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मैं अन्तर्वासना साइट पर हिन्दी सेक्स कहानी पढ़ने अक्सर आता हूँ। कुछ बहुत ही अच्छी होती हैं, कुछ बहुत बुरी होती हैं। हाँ, अधिकतर बस ठीक-ठाक सी ही होती हैं।
दरअसल ‘काम’ के बारे में अपने देश में अधिकतर लोगों की सोच बहुत साफ़ नहीं है, बहुत सारे तो 50-60 की उम्र के दादा-दादी बनने के बाद भी यही सोच रखते हैं कि नर का मादा की योनि में लिंग-प्रवेश करवा के घर्षण कर वीर्यपात करवाना ही ‘काम’ है।
जवान शादीशुदा मर्दों की आबादी के आधे मर्द दिन भर अपने मोबाइल पर पोर्न क्लिप, ब्लू फ़िल्म देख-देख कर उत्तेजित हो कर शाम को घर घुसते हैं और घर में जहाँ बीवी अकेली मिले, गैरेज में, रसोई में, स्टोर में, बाथरूम में, सीढ़ियों में, और तो और तो और, घर के मंदिर में भी बीवी को घोड़ी बनाया, उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी योनि में लिंग डाला और धकाधक 4-6 धक्के मारे, अपना वीर्य स्खलित किया और चलते बने!
बीवी के तन और मन पर क्या गुज़री, बीवी को इसका आनन्द आया या नहीं आया, बीवी को अच्छा लगा या बुरा, बीवी का सेक्स करने का मन था कि नहीं, इससे मतलब नहीं। बस बीवी को सुलगा कर निकल गए और रात को सारे रसोई के काम निपटा कर बीवी शयनकक्ष में आई तो जनाब नींद के आगोश में गुम! बीवी का मन वितृष्णा से भर उठता है।
आप कभी भी किन्ही दो ब्याहता स्त्रियों की बातें चुपके से सुन लें, एक बात सब में यकसा (एक सी) होगी ‘हमारे पतिदेव तो सेक्स के लिए जैसे हर वक़्त तैयार ही रहते हैं।’ वो बेचारी नहीं जानती कि उसके पतिदेव उसके पास आते ही तब हैं जब उनको सेक्स की तलब लगी हो।
रही बात तन की जरुरत की तो तन की जरूरत तो स्त्रियोँ को भी तंग करती है पर नारी शरीर की शारीरिक संरचना ऐसी होती है कि स्त्री पुरुष का दैहिक शोषण नहीं कर सकती।
ऊपर से स्त्रियों को जन्म से ही संस्कार ऐसे दिए जाते हैं जिसके अनुसार सेक्स तो घोर पाप होता है, लज़्ज़ा स्त्रियों का गहना होता है, दिल की बात छुपा कर रखने की, त्याग करने की शिक्षा दी जाती है।
पर यह भी सच है भारतीय पुरुषों की तरह भारतीय स्त्रियां भी हस्तमैथुन करती हैं, समलिंगी गतिविधियों में लिप्त होती हैं। ये गलत सोच के नतीज़े हैं। और इसी के कारण अधिकतर स्त्रियाँ सेक्स से विमुख रहती हैं और मर्द इधर उधर मुंह मारते फिरते हैं।
सेक्स में उत्तेजना, आनन्द और संतुष्टि फ़ोरप्ले में बसते हैं, जैसे आलिंगन, हल्का चुम्बन, दीर्घ चुम्बन, त्वचा-घर्षण, अपने पार्टनर की उंगलियाँ, आँखें, गाल, गर्दन, होंठ चूमिये, चूसिये नितंबों पर हाथ फेरिये, नितंबों पर हलकी चुटकी काटिये, उरोजों पर, योनि पर, जाँघों के अन्दर वाली साइड पर कपड़ों के ऊपर से ही धीरे धीरे हाथ फेरिए, कपड़ों के ऊपर से ही उरोजों के निप्पलों पर हल्की चुटकी काटिए और बदले में स्त्री के ना-ना करते-करते भी उसका हाथ पजामे के ऊपर से ही अपने तने हुये लिंग पर हल्की जबरदस्ती करते हुए मज़बूती से रखवा दीजिये जो कि अगले ही पल स्त्री खुद ही जोर से पकड़ कर आगे पीछे करने लगेगी।
जैसे जैसे स्त्री के आनन्द और उत्तेजना में बढ़ोतरी होती जायेगी, आपके लिंग पर उसकी पकड़ उतनी ही मज़बूत होती जाएगी। जनाब! स्त्री समर्पण तो करती है, पर अदा से… उसको समय दें फिर देखिये चमत्कार!
धीरे धीरे एक के बाद एक वस्त्रों का त्याग करें, पहले एक वस्त्र अपना उतारें, फिर एक स्त्री का लेकिन धीरे धीरे। स्त्री के नग्न दोनों उरोज़ सहलायें, उन्हें चूमिये-चाटिये, प्यार से निप्पल चूसिये, कभी दायां, कभी बायां।
एक हाथ नीचे सरका कर स्त्री की योनि के स्पंदन महसूस कीजिये, अपनी पूरी हथेली से स्त्री की योनि ढक कर योनि की उष्मा का आनन्द लीजिये, बीच वाली बड़ी उंगली योनि की दरार पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फिराइये, योनि का भगनान्कुर सहलाइये, स्त्री को पेट के बल लिटा कर स्त्री की समूची पीठ पर चुम्बन लीजिये, नितंबों पर अपनी जीभ फेरिये, जाँघों की पिछली ओर जगह-जगह हल्के चुम्बन लीजिये।
स्त्री को भी इन पलों का आनन्द लेने दीजिये!
और हाँ! इन्ही प्यार के पलों में स्त्री से पूछिये कि वो क्या-क्या पसंद करती है, उसको कैसा लिंग-प्रवेश पसंद है, कहाँ कहाँ उसको चुम्बन लेना/देना पसंद है? हो सकता है कि पहली बार स्त्री ना बताये लेकिन जब आप बार बार प्यार से पूछेंगे तो वो बता देगी और बदले में खुद ही लिंग चूसने का प्रस्ताव रखेगी जो आपको मान लेना चाहिए या फिर बदले में आप स्त्री की योनि चाट-चूस सकते हैं।
जितना लंबा अर्सा मर्द बीवी को सुनियोजित तरीके से सेक्स के लिए उत्तेजित करेगा तो बीवी को इस क्रिया में उतना ही आनन्द महसूस होगा और वो उतना ही बिस्तर पर मर्द का गर्मजोशी से साथ देगी और सम्भोग इतना आनन्ददायक होगा कि मर्द को ज़हनी सूकून मिल जाएगा।
जब मर्द को बीवी से ही भरपूर संतुष्टि मिलेगी और मर्द को इधर-उधर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
आम तौर पर योनि में लिंग-प्रवेश के बाद स्वस्थ पुरुष का वीर्य-स्खलन 2 मिनट से ले कर 7-10 मिनट के भीतर हो जाता है लेकिन जानकार मानते हैं कि फोरप्ले, योनि के अंदर वीर्य-स्खलन तक लिंग-घर्षण के समय का पांच से आठ गुना होना चाहिये या कम से कम 20 मिनट का तो होना ही चाहिये।
मेरी बात एक बार मान के तो देखिये जनाब!
मेरी बातों में सच्चाई का यही सबूत है कि मेरी ऐसी उपदेशात्मक स्क्रिप्ट में भी आप मर्दों के लिंग तन गये हैं और स्त्रियों की योनियाँ भीग गई हैं।
मुझे फीडबैक दें। [email protected]
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