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दोस्तो, मैं सोनाली एक बार फिर से आप सब के लिए अपनी नई दास्तान लेकर आई हूँ और उम्मीद करती हूँ कि पिछली कहानियों की तरह आपको यह कहानी भी पसंद आएगी।
आप सब लोगो ने मेरी पिछली कहानियाँ मेरी कामाग्नि जो छह भाग में और मेरा कामुक बदन और अतृप्त यौवन जो पांच भाग में थी… पढ़ी होगी और मेरे बारे में जानते ही होंगे।
अगर आपने मेरी पिछली कहानियाँ नहीं पढ़ी तो आप ऊपर दिए लिंक लेखिका की सभी कहानियाँ पर जाकर उन्हें पढ़ सकते हैं।
पर फिर भी मैं आपको एक बार फिर से अपने बारे में अवगत करा देती हूँ। मेरा नाम सोनाली, उम्र 40 साल है। मेरे पति का नाम रवि है, रवि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और हर महीने टूर के लिए 7-8 दिन घर से बाहर रहते हैं।
मेरे दो बच्चे हैं, एक बड़ा लड़का रोहन और मेरी एक बेटी अन्नू उससे दो साल छोटी है। मेरा परिवार बहुत ही प्यारा है और हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।
मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरा 36-28-36 का फिगर बहुत ही आकर्षक है जिसे देखकर हर कोई मचल उठता है। मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते हैं, हमारी शादी को 20 साल हो गए.. पर वे मुझे ऐसे रखते हैं कि जैसे अभी कल ही हमारी शादी हुई हो।
मेरे स्तन अभी तक कसे हुए हैं और उन पर मेरे लाल निप्पल ऐसे लगते हैं जैसे कि रसगुल्ले पर गुलाब की पत्ती चिपकी हो। मेरे नितम्ब भी बहुत कसे हुए और गोल हैं.. जो भी उन्हें देखता है.. उनके लंड उनकी पैंट में ही कस जाते हैं।
आप लोग आलोक के बारे में तो जानते ही होंगे वो रवि के बड़े भाई मतलब मेरे जेठ का लड़का है।
आलोक की बड़ी बहन मतलब मेरी भतीजी स्वाति का रिश्ता पक्का हुआ था, कुछ ही दिनों बाद उनकी सगाई का फंक्शन था तो मुझे और मेरे परिवार को वहाँ जाना था पर अपनी जेठानी की जिद पर मुझे तीन दिन पहले ही वहाँ जाना पड़ा।
मैंने रोहन, अन्नू और रवि के लिए सभी जरूरी सामान की व्यवस्था कर दी और फिर रोहन मुझे स्टेशन तक छोड़ने गया। मैंने हल्के स्किन कलर का सूट पहना हुआ था।
स्टेशन पहुँच कर मैंने रोहन की तरफ देखा तो मुझे उसका मन बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था तो मैंने उससे पूछा- तुझे क्या हुआ, तेरा मुँह क्यों लटका हुआ है? रोहन बोला- मम्मी, मैं आपके बिना इतने दिनों तक कैसे रह पाऊँगा।
मैं रोहन के बालों पर हाथ फेरते हुए बोली- अरे बस चार पांच दिन की ही तो बात है और फिर तीन दिन बाद तुम भी तो वहीं आ रहे हो।
मेरी ट्रेन का टाइम हो चुका था, मैं रोहन के माथे पर एक प्यारा सा चुम्बन देते हुए बोली- अब जल्दी से तुम भी अपने ताऊजी के घर आ जाना।
फिर रोहन मुझे ट्रेन में बिठाकर घर निकल गया। शाम पांच बजे मैं वहाँ पहुँच गई। स्टेशन पर पहुँचकर मैंने आलोक को कॉल किया तो वो मुझे स्टेशन पर लेने आ गया।
हम दोनों बहुत दिनों बाद मिल रहे थे तो नज़रें मिलते ही हम एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। मेरे पास आते ही आलोक मुझे देखकर बोला- चाची जी, आप तो बहुत सुंदर लग रही हो! मैंने शरमाते हुए उसे कहा- अरे पागल है क्या? स्टेशन पर क्या कोई ऐसी बातें करता है भला!
रोहन भी उत्सुकता में बोला- क्यों, स्टेशन पर क्या किसी खूबसूरत औरत को खूबसूरत नहीं बोलते? मैं आलोक की बात काटते हुए बोली- तुझसे तो बहस करना ही गलत है।
आलोक ने मेरा सामान उठाया और हम कार में बैठकर घर की तरफ जाने लगे। स्टेशन से उनका घर ज्यादा दूर नहीं था। मैं रोहन के पास आगे वाली सीट पर बैठी थी और रोहन कार चला रहा था।
रास्ते में आलोक ने अपने एक हाथ को मेरे हाथों पर रख दिया और मैंने भी उसके हाथ को अपने दोनों हाथों के बीच थाम लिया। हम दोनों चुपचाप बैठे हुए थे।
रोहन ने ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा- चाची, मुझे आपकी बहुत याद आती है। पर आप तो मुझे भूल ही गई थी।
मैंने आलोक से बोला- नहीं आलोक ऐसी बात नहीं है। उस दिन के बाद से मुझे तुमसे नज़र मिलाने और बात करने में बड़ा अजीब सा लगता था।
आलोक बोला- अरे चाचीजी आप भी ना… और फिर आलोक ने मेरे हाथ को ऊपर उठाया और मेरे हाथ को चूमने लगा।
थोड़ी देर बाद हम लोग घर पहुँच गये, वहाँ मेरे सास ससुर, जेठ और जेठानी सब साथ में रहते थे। मेरे घर पहुँचते ही सब लोग खुश हो गये। मैं अपने परिवार में सबकी बहुत चहेती हूँ, मेरी जेठानी तो मुझे अपनी बहन मानती है इसलिए उन्होंने मुझे इतना जल्दी बुला लिया था। मेरे जेठ भी मेरा बहुत ख्याल रखते हैं, वे मुझे सोना या सोनू कहकर बुलाते थे।
सभी सदस्य घर पर ही थे और स्वाति भी घर पर ही थी, सब लोग सगाई की तैयारियों में ही जुटे थे।
फिर मैं उठकर बाथरूम गई और हाथ मुह धोकर आलोक के रूम में गई। वो वहाँ बैठकर लैपटॉप पर कुछ कर रहा था। मेरे आते ही उसने लैपटॉप बन्द कर दिया और हम दोनों बातें करने लगे।
रात को हम सब लोगों ने खाना खाया और फिर हम लोग आलोक के रूम में ही बैठकर बातें करने लगे। घर वालों से बात करते करते कब मुझे नींद आ गई पता ही नहीं चला।
थोड़ी देर बाद मेरी जेठानी ने मुझे उठाया पर गहरी नींद में होने के कारण मैं नहीं उठी। फिर आलोक के बोलने पर उन्होंने मुझे वहीं सोने दिया और फिर सब लोग उठकर अपने अपने रूम में चले गए।
आलोक ने उठकर दरवाजा बंद किया और वो भी मेरे पास में आकर सो गया।
करीब एक घंटे बाद आलोक ने अपने हाथों से मेरे सिर को सहलाना शुरू कर दिया। मुझे नींद में जब इस बात का अनुभव हुआ तो मेरी नींद खुल गई, मैंने अपनी आँखों को हल्का सा खोलकर देखा तो आलोक बड़े ही प्यार से अपने हाथ से मेरे चेहरे और बालों को सहला रहा था, वो बिना अपनी पलकें झपकाये मुझे ही देख रहा था।
मैंने आलोक से बोला- तुम अब तक सोये नहीं? आलोक बोला- चाची, आपके पास होते हुए मुझे नींद आ सकती है क्या? मैं तो आपके जागने का ही इंतजार कर रहा था।
इतना बोलते ही वो उठा और मेरे माथे पर चुम्बन करने लगा। अब आलोक ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मेरे मम्मे आलोक के सीने से चिपके हुए थे और दबे जा रहे थे।
आलोक ने देर न करते हुए मेरे होंठों पर चूमना शुरू कर दिया, हम दोनों एक दूसरे का मिल कर साथ दे रहे थे, मैंने भी अपनी जीभ को आलोक के मुँह में डाल दिया जिसे आलोक चूमने लगा।
मेरे होंठों को चूमते वक्त आलोक ने मेरे शर्ट को मेरी कमर के ऊपर से पकड़कर उसे मेरे सीने तक ला दिया जिससे मेरे आधे मम्मे शर्ट के नीचे से बाहर आने को फड़फड़ाने लगे।
अब आलोक ने पलटा कर मुझे नीचे कर दिया और फिर मेरे कमीज को उतार दिया, फिर उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोलकर उसे भी मेरे जिस्म से अलग कर दिया। मैं अब केवल ब्रा और पैंटी में ही उसके नीचे थी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
आलोक ने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और केवल चड्डी में ही मेरे ऊपर आकर लेट गया। मैंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी।
आलोक अपना मुंह मेरे कान की तरफ लाकर हल्के से बोला- चाची… बड़े इंतजार के बाद आप मुझे वापस मिली हो! मैंने भी आलोक की बात पर मुस्कुराते हुए आँखें खोल दी। अब आलोक मुझे और मेरे शरीर को निहार रहा था।
आलोक ने मेरी ब्रा के हुक को खोलकर उसे मेरे गदराए बदन से अलग कर दिया। आलोक की नज़र मेरे मम्मों पर पड़ते ही वो उन पर टूट पड़ा और उन्हें जोर से दबाने लगा। मेरे मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी।
आलोक लगातार मेरे मम्मों का मर्दन कर रहा था जिससे मेरे गोरे और गोल कसे हुए मम्मे एकदम लाल और कड़े हो गए। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
फिर आलोक ने अपने हाथों को मेरे बूब्स से अलग किया और उन्हें चाटने और चूसने लगा। मेरे मम्मों को दबाते वक्त मुझे दर्द भी होता था पर मजा भी बहुत आता था। शायद इसलिए मेरे स्तन अभी तक इतने टाइट और गोल थे।
आलोक अपने मुँह से मेरे निप्पल चूस रहा था और फिर साथ में ही उसने अपने एक हाथ को मेरी पैंटी के अंदर डाल दिया, उस ने अपनी उंगलियों से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया, वो अपनी दो उंगलियों से मेरी चूत के होठों को खोलता और फिर अपनी उंगलियों को बीच में ले जाकर मेरी चूत के दाने को सहला देता था।
आलोक ने मुझे काफी उत्तेजित कर दिया था, उसकी इन हरकतों से मेरी चूत गीली हो गई थी। मेरी चूत से निकलते पानी से आलोक की उंगलियाँ भी भीग गई थी।
आलोक ने देर ना करते हुए मेरी पैंटी को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया। अब मैं आलोक के सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी। आलोक ने अपनी दोनों गीली उंगलियों को मेरी चूत में डाल दिया और उन्हें अंदर बाहर करने लगा। मेरे मुंह से उम्म्म… आहहह…उफ्फ्फ… की आवाजें निकलने लगी।
थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ तो मैंने आलोक की कमर को भींचते हुए उसे कहा- आहहह… आलोक, थोड़ा रुको, मैं झड़ने वाली हूँ।
आलोक ने मेरी बात मानते हुए अपनी उंगलियों को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया।
आलोक भी काफी उत्तेजित हो गया था… उसने देर ना करते हुए अपनी अंडरवियर को उतार फेंका, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था और एकदम सख्त और मोटा लग रहा था। वह आगे बढ़ते हुए अपने लंड को मेरी चूत पर लाकर उसे चूत के ऊपर रगड़ने लगा।
मेरी चूत पहले से ही काफी गीली थी जिस वजह से आलोक का लंड भी रगड़ने के कारण गीला हो गया। अब आलोक ने मुझे बेड पर बैठने के लिए बोला और खुद खड़ा हो गया।
मैं भी अपने घुटनों के बल बेड पर बैठ गई और आलोक मेरे सामने खड़ा हो गया। आलोक का लंड मेरे मुख के सामने ही था, वह अपने लंड को लाकर मेरे होठों पर फेरने लगा।
मैंने भी अपना मुख खोलते हुए उसके लंड को मुँह के अंदर लेकर चूसना शुरू कर दिया। मेरी चूत के लगे हुए पानी के कारण मुझे आलोक का लंड नमकीन लग रहा था पर इसमें मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मेरा भतीजा मेरे बालों को पकड़कर अपने लंड से मेरे मुंह को चोद रहा था। थोड़ी देर बाद आलोक ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाल दिया, उसका लंड पूरी तरह से मेरे थूक से भीगा हुआ था।
अब आलोक ने मुझे पीठ के बल लेटा दिया और खुद मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया। उसने मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर फैला दिया और फिर अपने लंड के सुपाड़े को मेरी चूत पर लाकर रख कर दिया।
आलोक ने फिर हल्के हल्के धक्के लगाना शुरू कर दिए। पहले धक्के में उसके लंड का सुपारा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। और फिर अगले ही दो तीन धक्कों में आलोक का पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक समा गया।
अब आलोक ने जोरदार धक्कों के साथ मेरी चूत चुदाई शुरू कर दी। आलोक का लंड मेरी चूत के अंदर तक जाकर हलचल मचा रहा था। मेरे मुँह से हल्की हल्की सी ‘आआहह… ऊऊहह… आआहह.. आआऊहह.. ओह आलोक.. और जोर से चोदो मुझे… फ़क मी हार्डर…’ की सीत्कारें निकल रही थीं।
आलोक भी ‘आहहहह… चाची… आज तो आपको जी भर के चोदूँगा… आहहह… आपकी याद में मुठ मारते मारते मैं थक चुका… था… मेरी… प्यारी… सोना… चाची!
कुछ देर बाद मैं अपने चरम पर पहुँच गई। मैं अब झड़ने वाली थी और फिर मैं ‘उफ्फ़… ओह्ह… माय्य… गॉड… फ़क्क… मीईई… आलोक… उफ्फ़… अहह… मैं… गई… आहहह… ‘ कहते हुए झड़ने लगी।
आलोक अभी तक मुझे चोद रहा था। मेरे झड़ने के कारण अब आलोक के हर धक्के पर फच…फच.. की आवाज आ रही थी जिसे आलोक बहुत एन्जॉय कर रहा था।
थोड़ी देर बाद आलोक भी झड़ने वाला हुआ तो वह अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर उसे मेरी जांघों के बीच डालकर आगे पीछे करने लगा और एकाएक वो झड़ने लगा।
आलोक ने अपना सारा वीर्य मेरी जांघों पर उड़ेल दिया और फिर उठकर मेरे पास आकर लेट गया। शायद इस लम्बी चुदाई के बाद वो काफी थक गया था।
मैं उठकर बाथरूम गई जो आलोक के रूम में ही था, वहाँ जाकर अपनी जांघों और चूत को साफ किया और वापस आकर अपने कपड़े पहन कर बेड पर लेट गई। आलोक ने भी तब तक अपना लोअर और टीशर्ट पहन लिया था।
आलोक के चेहरे पर मुझे संतुष्टि के भाव साफ दिखाई दे रहे थे, वो खुश भी बहुत लग रहा था, मुझसे बोला- चाची, आप बहुत सेक्सी हो और बहुत अच्छी भी… आई… लव… यू… सोना चाची.. मैं भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी।
थोड़ी देर बात करने के बाद फिर हम दोनों आपस में लिपट कर सो गए।
इससे आगे की स्टोरी भी शीघ्र ही आपके लिये भेजूँगी।
आपको यह कहानी कैसी लगी, आप अपने विचार मुझे मेल कर सकते हैं इस मेल पर [email protected] आप मुझे अब फेसबुक पर भी अपने विचार भेज सकते हैं, मेरा यूज़रनेम नीचे दिया गया है। Fb/sonaligupta678
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