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कहानी के पिछले दो भागों पुलिस वाली की चूत का चक्कर-1 पुलिस वाली की चूत का चक्कर-2 में आपने अब तक पढ़ा.. हम तीनों की अन्तर्वासना और रासलीला अपने पूरे यौवन पर थी। अब आगे..
लोग सही कहते हैं कि हर काम के लिए अनुभव जरूरी होता है.. जो मुझे इन दोनों में दिख रहा था। फ़िर कुछ देर बाद मैंने उन्हें इस पोजिशन से हटाया और खड़ा कर दिया। अब बारी-बारी से उन्हें किस करने लगा और किस करते-करते बिस्तर पर ले गया। मैं पीठ के बल लेट गया।
अब मैंने अन्नू को अपने मुँह पर उसकी चूत रख कर बैठने के लिए कहा और डॉली को मेरे खड़े लंड पर बैठने के लिए कहा।
अन्नू ने जल्दी से अपने घुटने मोड़ कर मेरे मुँह के ऊपर अपनी चूत सैट कर दी। साथ ही डॉली ने मेरे लंड को मुँह में लेकर ढेर सारा थूक लंड पर लगा दिया था और फ़िर उस पर बैठने की कोशिश करने लगी थी।
लंड थोड़ा मोटा होने की वजह से डॉली धीरे से उसे गदीली चूत पर सैट कर रही थी। जल्द ही उसने लंड को अपनी संकरी घाटी में उतार लिया। उसकी चूत मुझे कुछ बड़ी और फ़ैली हुई भी लग रही थी।
लौड़ा खाते ही उसने एक जोर की सिसकारी ली ‘अह्ह्ह्ह्ह्ह..’ और उसको लौड़े को घोड़ा समझ कर अपनी घुड़सवारी का लुत्फ़ लेने लगी। डॉली और अन्नू के हाथ मेरी छाती पर रखे हुए थे।
इधर मैं अपनी जुबान की नोक बना कर अन्नू की चूत में डाले जा रहा था। अन्नू की चूत में से भी नमकीन पानी बहना चालू हो गया था।
दोनों मेरे ऊपर सवार थीं.. दोनों के मुँह एक-दूसरे के सामने थे। अन्नू और डॉली अपनी चाल धीरे करके एक-दूसरे को किस करते हुए एक-दूसरे के बोबे चूसने में लगी हुई थीं।
थोड़ी देर बाद मैंने अन्नू को ऊपर से हटाया और आसन बदला अब मैंने अन्नू को घोड़ी बनाया और डॉली को अन्नू के मुँह के सामने अपनी टाँगें खोल के बैठा दिया।
अब अन्नू डॉली की चूत चाट रही थी और मैं अन्नू की चूत में निशाना लगाने की तैयारी कर रहा था, मैंने अपने औजार को सैट करके थोड़ी सी ताकत लगाई.. तो चूत के पानी और मेरे चाटने की वजह से लंड बड़ी आसानी से चूत में बिना किसी ज्यादा मेहनत के अन्दर चला गया।
अन्नू ने एक गहरी सांस ली और फ़िर ‘ऊउन्न्न.. ऊन्न्न्न्न्..’ करती हुई डॉली की चूत के दाने को जुबान से चाटने लगी।
मैं फ़िर लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। कुछ देर बाद जब अन्नू की कमर भी चलने लगी, तो मैंने भी उसकी चूतड़ को पकड़ कर अपनी स्पीड बढ़ा दी।
अब बिस्तर पूरा हिलने लगा था। मेरा मूसल लंड.. अन्नू की चूत में ‘धक्कम-पेल’ मचा रहा था। कभी-कभी मैं उसके चूतड़ों पर चमाट भी लगाता जा रहा था।
सच में मुझे इतना आनन्द मिल रहा था कि बता नहीं सकता।
उधर डॉली अन्नू के बाल को पकड़ कर उसका मुँह चूत में घुसाने का प्रयास कर रही थी। वह भी ‘उईईइ आह्ह्ह..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
मैं तो अब जोर-जोर से लंड को अन्नू की चूत में पेले जा रहा था।
तभी मुझे एक तरकीब सूझी, मैंने अपने एक हाथ के अंगूठे को थूक में भिगो कर अन्नू की गुदा के अन्दर डालने लगा।
थोड़ी जोर-आजमाईश के बाद मेरा काम सफ़ल हुआ। अब अन्नू की चूत और गुदा और मुँह तीनों काम पर लगे हुए थे।
अन्नू की चूत से भी अब लावा निकलने वाला था। मैंने उसके बोबों की घुंडियों को एक हाथ से मसलना चालू कर दिया और डॉली ने भी अन्नू का मुँह चूत से हटा कर अपने मुँह से लगा लिया और जोर-जोर से उसके मुँह में अपनी जुबान फ़िराने लगी।
इन सबसे अन्नू जल्दी ही अपनी पहली मंजिल पर पहुँच गई और एक तेज़ फ़व्वारा चूत से फूट पड़ा।
मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसकी चूत से निकल रहे रस से तरबतर कर लिया। सच में स्वर्ग की सैर कर रहा था।
फ़िर मैंने उठ कर उनके सामने लंड कर दिया.. तो दोनों भूखी शेरनियों की तरह लंड पर टूट पड़ीं और अपने मुँह में ले कर अन्दर-बाहर करने लगीं। दोनों लंड के लिए एक-दूसरे को गुस्से से देखने लगीं.. और एक-दूसरे में होड़ मचाने लगीं।
जब अन्नू के मुँह से डॉली लंड निकाल के छीन लेती, तो डॉली के मुँह से अन्नू लौड़ा खींचने लगती।
फ़िर मैंने ऐसे ही खड़ी हुई अवस्था में दोनों के बोबों के बीच थोड़ा-थोड़ा थूक लगाया और लंड को दोनों के बोबों के बीच में बारी-बारी से फंसा कर लंड रगड़ने लगा और उनके मुँह को आपस में मिलाने लगा। डॉली के बोबों की घाटी ज्यादा गहरी थी.. तो लंड उसमें फ़िट हो रहा था। लेकिन अन्नू भी कम नहीं थी वह भी बराबरी से बोबों को चिपका कर मेरे लंड को अपने बोबों में फंसाए जा रही थी।
दोनों चिल्ला-चिल्ला कर बड़बड़ा रही थीं- चोद जोर से मेरे राजा.. मेरे घोड़े..
मैंने कुछ देर और करने के बाद दोनों को ऊपर उठाया और हम तीनों एक-दूसरे से किस करने लगे। मैं उन दोनों के बोबों से भी खेलने लगा।
दोनों मुझसे कद में लम्बी थीं.. तो मेरा मुँह उनके बोबों तक आसानी से पहुँच रहा था।
उनके हाथ मेरे लंड पर थे और वे दोनों मेरे लंड को.. और नीचे लटक रही गोटियों को.. अपने-अपने हाथ से मसल रही थीं।
मेरे लंड में अब थोड़ा-थोड़ा दर्द होने लगा.. तो मैंने उन्हें हटाया और बिस्तर पर इस तरह से बैठाया कि दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट जाएं। दोनों के पेट आपस में चिपक गए थे और एक-दूसरे के बोबे और मुँह भी सामने थे।
अन्नू जो पीठ के बल लेटी थी.. उसकी टाँगें मैंने ऊपर हवा में उठा दी थी। फ़िर वह दोनों एक-दूसरे को किस करने लगीं और मैं उठ कर बिस्तर के नीचे उन दोनों की चूत के पास थोड़ा झुक कर बैठ गया।
मैंने दोनों की चूत में एक-एक हाथ की उंगली डाल दीं और उनकी चूतड़ पर किस करने लगा।
अब मैंने एक की चूत को मुँह में लिया और दूसरी की चूत में उंगली तेज़ी से आगे-पीछे करने लगा।
दोनों आगे से ‘ऊउह्ह.. ऊऊह्ह्ह..’ की आवाजें निकाल रही थीं। डॉली ऊपर थी और अन्नू नीचे थी।
फ़िर मैंने पाली बदली और अन्नू की चूत मुँह में ली और डॉली की चूत में उंगली की। कुछ मिनट मैं ये ही करता रहा।
फ़िर दोनों एक साथ अकड़ने लगीं.. तो मैंने अपने दोनों हाथ की दोनों उंगलियों को दोनों की चूत में घुसेड़ दीं और अन्दर-बाहर करने लगा। दोनों ‘आआआअ.. उईईईईइ.. ओह माय गॉड.. फ़क मी हार्ड..’ की आवाजों के साथ एक साथ झड़ गईं।
मैंने तुरन्त अपनी जुबान निकाल ली और दोनों के अमृत रस को पीने लगा। वो दोनों भी आगे एक-दूसरे को ‘ऊह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह..’ करते हुए किस कर रही थीं।
फ़िर मैं अपने पैरों को थोड़ा झुका कर लंड का निशाना बना कर डॉली की चूत पर सैट कर रहा था।
तभी डॉली ने कहा- एक और भी छेद बाकी है मेरे राजा.. वहाँ भी तो अपनी कुतुबमीनार की सलामी दे दे.. मेरी जान। मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं.. मेरी रानी.. अभी लो।
मैंने डॉली के छेद पर बहुत सारा थूक गिरा दिया, लंड को डॉली की गांड के छेद पर सैट करने लगा। गीला तो वह था ही.. लेकिन मैंने उस पर थोड़ा थूक और डाल दिया और थोड़ा मेरे लंड पर भी लगा लिया। फ़िर मैंने निशाना लगाया.. थोड़ा जोर लगाया तो सुपारा छेद के अन्दर उतर गया।
डॉली के मुँह से जोर की चीख निकली.. तो अन्नू ने अपना एक बोबा डॉली का सर पकड़ कर उसके मुँह में दे दिया।
उसकी ‘आआह्ह्ह..’ की आवाज़ अब उसके मुँह में ‘ऊऊऊ..’ में बदल गई। मैंने फ़िर थोड़ी ताकत और लगाई आधा लंड गांड के अन्दर चला गया।
अन्नू में मेरा हौसला बढ़ाया और बोली- अरे मेरे घोड़े थोड़ा जोर लगा। फ़िर मैंने एक जोर का धक्का लगाया.. और मेरा पूरा लंड डॉली की गांड में उतरता चला गया।
डॉली अन्नू का बोबा निकाल कर जोर से बोली- ओ.. भोसड़ी के घोड़े.. आह्ह.. मादरचोद जरा प्यार से कर.. फाड़ेगा क्या बहन के लौड़े।
वह थोड़ा गुस्से में बोल रही थी.. जो कि उसे अन्नू पर आ रहा था।
फ़िर मैं धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद डॉली सामान्य हो गई और मैंने भी अपनी चाल बढ़ा दी। उधर नीचे से अन्नू.. डॉली के निप्पलों को मुँह में ले रही थी। डॉली को अब मजे आ रहे थे।
मैंने उसी वक्त अपने एक हाथ की उंगली को अन्नू की चूत के अन्दर डाल दिया और उसके जी-स्पॉट को कुरेदने लगा।
अन्नू भी अपनी कमर उचकाने लगी थी और अपने हाथ से डॉली की चूत के दाने को सहला रही थी।
फ़िर कुछ देर बाद मैंने अन्नू की गांड पर निशाना लगाया और लंड को छेद के अन्दर पेलने लगा। उसकी गांड तो डॉली से भी ज्यादा गीली थी और अन्नू की चूत से निकलने वाला पानी भी गांड के छेद को और गीला कर रहा था।
मैंने उसी रस में अपने सुपारे को भिगाया और एक झटका लगाया, तो सुपारा अन्दर चला गया। अन्नू ने भी एक जोर की सिसकारी ली।
फ़िर मैंने कुछ सेकन्ड रुक कर फ़िर से एक धक्का लगाया.. तो अबकी बार आधे से ज्यादा लंड अन्दर चला गया। अब मैं तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा।
अन्नू की गांड कुछ ज्यादा खुली हुई थी तो इसमें मुझे ज्यादा देर नहीं लगी। मैं डॉली के चूतड़ पकड़ कर अन्नू की गांड में लंड पेल रहा था और डॉली की पीठ को चूम भी रहा था। यह काफ़ी रोमांचक नज़ारा था।
फ़िर थोड़ी-थोड़ी देर दोनों की गांड बजाने लगा.. अब कभी मेरा लंड डॉली की गांड में.. तो कभी अन्नू की मजा ले रहा था।
मुझे चूत से ज्यादा गांड मारने में मजा आ रहा था और उन दोनों को भी लज्जत मिल रही थी।
फ़िर आखिर में मेरा छूटने का टाईम भी आ गया.. तो मैंने डॉली से कहा- मैं जाने वाला हूँ। तो बोली- रुको.. हम दोनों के मुँह में करना।
मैं रुक गया और लंड को डॉली की गांड से निकाल कर खड़ा हो गया। फ़िर दोनों उठीं और मेरे लंड के पास अपना मुँह रख कर दोनों ने अपनी-अपनी जुबान बाहर निकाल ली.. मैं मुठ मारने लगा।
दोनों ने अपने-अपने मुँह आपस में चिपका लिए थे और फ़िर मेरे लंड से तेज़ पानी की धार निकल पड़ी। दोनों के मुँह और जुबान पर गिरी। कुछ तेज पिचकारियाँ बारी-बारी से दोनों के मुँह में मारीं।
दोनों ने अपने मुँह बन्द कर लिए और मेरे लंड से निकले हुए रस को गटक गईं। फ़िर एक दूसरी के चेहरे पर लगे हुए लंड के पानी को जुबान से चाट कर साफ़ कर दिया।
कुछ पल बाद मेरे नरम होते लंड को पकड़ कर बारी-बारी से अपने-अपने मुँह में लेकर उसकी एक-एक बूंद निचोड़ ली।
मैं निढाल होकर बिस्तर पर गिर गया, दोनों मेरे आस-पास आकर बैठ गईं.. और मेरे गाल.. होंठ.. मेरे निप्पल.. को चूसने लगीं।
तभी मैंने घड़ी में देखा तो मुझे एक घन्टे से ऊपर टाईम हो चुका था। मुझे तो ये पता भी नहीं चला कि इतना टाईम कैसे लग गया।
डॉली ने मुझे परेशान देख कर कहा- मैंने कहा था ना.. स्प्रे का काम पता चल जाएगा। तुम खुद ही देख लो कि तुमने इतनी लम्बी घुड़सवारी कैसे की।
दोनों खिलखिला कर हँसने लगीं.. तब मुझे पता चला कि वो स्टेमिना बढ़ाने के लिए था।
फ़िर हम तीनों उठे और बाथरूम में जा कर बड़े से टब में नहाने लगे। हमें फिर से जोश आने लगा.. फ़िर पूरे दिन में 2 बार और हम तीनों ने जम कर चुदाई की और फ़िर मुझे दोनों ने कुछ रुपए दिए। फ़िर अपना पूरा नाम और काम बताया। उन दोनों की पुलिस विभाग में नौकरी थी और दोनों उच्च पद पर आसीन थीं।
मैं यह जान कर थोड़ा डरने लग़ा.. तो उन्होंने कहा- डरो नहीं.. ऐसे ही हमें खुश करो.. बस बाकी हम देख लेंगे। जाते वक्त डॉली ने कहा- जब हम बुलाएं.. तो आ जाना.. ठीक है। मैंने ‘हाँ’ कहा।
फ़िर दोनों ने कसके मेरे होंठों की चुम्मी ली और मुझे गेट तक छोड़ने आईं। मैं दोनों को हाथ हिला कर ‘बाय’ कह कर पैसे लेकर घर आ गया। फ़िर उन दोनों ने अपनी सहेलियों से.. रिश्तेदारों से मेरी मौज कराई। वो सब आगे की कहानी में लिखूँगा।
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