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दरवाजे की घंटी बजी, सभी चौकन्ने हो गए, मीना, अमित स्वतः रूक गये।
एक बार फिर घंटी बजी… फिर एक बार… मैं उठी और दरवाजे के पास जाकर पूछा- कौन है? तो एक कर्कश आवाज आई- मैं हूँ, दरवाजा खोलो… अन्दर कौन है? मेरे कांपते हुए हाथ सिटकनी की तरफ बढ़ गये और जैसे ही सिटकनी नीचे गिरी, भड़ाक की आवाज के साथ दरवाजा खुला और एक लेडी अन्दर की तरफ आई।
हम सभी लोग उनको देखकर जड़वत हो गए और वो महिला भी हम सभी को इस हालत में देखकर जड़वत हो गई थी। दो मिनट बाद अपने सर को झटकते हुए बोली- ये सब क्या हो रहा है? मेरे घर को रंडी खाना बना रखा है। कहाँ है वो सूअर?
वो इतनी तेज चिल्ला रही थी कि उसकी आवाज सुनकर और भी लोग आ सकते थे और हम सभी के फंसने के पूरे आसार उत्पन्न हो सकते थे। इसलिये मैंने जल्दी से दरवाजा बन्द किया और उस लेडी के पास पहुंचकर उससे बोली- क्या हुआ मैम? आप कौन हैं और क्यों चिल्ला रही हैं?
मेरी बात सुनकर मुझे घूरती हुई बोली- मेरी छोड़, तू बता, तू कौन है कुतिया? और मेरे घर में नंगी क्यों है और वो हरामी कहाँ है? और फिर बड़बड़ाती हुई वो मीना के पास पहुंची और बोली- देखो तो इस बेशर्म कुतिया को… कैसे इस कुत्ते पर चढ़ी बैठी है।
अब हम सभी को गुस्सा आ रहा था लेकिन वो इस घर की मालकिन थी तो हम लोग कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे, लेकिन फिर भी मैंने उनसे जुबान संभाल कर बोलने के लिये कहा। फिर भी उसका गुस्सा कम नहीं हुआ और बोली जा रही थी- वो हरामी कहां छिपा बैठा है? मेरे घर को रंडी खाना बना रखा है। मेरे पीछे लड़कियों को लाकर चोद रहा है।
अब हम सभी का पारा हाई हो रहा था कि अमित बोल उठा- ऐ मादरचोद, चुप हो जा, नहीं तो इन कुत्ते और कुतिया की जमात में तुम्हें भी शामिल कर दूंगा और तेरी चूत को ये सब कुत्ते फाड़ कर रख देंगे। और यह कौन हरामी-हरामी चिल्ला रही है? तो वो थोड़ा नार्मल होते हुये बोली- मेरा पति-अभय… कहाँ है?
मैं समझ गई कि मेरे बॉस की बीवी है तो मैंने सबको शांत किया और उसके पास जाकर उसके कंधे में हाथ रखकर बोली- मैम, शांत हो जायें, आपके पति यहाँ नहीं हैं, हम सब फ्रेंड हैं और हमारा यह ग्रुप है और जब भी हमको मौका मिलता है तो हम सब ग्रुप में आकर सेक्स करते हैं, एन्जॉय करते हैं।
‘तो तुझे मेरा घर ही मिला था? और वो हरामी कहाँ है?’ ‘वो अभय सर यहाँ नहीं हैं, वो मेरे बॉस हैं और मेरे ही कहने पर उन्होंने यह घर दो दिन के लिए दिया था और खुद आपके पास जाने को बोले। उन्हें भी नहीं पता कि हम लोगों ने इस लिये लिया है।’
फिर उन मोहतरमा ने घूम घूम कर पूरे घर को देखा। हम सभी नंगे थे और अमित और मीना इस समय दोनों अलग हो गये थे।
बॉस की वाईफ बहुत ही खूबसूरत थी, दूध जैसा रंग था, छरहरा बदन था, जींस और सफेद टॉप और चश्मा लगा कर वो और भी सेक्सी नजर आ रही थी। 40 के आस-पास रही होगी लेकिन मैं अपने बॉस का स्टेमिना जानती थी, वो इस खूबसूरत बला को संभाल नहीं पाता होगा, 38 की तो उसकी चूची की साइज होगी।
उसने एक बार मुझे फिर घूर कर देखा और बोली- कब से हो यहाँ पर? ‘पांच घंटे हुए हैं हम लोगों को यहां पर… और परसों हम लोग चले जाते। अब आप आ गई हैं तो हम लोग चले जाते हैं।’
जिस तरह उनकी बातों में धीरे धीरे नरमी आ रही थी, मैं समझ चुकी थी कि यह चिड़िया भी मस्ती कर सकती है इसलिये मैंने सबको इशारा किया और सभी लोग कपड़े के लिये लपके। मैंने उन सबको फिर रोकते हुए कहा- अरे ये सब कौन हटायेगा? पहले ये सब साफ करो! कहकर मैंने आँख मारी।
सभी मेरे इशारों को समझ गये और नंगे ही जमीन पर जो खाने पीने का सामान पड़ा था वो उठाने लगे।
वो बेहद खूबसूरत लेडी बोली- आधी रात को कहाँ जाओगे? चलो यहीं रूक जाओ पर एक शर्त है कि मुझे भी अपना ये खेल दिखाओगे? तभी टोनी बोला- मैम? लेडी टोकते हुए बोली- दीपाली नाम है मेरा! ‘ओ॰के॰ दीपाली, आप हम लोगों का गेम देख भी सकती है और इसमे शामिल भी हो सकती हैं।’ ‘लेकिन मेरा पार्टनर कोई नहीं है और तुम सब अपना अपना पार्टनर लाये हो तभी तुम सब एक दूसरे से मजा ले रहे हो।’
मैं बोली- कोई बात नहीं, सर को कॉल कर लीजिये, तब तक आप ऐसे ही हमें ज्वाईन कर सकती हैं। ‘तब ठीक है… तो मुझे अपना गेम दिखाओ!’ कह कर उन्होंने सर को कॉल किया और जल्दी से जल्दी घर पहुंचने का आदेश दे दिया। उसके बाद मैंने चारों मर्दों को इशारा किया तो वो दीपाली के चारों ओर खड़े हो गये। मैं दीपाली मैम के पीछे जाकर खड़ी हो गई और कान में बोली- मैम, जब तक बॉस नहीं आ रहे हैं, तब तक इनके सामान को चेक कर लो!
कहते हुए मैंने अपने एक हाथ को उनकी कमर में रखा और उनके हाथ को पकड़कर सभी मर्दो के लंड से टच कराने लगी। हालाँकि झिझकते हुए वो सभी के सामान को टच कर रही थी और मैं उनकी झिझक को दूर करने के लिये उनकी गर्दन को चूम रही थी। दोहरी मार के कारण वो अपने होश धीरेधीरे गँवा रही थी और उनकी आँखें बन्द हुए जा रही थी।
सभी के जब लंड को दीपाली मैम ने छू लिया तो मीना बोली- दीपाली, आँख, कान और मुंह खोल कर मजा लो तो और भी मजा आयेगा।
फिर मीना दीपाली मैम के और करीब आते हुए बोली- दीपाली, तुमने कितने कपड़े पहन रखे हैं? थोड़ा झिझकते हुए बोली- चार! ‘ओ॰के॰ और चार मर्द भी है यहाँ।’ कहकर मीना अपने होंठों को काटते हुए बोली- तो आज सभी मर्दों को हल्का सा एक ऑफर है।
चारों मीना की तरफ देखने लगे, मीना सभी को समझाते हुए बोली- देखो दीपाली ने चार कपड़े पहन रखें है और तुम भी चार हो तो ऑफर यह है कि तुम सभी लोग एक एक करके दीपाली के पास आओ और उसके एक एक कपड़े को उतारो। अरे यार, जब हम सभी यहां नंगे हैं तो क्या दीपाली कपड़ों में रहेगी?
सभी को बात समझ में आई तो अमित आगे कूदते हुए दीपाली के पास आया और उसके टॉप को पकड़ लिया। दीपाली ने भी अपने टॉप को पकड़ लिया और बोली- मैं खुद ही उतार देती हूँ। ‘नहीं!। मीना बोली- उसमें मजा नहीं आयेगा। फिर दीपाली ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया और अमित अपने दोनों हाथों को टच कराते हुए दीपाली मैम के टॉप को उतार दिया। अन्दर एक साधारण सी काली ब्रा थी, उसके बाद अश्वनी ने आकर जींस को दीपाली मैम से अलग करते हुए उसकी जांघों को चूमने लगा।
दीपाली मैम पर भी उत्तेजना धीरे-धीरे हावी होने लगी थी। टोनी को ब्रा उतारने का मौका मिला, टोनी ने दीपाली को अपने से कस कर चिपका लिया और पीठ पर हाथ फेरते हुए उसकी ब्रा की हुक खोल दिया और ब्रा को उनके जिस्म से अलग कर दिया।
रितेश की बारी थी दीपाली की पैन्टी उतारने की, मेरी नजर दीपाली की पैन्टी पर गई देखा तो वो सफेद रंग की थी और चूत का पास के हिस्से में पीला रंग का दाग लगा था।
रितेश ने पैन्टी उतारी और चूत पर हाथ फेरने लगा। दीपाली की चूत गीली हो चुकी थी क्योंकि रितेश अपनी उंगली को चाटने लगा था और पैन्टी के उस गीले हिस्से को भी अपने मुंह में भर लिया।
यह सब देखकर दीपाली काफी शरमा रही थी… फिर भी उसके साथ जो हो रहा था, उसे अच्छा लग रहा था। दीपाली को मैंने अपने पास बैठाया और मीना और अमित को अपनी क्रिया आगे बढ़ाने के लिये कहा।
इस बार अमित ने मीना को लेटाया और अपनी दोनों उंगलियों का प्रयोग करके उसकी चूत की फांकों को फैला कर अपनी जीभ उसकी चूत के बाहरी भागों में चलाना शुरू कर दिया।
इधर अमित की जीभ ने अपना कमाल शुरू ही किया था कि मीना ने अपनी गांड उठाना शुरू कर दी और अपनी चूची को कस-कस कर भींचने लगी। अमित ने जीभ चलाना छोड़ कर उसके चूत के अन्दर अपनी उंगली डाल दी, पहले उसने अपनी एक उंगली मीना की चूत में डाली और थोड़ी देर तक अन्दर बाहर करता रहा, फिर दो, फिर तीन और फिर अपनी चारों उंगलियाँ चूत के अन्दर डाल दी और फिर मीना की चूत की गहराई नापने लगा।
आधी हथेली उसकी चूत के अन्दर जा चुकी थी। अब अमित अपनी उंगलियों को ही अन्दर बाहर कर रहा था। जब अन्त में उसने अपना हाथ चूत से बाहर निकाला तो उसका हाथ मीना के रस से काफी गीला हो चुका था और थोड़ा रस मीना की चूत से बाहर टपक रहा था। अमित अपनी हथेली मीना के मुंह के पास ले गया और खुद उसकी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगा।
मेरी नजर दीपाली पर भी थी, वो भी बड़ी उत्सुकता से इस खेल को देख रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी, मानो कह रही हो ‘थोड़ा ठंड रख, तुझे भी ऐसा ही मजा मिलेगा।’
मीना ने भी अमित की हथेली को चाट-चाट कर साफ किया। फिर अमित खड़ा हुआ और मीना को पलग से आधा बाहर खींच लिया और उसके कमर के हिस्से को हवा में उठा लिया और उसकी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी।
इधर अमित मीना को चोद रहा था उधर दीपाली मैम मुझे कोहनी मार कर धीरे से बोली- ऐसा नजारा तो बी॰एफ॰ में होता है। मुझे नहीं मालूम था कि मैं अचानक आकर ऐसी सीन लाईव देख सकूंगी। मैंने भी धीरे से कहा- घबराओ नहीं दीपाली मैम, अभी आप लाईव देख रही है और कुछ देर बाद लाईव महसूस भी करेंगी। जिस तरह एक कुतिया को देखकर चार-पांच कुत्ते उसकी तरफ दौड़ लगाते हैं और उसको पकड़ कर चोदना शुरू कर देते हैं, ये चार कुत्ते भी आपकी चूत को मजा देंगे।
इधर अमित के धक्के बहुत तेज-तेज हो रहे थे।
फिर अमित ने मीना को खड़ा किया और अपना लंड उसकी मुंह में दिया और मीना उसके लंड को चूसने लगी। अपने लंड को थोड़ा चुसवाने के बाद अमित ने मीना को खड़ा किया और उसके कूल्हे को फैला कर अपने एक हथेली के ऊपर थुका और फिर वही थूक मीना की गांड में मलने लगा, फिर उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया। दोनों की आह-ओह की आवाज कमरे में फैलने लगी। लंड बारी बारी से मीना की चूत और लंड को चोदता और फिर अन्त पास आने लगा। अमित की स्पीड एक बार फिर तेज हो गई और उसने एक झटके से अपना लंड बाहर निकाला, मीना ने सीधी होकर अपने मुंह को खोल दिया, अमित अपने लंड को फेंट रहा था और फिर अमित ने अपना रस सीधा एक तेज धार के साथ मीना के मुंह में छोड़ दिया। कुछ बूंद उसके गालों पर गिरी जिसको उसने अपनी जीभ से लेकर मुंह के अन्दर कर लिया।
अमित का लंड मुरझा चुका था, उसने मीना को उठाया और अपने से चिपका कर उसके कान में कुछ कहने लगा।
मीना मुस्कुराई और फिर पलंग पर लेट गई और अपने दोनों पैरों के साथ अपनी चूत को भी अच्छे से खोलकर बोली- आओ अमित, मेरी जान, लो तेरी जान का छेद खुल गया है आओ जल्दी से करो।
कोई कुछ समझता, इससे पहले अमित अपने लंड के सुपारे के मुंह को मीना की चूत के ऊपर ले गया और मूतना शुरू कर दिया। मीना चिल्ला चिल्ला कर कहने लगी- क्या गर्म धार छोड़ रहे हो… और छोड़ो मेरी जान, मजा आ रहा है।
इस खेल को देखकर दीपाली मैम की आँखें फटी की फटी रह गई।
उसके बाद अमित और मीना अगल बगल खड़े हो गये।
सबसे पहला सवाल नमिता ने मीना से पूछा- अमित ने तुम्हारे कान में क्या कहा था? मीना बोली- अमित ने कहा कि उसे मेरी चूत में मूतना है। तो मैंने कहा जान इस समय मेरी चूत तुम्हारी है, आओ मूतो, कहकर मैं लेट गई और अपने चूत का मुँह अमित के मूत के लिये खोल दिया।
अब सुहाना बोली- जब अमित तुम्हारी चूत में मूत रहा था तो तुम्हें कैसा लग रहा था? ‘बहुत मजा आया… जब उसके मूत की धार पड़ती तो मेरे जिस्म में झझनाहट होती थी।’
अब मेरी बारी थी, मैंने पूछा- अमित का सबसे बढ़िया प्वाइंट क्या था? ‘सब बढ़िया था, दीपाली मैम के आने से पहले जब मैं उसके ऊपर थी तो उसने एक बार भी यह कोशिश नहीं की कि वो अपने को मुझसे अच्छा सिद्ध करे, वो लेटा रहा और जो कुछ भी मैं कर रही थी उसने मुझे करने दिया।
टोनी बोल उठा- डार्लिंग, अगर इसी समय तुम्हें एक और मौका चुदने का मिले तो किसको तुम अपना पार्टनर बनाओगी?
मीना ने सभी चारों मर्द की ओर देखा और फिर अश्वनी की ओर इशारा करते हुए बोली- अगर मेरी चूत को अभी तुरन्त कोई लंड मिले तो वो अश्वनी का होगा।
दीपाली से रहा न गया तो बोली उठी- ऐसा क्यूं? सभी दिपाली की तरफ देखने लगे। इस तरह अपने ऊपर सभी की नजर देखकर वो थोड़ा शर्मा गई।
लेकिन मीना बोली- यहाँ पर जितने मर्द है सबका लंड मेरी चूत में जा चुका है। बस अश्वनी मेरे लिये नया है और वैसे भी जिस अंदाज में उसने आकांक्षा की चूत की चुदाई की वो भी मुझे बहुत पसंद आया।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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