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मेरा नाम विकी है, मैं 25 साल का हूँ और मुंबई में आयुर्वेद डॉक्टर हूँ।
मैं नेट पर सर्फ़ करते हुए अन्तर्वासना पर आ गया। मैंने इसकी कहानियाँ पढ़ीं.. तो मुझे बहुत आनन्द मिला और मुझे ये काफी दिल बहलाने वाली और रोचक लगीं.. पर मैंने देखा कि इस पर कहानी लिखने वालों ने सेक्स के बारे में अपनी कहानी के माध्यम से कुछ अजीब सी भ्रान्तियां फैला रखी हैं.. जो मैं अपनी कहानी के द्वारा साफ़ करना चाहता हूँ। तो पहले कुछ सही बात समझ लें.. जो कि आपको एक डॉक्टर बता रहा है।
1- सेक्स में बहुत बड़ा लंड हो तो ही आनन्द आता है.. यह बात गलत है। सेक्स में बड़े नहीं.. कड़े लंड का होना जरूरी होता है। लंड कड़ा होने पर सामान्यतः 4 से 5.5 इंच या ज्यादा से ज्यादा 6 या 6.5 इंच का होता है। ये केवल 3 इंच का हो.. तो भी सेक्स में वही आनन्द मिलता है। सेक्स में बहुत बड़े की नहीं.. कड़े लंड की जरूरत होती है। असल में एकदम कड़े लंड से स्त्रियों को आनन्द मिलता है.. तो लंड को बड़े करने की नहीं.. कड़े करने की सोचो।
2- बहुत जोर जबरदस्ती से किया हुआ सेक्स.. जिसमें स्त्री को बहुत दर्द हो उसमें मर्दानगी नहीं होती। स्त्रियों को बड़े प्यार से किया गया सेक्स ही पसंद आता है.. जिससे उसकी भावनाओं को संतुष्टि मिले और वो भी सेक्स में सक्रिय हो। इस तरह का सेक्स आपको और आपके पार्टनर को ताजगी और आनन्द प्रदान करता है।
3- सेक्स जानवर की तरह करने से नहीं, पार्टनर को आनन्द देने से सफल माना जाता है। सेक्स एक अच्छी वर्जिश भी होती है.. जिससे कमजोरी नहीं.. आरोग्य प्राप्त होता है और आप तनाव मुक्त होते हैं।
4- सेक्स में जबरदस्ती औरत कभी पसंद नहीं करती, सेक्स जितना लम्बा चला सको.. उतना आनन्द बढ़ेगा और चरम सीमा का आनन्द ज्यादा मिलेगा। याद रखें.. स्त्री की चूत का केवल अगला डेढ़-दो इंच का ऊपरी हिस्सा ही संवेदनशील होता है। हालांकि चूत के अन्दर की दीवारें काफी नर्म और संवेदनशील होती हैं.. जिसमें कड़े फौलाद जैसे चिकनाई युक्त लंड का प्यार से रगड़ मारता हुआ लौड़ा पेलना बड़ा आनन्दप्रद होता है। जब औरत चुदाई के वक्त आँखों को मूँदने लगे तो समझो कि आप उसे आनन्द दे रहे हो। वो अपने होंठों से सिसकियां लेने लगे और मीठी आवाजें निकालने लगे.. उसको उसी तरह में और उसी लय में चोदना चाहिए।
5- सेक्स की खास बात है फोरप्ले.. और आफ्टरप्ले.. सेक्स में पहले ये जानो कि आपके पार्टनर को कहाँ ज्यादा उत्तेजना होती है। बहुत सी औरतें अपनी पीठ पर, कान से पिछले हिस्से में किस कराने में ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं। आप पीछे से कन्धों पर.. पीठ पर.. कान के लौ पर.. किस करते हुए चूचियों का मर्दन करेंगे.. तो वो जल्दी झड़ जाती है। उसकी चूत भी इससे जल्दी चिकनी हो जाती है.. फिर बाद में आप लंड उसकी चूत में डालोगे तो वो बहुत आनन्द पाएगी.. और वो आपकी गुलाम बन जाएगी। होंठों को और स्त्री की छाती को चूसना भी एक आर्ट है। औरत का बदन एक संगीत के तार जैसा होता है.. अगर सही तार को झंकृत करोगे.. तो सही सुर निकलेगा.. वरना बेसुरा संगीत आपका और आपके पार्टनर का मजा किरकिरा कर देगा। तो यह साज कैसे बजाते हैं वो कभी मुझसे सीख लेना।
6- मेरे चुदाई के शौकीन दोस्तो, मेरी बात याद रखना, सेक्स एक योग है। सम्भोग मतलब दोनों समान रूप से एक-दूसरे को भोगें। सेक्स में स्त्री का सक्रिय होना बहुत जरूरी है.. वो कैसे? इसके लिए आप गुप्त रूप से मुझे मेल करें.. मैंने बहुत से जोड़ों को बेहतरीन तरीके से सेक्स करना सिखाया है। सेक्स के पीछे दुनिया ऐसे ही पागल नहीं है। यह कुदरत का एक अजीबोगरीब करिश्मा है.. जो नसीब वाला ही भोग सकता है।
अब मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताता हूँ। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मुंबई में पढ़ाई की है। जब मैं 18 साल का था.. तब मेडिकल की पढ़ाई करने मुंबई गया था।
मैं पहले ये बता चुका हूँ कि मैं एक 25 साल का युवक हूँ। मेरी लम्बाई 5 फुट 7 इंच की है। मैं थोड़ा गोरा और चिकना भी हूँ। मेरा लंड पौने छह इंच लम्बा और करीब डेढ़ इंच व्यास का मोटा है। मैं बचपन से ही वर्जिश करता हूँ.. तो मेरा बदन काफी गठा और काफी कसा हुआ है।
मैं एक सुखी परिवार से ताल्लुक रखता हूँ। पैसे की कभी कोई कमी नहीं थी। मैं अपने पापा का एकलौता बेटा हूँ। हॉस्टल में मेरिट में 3-4 अंक कम होने की वजह से जगह नहीं मिली.. तो पापा मेरे कॉलेज में आए।
वे कुछ परेशान हुए लेकिन हमारे कॉलेज के कर्मचारी मनोहर चाचा और पापा की अच्छी पहचान हो गई थी। उन्होंने एडमिशन के दौरान काफी मदद की थी और वो पापा से काफी प्रभावित भी हुए थे।
उन्होंने मुझे अपने मकान में अपना छत वाला कमरा मुझे 7500 रूपए प्रति माह पेइंगगेस्ट के तौर पर किराए पर दे दिया।
मेरे कमरे में लैटबाथ अटैच था और आगे बड़ी सी छत थी.. जहाँ वो लोग कपड़े सुखाया करते थे। मेरा कमरा कॉलेज से केवल दो किलोमीटर दूर था। मैं वहाँ अपना सामान ले कर पहुँच गया। पहली बार था.. तो पापा और मॉम भी साथ आए थे। उन्होंने भी वहीं खाना खाया और इस सब से वो परिवार हमारे लिए फैमिली जैसा हो गया। मैं भी चाचा के परिवार का एक सदस्य सा हो गया।
जाते वक्त चाचा-चाची ने मेरे मॉम-डैड को मेरी चिंता न करने का भरोसा देते हुए विदा किया। पापा ने भी उन्हें छुट्टियों में बच्चों के साथ अहमदाबाद आने का ऐसे न्योता दिया.. मानो वे रिश्तेदार हो ही गए हों।
चाचा के पास अपने बाप-दादा का दिया हुआ बड़ा सा यह मकान ही उसकी बड़ी जायदाद थी। मुंबई में इतना बड़ा मकान होना बड़ी बात थी। उसके किराये से उनके परिवार को अच्छी आमदनी हो जाती थी.. वरना चाचा की तनख्वाह से उनका बड़ी मुश्किल से गुजारा होता था। तब भी वो बहुत कम लोग को मकान किराए पर देते थे।
चाचा की उम्र अभी 45 साल की थी। उनके साथ में उनकी पत्नी रमा चाची थीं.. जो कि करीब 42 साल की थी। उनकी दो बेटियां सीमा और सपना.. जोकि 19 और 18 साल की रही होंगी। एक बेटा था दीपू.. जो कि 7 वीं में पढ़ता था।
एक कुंवारी बहन माया थी.. जो करीब तीस साल की थी.. जिसकी अभी भी शादी नहीं हो रही थी। इस तरह वे छह लोग एक ही परिवार में रहते थे।
शायद दहेज़ की वजह से माया की शादी नहीं हुई थी। पहले मैं आपको इन सब का परिचय दे दूँ।
माया.. जिसे सब बुआ बुलाते थे और मैं भी उसे बुआ ही कहने लगा था। वो 5 फुट 4 इंच की ऊँचाई लिए दूध जैसा साफ़ रंग और मस्त सेक्सी बदन की मालिकन थी। उसके कंटीले नयन-नक्स, गुलाबी मोटे होंठ.. मक्खन से मुलायम गाल.. सुराहीदार गर्दन.. जिसे चूमने को मन हो जाए।
उसकी 35 इंच की तोतापुरी आम जैसी भारी उन्नत नुकीली चूचियां जिनको हरदम देखते रहने को दिल करे। वो हमेशा होजियरी के चुस्त लोअर कट गाउन में रहती थी।
जब वो अपने 35 नम्बर की भारी-भरकम चूचियां और 36 साइज़ के बड़े-बड़े कूल्हे मटकाती हुई वो चलती थी.. तो लगता था जैसे तूफान उठा देगी। जब पास से गुजरे तो उसके बदन की एक अजीब सी मादक खुश्बू किसी का भी लंड खड़ा कर दे।
वो काफी हँसमुख और मजाकिया स्वभाव की थी और मेरा बहुत ख्याल रखती थी। मेरी उससे काफी जमती थी.. लेकिन मुंबई में मकान बड़ी मुश्किल से मिलता है.. तो उसको कुछ कहने से मेरी गांड फटती थी।
सीमा 20 साल की.. मासूम गोरी-चिट्टी मोम जैसी नरम और मुलायम बदन वाली लौंडिया थी। पांच फुट चार इंच ऊँची और सेक्सी मिसाइल जैसी माल थी। उसका फिगर 34-24-35 का कोकाकोला की बोतल जैसा था।
वो बड़ी आकर्षक और सेक्सी दिखती थी। बड़ी सुन्दर काजल लगी आँखें.. गुलाब की पत्ती से रसीले होंठ.. तीखी नाक.. सेब से नरम गाल.. जोकि चूमने का मन हो जाए। वो हमेशा सुन्दर कपड़ों में रहती थी। उसके लोकट गले वाले कुरते से उसकी बड़ी चूचियां ड्रेस में दबी-दबी सी दिख जाती थीं।
वो काफी नरम दिल और सुलझी हुई लड़की थी, पर वो मुझे घास तक नहीं डालती थी। नॉर्मली वो मेरे साथ हँस-बोल लेती थी.. पर मेरे लिए वो मुश्किल आइटम थी।
जब मैंने उससे पहली बार देखा तो मैं भौचक्का रह गया था.. पर पापा और मॉम साथ थे.. तो मैं मासूम बनकर नीची नज़र किए हुए उनकी और चाचा की बातें सुनता बैठा रहा।
सपना एक मनमुग्ध कर देने वाली कन्या थी.. जिसने अभी नई-नई जवानी पाई थी। उसकी छाती पर अभी नए-नए दो फूल खिल रहे थे। वो जब चलती तो उसके नीबू बड़े अच्छे से झूल जाते थे।
वो थोड़ी श्यामल रंग की थी.. पर ब्लैक ब्यूटी थी। उसके अच्छे नाक-नक्श उसे बहुत नमकीन और चुलबुली बनाते थे। वो बड़ी कटीले बदन वाली नागिन जैसी लगती थी। सपना 5 फुट 2 इंच ऊँची, 30-24-32 के मस्त फिगर वाली लड़की थी। उसका गदराया बदन, बात-बात पर आंख मार के बात करना किसी को भी भा जाए। वो मेरी अच्छी दोस्त बन गई थी।
रमा चाची बिल्कुल घरेलू गृहिणी जैसी बड़े प्यारे स्वाभाव की और काफी सुन्दर औरत थीं। वो अभी भी 35 साल की लड़की जैसी लगती थीं। तीन बच्चों की माँ होने के बावजूद उन्होंने अपने आपको काफी मेन्टेन किया था। उनकी सुन्दरता उनकी बेटियों में उतरी थी।
हाँ, मनोहर चाचा अपने इस बड़े परिवार के पालन करने में और अपनी कुंवारी बहन की शादी की चिंता में थोड़े बूढ़े से लगते थे और उन्हें डायाबिटीज की बीमारी भी हो गई थी।
आपको इस कहानी में सब कुछ मिलेगा पर एक अलग अंदाज में ही मिलेगा।
मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए।
[email protected] कहानी जारी है।
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