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भाभी को यार से चूत चुदाते देखा-1
अब तक आपने पढ़ा.. कि भाभी ने भैया के शहर से बाहर जाते ही अपने किसी चोदू को घर में बुला लिया था और उससे अपनी चूत चुदवा रही थीं।
अब आगे..
वो आदमी मैंने पहचान लिया था। उसने अभी-अभी हमारे घर के ठीक बगल वाले घर में हमारे पड़ोसी का मकान किराए पर लिया था। यह आदमी भाभी के कहने से यहाँ मकान लेकर रहने लगा था।
मुझे पूरी कहानी समझ में आने लगी। मैं समझ गई कि ये डायरी वाला अरुण ही है।
मैं एक दिन अरूण के घर उससे मिलने के लिए गई। वो घर पर नहीं था। उसका भाई था.. उसने कहा- भैया एक घंटे बाद आएंगे.. आप चाहें तो बैठिए।
वो मुझे सोफे पर बैठने की कह कर अपने कमरे में कंप्यूटर चलाने लगा। जहां मैं बैठी थी, मुझे उसके कमरे में कम्प्यूटर स्क्रीन दिखाई दे रही थी। वो लड़का एक एडल्ट साईट खोले हुए था। उस लड़के की उम्र लगभग मेरी उम्र के बराबर होगी।
मैं भी देखने लगी। मैंने देखा कि वो अपने पैन्ट में हाथ डाले हुए है और बार-बार लंड को मसलने में लगा है। वो अपने लौड़े को बहुत तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ कर दबा रहा था।
तभी उसका लंड पैन्ट से बाहर आ गया, उसने चैन खोल दी थी। अब वो मस्ती से अपने लौड़े को अपने हाथ में लेकर उसे घोंटने में लगा हुआ था।
मैं उसे ही देख रही थी.. कि मेरी चड्डी में पानी आने लगा।
मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं अन्दर कमरे में आ गई।
वो मुझे देख कर हड़बड़ा गया और एकदम से खड़ा हो गया। कंप्यूटर स्क्रीन पर पिक्चर अभी भी चल रही थी, उसने उसे झट से बंद करने के लिए हाथ बढ़ा दिया।
मैं उसको देखने लगी और उसका हाथ पकड़ लिया। मैंने कहा- तुम लंड को क्या कर रहे थे? मैंने सब देखा है.. ये सब मैं तुम्हारे भैया से कहूँगी।
मेरे मुँह से इतना सुनते ही वो सकपका गया और कुछ नहीं कह सका। मैंने देखा कि उसके लंड से कुछ पानी सा निकल रहा था। यदि वो लौड़े को थोड़ा और घोंटता तो वीर्य निकल गया होता।
मैं उसको देखते हुए मुस्कराने लगी। वो समझ गया कि मैं क्या चाहती हूँ।
उसने कांपते हाथों से मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी मूक सहमति को पाते ही मेरे होंठों को चूमने लगा।
फिर उसने मेरे हाथ में अपना लंड दे दिया और मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लौड़े को सहलवाने लगा।
अब मैं भी गर्म होने लगी, वो मेरे कपड़े उतारने लगा।
मैंने कहा- तेरे भैया आ गए तो? वो बोला- वो शाम के पहले नहीं आते हैं।
उसने मेरे कपड़े उतार डाले और मेरे दूध दबाने लगा। मैं भी उसके लंड को हिला-हिला कर मजा देने लगी, मैं लंड को आगे-पीछे करके उसको सेक्स का मजा देने लगी।
वो मुझे लंड को पीने के लिए कहने लगा। मैंने उसके सुपारे को चाटना शुरू कर दिया.. इतने में ही फिर से वो पूरा गर्म हो गया और मेरे मुँह में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
मुझे भी मजा आ रहा था.. मैं उसके लंड को पूरा मुँह में रख चूसने लगी और तभी एकाएक मुझे उसके लंड का पानी निकलने का आभास होने लगा। मैंने मजे से उसका रस पी लिया।
कुछ देर और मस्ती करने के बाद उसका लौड़ा फिर से कड़क हो गया।
अब तक हम दोनों नंगे हो चुके थे मैंने उसके लौड़े को फिर से चूसा और जब लौड़ा सख्त हो गया तो मैंने उसे मुँह से निकाल कर अपनी चूत में डलवा लिया।
मेरी चूत में लौड़ा जाते ही मैं इतना गर्म हो गई थी कि मैं उसके ऊपर होकर उसके लंड पर चूत का वार करने लगी।
कुछ ही पलों में मैं अपना रस उसके लंड पर गिराने लगी। वो मेरे से लिपट गया और अपने मुँह में मेरा मुँह लेकर मेरे होंठों को चूस चूस कर गुलाबी कर दिया।
मैंने भी चुदाई का भरपूर मजा ले लिया। अब मैं और वो दोनों शांत हो गए थे। मेरी वासना भी शांत हो गई थी।
एक दिन मैंने भाभी से कहा- आपका फोन आया था.. कोई अरूण नाम के आदमी का था.. वो आपको बुला रहा था।
वो अरुण का नाम सुनते ही खुश हो गईं। कुछ देर में तैयार होकर उन्होंने मुझसे कहा- मैं अपनी सहेली के यहाँ जा रही हूँ.. उससे मिलकर दो घन्टे में आ जाऊँगी।
ये कह कर वो चली गईं।
भाभी के जाते ही मैंने उस लड़के को अपने कमरे में बुलवा लिया। वो आते ही मुझसे लिपट गया। मैं उसके होंठों को चूमने लगी।
मैंने उसके पूरे कपड़े उतार डाले और उसने भी मुझे नंगी कर दिया।
हम दोनों के शरीरों पर कपड़े की एक धंजी भी नहीं थी।
मैं उसके अंगों को चूमने लगी और वो मेरी चूचियों को दबा-दबा कर मसलने लगा।
मैंने उसके लंड को जैसे ही मुँह में लिया.. वो एकदम से गरम हो गया।
मैंने उसके लंड को तब तक चूसा.. जब तक उसने पानी नहीं छोड़ने की स्थिति बना ली। उसके लंड का हाल बुरा हो गया था। मैंने देखा कि इसका वीर्य निकलने ही वाला है.. तो मैंने उसके लंड को चूसना छोड़ दिया।
फिर कुछ पलों के बाद मैंने लौड़े को अपनी चूत में ले लिया और जोर-जोर से चुदाई करवाने लगी।
उसने कहा- आज मैं तेरी चुदाई नहीं करूँगा.. तुम खुद मेरे लौड़े पर हिल-हिल कर मजा लो।
मैंने अब भाभी की तरह कुतिया बन कर पीछे होकर उसके लंड को अपनी चूत में ले लिया।
वो सिर्फ लौड़ा डाले हुए खड़ा होकर चुदाई का मजा लेने लगा.. क्योंकि मैं खुद उसके लंड पर पीछे-पीछे होकर वार करने लगी थी।
फिर मैंने उसे सोफे पर बैठा दिया और उसके लंड में चूत सोफा की किनारे को पकड़ कर चुदाई कर मजा लेने लगी।
कुछ ही देर में हम दोनों झड़ गए।
वो तैयार हो कर घर से निकल ही रहा था कि उसके जाने के कुछ देर बाद भाभी घर में आ गईं।
वे मुझे देख कर मुस्कुरा रही थीं।
शायद उन्होंने मुझे अरुण के भाई से चुदते हुए देख लिया था।
अन्दर ही अन्दर सब उजागर हो चुका था। बस अब इन्तजार था कि किस तरह से भाभी और मैं दोनों मिल कर चुदाई के इस खेल को खेलते।
मुझे उम्मीद है कि ये भी जल्द ही हो जाएगा। जैसे ही ये होगा मैं आपको अपने आगे के किस्से को जरूर लिखूंगी।
आप सभी को ये घटना कैसी लगी.. मुझे ईमेल कीजिएगा। [email protected]
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