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अब बारी मेरी और अश्वनी की थी, अश्वनी मुझसे धीरे से बोला- यार आकांक्षा, मुझे लगता है कि मेरा जल्दी निकल जायेगा। मैंने अश्वनी को इशारे से समझा दिया कि जैसे मैं कहूँ बस वही करना।
अब बिस्तर पर मैं और अश्वनी थे। मैं नीचे बैठ गई और उसके लंड के सुपारे को चाटने लगी और फिर उसके लंड को अपने मुंह के अन्दर ले लिया, जैसे ही लंड मेरे मुंह में गया, अश्वनी का माल मेरे मुंह में निकलने लगा लेकिन मैंने उसे इस प्रकार अपने मुंह में लिया कि बाकी लोगों को लगे कि मैं अश्वनी का लंड चूस रही हूँ। जब तक उसके रस की एक-एक बूंद मेरे गले से नीचे नहीं उतर गई तब तक मैंने उसके लंड को ऐसे ही चूसना जारी रखा, उसके बाद लंड को बाहर निकाल कर सुपारे को भी अच्छे से साफ किया।
अश्वनी ने मुझे उठाया और मेरे होंठ को चूमते हुए बोला- जान, तुम बहुत अच्छी हो, मेरी इज्जत बचा ली। अब मैं कायदे से खेल सकता हूँ। फिर मुझसे बोला- तुम भी तो कह रही थी कि तुम भी कभी भी खलास हो सकती हो? हम दोनों बात भी कर रहे थे और हमारे हाथ भी इस प्रकार चल रहे थे कि लोगों को लगे कि हम अपने खेल में व्यस्त हैं।
अश्वनी के कहने से मैं पलंग पर लेट गई और अपनी दोनों टांगों को पलंग के किनारे पैरों के बल टिका दिया। अश्वनी मेरी टांगों के बीच आ गया और मेरी चूत की फांकों को फैला कर छेद के अन्दर अपनी जीभ डाल दी और मेरे अन्दर से बहते हुए लावा को अश्वनी ने अपने अन्दर ले लिया।
उसके बाद अश्वनी ने मुझे पलंग पर सीधा लेटाया और मेरी बगल में आ कर लेट गया, मेरी टांगों के ऊपर अपनी टांग चढ़ाई और मेरे होंठों को चूमने लगा, मेरे लिये उसका साथ देना बहुत आसान था।
वो कभी मेरी कान को काटता तो कभी मेरी गर्दन को चूमता तो कभी होंठों के चूमता, इसके साथ-साथ उसकी एक हथेली बराबर मेरी चूचियों को भींच रही थी। कस कस कर वो मेरी चूचियों को दबा रहा था, दर्द तो बहुत हो रहा था, लेकिन एक अलग अहसास था और ऊपर से हम दोनों अभी-अभी डिस्चार्ज हो चुके थे।
मेरे कान को काटते हुए अश्वनी ने एक बार फिर डिमान्ड रखी- जानेमन, अभी बियर के साथ मूत पिलाया गया था, मैं अब तुम्हारी चूत का मूत पीना चाहता हूँ। ‘क्यों?’ मैंने पूछा। तो बोला- जानेमन, तुम सबसे सेक्सी हो, किसी का भी फिगर तुम्हारे सामने फीका है और मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी जैसी सेक्सी के जिस्म का एक-एक चीज का स्वाद लूँ। मैंने कहा- ओ॰के॰ जानेमन, मूतासी तो मैं भी बहुत हूँ। कहते हुए मैंने अश्वनी को अपने ऊपर से हटाया और उसके ऊपर चढ़ गई और मुंह के ऊपर बैठ गई।
सभी की नजर मेरे ऊपर थी, इसलिये मैंने अपनी जांघों को इस तरह से सटाया कि चूत किसी को भी न दिखाई दे, खास कर उसकी बीवी सुहाना को! फिर मैं अपने जिस्म को इस तरह से हिलाने लगी कि ऐसा लग रहा था कि मैं अश्वनी के मुंह में बैठ कर अपनी चूत चटवा रही थी जबकि मेरी मूत की धार उसके मुंह के अन्दर जा रही थी।
अश्वनी के मुंह में मूतने के बाद मैं खिसक कर नीचे उसके लौड़े के पास आ गई और उसके लौड़े को अपनी चूत से रगड़ने लगी, इस समय अश्वनी मुझे नहीं, मैं अश्वनी को चोद रही थी।
चूत से लंड को रगड़ने के बाद मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, लॉली पॉप की तरह चूसने लगी, मेरा दूसरा हाथ अश्वनी की छाती पर था, मैं उसके निप्पल को अपनी दो उंगलियों में बीच लेकर मसल रही थी।
जिस तरह से अश्वनी का जिस्म अकड़ रहा था उससे लग रहा था कि अश्वनी को बड़ा मजा आ रहा था। मेरी जीभ कभी उसकी नाभि पर चलती तो कभी उसके लंड के सुपारे पर! मैं उसके लंड को अपनी थूक से काफी गीला कर चुकी थी।
मैं अपना काम कर रही थी और अश्वनी के मुंह से निकल रहा था- हां जानेमन, बस ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है। जब मेरे नाखून उसके सुपारे के कटे हुए हिस्से से रगड़ खाते तो बस उसके मुंह से यही निकलता- मार डाला रे… बहुत मजा आ रहा है। मैं उसके टट्टों के साथ भी खेल रही थी।
फिर मैंने अश्वनी को पलट दिया और अपने एक हाथ को उसके नीचे डालकर उसके लंड की मुठ मारने लगी और दूसरा हाथ अश्वनी के गांड की दरार में अपना करतब दिखा रहा था, मेरी उंगली उसके गांड के अन्दर जा रही थी और अश्वनी अपनी गांड उठा उठा कर मेरी उंगली को अपने अन्दर लेने का प्रयास कर रहा था।
अश्वनी ने मुझसे कहा था कि मैं उसकी गांड भी चांटू तो मैंने उसके कूल्हों को फैलाया और उसके अन्दर थूक उड़ेल कर उसे चाटने लगी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
लोग हमारे ऊपर क्या कमेन्ट कर रहे थे, वो मुझे नहीं सुनाई पड़ रहा था, मैं तो केवल चाहती थी कि जब अश्वनी मुझसे खेल चुके और मुझे चोद चुके तो वो बोले कि आज चुदाई के खेल में उसे बहुत मजा आया।
तभी अश्वनी हल्का सा हिला, मैं उसके ऊपर से हट गई और वो खड़ा हो गया। अश्वनी काफी हेल्दी और लम्बा था, उसका लंड भी रितेश से थोड़ा ही छोटा रहा होगा, उसने मुझे गोद में उठाया और फिर हवा में ही उसने मुझे पलट दिया, इससे मेरा मुंह उसके लंड की तरफ आ गया और मेरी चूत उसकी मुंह के पास थी, मतलब हम दोनों खड़े ही खड़े 69 की अवस्था में आ गये।
वो मेरी चूत को अपने मुंह में भरे हुए था और मेरे मुंह में उसका लंड था। अपनी दाड़ी को वो मेरी चूत से रगड़ रहा था, मैं एक बार फिर झड़ने को तैयार थी कि अश्वनी ने मुझे हवा में ही सीधा किया और अपनी गोदी में ले लिया।
एक हाथ से उसने मुझे पकड़ रखा था और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर डालने का प्रयास कर रहा था। मैंने भी अपनी बांहो से उसको जकड़ लिया था और उसका साथ दे रही थी ताकि उसका लंड आसानी से मेरी चूत के अन्दर चला जाये। थोड़े प्रयास के बाद अश्वनी का लंड मेरी चूत के अन्दर था।
अश्वनी ने मुझे दीवार के सहारे सटा दिया और चोदने लगा, एक दो मिनट तक वो ऐसे ही मेरी चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे नीचे उतारा और खुद नीचे बैठकर मेरी एक टांग को अपने कंधे से क्रास करा दिया, इससे मेरी चूत उसके मुंह के और करीब आ गई।
एक बार फिर अश्वनी मेरी चूत को चाट रहा था और मेरे चूतड़ों को भींच रहा था, मैं भी मस्ती में खोई हुई थी।
फिर अश्वनी खड़ा होकर मेरे पीछे आ गया और अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर चलाने लगा और फिर मेरा रस निकाल कर अपनी उंगली को चाटता फिर मेरी चूचियों को कस कस कर मसलता। मेरे दोनों हाथ उसके लंड को पकड़ कर खेल रहे थे, बीच-बीच में वो मेरी गांड को भी सहलता जाता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद अश्वनी एक बार फिर मेरे पीछे नीचे बैठ गया मेरे कूल्हे को जोर-जोर से चपत लगाता और उसे कस कर दबाता, मेरे मुंह से दर्द सी आवाज निकलती लेकिन उसे किसी बात का असर नहीं होता।
उसके बाद उसने मेरी गांड को थोड़ा सा चौड़ा किया और फिर अपनी जीभ मेरे छेदों के बीच डाल दी और चलाने लगा। उसके इस तरह जीभ चलाने से मुझे मेरे अन्दर कुछ कीड़ा सा रेंगता सा लग रहा था, लग रहा था कि मेरे जिस छेद में यह कीड़ा रेंग रहा है उस छेद में अश्वनी अपने लंड को तुरन्त डाल कर उस रेंगते हुए कीड़े को मसल दे और मुझे उससे निजात दिला दे।
मैं सोच ही रही थी कि अश्वनी ने मेरी पीठ पर अपने हाथ का दवाब डाला जिससे मैं आगे की तरफ झुक गई और एक कुतिया की पोजिशन में आ गई। अश्वनी ने अपने आप को सेट किया, अपने लंड को मेरी गांड की छेद में डाल दिया और फिर मुझे सीधा खड़ा कर दिया, मुझे कसकर पकड़ लिया ताकि मैं कहीं इधर उधर न हो जाऊँ और उसका लंड मेरी गांड से बाहर ना आ जाये!
मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं उसकी पकड़ से छुटना चाह रही थी पर मैं छूट नहीं पा रही थी। ऊपर से यह सितम कि वो मेरी चूचियों को भी बहुत ही जोर से मसल रहा था।
मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी गांड में मोटा सा राड डाल दिया है और उस राड के सहारे मुझे हवा में लटकाना चाह रहा हो। अगर एक-दो मिनट तक यही हालात मेरे साथ बने रहते तो पक्का मेरी आँख से आँसू निकलने वाले थे पर अश्वनी ने एक ही मिनट ऐसा किया होगा और मुझे फिर वापस झुका दिया।
फिर वो उसकी हथेली मेरी चूत को सहलाते हुए लग रही थी, बीच-बीच में वो छेदों में उंगलियाँ डालकर अन्दर घुमाता। इस बार मुझे फिर से उसका मेरी गांड में महसूस हुआ, दो-चार धक्के वो मेरी गांड को लगाता और फिर चूत में लंड डाल देता।
बहुत देर से वो इसी तरह मेरा बाजा बजा रहा था, कुतिया की पोजिशन में मैं खड़े-खड़े थक गई थी। मुझे चोदते-चोदते आखिर उसके मुंह से निकल गया- आकांक्षा तुमने आज जितना मजा दिया है, आज से पहले इस मजे के लिये मैं तरसता था।
अश्वनी करीब मुझे 30 मिनट से चोद रहा था लेकिन वो थक नहीं रहा था, जबकि मैं दो बार पानी छोड़ चुकी थी। तभी मुझे मेरे कूल्हे में एक झन्नाटेदार चपट महसूस हुई, मेरा मुंह उस झन्नाटेदार चपट से खुल गया जबकि हाथ अपने आप ही मेरे कूल्हे को सहलाने लगा।
अश्वनी ने मेरे खुले हुए मुंह में अपना लंड पेल दिया और मेरी चोटी को पकड़कर मेरे मुंह की चुदाई करने लगा। इस समय मेरी चुदाई का सीन किसी बी॰एफ॰ फिल्म से कम नहीं था, वो अपने लंड को मेरे हलक तक उतार रहा था, जब तक मेरी सांस घुटती हुये वो महसूस नहीं करता, तब तक अपने लंड को मेरे हलक तक रखता और फिर थोड़ा आराम देने के लिये निकाल लेता। जैसे ही वो लंड को बाहर करता, वैसे ही खों खों की आवाज के साथ मैं खांसती। जिस तरह की चुदाई मैं चाह रही थी, अश्वनी उसको पूरी कर रहा था।
अब अश्वनी ने एक हाथ से मेरे बालों को पीछे की तरफ खींचा, जिससे मेरा चेहरा पीछे की तरफ आ गया और वो अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को हिला रहा था। ऐसा लग रहा था कि अब वो भी झड़ने वाला है, मैंने अपना मुंह उसके रस को अन्दर लेने के लिये खोल दिया और एक ही मिनट बाद ही अश्वनी का वीर्य फचफचाते हुए मेरे मुंह के अन्दर आ गया।
जब अश्वनी पूरी तरह झड़ गया तो एक बार फिर उसने अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर दे दिया, जब तक मैंने उसके लंड को अच्छे से साफ नहीं कर दिया, तब तक उसने अपना लंड मेरे मुंह के अन्दर बाहर करता रहा।
उसके बाद उसने मुझे सीधा किया और नीचे बैठ कर मेरी चूत को चूमा फिर अन्दर एक उंगली डाली और जैसे कटोरी से चटनी निकालते हैं, ठीक उसी तरह उसने अपनी उंगली को मेरी चूत के अन्दर घुमाया और फिर मेरा जो रस उसकी उंगली में लगा, वो उसे चाट गया।
फिर वो मेरे बगल में खड़ा हो गया और उसके हाथ मेरे चूतड़ को सहला रहे थे। हम दोनों की चुदाई लगभग 45 मिनट चली होगी।
सबसे पहला प्रश्न सुहाना का ही था, वो बोली- अश्वनी, तुम कह रहे थे कि तुम्हे आज इस चुदाई में बहुत मजा आया, अब तुम कैसा लग रहा है? ‘मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि जिस उम्मीद से मैं यहाँ आया था, वो ऐसे पूरी होगी। अब मेरे मन में हमेशा आजाद चुदाई की कल्पना रहेगी जो मैं और तुम दोनों मिलकर पूरा करेंगे।’
सुहाना अश्वनी के पास आई, बोली- जान, अब तुम जब चाहो मेरी गांड और चूत की धज्जी उड़ा सकते हो। मैं अब तुमसे कुतिया भी बन कर चुदूंगी। आज आकांक्षा के साथ तुम्हारा चोदने का अंदाज देखकर मेरी चूत एक बार फिर से फड़फड़ा रही है, इतना कहने के साथ वो अश्वनी के लंड से खेलने लगी।
तभी खंखराते हुए नमिता बोली- सुहाना, अपने घर ले जाकर जितनी देर चाहना उतनी देर तक अश्वनी का लंड अपनी बुर में। गांड में लेकर पड़ी रहना। फिर वो बोली- आकांक्षा, अश्वनी में सबसे अच्छा क्या लगा? स्टेमिना में तो मुझे लगता है कि आज उसने सबको फेल कर दिया?
मैं रितेश की तरफ देख रही थी तो वो इशारे से बोला- जब मेरी बारी आयेगी तो यही लंड बतायेगा कि स्टेमिना क्या होता है। मीना ने पूछा- क्या कमी थी? ‘नहीं मुझे नहीं लगा कि कोई कमी हो, क्योंकि मेरी गांड और चूत दोनों ही बराबर अभी भी दुख रही हैं।’
रितेश मेरे पास आया और बोला- मेरी जान, यह तो बताओ कि मेरे और अश्वनी में तुम्हें सबसे तगड़ा कौन लगता है। ‘तुम…’ मैं सीधी बोली- अश्वनी से आज पहली बार चुदी हूँ लेकिन जब भी मेरी चूत को तुम्हारे लंड की जरूरत हुई, तब तब तुमने मेरी चूत की प्यास मिटाई है।
मेरे इस उत्तर को सुनकर रितेश ने मुझे गोदी उठा लिया, मेरे होंठों को चूमने लगा और मेरी तारीफ करते हुए बोला- जानू मैं जानता हूँ कि एक बार जो भी तुम्हारी खुशबू को पा जाये, वो तुमको छोड़ कर कहीं और नहीं जा सकता।
उसके बाद मैं लड़कियों के पास जाकर बैठ गई और रितेश और अश्वनी लड़कों के साथ बैठ गये।
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