चुद गई पापा की परी-1

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कुछ पाठकों ने होस्टल से पहले की मेरी लाइफ के बारे में लिखने को बोला, मेरे प्रिय पाठकों की यह मांग मुझे भी पसंद आई। फिलहाल मेरी शुरूआती पारिवारिक जिंदगी के बारे में इस कहानी में पढ़िए।

मैं अपने घर में इकलौती लड़की हूँ, अमीर घर से होने के कारण लाड़ प्यार ने मुझे बचपन से ही जिद्दी बना दिया था, मैं हर काम में अपनी मनमानी करती थी।

उन दिनों मैं सेक्स के बारे में कम ही जानती थी पर कॉलेज तक आते आते मुझे चूत और लंड के बारे में थोड़ा बहुत मालूम हो गया था।

मेरी मम्मी की नई नई शादी हुई थी… जी सही सुना आपने!!

पिछले साल मेरे पापा ने शेयर मार्किट में पैसा लगाया था, उनको बहुत नुकसान हुआ तो उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। कुछ ही महीनों बाद मम्मी ने अपने एक कॉलेज के टाइम के दोस्त से शादी की थी जो पेशे से डॉक्टर है।

खैर जो लोग मुझे पहले से नहीं जानते मुझे उनको बात दूं, उन दिनों मैं जवान होती एक कच्ची उम्र की चंचल लड़की थी। एकदम भरपूर हुस्न की मालकिन… मेरा रंग हल्का गुलाबी है।

हमारे कालोनी के लड़के मुझे देखकर गंदे-गंदे इशारे करते और अपने लंड पर हाथ फेरते हुए ‘मेघा रानी… पियोगी पानी?’ बोलते, मैं पलटकर देखती, कोई जवाब नहीं देती, सिर्फ मुस्कुरा देती, जिससे उनकी हिम्मत और बढ़ जाती।

चेहरे पर चश्मा चढ़ाए मिनी स्कार्ट में जब मैं अपनी एक्टिवा से कोचिंग के लिए निकलती थी तो कई लड़के बाइक से मेरा पीछा किया करते थे। उनमें एक लड़का जो मेरे स्कूल का था, अविनाश मुझे बहुत पसंद था, मैं उसको धीरे धीरे लाइन देने लगी, मेरी उससे दोस्ती हो गई। मैं नासमझ कच्ची उम्र, बचपन की चड्डी से निकलकर जवानी की पैंटी में कदम रख रही थी, थोड़ी दुबली पतली थी, सीने पर उभार भी आना शुरू हुआ था।

हम दोनों दिल्ली में पार्क में मिलते, अविनाश झाड़ियों में मुझे ले जाकर मेरी अधपकी चूचियों से खेलता, उनको दबाता, मसलता। कभी कभी मुँह भी लगा देता था। मैं सीत्कार उठती।

वह मेरा सफ़ेद शर्ट खोल देता तो कभी मेरी नीली स्कर्ट को ऊपर करके मेरी चड्डी में हाथ डाल देता था, मैं आँखें बंद किये सिसकारियाँ भरती रहती थी।

फिर एक दिन मैं अविनाश के साथ एक खाली क्लासरूम में थी, पीछे कोने की सीट पर बैठे हम टैब पर ब्लू फिल्म देखते हुए हम दोनों पूरी तरह से प्यार में डूबे हुए थे। फिल्म में एक बेहद कम उम्र भारतीय लड़की को कुतिया बनाकर, एक काला नीग्रो बेहद वाइल्ड होकर चोद रहा था।

मुझे बड़ा अजीब लग रहा था, इतनी छोटी लड़की इतना मोटा हब्शी लंड कैसे अन्दर ले रही है। सिर पर दो चोटी बंधे मेरे जिस्म पर सिर्फ सफ़ेद खुली हुई स्कूल की शर्ट और नीला स्कर्ट था। अविनाश बारी बारी से मेरे छोटे छोटे अधखिले बूब्स को मसल रहा था।

शायद अविनाश भी काफी दिनों से इसी बात को इंतज़ार कर रहा था, उसने अपनी ज़िप खोली और उसका गोरा मोटा लंड किसी साँप की तरह मेरे सामने लहरा रहा था। अब तक मैंने लंड सिर्फ ब्लू फिल्म और किताबों में ही देखा था। मैंने एक बार अविनाश के लंड को देखा और फिर अपनी गुलाबी चूत को, अब मुझे सच्ची में डर लगने लगा था!

अविनाश समझ गया कि मुझे डर लगने लगा है- डरती क्यों है मेरी मेघा बेबी! बड़े प्यार से अविनाश ने मुझे गोदी में ले लिया और मेरी आँखों में देखने लगा, हम एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे उसकी और साँसें गर्म और तेज हो चुकी थी।

‘क्लास में कोई आ गया तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। शायद हम दोनों को स्कूल से निकाल दिया जाये?’ ‘ऐसा कुछ नहीं होगा, तुम बस हाथ सीट से नीचे करके पकड़ कर इसको सहलाओ, अच्छा लगेगा।’ उसने मुझे बेंच पर बैठाया और मेरे हाथो में अपने लंड को पकड़ा दिया और बोला- जैसे ब्लू फिल्म में देखा है, बिल्कुल वैसे ही चूसो।

मैंने अविनाश का लंड अपने हाथों में ले लिया और उसको मस्ती में सहलाने लगी। अविनाश का लंड तुरंत खड़ा हो गया- मेघा! मुँह में ले न यार… ‘पागल हो क्या? क्लास में ऐसे… मुझे डर लगता है अविनाश!’ मैंने मना कर दिया- मुझको ऐसा कुछ नहीं करना है..

लेकिन अविनाश ने मेरा हाथ पकड़ लिया- आई लव यू मेघा! मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। मेरे होंठों को चूसने लगा.. तो मैंने कहा- नहीं अविनाश… ये सब ग़लत है… तुम मेरे फ्रेंड हो..

अविनाश ने मेरे कंधे हाथ रख दिया और कहने लगा- देखो मेघा, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ… और जैसे जैसे तुम जवान हो रही हो… मैं तुम्हें और भी प्यार करना चाहता हूँ।

उसने मेरे गाल पर एक चुम्बन कर दिया… मैं शर्मा गई और मैंने कहा- अविनाश प्यार तो मैं भी तुमसे करती हूँ… पर अगर किसी को पता चल गया… तो बहुत बुरा होगा। अविनाश बोला- अरे किसी को कुछ पता नहीं चलेगा..

मैं तो वैसे ही पोर्न मूवी में उस भारतीय लड़की की चुदाई देख कर गर्म हो चुकी थी… मैंने ज्यादा नाटक नहीं किया। ‘कुछ नहीं होगा धीरे से चूम कर देख!’ कहते हुए अविनाश ने अपना लंड मेरे होंठों पर रख दिया।

और फिर मैंने यहाँ वहां देख कर डरते हुए अविनाश के गोरे लंड का सुपारा अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो अविनाश ने मेरे बालों को पकड़कर मेरे मुँह को पीछे खींचा और अपने दूसरे हाथ से मेरा मुँह खोलकर अपने लंड को पूरा मेरे मुँह में घुसा दिया।

अविनाश का लंड इतना बड़ा और मोटा था, कि वो मेरे गले तक उतर गया और फिर अविनाश ने मेरे मुँह को पकड़ लिया और अपनी गांड को हिलाकर मेरे मुँह को चोदने लगा। मेरी आँखों से आंसू निकल रहे थे और मेरे मुँह से घुँ घूँ खों खो! करके आवाज़।

मुझे बड़ा दर्द हो रहा था, उसका लम्बा मोटा लंड जड़ तक मेरे मुँह में था, वह अपने दोनों हाथों से मेरी चोटियों को पकड़कर मेरे सिर को दबाये हुए था। ऐसा लगा मुझे कि कुछ ही देर में मैं मरने वाली हूँ लेकिन अविनाश को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था, वो बस कसम खा के आया था कि स्कूल की इस नन्ही सी मासूम गुलाबी लड़की को आज चुदना सिखाकर ही मानेगा।

मैं समझ चुकी थी कि आज यहाँ क्लासरूम में मेरी सील टूटने वाली है। अब मुझसे से और ज्यादा सहन नहीं हो रहा था और मेरी गुलाबी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी।

फिर उसने धीरे से अपने हाथ मेरे मम्मों पर रख दिया और कहा- मेघा मैं इनका रस पीना चाहता हूँ! उसने मेरे शर्ट को ऊपर कर दिया, उसके बाद अविनाश ने मेरी कमर में अपना हाथ डाल दिया, अब मैं भी गर्म हो गई थी, अविनाश मेरे मम्मों को ब्रा के ऊपर दबाने लगा… वो बेरहमी से मम्मों को मसल रहा था।

एक साथ दोनों मम्मों को बुरी तरह मसलने से मैं एकदम से चुदासी हो उठी, अविनाश ने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठों को रख दिए और उन्हें बुरी तरह चूसने लगे। वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगा था। फिर अविनाश ने मुझे बेंच से उठाया, डेस्क पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर मेरे शर्ट के बटन खोल कर मेरे चूचों को पकड़ लिया।

अब उसने मेरे कपड़े उतारना शुरू किए… पहले मेरी कमीज़ निकाली… फिर मेरी स्कर्ट खींच दी, फिर अविनाश ने मेरी ब्रा भी निकाल दी और वो मेरे तने हुए मम्मों को चूमने-चाटने लगा।

अविनाश बड़ी ही बेहरमी से मेरे चूचों को दबा रहा था और मेरे गुलाबी निप्पलों को मसल रहा था। उसने अब मुँह को मेरे निप्पलों पर लगा लिया और उसको तेजी से चूसने लगा और उनको किसी जानवर की तरह काटने लगा। अविनाश के साथ ये करते हुए बहुत सेक्सी लग रहा था..

मैं अपने दोस्त के साथ नंगी थी, अविनाश मेरे मम्मों को मुँह में पूरा भर के चूस रहा था और अपने एक हाथ से मेरी चूत को भी सहला रहा था।

थोड़ी देर बाद अविनाश ने मेरी अनछुई चिकनी-चिकनी जाँघें चूम लीं… मैं सिहर उठी! अविनाश पागलों की तरह मेरी जाँघों को अपने मुँह से सहला रहा था और चूम रहा था।

फ़िर उसने मेरी लाल पैंटी भी उतार दी मेरी बिना बालों वाली अधखिली गोरी गुलाबी चूत को देखते ही वो एकदम से चकित रह गया और बोला- वाह अभी तो ज्यादा बाल भी नहीं आये हैं, एकदम गोरी मासूम छोटी सी पुसी है तुम्हारी! मैं हँस दी..

मेरे पूरी चूत अविनाश ने हाथ में थाम ली और मेरी पूरी चूत को दबा दिया, चूत को सहलाता हुआ अविनाश बोला- हाय मेघा… मेरी जान… क्या चीज़ है तू… क्या मस्त माल है… हहमम्म ससस्स हहा..

अविनाश ने अन्दर तक मुँह डाल कर मेरी जाँघें बड़े प्यार से चूमी और सहलाते हुए मेरी जाँघों को फैला दिया। वो मेरी चूत को बुरी तरह मसलने लगा, मुझे बहुत मज़ा आने लगा… मैं सिसकारी भरने लगी.. अविनाश और जोश में चूत को मसलने लगा… उसने मसल-मसल कर मेरी चूत लाल कर दी थी।

उसके इस तरह से रगड़ने से मेरी मुन्नी 2-3 बार झड़ चुकी थी, बहुत गीला हो गया था, अविनाश के हाथ भी गीले हो गए थे… सारा पानी निकल बाहर रहा था, मैं निढाल हो रही थी।

फिर अविनाश ने मेरी चूत की दोनों फांकों पर होंठ रख दिए और मेरी कसी हुई चूत के होंठों को अपने होंठों से दबा कर बुरी तरह चूसने लगा। मैं तो बस कसमसाती रह गई… मैं तड़पती मचलती हुई ‘आआहह… आअहह… अविनाश.. अविनाश… हाय… उईई… आहह..’ कहती रही और अविनाश चूस चूस कर मेरी अधपकी जवान चूत का रस पीता गया।

बड़ी देर तक मेरी चूत की चुसाई की, मैं पागल हो गई थी।

तभी अविनाश ने अपने कपड़े उतारे और खुद नंगे हो गया और उसका लंड फड़फड़ा उठा… करीब 7 या 8 इंच का लोहे जैसा सरिया था। मैंने कहा- अविनाश… यह तो बहुत बड़ा और मोटा है… ये मेरी चूत में नहीं जा पाएगा! ‘यार दर्द होता होगा बहुत?’ मैंने डरते हुए कहा। अविनाश ने कहा- मेघा तू फिकर मत कर… फिर मैं तेरे से प्यार करता हूँ… तुझे कुछ नहीं होने दूँगा!

उसने अपना लंड मेरी फुद्दी की तरफ बढ़ाया… मैं सोच रही थी जो हालत अभी उस मूवी वाली लड़की की थी… अब मेरी होने वाली है! अविनाश के लंड के टच करते ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, मैं बुरी तरह तड़प रही थी।

5 मिनट तक अविनाश मेरी चूत को अपने लंड से सहलाता रहा… फिर उसने मेरी फुद्दी पर हल्का सा ज़ोर लगाया… तो मेरी चीख निकल गई, उसका लंड अन्दर नहीं जा रहा था। अविनाश ने कहा- थोड़ा दर्द होगा… लेकिन फिर ठीक हो जाएगा। मैंने मंत्रमुग्ध कहा- ओके… लेकिन अविनाश प्लीज़ आराम से करना!

अविनाश ने ज़ोर से अन्दर डाला… तो उसका आधा लंड मेरे अन्दर कोई चीज़ तोड़ते हुए अन्दर घुसता चला गया! मेरी आँखों में आँसू आ गए- आह… मैं मर जाऊँगी अविनाश … प्लीज़ निकालो… बहुत दर्द हो रहा है… आह ओफ… ममाआ.. यह कहते हुए मैं गिड़गिड़ाने लगी… पर वो नहीं माना और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठों लगा दिए।

वो मेरे होंठों को चूसने लगा और अपने लौड़े को मेरी चूत में ऐसे ही डाले रखा। मेरी चूत से खून निकल रहा था और मैं बुरी तरह तड़प रही थी। वह कहने लगा- मेघा, तू मेरे लिए थोड़ा सहन कर ले प्लीज़! मैंने हल्के स्वर में कहा- अविनाश आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ! फिर अविनाश ने एक जोरदार झटका मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया।

मैं तड़प उठी और ‘आह… ओह्ह… अविनाश मैं मर गई..’ कहने लगी। अविनाश मुझे तसल्ली देता रहा और 5 मिनट तक मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा, वो मेरे दूध चूसता रहा। लगभग 5 मिनट बाद उसने धीरे धीरे झटके मारना शुरू किए।

मैं- आह्ह… अविनाश… मज़ा आ रहा है!

इस बीच मैं 2 बार झड़ चुकी थी और वो यूँ ही मेरे होंठों को चूसता हुआ मुझे चोदता रहा। लगभग 10 मिनट बाद अविनाश ने अपना सारा माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया। मेरी चूत पानी और खून छोड़ती हुई बुरी तरह फड़फड़ा रही थी, मेरी चूत का हाल-बेहाल हो चुका था। इस तरह से मैं पहली बार अपने बॉयफ्रेंड अविनाश से चुदवाई थी।

लेकिन एक बार शुरू हुआ यह खेल बार बार होने लगा, कभी पार्क में, कभी कार में तो कभी किसी दोस्त के घर पर!

आप सोच रहे होंगे कि कहानी का शीर्षक तो है ‘चुद गई पापा की परी’ और पूरी कहानी में पापा का नाम भी नहीं आया? तो दोस्तो, कहानी के दूसरे भाग की प्रतीक्षा कीजिए! [email protected]

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