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नमस्कार दोस्तो, मैं प्रेम नागपुर से एक बार फिर आपके सामने प्रस्तुत हूँ और आप सभी का शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने मेरी पिछली दोनों कहानी ट्रेन में लण्ड चूत का माल निकला और अनजान भाभी की चुदाई की हसीन दास्तान के पहले दो भागों को पसंद किया।
कुछ लोगों को मेरी कहानी औरों की कहानी की तरह ही लगी.. पर क्या करें हादसे ऐसे ही होते हैं।
मुझे कुछ ख़ास मेल भी आए जिसमें मुझे मेरे बारे में और मेरे लंड के बारे में पूछा गया.. जैसा मैंने पहले ही कहा था कि मैं एक साधारण युवक हूँ मैं कोई ‘बॉडी बिल्डर’ या कोई पहलवान आदि नहीं हूँ। मेरा लंड भी साधारण ही है।
अपने देश में लंड की लंबाई साधारणतया साढ़े पांच से छह इंच के करीब ही होती है सो वैसी ही मेरी है। वैसे मैंने कभी अपने लंड को नापा नहीं है।
चलिए आगे कुछ यूं हुआ कि एक दिन मैं एंटीवाइरस अपडेट करने के लिए भाभी के घर गया। मुझे इतना तो पता था कि भाभी के पति सुबह बड़ी जल्दी ही काम पर निकल जाते हैं। दूसरे उनका बेटा तो घर में था ही नहीं.. और मुझे आज भी भाभी को बहुत प्यार करना था..
मैं उनके घर पहुँचा और डोरबेल बजाई।
उन्होंने दरवाजा खोला.. वो आज भी गाउन पहने हुए थीं। मुझे देखकर उन्होंने प्यारी सी स्माइल की और मुझे अन्दर आने के लिए बोला।
मैं घर के अन्दर दाखिल हुआ और जैसे ही उन्होंने दरवाजा बंद किया, मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन और कानों पर किस करने लगा।
भाभी कसमसा गईं और बोलीं- सब यहीं कर लोगे क्या.. पहले अन्दर तो आओ थोड़ी सांस तो ले लो। मैं कहाँ भागी जा रही हूँ। तुम बैठो.. मैं तुम्हारे लिए चाय बनने रख कर आती हूँ।
पर यहाँ सब्र किसे था, मैंने कहा- चाय रहने दो आज मुँह तो मीठा आपके होंठों से ही करूँगा। मैंने उन्हें पलटा कर अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए।
मैंने उन्हें बताया- मैंने सारी रात आपके ख्यालों में ही बिता दी.. रात भर नहीं सोया और आपका ख्याल होगा भी क्यों नहीं.. मुझे तो जैसे भूखे इंसान को कवाब जैसा मिल गया। उन्होंने कहा- मैं भी तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
मैं कभी उनके होंठों को चूमता.. कभी उनकी गर्दन पर!
हम एक-दूसरे में समाते जा रहे थे।
मैं उनके मम्मों को दबाते हुए.. उनकी कमर पर और चूतड़ों पर हाथ घुमा रहा था। वो ज़ोर-ज़ोर से आहें भर रही थीं। उनके चूतड़ों पर हाथ घुमाते-घुमाते कभी उनकी गांड में भी उंगली कर देता.. तो वो चिहुंक जातीं और मुझे आँख दिखाते हुए मना कर देतीं।
हम दोनों के ऊपर काम-वासना हावी हो गई थी। हम एक-दूसरे को चूम रहे थे.. नोंच रहे थे। इतना अधिक कामवेग बढ़ गया था कि एक-दूसरे को खा जाना चाहते थे।
भाभी ने थोड़ा अपने आप पर काबू पाया और बोली- यूं ही खड़े-खड़े कब तक करोगे? हम कई मिनट से यूं ही लगे हुए थे।
वो बोलीं- चलो अन्दर बेडरूम में चलते हैं। हम बेडरूम में आ गए।
मैंने पहले उनके कपड़े उनके शरीर से अलग करके भाभी को नंगी किया, फिर अपने कपड़े उतार दिए।
अब मैं उनके निप्पलों को बारी-बारी चूस रहा था, उनके मम्मों को भी दबा रहा था। वो भी मेरे सर और सीने पर अपना हाथ घुमा रही थीं।
मेरे सीने पर थोड़े ज़्यादा बाल हैं.. जैसे पहले अक्षय और सुनील शेट्टी को होते थे। जब वो मेरे सीने पर हाथ घुमातीं.. तो मेरी वासना बढ़ जाती।
मैंने उनको पूरे बदन पर किस किया और उनके दोनों पैरों के बीच में बैठ कर भाभी की चूत को अपनी जीभ और उंगलियों से चोदने लगा।
भाभी बहुत सेक्सी आवाजें निकाल रही थीं.. और मेरे सर को अपने चूत पर दबा रही थीं। साथ ही नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल रही थीं।
वे बार-बार बोल रही थीं- खा जाओ मेरी चूत को..
भाभी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. जिससे जल्दी ही उनका योनिरस बाहर आ गया। भाभी शांत हो गई थीं।
अब मैं उठ कर बैठ गया और भाभी के आगे अपना लंड कर दिया, उन्हें पता था कि अब उनकी बारी है। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
इस बार भाभी बिना नानुकर किए मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं और मेरे लंड को मुठ मारने लगीं।
मैं तो जन्नत में था.. उतावलापन ज़्यादा था.. तो मैं भी जल्दी ही छूट गया और भाभी का मुँह अपने वीर्य से भर दिया। भाभी ने मेरा लंड मुँह से बाहर निकाला और पूरा वीर्य थूक दिया।
भाभी थोड़ी नाराज़ हुई बोलीं- आगे से ऐसा मत करना.. मुझे ये पसंद नहीं। मैंने ‘आगे से नहीं करूँगा’ बोल कर भाभी को मना लिया।
हम एक बार फोरप्ले करके खाली हो गए थे और थक गए थे।
भाभी उठकर अपना मुँह और चूत साफ करने बाथरूम चली गईं.. मेरा लंड भी थक कर आराम कर रहा था।
भाभी बाथरूम से वापस आकर बोलीं- मैं खाने के लिए कुछ लेकर आती हूँ।
मैंने ‘हाँ’ बोला और मैं मूतने चला गया।
मैं मूत कर वापस आया.. तब तक भाभी कुछ फ्रूट्स और नमकीन लेकर आ गई थीं और मुझे देखकर हँस रही थीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ? तो बोलीं- अपना लंड तो देखो.. कैसा नाराज़ हो कर बैठ गया है।
मैंने भी बोला- इसकी नाराज़गी तो पल भर की है। आपके छूते ही दूर हो जाएगी, भाभी बोलीं- ठीक है.. उसकी नाराज़गी भी दूर कर देंगे.. पहले कुछ खा पी लो।
हमने साथ में नाश्ता किया।
फिर भाभी चाय लेकर आईं.. हमने चाय पी। फिर मैं भाभी की गोदी में सर रख कर लेट गया।
रात की नींद नहीं होने की वजह से थकावट ज़्यादा थी.. पर एक्साइट्मेंट कम नहीं हुई थी।
मैंने अपना सिर भाभी के पेट की तरफ कर लिया.. तो मेरी नज़र भाभी के फूली हुई चूत पर गई। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने उनको मुँह से चोदना शुरू किया।
इस पूरे समय तक हम घर में नंगे ही घूम रहे थे। घर में हमारे अलावा था ही कौन.. जिससे कुछ छुपाना था।
वो गर्म होने लगीं और प्यार से मेरे सिर में हाथ घुमाने लगीं। मेरा लंड भी जोश में आ गया।
मैं अब उठ कर भाभी को चूमने लगा.. उन्हें और गर्म करने लगा। अपनी उंगली उनकी चूत में घुसाकर उन्हें हाथों से चोदने लगा।
अब भाभी तड़फ़ उठीं और ज़ोर-ज़ोर से आहें भरने लगीं। वे बोलने लगीं- प्रेम अब मत तड़पाओ.. चोद दो मुझे.. डाल दो अपना लंड मेरी चूत में..
मैंने रात को घर जाते वक़्त ही कंडोम खरीद कर रख लिए थे। एक कंडोम निकाल कर मैंने अपने लंड पर लगाया और लंड भाभी की चूत में घुसा दिया।
भाभी की चूत कल की चुदाई से वैसे ही खुल गई थी और एक बार उनकी चूत का पानी भी निकल गया था.. तो लंड को अन्दर जाने में ज़्यादा दिक्कत नहीं हुई। फिर भी चूत में जलन होने की वजह से भाभी की ‘आह..’ निकल गई।
अब मैं भाभी की ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था, वो भी मज़े से ‘आहें’ भर रही थीं और मुझे प्यार कर कर रही थीं। हम बार-बार स्खलित होते पर हमारी वासना कम ही नहीं हो रही थी।
उस दिन भी भाभी को मैंने अलग-अलग तरीके से चोदा और कल की तरह आज भी साथ में नहाए.. पर भाभी ने आज भी उनकी गान्ड नहीं मारने दी।
हम दोनों चुदाई के बाद फ्रेश हुए पर अभी मेरा और एक काम बाकी था। मुझे कंप्यूटर में एंटीवाइरस भी इनस्टॉल करना था.. सो मैंने पीसी शुरू किया और अपने काम में लग गया।
तब तक भाभी भी मेरे सामने ही तैयार हुईं, उन्होंने एक हॉट रेड कलर की साड़ी पहनी। वे मेरे लिए चाय बनाकर लाईं.. उन्होंने मुझे चाय दी और मेरे माथे पर चूम लिया। भाभी ने सारी चीजों के लिए मुझे ‘थैंक्स’ कहा।
फिर हमने साथ बैठ कर बातें की.. अपनी पर्सनल लाइफ एक-दूसरे से शेयर की। मैंने भाभी के लिए गिफ्ट खरीदा था.. वो उन्हें दिया।
मैं अगले एक महीने तक उन्हें इंटरनेट सिखाने के बहाने उनके घर जाता और इंटरनेट पर ब्लू-फिल्म दिखाकर अलग-अलग तरीके से चोदता।
कैसे मैंने उनकी गांड भी मारी.. वो कहानी फिर कभी सुनाऊँगा।
दोस्तो इस घटना के बाद मेरी नियत कुछ ज़्यादा ही बिगड़ गई। अब मैं जहाँ भी कंप्यूटर सुधारने जाता हूँ, मेरी नज़र ऐसे ही किसी हादसे की तलाश में रहती है।
तो साथियों आपको मेरी हक़ीकत कैसी लगी.. मुझे ज़रूर बताइए। मुझे मेल ज़रूर करें.. ताकि मैं अपनी दूसरी कहानियां भी आपके साथ शेयर कर सकूँ।
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