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अब तक आपने मनोहर चाचा के घर के सदस्यों के बारे में जाना। अब आगे..
डायाबिटीज के मरीज की सेक्स लाइफ लगभग खत्म हो जाती है.. क्योंकि उनके लंड का उत्थान नहीं होता है। हालांकि चाचा रमा चाची बड़ा ख्याल रखते थे। रमाचाची के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी देखने को मिलती।
मेरे पास बाइक थी और चाचा के पास भी बाइक थी.. तो सुबह-सुबह मैं चाचा, सीमा और सपना चारों दो बाइकों पर स्कूल और कॉलेज जाते थे। क्योंकि सीमा का होम साइंस कॉलेज और सपना का हाई स्कूल हमारे कॉलेज के रास्ते पर ही पड़ता था। सपना मेरी बाइक पर और सीमा अपने पापा के साथ बैठती थी। पहले उनका स्टॉप आता था और बाद में हमारा कॉलेज।
दोपहर एक बजे हम चारों साथ आते और साथ में खाना खाते। इसके बाद मैं ऊपर अपने कमरे में पढ़ाई करने चला जाता और 4 बजे चाय के लिए नीचे आता।
माया बुआ मुझे रात को 8 बजे खाने के लिए आवाज़ देतीं या बुलाने छत पर आ जातीं। रात के खाने के बाद हम लोग थोड़ी इधर-उधर की बातें करते.. टीवी देखते और दस बजे मैं अपने कमरे में सोने चला जाता। यह था हमारा दैनिक जीवनक्रम।
मैं सुबह साढ़े पांच बजे उठकर थोड़ी वर्जिश करता और सुबह 7.15 पर तैयार होकर कॉलेज जाने के लिए नीचे आ जाता।
अब हुआ यूँ कि इतवार को दोनों बहनें किसी प्रवास में गई थीं। मैं सुबह वर्जिश करके नहाने की तैयारी कर रहा था कि बुआ इतनी सुबह कपड़े सुखाने आ गईं।
मैंने बड़े ताज्जुब के साथ बाहर आ कर पूछा- क्यों बुआ.. इतनी सुबह में कपड़े धोने पड़े? मैं उसे कपड़े सुखाने में मदद करने लगा।
तो वो बोली- हाँ मुन्ना, आज 11 बजे मुझे कोई देखने आने वाला है और मेरी फेवरिट ड्रेस मैली थी.. तो मैंने सारे कपड़े सुबह सवेरे जल्दी ही धो डाले ताकि वो सुबह 9 बजे तक सूख जाएँ।
वो मुझे मुन्ना कहती थी.. लेकिन जब इतनी अच्छी बात उसने थोड़े उदास होकर बताई तो मैंने उसे खुश करने के लिए कहा। मैं- अरे वाह ये बात अब बता रही हो.. क्यों भई, हम इतने पराए हैं?
माया- नहीं मुन्ना.. मुझे देखने लड़के दस साल से आ रहे हैं.. पर शादी कोई नहीं करता क्योंकि भगवान ने मुझमें एक कमी रख दी है। मुझे देखने तो सब आते हैं.. पर शादी के लिए कोई राजी नहीं होता। इसलिए मैं अभी तक भैया पर बोझ बनकर इस घर में अब तक बैठी हूँ।
बात करते हुए उसकी सुन्दर आँखें नम हो गईं.. उसकी आवाज़ गले में घुटने लगी।
मैं- अरे ये क्या.. मेरी अच्छी बुआ रो रही है.. अरे आप तो इतनी सुन्दर हो कि आपसे तो कोई भी लड़का शादी के लिए तैयार हो जाए.. मैं छोटा हूँ वरना मैं ही आप से शादी कर लेता। थोड़ी हल्के से मजाक करके मैंने उसे हँसाने की कोशिश की।
मैं- बड़ा भाग्यवान होगा वो इन्सान जिससे आपकी शादी होगी।
तो उसकी आँखें भर आईं और आंसू छलक कर बाहर आ गए।
वो बोल उठी- मजाक न कर मुन्ना.. तू भी अगर मेरी खामी जान जाए.. तो तू भी शादी से मना कर देता.. अगर तू मेरी उम्र का होता..तो बताती.. अब तुझे कैसे बताऊँ कि मेरे अन्दर ऐसी कमी है कि मैं माँ नहीं बन सकती। भैया ने मेरा बहुत इलाज कराया.. तो पता चला कि एक ऑपरेशन कराना पड़ेगा और जिसका खर्च करीब 5 लाख तक होगा।
वो बात करते-करते टूट सी गई और रोने लग गई।
वैसे हम दोनों की खूब पटती थी.. पर इस बात से मैं भी अनजान था। उसके रोने से में भी भावुक हो गया, मैंने उसके आंसू पोंछे और कहा- बुआ मैं आपका इलाज करवाऊँगा और अपने पापा से कहकर मैं आपका ऑपरेशन भी करवाऊंगा। पापा के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ.. आपके लिए मैं कुछ भी करूँगा।
यह कहते हुए मेरी आँखें भी भर आईं।
मुझे रोता देख उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर मुझे कसके अपने गले से लगा लिया। रस्सी पर सुखाए कपड़ों के पीछे हम दोनों एक-दूसरे को कसके जकड़े हुए थे।
यह मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था कि मैं किसी लड़की को ऐसे कस कर अपनी बांहों में ले कर खड़ा था।
माया की कठोर चूचियाँ मेरी विशाल छाती पर बड़े जोर से कसके दब रही थीं। मैं उसे सांत्वना देने के लिए उसकी पीठ को सहला रहा था।
मैंने महसूस किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मेरी बनियान और उनका चुस्त गाउन ही हम दोनों की छातियों के बीच में था। उसके गर्म आंसू मेरे कंधे पर गिर रहे थे और मैं बड़े प्यार से उसकी पीठ सहला रहा था।
उसका बदन भीगे कपड़े हो जाने के बावजूद एकदम गर्म था। उसके जिस्म से एक गजब की मादक खुश्बू से मुझे नशा दे रही थी। वो कांप रही थी.. उसकी गर्म सांसें मेरे गले से टकरा रही थीं। उसकी गर्म साँसों का असर मेरे लंड पर हो रहा था, वो खड़ा होने लगा था।
मेरे बरमूडा में एक तम्बू सा उभर गया था। मेरे बदन में मानो बिजली का जोरदार करंट दौड़ रहा हो।
अचानक उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने नरम मुलायम.. गर्मागर्म कांपते होंठ चिपका दिए और मेरे नीचे के होंठों को वो जोर से चूसने लगी।
हम दोनों ही भावुक हो उठे थे.. एक-दूसरे को कसके चूम रहे थे। हालांकि मुझे लिप किस करना नहीं आ रहा था.. पर मैं उसे सहयोग देने लगा था। मैं उसके बालों को सहलाते हुए कानों तक आ गया और उसके कान की लौ को प्यार से मलने लगा।
मैंने पाया कि वो अपनी जुबान से मेरे मुँह को खोलने की कोशिश कर रही थी।
उसे सहयोग देते हुए मैंने अपना मुँह खोल दिया.. तो उसने झट से अपनी गुलाबी जुबान को मेरी जुबान से मिलाते हुए अपने मुँह में खींच ली और जोर से उसे चूसने लगी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! मेरे तो मानो प्राण निकल रहे थे।
मेरे बरमूडा में मेरा लौड़ा एकदम टाइट होकर कड़े लोहे सा होकर अपनी पूरी लम्बाई में आ गया था और वो माया की चूत पर टकरा रहा था। मेरा भी बदन काँपने लगा और उसमें आग सी भड़कने लगी।
एक नशीला अनुभव जो मुझे पहली बार माया ने कराया। यह मेरे जीवन का पहला लिप किस था.. जो मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाऊँगा।
अब मुझे थोड़ा डर सा लगा.. तो मैंने माया को अलग किया और अपने कमरे में ले गया। वहाँ उसको पानी पिलाया।
उसकी आँखें अभी भी नम थीं।
मैंने उसकी आँखों में भरे आंसुओं के पार एक गजब का नशा देखा.. वो कम्पन, वो बदन की दहकती गर्मी, वो मादक खुश्बू.. मैं मस्त हो गया।
फिर भी अपनी सेफ्टी के लिए मैं रुका.. और कहा- बुआ, शायद यह हम गलत कर रहे हैं, कोई देख लेता तो हम बदनाम हो जाते। मेरे दिल में आपके लिए बहुत प्यार और सम्मान की भावना है, परन्तु हमें ऐसा नहीं करना है। आप चिंता न करो सब ठीक हो जाएगा, मैं आपके साथ हूँ। आज से आपके सारे दुःख मेरे.. और मेरे सारे सुख आपके।
मैंने महसूस किया कि मैं उससे आंख नहीं मिला पा रहा था.. क्योंकि मेरे बरमूडा में से मेरे खड़े लंड से बना तम्बू उसे साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं तौलिया लेकर उसे छुपाने की कोशिश करने लगा।
उसने तौलिया छीनते हुए कहा- अरे मुन्ना तू है तो अब मुझे कोई चिंता नहीं है.. पर अब से तू मुझे अकेले में बुआ मत कहना.. क्योंकि आज से हम एक अच्छे दोस्त बन गए हैं।
हालांकि मेरा तना हुआ लंड फिर से उसके सामने था.. जिसे वो एकदम घूर कर देख रही थी।
मैंने थोड़ा संकोच करते हुए उसके कंधे पकड़ कर उसे अपने पलंग पर बिठाया और बाथरूम की तरफ जा ही रहा था कि उसने मुझे हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया, मेरे बालों को अपने हाथों से सहलाते हुए बोली- जिसका इतना प्यारा दोस्त हो उसे क्या चिंता? लेकिन तू मेरा साथ देगा न? फिर तू मुझे छोड़ तो नहीं देगा ना? तुझे पता है, ये मेरी ये जिंदगी बिल्कुल वीरान है।
मैं- हाँ बुआ मैं आपके लिए कुछ भी करूँगा.. आप कह कर देखना।
माया ने पूछा- विकी मैं तुझ पर कितना भरोसा कर सकती हूँ ये बता? मुझे तुमसे कुछ कहना भी है।
मैं- बेशक आप मुझ पर भरोसा करके देख लेना.. विकी भरोसे का दूसरा नाम है बुआ।
माया- बुआ के बच्चे.. मुझे माया बुला..
उसने मुझे फिर से खींचकर मेरे गालों को अपने दांतों के बीच दबाकर उसे काट लिया।
मैं- माया.. यह हम गलत कर रहे हैं.. तुम मुझे पर खूब भरोसा करो और कहो जो कहना है। हालांकि मैं जानबूझ कर उसे टटोल रहा था।
माया- न मुन्ना.. अब अपने बीच जो भी होगा.. वो सही होगा। तुमसे मैं एक बात कहूँ, तू आज से मेरा दोस्त और मेरे कलेजे का टुकड़ा होगा।
उसकी आवाज़ में कम्पन थी, उसकी आँखों में वासना साफ़ दिखाई दे रही थी.. पर मैं उसे तड़पाना चाहता था।
माया की चूत की आग ने मुझे भड़का दिया था और उसकी चुदाई किस तरह से परवान चढ़ती है.. वो मैं आपको अपनी इस कहानी में आगे लिखूंगा। [email protected] कहानी जारी है।
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