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अब तक आपने पढ़ा.. ख़ुशी की चूत चुदाई की बेला आ चुकी थी। अब आगे..
मैंने एक किस उसके माथे पर की और उसके अपने गले से लगा लिया, उसके तपते होंठों को अपने होंठों में दबा कर उसके होंठों का रस पीने लगा। उसके लबों में एक अजीब सी कशिश थी, उसे मैं जितना पीता जा रहा था.. तब भी प्यास नहीं बुझ रही थी।
ख़ुशी ने भी अपने और मेरे होंठों के मिलन को अपनी भी अनुमति दे दी थी, वो भी मेरे होंठों को भी चूसने लगी। एक पल को ऐसा लगा.. जैसे उसने अपने अन्दर कई वर्षों की आग छुपा रखी है.. जिसे वो आज ही बुझाना चाहती है।
धीरे-धीरे उसके होंठों का रसपान करते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी जीभ से मिला दी और अब मैं उसकी जीभ का स्वाद ले रहा था। इसका असर ख़ुशी पर यह हुआ कि उसने मुझे अपने से और कसके चिपका लिया। ख़ुशी कभी अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डालती तो कभी मैं उसके मुँह के अन्दर का मजा लेता। हम दोनों जीभ से चोर-सिपाही का खेल खेल रहे थे। कौन किसकी जीभ कितनी देर पकड़ सकता है.. इसका प्रयास हो रहा था और हम दोनों लोग ही इस खेल में जीतना चाहते थे।
अब लबों को पीते-पीते कई मिनट हो चुके थे, मैं अपना दायां हाथ उसके उन्नत वक्ष स्थल पर रख कर उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा। उनका आकार बड़ा था.. मेरे पूरे हाथों में नहीं समा रहा था, फिर भी मैं उनको पकड़ने के लिए प्रयास किए जा रहा था, उसके चूचे बहुत ही कोमल थे उसे जितना दबाओ.. वो उतना दब जाते थे।
मैं उसके चूचों को दबाने के साथ-साथ उसके ब्लाउज का हुक खोलने लगा। अचानक तभी बस ने झटका खाया और उसके होंठ मेरे दांतों से कट गए और उससे खून निकलने लगा.. जिससे उसके होंठों का स्वाद और नमकीन हो गया।
अब तक पूरा ब्लाउज उतर चुका था, उसने मुझे अपने से अलग किया और अपना ब्लाउज उतार दिया। अब वो ब्रा में और आधिक सेक्सी लग रही थी। ब्लाउज उतारने के बाद उसने मुझे फिर से अपनी तरफ खींच लिया और मैं उसके होंठों का रसपान फिर से करने लगा और हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा।
कुछ देर बाद मैंने उसके होंठों को छोड़ कर उसकी चूची का जो भाग ब्रा से बाहर था उस पर एक किस किया और फिर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूची पर हल्के-हल्के काटने लगा।
ऐसा 5 मिनट ही हुए थे कि उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल तक पहुँच हो गई और अब मैं उसके कड़क चूचुक को काट रहा था।
अचानक ख़ुशी ने अपनी ब्रा भी खोल दी जिससे उसकी चूचियां नंगी हो गईं। मैंने ब्रा को हटाया तो उनका आकार देख कर मेरी आँखों में चमक आ गई, वो पूरे गोल आकार में थीं.. उन पर छोटा सा निप्पल उठा हुआ था।
अँधेरे में भी उन चूचों का रंग इतना गोरा था कि वो चमक रहे थे और मुझे निमंत्रण दे रहे थे कि आओ मुझे दबाओ.. और खा जाओ। मैंने झट से अपने मुँह में उसकी चूची भर ली और बाएं हाथ से उसकी एक चूची दबाने लगा। कभी बायीं चूची दबाता तो कभी दायीं.. और उसी समय उसकी चूचियों को जितना हो सकता था.. उतना मुँह में भरने की कोशिश भी करता जा रहा था।
अब मैंने अपने दांतों के बीच में उसका एक निप्पल रख लिया और उसे हल्के-हल्के से कुतरने लगा। साथ ही दाएं हाथ से उसके दूसरी चूची के निप्पल के ऊपर अपनी उंगलियों को घुमाने लगा और उसको खींचने लगा.. उसकी चूची इतनी मस्त और रसीली थी कि उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था।
मैंने ख़ुशी से कहा- आज मैं चूची का सारा दूध निकाल लूँगा।
खुशी कामुकता से सिसकारते हुए कहने लगी- आह्ह.. निकाल लो ना.. अब तो तुम्हारे सामने खुली पड़ी है.. जो करना है करो..
मुझे यह सुनकर और जोश आ गया और मैं उसकी चूचियां और कस के दबाने लगा। अब ख़ुशी का हाथ मेरी जींस की चेन पर था.. जिसे उसने खोला और लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया।
लौड़ा बाहर निकलने से मुझे भी थोड़ा आराम मिला क्योंकि पिछले एक घंटे से वो बाहर आने को मचल रहा था। लंड को बाहर निकाल कर खुशी ने मुझे हल्का पीछे को धक्का दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी।
वो पहले से ही खड़ा था.. तो ख़ुशी ने उसके सुपारे पर किस किया और मेरे हाथों को और मुँह को अपनी चूचियों से हटा कर अलग कर दिया।
वो आगे हो होकर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। लौड़ा चूसते-चूसते उसने पूरा का पूरा लंड अपने मुँह के अन्दर कर लिया।
वो बोली- तुमने मुझे आज बहुत तड़पाया है.. अब कसर निकालती हूँ।
उसने मेरे खड़े लौड़े को मुँह में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और सच में अब तड़पने की बारी मेरी थी। उसके लौड़ा चूसने के अंदाज से लग रहा था जैसे इस काम में उसने महारत हासिल की हुई थी, उसका लंड चूसने का अंदाज ह़ी अलग था। वो लंड को अपने हलक तक ले जाती और अचानक अपना मुँह बाहर की ओर खींच लेती। उसकी ये क्रिया मुझे हल्का-हल्का मीठा दर्द का अहसास करा रही थी।
अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसे अलग किया और उसी सीट पर लिटा दिया। मैंने उसकी दोनों टांगों के ऊपर से साड़ी उठाते हुए उसकी कमर तक कर दी। अब वो सिर्फ पैंटी में दिख रही थी। मैंने उसकी उसकी पैंटी पर हल्के हाथ से छुआ तो अब तक वो खुशी की जवानी के रस से भीग चुकी थी।
मैं उसकी पैंटी पर हाथ लगा कर उसे सहलाने लगा, उसकी पैंटी पर उसकी बुर के होंठों के दो फांके बन चुकी थीं।
उसे कुछ देर सहलाने के बाद मैंने उसके पैर की उंगलियों से किस करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मैं उसकी जाँघों पर पहुँच चुका था उसकी जांघों पर किस करते-करते और अपनी उंगली से उसकी बुर सहलाते हुए अमृत की खोज में आगे बढ़ रहा था।
अचानक ख़ुशी ने मेरे बाजू पकड़ कर मुझे ऊपर खींच लिया और अपने सुलगते होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे होंठों को पीने लगी।
उसने मुझे ऊपर खींच लिया था.. जिसकी वजह से अब मैं उसके ऊपर लेटा हुआ था और एक-दूसरे के होंठों का रसपान कर रहे थे। अब मेरा लंड उसकी बुर की गर्मी अहसास कर रहा था।
मैं किस करते-करते अपना लंड उसकी बुर पर रगड़ने लगा, उसकी कामुक सिसकारियां तेज हो चुकी थीं।
अब वो मुझे नीचे को धकेलने लगी थी। मैंने उसके होंठों को मुक्त किया और नीचे की तरफ हो लिया।
बीच में फिर उसकी हिमालय जैसी नरम चूची को मुँह में भरा और उसको पीने लगा। कुछ मिनट उसके दोनों पर्वतों को चूसने के बाद मैंने उसकी रसीली पयोधरों को छोड़ा और उसके पेट को चूमते हुए उसकी नाभि पर आ गया।
उसकी नाभि पर किस करने के बाद मैंने अपनी जीभ उसके अन्दर डाल दी और घुमाने लगा.. इससे वो और मस्त हो गई और मुझे और नीचे धकेलते हुए जन्नत के द्वार पर पहुँचा दिया।
मैंने उसकी पैंटी को अपने दांतों से पकड़ा और खींचते हुए जाँघों पर कर दिया। अब मेरे सामने ख़ुशी पूरी नग्न लेटी हुई थी। मैंने उसकी बुर को चूमा और बिना उसकी बुर की फांक खोले उसे चाटने लगा।
ख़ुशी अब ‘आह.. ऊअह्ह्ह.. आराम से करो..’ कह रही थी।
फिर मैंने दोनों हाथों से उसकी बुर की फांकें खोलीं और उसने भी अपनी दोनों टाँगें फैला कर मुझे और जगह दे दी। मैं उसकी बुर को बेतहाशा चूमने और चाटने लगा। कुछ देर बाद मुझे उसकी क्लिट मिल गई और मैं उसे काटने लगा। इसका असर खुशी पर इस कदर हुआ कि वो अपने चरम पर पहुँच गई और झड़ गई।
मैं उसकी जवानी के रस को चाट कर पी गया और उसकी बुर के छेद में अपनी जुबान और अन्दर तक डालने लगा।
कुछ ही मिनट ही हुए थे कि ख़ुशी फिर से तैयार हो गई और कहने लगी ‘अब डाल दो और देर न करो..’
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूची मुँह में भर कर खाने लगा। ख़ुशी ने अपना हाथ नीचे किया और मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर टिका दिया और कहने लगी- शुरू करो..
मैंने हल्का सा दबाव डाला और लंड नीचे फिसल गया, उसने फिर उसे सही जगह सैट किया। मैं फिर से रेडी हो चुका था, मैं अपना लंड पकड़ कर उसकी बुर पर घिसने लगा.. जिससे फिर उसका काम रस बाहर आने लगा।
दो मिनट के बाद जब उसके दोनों बुर के होंट खुलने लगे.. तो मैंने उसकी बुर के छेद पर लंड रखा और एक जोरदार झटका मारा.. जिससे आधा लंड उसकी बुर में घुस गया और उसके मुँह से मीठी सी कराह निकल गई।
मैं फिर उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसने लगा। वो धीरे स्वर में कहने लगी- आह्ह उह्ह्ह्ह.. डालो.. रुको नहीं.. पूरा पेल दो.. रुको नहीं..
मैं उसके होंठों को पीने में जुट गया और अपना लंड थोड़ा पीछे किया और एक झटका मारा जिससे लंड पूरा उसकी बुर में समा गया। वो जरा सा कराही और उसने मेरे होंठों को काट कर अपने दर्द का अहसास करवाया।
अब मैंने अपना लंड बाहर खींचा और झटके से अन्दर डाल दिया। ख़ुशी कहने लगी- हाँ राजा.. ऐसे ही चोदो.. मेरी प्यास बुझा दो.. बहुत समय से प्यासी हूँ।
मैंने अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी और उसे चोदने लगा। वो कामुक धीमी आवाज में सीत्कार कर रही थी- आह.. ओह.. ऐसे ही.. और चोदो साले.. सीई.. आह्ह.. मजा आ रहा है.. और चोदो।
मैं धकापेल झटके मारने लगा। अब तो खुशी भी नीचे से अपनी गांड उठा-उठा कर लौड़ा अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी, जब मैं झटका मारता तो वो नीचे से अपनी गांड उठा देती.. जिससे मेरी दोनों गोलियां उसकी बुर के होंठों पर लड़ जातीं और जब मैं लंड पीछे खींचता तो वो भी अपने आपको नीचे कर लेती। यह सिलसिला देर तक चला और वो इस बीच झड़ चुकी थी।
अब मेरे भी झड़ने का समय आ गया था तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मैंने उससे पूछा- कहाँ गिराऊँ? तो उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो। मैं 5 महीने से प्यासी हूँ।
मैंने अपनी स्पीड फुल पर कर दी और उसकी बुर को अपने पानी से भर दिया। अब हम दोनों की आग शांत हो चुकी थी। हम दोनों के चेहरे पर खुशी के भाव थे। फिर ख़ुशी उठी और अपने कपड़े पहनने लगी और हम लोग बातें करने लगे।
उसने बताया- मेरे पति ज्यादातर बाहर रहते हैं इसलिए सेक्स करने की बहुत इच्छा कर रही थी.. और इसी लिए मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को राजी हो गई थी। मैंने पूछा- मुझे दुबारा मिलोगी? ‘नहीं.. कुछ दिन बाद मेरे पति वापस आ रहे हैं.. इसलिए अब हम दुबारा नहीं मिलेंगे।’
थोड़ी देर बाद हम लखनऊ पहुँच गए उसने मेरे गाल पर किस दिया और उतर गई। उसके परिवार का कोई शख्स उसे लेने आया था। मुझे बस स्टॉप पर उतरना था.. इसलिए मैं बैठा रहा और उसे जाते हुए देखता रहा।
आपको क्या लगा और कितना मजा आया मुझे ईमेल कीजिएगा। [email protected]
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