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‘ठीक है, फिर मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे होटल चलती हूँ क्योंकि घर पर मैं तुमको ले नहीं जा सकती हूँ।’ इतना कहकर उसने अपने घर रात में न आने की सूचना दे दी।
और फिर मुझे एक शानदार रेस्तराँ लेकर गई और एक केबिन के अन्दर हम दोनों बैठ गए। उस केबिन में बहुत ही कम वाट का नीला बल्ब जल रहा था, जिससे उस केबिन में कुछ उजाला तो कुछ अंधेरा सा नजर आ रहा था।
उसने दो बियर तथा खाने का ऑर्डर किया। हम दोनों एक-दूसरे के बगल में बैठे थे, सुहाना ने अपनी जींस खोली और अपने जांघ के नीचे कर लिया और मेरी जींस की चेन खोल कर लंड बाहर निकाल कर उससे खेलने लगी और मेरा हाथ ले जाकर अपनी चूत के ऊपर रख दिया।
अब मुझसे वो सेक्स की ही बातें कर रही थी। वो इस बात का ख्याल जरूर रखती कि अगर वेटर लेकर कुछ आ रहा है तो हम लोगों की हरकत उसकी नजर में ना आये।
सुहाना बोली- तुम जब किसी औरत या लड़की के साथ सेक्स करते हो तो तुम उसको साथ क्या-क्या करते हो? मैं बोला- जनरली सभी मर्द औरत या लड़की से साथ वाइल्ड होना पसंद करते है और मुझे भी वाईल्ड होना पसंद है। जब तक दोनों एक दूसरे के जिस्म से पूरी तरह से न खेलें तो चूत चुदाई का मजा नहीं आता है।
सुहाना ने मुझसे पूछा- तुम्हें मुझमें सबसे अच्छा क्या लगा? तो मैं बोला- अभी तक तो मैंने आपको पूरी तरह से नहीं देखा। फिर भी आपके तीनों छेद!
‘तीन छेद?’ वो मेरी तरफ देखते हुए बोली। ‘हाँ!’ मैंने उसके होठों पर उंगली फिराते हुए बोला, उसके बाद हाथ को नीचे ले जाकर उसकी चूत के अन्दर उंगली करते हुए कहा- दूसरा छेद ये! और फिर उंगली चूत रूपी स्टेशन को छोड़कर गांड के छेद की तरफ बढ़ गई और वहां उंगली टच करते हुए बोला- एक छेद ये भी है जहाँ मेरा लंड हमेशा जाने के लिये बेताब रहता है।
‘तो क्या तुम्हारी बीवी तुमसे अपनी गांड मरवाती है?’ ‘मेरी बीवी बिल्कुल काम देवी है, जब तक उसके तीनों छेदों को मजा नहीं आ जाता, तब तक वो मुझे छोड़ती ही नहीं है।’
सुहाना बोली- यार, तुम्हारी बातों ने तो मुझे और उत्तेजित कर दिया है और मैं पानी छोड़ रही हूँ। जल्दी जल्दी खाना खाओ और फिर मुझे खूब प्यार करो।
मेज पर खाना लग चुका था और वेटर जा चुका था। मैंने सुहाना को देखा और मैं मेज़ के नीचे अपने आपको एडजस्ट करके बैठ गया और सुहाना की चूत में अपनी जीभ लगा दी।
सुहाना जो काफी मस्ती में आ चुकी थी, बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसकी चूत ने रस को छोड़ दिया, वो रस सीधे मेरी जीभ को स्वाद देने लगा था।
मैंने उसके रस को चाट कर साफ कर दिया और अपनी जगह पर बैठ गया। मेरे बैठते ही सुहाना बोली- लाओ, मैं भी तुम्हारा पानी निकाल दूँ।
मैंने मना किया और फिर बियार पीने के साथ-साथ खाना भी खाने लगे। उसके बाद रेस्त्रां का बिल सुहाना ने चुकाया और हम लोग होटल में आ गये।
होटल के मैंनेजर की निगाहें हमारे ऊपर ही थी, वो मेरे पास आया और बोला- क्या आज रात मेम साब भी आपके साथ रूकेंगी? मैंने हाँ में सर हिलाया और सुहाना ने अपने पर्स से पाँच सौ का नोट निकाल कर मैंनेजर को देते हुई बोली- देखना कोई हमें डिस्टर्ब ना करे।
मैंनेजर ने पाँच सौ का नोट लिया और अपने दाँत दिखाता हुआ चला गया। हम दोनों अपने कमरे पहुँचे और कमरे में पहुँचते ही सुहाना बोली- रितेश, तुम्हारा ईनाम अब तुम्हारे सामने है, इस ईनाम को जैसे चाहे वैसे यूज करो।
‘मैं खुल कर मजा लेता हूँ।’ ‘ठीक है। खुलकर मजा मैं भी लूंगी और तुम्हे तुम्हारा ईनाम अच्छा लगे, इसकी भी पूरी कोशिश करूँगी।’
मैंने तुरन्त ही सुहाना को दरवाजे के सहारा दिया और अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और हाथ से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों के साथ खेलने लगा। सुहाना भी मेरा साथ देने लगी और अपने टॉप को उतार कर अपने जिस्म से निकाल दिया।
टॉप निकालने के साथ-साथ उसने अपना बेलबॉटम और पैन्टी को भी अपने से अलग कर दिया और नंगी मुझसे चिपक गई।
मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए और नीचे बैठकर उसकी चूत के फांकों को फैलाकर उसकी दरार में अपनी जीभ चलाने लगा, कभी मैं उसकी क्लिट को तो कभी उसके कण्ट को चूसता तो कभी उसके चूत की गहराई में अपनी उंगलियों को पहुंचाता।
मुझे इस तरह करने में कोई तकलीफ न हो इसलिये सुहाना ने अपने दोनों पैरों को अच्छे से फैला दिया। सुहाना आहें भरते हुए बोली- रितेश, तुम मेरी चूत को बहुत मजा दे रहे हो। क्या इतना ही मजा मेरी गांड को भी दे सकते हो? मेरी गांड में बहुत सुरसुराहट हो रही है।
मेरे हाँ कहने पर सुहाना पलट कर अपने दोनों हाथों को उस दरवाजे से टिका दिया और अपना पूरा वजन अपने हाथों पर डाल दिया। मैंने उसी तरह से उसके गांड के दरार को चौड़ा किया और अपनी जीभ उसकी लाल-लाल सुर्ख गांड के छेद पर टिका दिया।
सुहाना की गांड लपलपा रही थी, मेरे होंठ और जीभ उनके बीच में घुस रहे थे। सुहाना बोले जा रही थी- रितेश, इसकी खुजली नहीं मिट रही है।
सुहाना को मैंने हल्का सा और झुकाया, अपना लंड उसकी गांड से रगड़ने लगा और सुहाना बोलने लगी- आह ओह ओह… बस ऐसे ही बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं उसकी गांड में लंड रगड़ते-रगड़ते लंड को अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार लंड फिसल कर बाहर आ जाता। एक तो मैं होटल में था और मेरे पास कोई क्रीम भी नहीं थी, मैं क्या करूँ गांड छोड़कर चूत ही चोद दूँ… लेकिन जिस तरह से सुहाना की सेक्सी आवाज आ रही थी उससे ऐसा लग रहा था कि वो भी चाहती है कि उसकी गांड के अन्दर मेरे लंड का प्रवेश हो।
मैं अपना दिमाग भी साथ ही साथ चला रहा था कि मुझे ख्याल आया कि सुहाना के बैग में कुछ न तो कुछ मिल ही जायेगा जिससे मेरा काम बन जाये। मैंने सुहाना को उसी तरह खड़े रहने के लिये कहा और खुद उसके बैग की तालाशी लेने लगा। साला बैग नहीं था पूरा साजो सामान का बक्सा था। डिजाइनर और सेक्सी ब्रा पैन्टी थी, लिपिस्ट्क, दो-तीन तरह की क्रीम थी, हेयर रिमूवर था।
मैंने उसके बैग से क्रीम निकाली और उंगली में लेकर उसके गांड के अन्दर क्रीम लगाने लगा। मेरी नजर साथ ही साथ उसकी लटकती हुई चूची पर पड़ी और मेरा हाथ उसकी गोलाइयों को सहलाने लगा।
मैंने क्रीम को उसकी गांड में लगा दिया और फिर जो हाथ में लगी थी, उसको लंड पर लगा कर एक झटके से उसकी गांड में लंड डाला। इधर सुहाना की दबी चीख आउच निकली और मेरी भी हालत मेरे सुपारे का खोल की वजह से खराब थी जो सुहाना की टाईट गांड से रगड़ खा रहा था।
खैर सुहाना चीख कर ही रूक गई, बोली कुछ नहीं। मैंने एक बार फिर लंड को बाहर निकाल कर थोड़ा तेज झटके से अन्दर डाला। ‘आउच…’ फिर वही आवाज… लेकिन ‘मुझे दर्द हो रहा, अपना लंड निकालो। मैं मर जाऊँगी!’ ऐसा सुहाना ने कुछ भी नहीं कहा और शायद अपने होंठों के दाँतों के बीच दबा कर दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी।
मैं अब धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर बाहर कर के उसकी गांड में जगह बना रहा था और इसी तरह धीरे-धीरे लंड को अन्दर बाहर करते करते अब सुहाना की गांड में मेरा पूरा लंड जा चुका था, हालाँकि मेरा चमड़ा घिसने की वजह से मेरे लंड में जलन बहुत हो रही थी। अब सुहाना की टाईट गांड काफी ढीली पड़ चुकी थी और अब दर्द की आवाज के स्थान पर उन्माद की आवाजें आने लगी थी। थोड़ी देर में मैं उसके गांड के अन्दर ही खलास हो गया और उसकी गांड मेरे पानी से भर गई।
मैंने सुहाना को सीधा किया और अपने सीने से उसकी पीठ चिपका ली। जैसे ही सुहाना मेरे से चिपकी मेरा लंड फच की आवाज के साथ बाहर आ चुका था।
सुहाना की उंगली उसके गांड के छेद तथा आस-पास उस सभी जगह चल रही थी जहां-जहां मेरा पानी बहकर जा रहा था। सुहाना ने मेरे पानी को अपनी उंगली में लेकर उसके स्वाद को टेस्ट करने की कोशिश करने लगी।
मैंने सुहाना को इस तरह करते देखा तो अपने मुरझाये लंड की तरफ दिखाते हुए बोला- अगर तुम्हें इसका टेस्ट लेना है तो इसको अपने मुंह में लेकर टेस्ट करो।
सुहाना घुटने के बल बैठ गई और मेरे लंड पर अपनी जीभ को इस प्रकार चलाने लगी मानो वो हर जगह को टेस्ट कर रही हो। फिर गप से उसने मेरे लंड को अपने मुंह में पूरा भर लिया और उसे लॉली पॉप की तरह चूसने लगी। जब उसने मेरे माल से सने लंड को पूरा साफ कर लिया तो खड़ी हो गई और बोली- मुझे तुमसे कुछ पूछना है।
हम दोनों बिस्तर पर आकर बैठ गये, मैंने कहा- हाँ बोलो, क्या पूछना चाहती हो? तो उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी बीवी भी तुमसे गांड मरवाती है? मैंने हँसते हुए उसकी पीठ पर हाथ फेरा और बोला- मेरी बीवी मुझे बहुत खुश रखती है और मेरी खुशी के लिये ही उसने मुझसे अपनी गांड मेरे सुहागरात में मरवाई थी।
मेरी तरफ आश्चर्य से देखती हुई बोली- ऐसा क्यों? तो मैंने भी बेबाक उत्तर दिया- क्योंकि सुहागरात के समय उसकी चूत चुदी हुई थी। मतलब पहले से ही चुदी चुदाई थी।
‘क्या तुमने ही?’ लेकिन मैंने उसका जवाब नहीं दिया और मैं उसके निप्पल को अपने मुंह में भर कर चूसने लला जबकि वो मेरे बालों को सहलाते हुए अपने प्रश्न पूछ रही थी और मैं जवाब दे रहा था।
तभी वो बोली- इसका मतलब कि मेरा पति भी मुझसे चाहता होगा कि मैं बेडरूम में उसके सामने एक रंडी की तरह रहूँ? ‘बिल्कुल वो चाहता होगा!’ मैंने कहा- लेकिन तुम दोनों की झिझक के वजह से तुम दोनों न तो खुल के अपनी बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हो और न ही खुलकर सेक्स का मजा ले सकते हो।
मैं उससे बाते करते हुए उसकी चूची को चूस रहा था और उसकी गीली चूत के अन्दर उंगली किये जा रहा था कि अचानक उसने मुझे एक किनारे किया और उठ कर खड़ी हो गई, मुझे चूमते हुए बोली- सॉरी रितेश, शायद तुम्हें इस समय मैं तुम्हारा ईनाम पूरा न दे पाऊँ। फिर कभी मैं कोशिश करूँगी कि तुम्हें तुम्हारा ईनाम पूरा मिल जाये।
कहते हुए वो अपने कपड़े पहनने लगी और वो मुझसे बोली- थैंक्यू रितेश, आज मैं जाकर अपने हबी के लिये रंडी बन जाऊँगी। इतना कहने के साथ वो दरवाजा खोलने लगी कि तभी मैंने सुहाना को दो मिनट तक रूकने के लिये कहा।
सुहाना फिर मुझे देखने लगी। मैंने कहा- मैम, जाकर नहा लेना और कोई जल्दबाजी न करना लेकिन उसे संकेत देती रहना ताकि वो भी आपके साथ खुल सके।
वो फिर मेरे पास आई और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली- रितेश, मैं चाहती तो हूँ कि तुम्हारे खड़े लंड को अपनी चूत की सैर कराऊँ लेकिन मैं रूक नहीं सकती। ‘मत रूको लेकिन मुझे कल बताना!’ उसकी चूत को दबाते हुए कहा कि इस चूत ने क्या कमाल किया?’
रितेश ने जब अपनी बातें खत्म की तो मैं आकांक्षा बोली- जानू मायूस न हो, तुम्हारी यह रंडी तुम्हारा इंतजार कर रही है। मेरी भी चूत में आग लगी है पर बुझी नहीं है।
कह कर मैंने भी रितेश को सारी बातें बताई जो मेरे बॉस ने मेरे साथ किया। फिर हम दोनों ही खूब हंस रहे थे, मैंने रितेश से पूछा यार बॉस कह रहा था कि मैं तुम्हें भी अपने साथ कलकत्ता ले जाऊँ। काम का काम भी और हनीमून भी कर लो।
रितेश बोला- कह तो ठीक रहा है तुम्हारा बॉस! चलो कल मैं आ रहा हूँ, देखते हैं अगर ऑफिस से छुट्टी मिल जाये।
फिर हम दोनों ने मोबाईल पर एक दूसरे को खूब किस किया और फिर दूसरी तरफ से फोन कट गया।
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