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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मैं हर्ष पंडित, रेलवे पुलिस में हूँ।
मैं स्मार्ट तो नहीं हूँ पर बुरा भी नहीं लगता हूँ। मेरा लंड बहुत लम्बा है।
रेलवे में नौकरी की वजह से मुझे ज्यादातर रेलगाड़ी में रहना पड़ता है।
सीधा कहानी पर आता हूँ।
मैं गोमती एक्सप्रेस में ड्यूटी पर जा रहा था और रक्षाबन्धन की वजह से भीड़ बहुत थी।
मुझे अपने साथियों के साथ दिल्ली से अलीगढ़ तक जाना था। गाजियाबाद से बहुत भीड़ चढ़ी और ट्रेन चल दी।
तभी ट्रेन ने झटका लिया और मैंने देखा कि मेरा हाथ किसी नाजुक और गर्म चीज से टकरा गया था।
मैंने देखा कि मेरे सामने एक मस्त औरत खड़ी थी और उसने मेरा हाथ खुद को गिरने से बचाने को पकड़ा था। उसके मस्त चूचे देखकर तो मेरे होश उड़ गए।
उसकी गांड पीछे को ऐसे निकली हुई थी कि सभी के होश उड़ा दे।
मैं उसके चूचों को बड़ी गौर से देख रहा था। तभी मैंने देखा कि वो मेरी तरफ देख रही थी। मैं सकपका गया..
मुझे देख उसने स्माइल दी तो मेरी हिम्मत बढ़ी, मैंने उसके हाथ को पकड़ लिया, उसने कुछ नहीं कहा और दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गई।
मैंने भीड़ का फायदा उठा कर उसके चूचों को पकड़ लिया। क्या मस्त चूचे थे.. मेरे तो होश उड़ गए।
वो एक साथ कसमसा गई और थोड़ा पीछे को खिसक आई और मेरा लंड उसकी गांड से टकराने लगा।
हम बात करने लगे.. वो गाज़ियाबाद में रहती थी, हाथरस जा रही थी। उसकी शादी को 8 साल हो गए थे.. पर कोई बच्चा नहीं हुआ था।
मैं बीच-बीच में उसके चूचों को पकड़ लेता और चूत को टच कर लेता था.. वो कसमसा कर रह जाती।
हम बात करते और मस्ती करते जा रहे थे। मैंने उससे नम्बर माँगा.. पर उसने मना कर दिया और कहा- आप दे जाओ।
मैंने अपना नम्बर दे दिया और उससे विदा लेकर अलीगढ़ उतर गया।
4 दिन निकल गए, उसका कोई फ़ोन नहीं आया था। मैंने सोच लिया था कि अब उसकी कॉल नहीं आएगी।
एक दिन अचानक सुबह एक मिसकॉल आई। मैं दिल्ली में था।
जब मैंने कॉल की तो उसी का कॉल था। वो ट्रेन से लौट कर आ रही थी और मुझसे मिलना चाहती थी।
मैं तुरंत गाज़ियाबाद पहुँच गया.. पर वो मुझसे पहले ही अपने घर को निकल गई थी। मैंने उसे कॉल किया.. तो उसने मुझे अपना पता दिया और अपने घर बुला लिया।
मैं तुरंत उसके घर पहुँचा। जब उसने गेट खोला.. तो मेरी आँख फटी की फटी रह गई। क्या मस्त लग रही थी, चूचे कपड़ा फाड़ कर निकलने को तैयार थे।
उसने कहा- जनाब क्या यहीं देखते रहोगे या अन्दर भी आओगे?
मैं अन्दर आ गया, उसने गेट बन्द कर दिया।
मैं तुरंत उससे लिपट गया, उसके चूचों को दबाने लगा.. वो ‘स्स्स्स्स्..’ की आवाज निकालने लगी, मेरे बालों को सहलाने लगी। मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसके चूचों को दबाने लगा.. पीने लगा।
कभी-कभी मेरा हाथ उसकी चिकनी और गुलाबी चूत पर ले जाता.. तो वो चिहुंक जाती।
मैंने एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी.. वो चिल्ला पड़ी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं धीरे-धीरे उसकी चूत की तरफ आने लगा और उसकी चूत चाटने लगा। वो तड़फ़ने लगी और ऐसा करने से मना करने लगी।
थोड़ी देर में ही वो अकड़ने लगी और झड़ गई।
फिर उसने मुझे हटाया और मेरी पैन्ट उतार दी। मेरा लंड मेरे कपड़ों को फाड़ने को तैयार था।
वो मेरा लंड निकाल कर मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मुझे मजा आने लगा।
हम 69 की पोजीशन में आ गए।
मैं उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड पीने लगी।
तभी मुझे लगा कि मेरा रस निकल जाएगा.. तो मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया।
अब उसने मुझे लिटा दिया और मेरे लंड पर बैठ गई और मुझे चोदने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और कमरे में ‘फच.. फच..’ की आवाज गूँजने लगी।
कुछ ही देर में वो दुबारा झड़ गई।
फिर मैंने उसे घोड़ी बना लिया और अपना लंड उसकी गांड में डालने लगा, जिसके लिए उसने साफ मना कर दिया।
मैं उसकी चूत को फिर से चोदने लगा और उसमें ही झड़ गया।
इस तरह हमें जब भी मौका मिलता.. हम दोनों खुल कर चुदाई करने लगे।
एक दिन उसका फ़ोन आया कि वो 15 दिन के लिए कहीं जा रही है।
वो चली गई.. फिर करीब 20 दिन बाद उसका फ़ोन आया.. उसने मुझे बुलाया।
मैं घर पहुँचा तो देखा वो बहुत खुश थी मैंने कारण पूछा, तो बोली- पहले मिठाई खाओ और प्यार करो.. तब बताऊँगी।
मैंने मिठाई खाई और लंड निकाल कर उसकी मुँह में घुसा दिया और उसके बाद जबरदस्त चुदाई की।
उसके बाद वो मुझसे लिपट गई और मेरे लंड से खेलने लगी।
मेरा लंड फिर खड़ा हो गया, तो वो कहने लगी- आज कुछ भी मांग लो.. मैं बहुत खुश हूँ।
मैंने बोला- मुझे तेरी गांड चाहिए। वो मान गई और बोली- धीरे-धीरे करना क्योंकि आज तक ये किया नहीं।
इतने में मैंने उसे घोड़ी बना लिया और लंड उसकी गांड के होल पर रख कर धक्का मार दिया। लंड का टोपा गांड में घुस गया.. वो चिल्लाने लगी।
मैं धीरे धीरे गांड की चुदाई करने लगा। वो सिसकारने लगी और गांड मरवाने लगी।
थोड़ी देर मेरे लंड ने अपना पानी उसकी गांड में छोड़ दिया।
फिर मैंने उससे उसकी ख़ुशी का कारण पूछा.. तो वो बोली- मैं माँ बनने वाली हूँ और ये सुखद अहसास मुझे तुमने दिया है। वो मुझसे लिपट गई।
मुझे भी बहुत खुशी हुई और उसे चूम लिया।
दोस्तो, यह मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी है.. अब हम चुदाई नहीं करते.. पर फ़ोन से बात होती है। आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर लिखें। आपके मेल के इन्तजार में हूँ। [email protected]
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