लगी.. मैं भी पानी पीने के बहाने गया। पीछे से उसकी फ़िगर देखकर मेरा मन और मचल गया। उसने अपना आँचल कमर में खोंस रखा था.. जिससे उसकी चिकनी कमर साफ दिखाई दे रही थी। मेरा मन फिसल गया और मैंने अपने दोनों हाथ से उसकी कमर को पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा।
वो हड़बड़ा गई और उसने तुरंत मुझे अपने आपसे अलग किया और मुझे देखती रही। मैं डर गया और तुरंत वहाँ से निकल कर अपने फ्लैट में आ गया।
इस घटना के बाद पाँच दिन तक ना वो मेरे यहाँ आई और न मैंने उससे मिलने की कोशिश की। पाँच दिन बाद मेरे मोबाइल पर निशा का मैसेज आया ‘मेरे घर पर डिनर पर आना..’
मैं उसके फ्लैट में गया। आज फिर निशा ने वही साड़ी पहनी थी और पता नहीं आज कुछ ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसने इशारे से मुझे अन्दर आने के लिए कहा। मैंने अन्दर आते ही कहा- मैं उस दिन के लिए बहुत शर्मिंदा हूँ.. आप इतनी खूबसूरत हैं कि मुझसे रहा नहीं गया.. आपको बुरा लगे तो लगे.. लेकिन मुझे लगता है कि.. आई लव यू..
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। वो मेरे पास आई मेरा हाथ अपने मुलायम हाथ में लिया और मुझे अपने कमरे में ले गई और बिस्तर पर बैठाया। फिर मेरे पास आकर अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैं हैरान था.. मगर उस वक़्त निशा के गरम और मुलायम होंठों के अलावा मुझे कुछ भी एहसास नहीं हो रहा था। मेरा लिंग भी पैंट फाड़ कर बाहर आ जाता अगर उसके हाथ-पैर होते तो! मैंने भी अपने दोनों हाथों से निशा को कमर से जकड़ लिया और होंठों को चूसने लगा।
उफ़्फ़.. क्या चुम्बन था.. मेरे पूरे बदन में आग लगा दी उसने।
कुछ मिनट बाद हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए.. इससे पहले मैं कुछ बोलता.. उसने अपनी उंगली से मेरे होंठों को दबा दिया और अपना आँचल गिरा दिया।
मेरे आँखों के सामने उसकी दो गोल चूचियां उभरी हुई थीं। उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर अपने ब्लाउज़ के बीच भींच लिया और मैं अपना मुँह उसके ब्लाउज़ के ऊपर रगड़ने लगा।
हम दोनों की साँसें तेज़ हो गई थीं और मादक आवाजों की धीमी गूँज पूरे कमरे में फ़ैल रही थी। कुछ देर बाद मैंने उसकी साड़ी उतार दी.. अब वो मेरे सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी। मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसे गले से लगा लिया, उसने भी मुझे कस कर बांहों में भर लिया। उसके टाइट निप्पल जब मेरे छाती से सटे.. तो मानो मेरे जिस्म में जैसे हज़ार वॉट का करंट दौड़ गया हो। इसी के साथ मेरे लिंग का कड़ापन दुगना हो गया।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने से अलग किया और कहा- मैंने आज तक किसी लड़की को नंगी नहीं देखा है। इस पर वो बोली- जो देखना है देख लो.. बातों में वक़्त क्यूँ ज़ाया कर रहे हो। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं घुटने के बल बैठ गया और अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को सहलाने लगा और उसके नाभि के आस-पास अपने जीभ से चाटने लगा। उसने मेरे बालों को ज़ोर से पकड़ लिया, उसकी मादक आहें और तेज़ हो गईं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
फिर मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.. जिससे उसका साया खुद से पूरा नीचे उतर गया। उसकी चिकनी जांघों में एक भी बाल नहीं था और उसकी गुलाबी रंग की पैंटी कुछ-कुछ गीली हो रही थी।
मैं ऊपर उठा.. उसके होंठों को चूमा और फिर उसके ब्लाउज़ को उसके जिस्म से अलग कर दिया। उसके स्तन टाइट हो चुके थे और ब्रा से उसकी टाइट निप्पल झांक रहे थे।
मैंने उसे पीछे मोड़ा और उसके पीठ पर किस करने लगा और किस करते-करते मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। मैंने पीछे से अपने दोनों हाथों से उसके स्तनों को दबाया और ज़ोर से मसलने लगा।
मेरी जिस्मानी भूख और प्यास बढ़ती जा रही थी, मैंने अपना अंडरवियर उतारा और अपने लिंग को उसकी पीठ और नितंबों पर धीरे-धीरे सटाने लगा.. इससे उसके पूरे शरीर में कंपन सी होने लगी, मैं पागलों की तरह उसके जिस्म को चूमने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे गोद में उठाकर बेड पर लिटा दिया। फिर एक टांग उसके ऊपर रखकर मैं उसके स्तनों को मसलने और चूसने लगा। अब मैं उसके निप्पलों से खेलने लगा, उसके दोनों स्तनों को चूस-चूस कर मैंने लाल कर दिया।
फिर उसकी पैंटी उतार दी.. उसकी योनि एकदम साफ थी.. मैंने उसकी दोनों टाँगों को फैलाया और उसकी योनि को जीभ से चाटने लगा। उसने मेरे बालों को कस के पकड़ लिया और अपनी दोनों टाँगों को मेरे कन्धों से मोड़ दिया। कुछ ही मिनट के बाद वो झड़ गई।
अब उसने मुझे लिटा दिया और मेरे लिंग को धीरे-धीरे सहलाने लगी.. मुझे लगा जैसे अब मेरा लिंग फट जाएगा। फिर उसने धीरे से मेरे लिंग को अपने मुँह में डाला और चूसने लगी।
मैं पहली बार किसी के साथ सेक्स कर रहा था.. मेरा अपने आप पर कंट्रोल नहीं हुआ और पाँच मिनट में मैं उसके मुँह में झड़ गया। वो बाथरूम गई और मुँह धोकर वापिस आई।
मैंने कहा- मेरी पहली बार है.. इसलिए कंट्रोल नहीं हुआ। इस पर वो मुस्कुराई और बोली- कोई बात नहीं.. धीरे-धीरे हो जाएगा।
वो फिर से मेरे लिंग को सहलाने लगी और थोड़ी देर बाद मुँह में डाल कर चूसने लगी। इससे मेरा लिंग फिर से कड़क हो गया। अब उसने इशारे से उठने के लिए कहा और अपनी दोनों टाँगें फैला दीं और बोली- अपना लिंग मेरी योनि में डालो.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मैंने भी अपना लिंग उसकी योनि पर रखकर एक झटका दिया.. मगर वो अन्दर नहीं गया। इस पर वो बोली- आराम से.. मैं कहीं भाग नहीं रही हूँ।
मैंने फिर से कोशिश की और मेरा सुपारा अन्दर चला गया। उसकी योनि टाइट थी तो घुसाने में मजा आया और अन्दर घुसते ही उसकी योनि ने मेरे लिंग को जकड़ लिया। जैसे ही मेरा सुपारा अन्दर गया.. उसने ज़ोर से तकिए को दबोच लिया और उसके गले से हल्की चीख निकल गई।
मैं डर गया.. मगर उसने कहा- यह नॉर्मल है.. थोड़ा और अन्दर डालो।
मैंने फिर से एक झटका मारा और मेरा लिंग उसकी योनि में घुसता चला गया। उसकी आँखों से पानी टपक पड़ा.. उसने मुझे अपने सीने से लगाया और बोली- थोड़ी देर ऐसे रुको.. फिर धक्के मारना। जब वो सामान्य हुई.. तब उसने मुझे धक्के मारने का इशारा किया।
मैंने धीरे-धीरे संभोग क्रिया आरंभ की। अब उसे भी मजा आने लगा था.. वो मादक सिसकारियाँ लेने लगी ‘आऽऽऽय.. ऊऽऽ.. ईऽऽ..’ मुझे तो उस समय जन्नत का मजा मिल रहा था। फिर मैंने महसूस किया कि वो भी अपनी कमर उचकाने लगी और मेरा साथ देने लगी।
कुछ देर तक ऐसा करने के बाद वो फिर से झड़ गई.. मैं और भी जोश में आ गया और ज़ोर से धक्के मारने लगा। अगले 15 मिनट में मैं भी झड़ गया। हम दोनों ने एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ कहा और होंठों को चूमने लगे।
उस दिन के बाद निशा के साथ कई बार सेक्स किया।
आपको मेरी यह सेक्स स्टोरी कैसी लगी.. मुझे ईमेल अवश्य कीजिएगा। [email protected]
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