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सभी गदराई हुई लड़कियों, भाभियों और आंटियों की गीली चूत को मेरे खड़े लंड का प्यार भरा स्पर्श!
मैं साहिल एक बार फिर आपके समक्ष अपनी एक और कहानी लेकर एक बार फिर प्रस्तुत हूँ। अब तक आपने मेरी कई कहानियाँ पढ़ीं और उन्हें खूब सराहा भी, उसके लिए सहृदय धन्यवाद।
मैं आपको एक बार फिर अपने बारे में बता दूँ, मेरा नाम साहिल है, मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी मे काम करता हूँ, मेरा क़द 6 फ़ीट है और मेरा रंग गेंहुआ है, मेरा शारीरिक अनुपात एक खिलाड़ी जैसा है और मेरे लिंग की लंबाई 6.5 इंच और मोटाई 2.5 इंच है। कहने को तो ये सामान्य है मगर किसी को संतुष्ट करने के लिए प्रतिभा/अनुभव की ज़रूरत होती है न की लंबाई और मोटाई की।
जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो वाक़या करीब 10 महीने पुराना है और बिल्कुल इस कहानी के नाम जैसा भी! आशा करता हूँ कि यह कहानी भी आपको उतनी ही पसंद आएगी जितनी बाकी सारी कहानी मैंने लिखी हैं।
किसी ने सच ही कहा है कि अगर किसी चीज के लिए प्रयास करो तो वो एक ना एक दिन आपको मिल ही जाती है और भरपूर मिलती है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ, मैं जिस कंपनी में काम कर रहा था वहाँ कुछ समस्या आ जाने से मैंने अपना इस्तीफा दे दिया और मुझे फिर एक महीने का नोटिस पीरियड मिला जिसमें मुझे एक और महीने काम करना था और फिर मुझे नई कंपनी जॉइन करनी थी।
इस्तीफा देने के बाद एक दिन मैं ऑफिस में बैठा हुआ था कि तभी मेरे दिमाग में एक फितूर आया कि जाते जाते क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि मजा भी आ जाए और कुछ बुरा भी न हो।
अभी यही बैठा सोच रहा था कि क्या करूँ तभी मेरे पास पड़े लैंड्लाइन पर एक फोन आया। वो फोन मेरी सीनियर मैनेजर का था, उसका नाम अनुराधा था जो एक नंबर की खड़ूस औरत थी और पूरे स्टाफ को परेशान कर के रखा था। उसकी उम्र करीब 47 साल की थी लेकिन वो दिखने में 30 या 32 साल की ही लगती थी, गोरी थी इसलिये थोड़ी सुंदर लगती थी और उसका शरीर पूरा भरा हुआ था जिसको हम सभी गदराया माल कहते हैं। बहुत ज्यादा सुंदर नहीं थी लेकिन अटरैक्टिव लगती थी।
उसकी शादी हो चुकी थी लेकिन पता नहीं उसके जीवन में प्रेम का संचार क्यों नहीं था और वो हमेशा ही सड़ी सी क्यों रहती थी। जब मेरे पास उसका फोन आया तो उसने मुझे कुछ बात करने के लिए अपने कैबिन में बुलाया।
अभी मैं उसके कैबिन में जाने ही वाला था कि तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना इसे कुछ करके पटाया जाए, अगर यह पट गई तो इसकी चूत और गांड दोनों मिल सकते हैं, इसे चोदने में भी बड़ा मजा आएगा।
वैसे भी काफी दिन हो गए थे कोई चूत चोदे।
तो मैं लग गया प्लान बनाने में और मैंने पहला कदम बढ़ाया और कैबिन में जाने से पहले एक पेपर पर अपना पर्सनल नंबर और एक मैसज लिखा, जिसमें लिखा- अगर जीवन का मजा खुल कर लेना चाहते हो तो कॉल करो।
वो पेपर लेकर उसकी कैबिन की तरफ चल पड़ा।
जैसे ही उसकी कैबिन के पास गया तो देखा आज वो कुछ ज़्यादा ही गुस्से में दिख रही थी तो मैंने सोचा कि अगर मैंने यह पेपर उसको दे दिया तो कहीं कुछ गलत न हो जाए, फिर मैंने सोचा कि जब कंपनी छोड़नी ही है तो डर किस बात का।
फिर पर्मिशन लेकर उसके कैबिन में चला गया और उसके सामने बैठ कर बातें करने लगा, साथ ही साथ पेपर को भी हाथ में ही पकड़े हुए एक हाथ से दूसरे हाथ में करने लगा जिससे उसका ध्यान पेपर पर चला जाए।
वो मुझसे बातें कर रही थी कि मैं क्यों कंपनी छोड़ रहा हूँ।
मैं आपको बता दूँ कि मैं अपनी कंपनी का एक स्टार परफोरमर हूँ तो कंपनी का कोई भी बॉस मुझे कंपनी से जाने नहीं देना चाहता था और इस विषय पर मेरी सबसे बात हो चुकी थी बस मेरी सीनियर मैनेजर से बात होनी बाकी थी, जिसके लिए मुझे आज बुलाया गया था।
काफी देर बात करने के बाद मैंने उसे साफ मना कर दिया कि अब मैं आगे काम नहीं कर सकता और उठकर जैसे ही उसके कैबिन से निकालने लगा, वो पेपर जो मैं हाथ में रखा था उसे उसके टेबल पर ही छोड़ कर मैं अपने सीट पर चला गया और मन ही मन सोचने लगा कि अब ना जाने आगे क्या होगा!
खैर जो होना होगा वो होगा। मैं अपना काम करने लगा।
वो पूरा दिन बीत गया लेकिन मेरा उसका सामना नहीं हुआ और मैं अपने घर चला गया।
दूसरा दिन भी बीता फिर तीसरा दिन, चौथा, पाँचवाँ और ऐसे करते करते करीब 10 दिन बीत गए और इतने दिनो में मेरा उसका कई बार सामना भी हुआ लेकिन सब बिलकुल नॉर्मल था। मुझे लगा जैसे मेरा प्लान फ़ेल हो गया और अब नया प्लान सोचना पड़ेगा।
खैर वो दिन भी बीता और मैं घर जाने की तैयारी करने लगा था, तभी मेरे व्हाट्स ऐप पर एक अंजान नंबर से मैसेज आया ‘आप कौन हो?’ मैंने कहा- आपने मैसेज भेजा है, आप पहले बताओ?
तभी उसने कहा- आप ज़िंदगी का फुल मजा कैसे देते हो? मैंने कहा- जैसे आप चाहो।
फिर उसने कुछ नहीं कहा और ऑफ लाइन हो गई।
मुझे तो सब कुछ समझ आ गया था और मुझे विश्वास भी नहीं हो रहा था कि मेरा प्लान सफल हो गया। अब तो मेरे मन में उस खडूस को चोदने की इच्छा ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया।
रात भर मुझे नींद नहीं आई और मैं उसके मेसेज का इंतजार करता रहा। सुबह हो गई और मैं फिर तैयार होकर ऑफिस निकल गया।
3 दिन बीत गए लेकिन उस नंबर से मुझे कोई मेसेज या कॉल नहीं आया। मैंने भी मेसेज किया तो वो गया ही नहीं, फ़ेल हो गया। मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं, एक मछली फंसते फंसते बच गई।
फिर अपना काम खत्म करके मैं घर चला गया और खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगा। नींद नहीं आ रही थी तो मैंने एक सिगरेट जलाई और बालकनी में जाकर खड़ा हो गया और काफी देर तक वही खड़ा ठंडी हवा का आनंद लेता रहा।
काफी देर बाद जब मैं रूम में आया और अपना फोन देखा तो उसपर उसी अंजान नंबर से 7 मेसेज पड़े थे जिसमें लिखा था कि वो मुझसे बात करना चाहती है और उसने टाइम भी लिखा था कि वो कब कॉल करेगी।
जब उसने मेसेज भेजा था तब से उसने 2 घंटे बाद का टाइम लिखा था कॉल के लिए… तो मैंने सोचा अब सोने किसलिए जाऊँ क्योंकि अभी 1 घंटे में तो कॉल करेगी ही! तो उसके बाद ही सोता हूँ।
मैं फिर से बालकनी में चला गया, सिगरेट पीने लगा और एक दोस्त से बात करने लगा।
जब मुझे लगा कि अब एक घंड़ा होने वाला है तो मैंने उस दोस्त का फोन सोने का बहाना बनाकर रख दिया और अनुराधा के फोन का इंतजार करने लगा।
कुछ देर बाद ही मेरे फोन की घंटी बजी। यह वही नंबर था जिसका मैं इंतजार कर रहा था। मैंने फोन उठाया और कहा- हल्लो! अनुराधा- हैलो! मैं- जी कहिए?
अनुराधा- क्या बोलूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा? मैं- ये तो समझ आ रहा है कि आप किससे बात कर रही हैं? अनुराधा- हाँ मैं जानती हूँ किससे बात कर रही हूँ पर जो बातें करनी हैं वो कैसे करूँ ये समझ नहीं आ रहा।
मैं- मैं समझ सकता हूँ लेकिन जो बोलना चाहते हो, वो तो बोलना ही पड़ेगा। अनुराधा- बात यह है कि मैं अपने नीरस जीवन में कुछ रंग भरना चाहती हूँ लेकिन कैसे मुझे समझ नहीं आ रहा।
मैं- सीधे बोलो मजे लेना चाहती हो। अनुराधा- नहीं ऐसा नहीं है मैं बस अपने अकेलेपन और उदासी को अपनी ज़िंदगी से हटाकर थोड़ा खुश होना चाहती हूँ। मुझे नहीं पता ये सही है या गलत मगर जब तुम मेरे कैबिन में आए और तुम ये कागज छोड़ कर गए तो मैंने समझा कि कहीं ये तुमने मेरे लिए तो नहीं छोड़ा है? या कहीं गलती से तुमसे गिर गया है जो तुमने किसी और के लिए लिखा था। लेकिन जो भी हो मैंने सोचा अगर मुझे एक मौका मिल रहा है खुश होने का तो चाहे ये जिसके लिए भी हो, मैं इस मौके को जाने नहीं दूँगी। फिर मैंने तुम्हें मेसेज किया और ठान लिया कि अब तो अपने अकेलेपन को दूर कर के रहूँगी। मैंने सोचा कि अब तो तुम कंपनी छोड़ कर जा ही रहे हो तो मुझे कोई प्रोब्लम भी नहीं हो सकती और मैं जितना चाहूँ तुम्हारे साथ समय बिता सकती हूँ और किसी को कोई शक भी नहीं होगा और ना ही कोई मुझे परेशान करेगा।
मैं शांत उसको सुन रहा था मुझे उससे कुछ ऐसी उम्मीद नहीं थी लेकिन वो बोलती जा रही थी तो मैं सुनने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकता था लेकिन उसकी बातों में भी मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं था पर सुनना पड़ रहा था। मैं तो बस उसे चोदने के फिराक में था। तभी वो कुछ देर के लिए शांत हुई और मुझसे पूछा- क्या हुआ? कहाँ गायब हो गए? हो भी या कहीं गए? मैं- बस तुम्हें ही सुन रहा हूँ।
वो फिर से शुरू हो गई और फिर मेरे मन ने कहा हे भगवान अब यह कब शांत होगी। तभी दो तीन लाइन बोलने के बाद वो सीधे पॉइंट पर आ गई और कहा- साहिल मुझे लग रहा है मैं तुम्हें बोर कर रही हूँ। कोई नहीं, मैं अब सीधे मुद्दे पर आती हूँ… साहिल मैं तुमसे अकेले में मिलना चाहती हूँ और समय बिताना चाहती हूँ, ढेर सारी बातें करना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ।
मैं- सीधे क्यों नहीं कहती कि चुदना चाहती हो। अनुराधा- छी: साहिल, तुम कितने गंदे हो। मैं बस अपना अकेलापन दूर करना चाहती हूँ और कुछ नहीं।
मैं- देखो, अब सच बोल दो क्योंकि जो पेपर में मैने लिखा था उसका मतलब यही था कि अगर चुदना चाहती हो तो कांटैक्ट करो। और तुमने भी मुझे उसी लिए कॉल किया है। क्यों मैं सही कह रहा हूँ ना?
अनुराधा- हाँ, तुम बिलकुल सही कह रहे हो लेकिन हर चीज की एक मर्यादा होती है जो बिना कहे जी जाती है। तो हर बात को कहना ज़रूरी नहीं होता। हाँ, मैं उसी के लिए तुमसे मिलना चाहती हूँ क्योंकि मेरी शादी को 21 साल हो गए लेकिन मुझे करीब 12 सालों से कोई मर्द का स्पर्श भी नहीं मिला है और ना ही किया है। लेकिन ना जाने इस बार क्या हुआ की मन नहीं माना और मैंने तुम्हें कॉल कर दिया।
मैं- तुम जो कह रही हो, मैं समझ रहा हूँ लेकिन सेक्स में जितना खुल के जियो उतना ही ज़्यादा मजा आता है।
अनुराधा- मैं जानती हूँ लेकिन अभी यह मर्यादा कायम रहने दो और एक बार मिलो तुम जैसा चाहते हो मैं उससे भी बढ़ कर मिलूँगी और तुम जैसे कहोगे उससे भी अच्छे तरीके से तुम्हारे साथ सब कुछ करूंगी। और अब एक बात पक्की समझो की करूंगी मैं सबकुछ और सिर्फ तुम्हारे ही साथ।
मैं- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, पर कब मिलना है और कैसे यह तो बताओ।
अनुराधा- थोड़ा सा इंतज़ार कर लो, फिर मैं जितने दिन तुम चाहोगे मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी बन कर रहूँगी और जैसे भी रखोगे मैं स्वीकार करूंगी। और जैसे ही सब फिक्स हो जाएगा मैं तुम्हें सब बता दूँगी। लेकिन तब तक हमारी कोई भी बात नहीं होगी समझे।
मैं- ठीक है तुम जैसा बोलो। फिर हमने गुड नाइट बोल कर फोन रख दिया, मैं सोने चला गया क्योंकि मुझे सवेरे ऑफिस भी जाना था।
मैं सवेरे उठा और तैयार होकर ऑफिस की तरफ निकल गया और फिर अपने टेबल पर जाकर अपना काम करने लगा।
काम करते समय का पता ही नहीं चला कि कब दोपहर हो गई और मेरे सारे साथी खाना खाने चले गए और मैं अपने डेस्क पर बैठा काम कर रहा था कि तभी मुझे एक बहुत ही प्यारी सी सेंट की खुशबू जैसे ही मेरे नाक में गई, मैं उसी में खो गया और आँखें बंद कर के उसे महसूस करने लगा।
लेकिन तभी एक आवाज़ ने मुझे झकझोर दिया और मैंने पलट कर देखा तो अनुराधा खड़ी थी। मैं- क्या हुआ मैडम?
और मैं उसे एक तक ही देखता रह गया क्या लग रही थी वो आज शायद आज पहली बार वो ऑफिस में इस तरह से आई थी कि सभी उसी को देख रहे थे।
अनुराधा- कुछ नहीं, तुम लंच नहीं कर रहे?
मैं- काम खत्म कर के जा रहा हूँ वैसे आप आज कुछ ज़्यादा ही खूबसूरत लग रहीं हैं।
अनुराधा- तुम्हारे ही लिए ज़िंदगी में रंग भरने की कोशिश कर रही हूँ। बड़े ही शरारती अंदाज़ में उसने कहा और मुस्कुरा कर चली गई।
उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि अब तो वो मेरा क़त्ल ही कर देगी और मुझसे कहीं ज़्यादा उसे मुझसे चुदने की बेकरारी है। खैर मैं अब दिन गिनने लगा कि कब वो दिन आए और मैं उसका भोग लगाऊँ।
ऐसे ही करते करते 10 दिन बीत गए उसका न कोई मेसेज आया और ना ही कोई कॉल… वो अब ऑफिस भी नहीं आ रही थी, मैंने पता किया तो पता चला कि वो छुट्टी पर गई है।
फिर ऐसे ही करते करते 25 दिन बीत गए और 25वें दिन रात करीब दो बजे उसका फोन आया- क्या कर रहे हो? मैंने कहा- इतनी रात में मैं क्या करूंगा, सो रहा हूँ। और तुम क्या कर रही हो? अनुराधा- अपनी सूनी ज़िंदगी में रंग भरने जा रही हूँ।
मैं- मैं कुछ समझा नहीं। अनुराधा- अरे पागल, हमारे मिलन का दिन आ गया। मैं रास्ते में हूँ और तुम्हें लेने आ रही हूँ। तैयार हो जाओ और अपना बैग भी पैक कर लो… अब से जब तक तुम्हारा दिल चाहे तुम मेरे पास ही रहोगे। कल वैसे भी तुम्हारा ऑफिस में अंतिम दिन है और मैंने ऑफिस से एक महीने की छुट्टी ले रखी है तो अब दिन भी हमारा और रात भी हमारी। मैं 20 मिनट में तुम्हारे पास आ रही हूँ।
मैं- मगर तुम्हें मेरा पता मालूम है क्या? अनुराधा- हाँ ऑफिस रेकॉर्ड से निकाला था। अब ज़्यादा बात मत करो और तैयार हो कर बाहर आ जाओ। मैं- ठीक है।
फिर मैंने फोन रख दिया और चाय चढ़ा कर नहाने चला गया और फिर एकदम हैंडसम बनकर तैयार हुआ और अपनी चाय पी। फिर उसके बाद अपना बैग पैक किया और अपनी ज़रूरत की चीजें उसमें रख ली और बालकनी में खड़ा होकर सिगरेट पीने लगा।
तभी उसका फोन आया कि मैं बाहर आ गई हूँ बाहर आ जाओ। फिर मैंने अपना रूम अच्छे से लॉक किया और सड़क की तरफ चल निकला।
रोड पर जा कर देखा तो ब्लैक कलर की एक मर्सीडीज़ एक साइड में खड़ी थी। तो फोन पर उसने बताया कि यही कार है, इसमें आ जाओ।
मैं गया और उसमें बैठ गया।
क्या क़यामत लग रही थी वो… खुले बाल, आँखों में काजल, सुर्ख लाल रंग की साड़ी, होठों पर लाल लिपस्टिक, दोनों हाथों में कोहनी तक मेहँदी, दोनों हाथों में भरी भरी चूड़ियाँ, एक गहरे खुशबू वाला सेंट और माथे पर एक प्यारी सी बिंदी।
मैंने कहा- क्या बात है, बड़ी सज धज कर आई हो? तो उसने कहा- हाँ, आज मेरी दूसरी सुहागरात जो होने वाली है इसलिए!
उसने गाड़ी स्टार्ट की और हम उसके घर के तरफ चल दिये। कुछ ही देर में उसके घर पहुँच गए। उसने गाड़ी पार्क की और मेरे हाथों में अपना हाथ डाल कर और मेरे कंधे पर अपना सर रख कर मुझे अपने घर के अंदर ले गई।
घर में घुसते ही उसने कहा- यहाँ बैठो, मैं अभी आती हूँ। और कह कर जैसे ही वो आगे बढ़ी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने ओर ज़ोर से खींचा, वो सीधे मेरे सीने से टकराई। मैंने उसका चेहरा ऊपर की ओर किया तो उसने शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली।
मैंने भी समय न बर्बाद करते हुए मैंने अपने होंठ उसके जलते होठों पर रख दिये।
अभी मैंने इतना ही किया था कि उसकी साँसें तेज़ होने लगी और उसका शरीर काँपने लगा। उसने मुझे पीछे धक्का दे दिया और कहा- अभी रुक जाओ, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ।
मैंने कहा- जब मेरे लिए पहने हैं तो मुझे ही उतारने दो ना! उसने कुछ नहीं कहा और वहीं ठहर गई।
मैंने भी समय न बर्बाद करते हुए उसे अपने गोद में जैसे ही उठाया तो उसने हाथों से इशारा किया- बेडरूम उधर है।
फिर उसके बताए दिशा में मैं चल दिया और उसके बेडरूम में दाखिल हो गया। उसने आज तो पूरा प्लान पहले से ही बना रखा था क्योंकि कमरा पहले से ही सजा हुआ था।
मैं उसको गोद में उठाए उस रूम के अंदर गया और बड़े ही प्यार से उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके बगल में बैठ गया। वो तो ऐसे शर्मा रही थी जैसे अभी अभी उसकी नई नई शादी हुई हो।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ? उसने कहा कि पहले कभी ऐसा नहीं किया तो अजीब सा लग रहा है… इतने साल बाद मुझे किसी मर्द ने छुआ है तो अच्छा भी लग रहा है।
फिर मैंने उसे उठा कर बैठाया और उसके होठों के पास जाकर धीरे से उससे पूछा- इजाज़त है? तो उसने हाँ में सर हिला दिया।
उसकी सहमति पाकर मैंने अपने होंठ उसके लबों पर रख दिए और एक प्यार भरे चुम्बन शुरुआत की। वो भी मेरा साथ दे रही थी और धीरे धीरे खुलती भी जा रही थी।
हमारा पहला चुम्बन काफी लंबा और गहरा होता चला जा रहा था। अब तो न उसे कुछ होश था और ना ही मुझे।
काफी देर के बाद हम एक दूसरे से अलग हुये और एक दूसरे के आगोश में समाने को बेचैन हो गए।
अब देरी किस बात की थी, अब तो पेट्रोल भी था और माचिस भी… बस आग लगने में देरी थी।
मैंने भी देरी ना करते हुए पहले उसके झुमके उतरे और उसके कानों को चूम लिया, फिर उसका हार उतारा, गले को चूम लिया, फिर उसकी चूड़ियाँ उतरी और उसके हाथों को चूम लिया।
अब मैं ऐसे ही जो सामान उसके शरीर के जिस भी हिस्से से अलग करता, उसे चूम लेता और वो मेरे हर चुम्बन पर सीत्कार उठती। ऐसा करते करते मैंने उसके शरीर से पूरे कपड़े उतार दिये, बस एक मात्र ब्रा और पैंटी उसके शरीर पर बची हुई थी। अब उसकी बारी थी, जैसा जैसा मैंने किया था वो भी बिल्कुल वैसा ही कर रही थी या उससे कहीं ज़्यादा ही।
लगता था जैसे वो जन्मों की प्यासी हो और आज मुझे खा ही जाएगी।
उसने भी एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिये, बस एक अंडरवियर मेरे शरीर पर बचा हुआ था। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब शुरू हुआ असली खेल! मैंने पलट कर उसको फिर से बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर छा गया और उसके दोनों चूचो को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिया और टूट पड़ा उन पर!
काफी देर तक चूसने और निचोड़ने के बाद अभी भी मैं उसकी चूचियों का मर्दन कर रहा था तो उसने कहा- साहिल, इन्हें और तेज़ दबाओ और निचोड़ लो इसका सारा रस!
मैं एक पल के लिए उन्हें छोड़ कर ठहर गया और उसकी तरफ देखने लगा। उसने पूछा- क्या हुआ? मैंने कहा- कुछ नहीं, बस एक बात पूछूँ? तो उसने हाँ में सर हिला दिया।
मैंने कहा- तुम्हें गालियाँ पसंद है या नहीं? उसने कहा- वैसे आज तक इसके बारे में सुना है लेकिन कभी ऐसा किया नहीं! लेकिन अगर तुम ऐसा करना चाहते हो तो करो, मुझे भी एक बार इसका अनुभव लेना है कि सेक्स करते समय लोग गालियां क्यों देते हैं और इसका अनुभव कैसा होता है।
मैंने कहा- ठीक है लेकिन इसमें तुम्हें भी गालियां देनी होंगी, तभी मज़ा आएगा। उसने कहा- ठीक है, कोशिश करूंगी।
हम दोनों आपस में जुड़ गए, उसकी चूचियों को थोड़ी देर रगड़ने के बाद मैंने उसके हर अंग को चूमना, चूसना और रगड़ना शुरू किया। मेरी हर हरकत पर और वो और भी ज़्यादा चुदासी होती जा रही थी और पूरा कमरा उसकी मद्धम चीत्कारों से गूंज रहा था।
मेरा नशा भी बढ़ता जा रहा था, मैंने कहा- साली 47 साल की हो गई है तू लेकिन नशा तेरे में पूरा 16 साल वाला ही है। बहनचोद इस उम्र में तेरे अंदर इतनी आग है तो जब तू जवान होगी तब तो तू पूरी की पूरी मादरजात काम देवी लगती होगी?
मैं ऐसे ही बोलता जा रहा था और वो नशे में बस ‘हाँ, हूँ…’ करे जा रही थी। मैंने कहा- बोलती क्यों नहीं कुतिया?
उसके बाद जो उसका रूप दिखा, उसे देख कर मैं दंग रह गया। वो कह रही थी उसने कभी गालिया नहीं दी हैं लेकिन अभी उसे कोई सुन लेता तो कहता कि उसने गालियों में पीएचडी की है।
उसने कहा- हरामी साले, तू मुझे केवल बातों से ही चोदेगा या मेरे चूत में अपना लौड़ा भी पेलेगा साले?
‘ज़रूर चोदूँगा मेरी रंडी, तू तो कहती थी गालियां नहीं आती? फिर ये क्या है? तू तो पक्की रांड लग रही है।’
उसने कहा- मैंने सही कहा था, मुझे गालियां नहीं आती लेकिन कुछ साल पहले अपनी सहेलियों से इसके बारे में सुना था और एक दो बार मैंने ऐसी कहानियाँ भी पढ़ी थी जिनमे गालियों वाली भाषा थी।
मैंने कहा- कोई नहीं, अब तू मेरे साथ है अब तुझे मैं गालियों का मास्टर बना दूँगा। उसने कहा- नहीं साहिल, मुझे गालियां नहीं सीखनी… बस अपने जीवन को रंगों से भरना है… वो भी एक साफ और सुथरे तरीके से कि भविष्य में कभी मैं ये सोचूँ तो मुझे आत्मग्लानि ना हो।
मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी… हम आज भी प्यार करेंगे और एक दूसरे को चोदेंगे भी तो प्यार से, जिसमे कोई भद्दापन ना हो।
उसने कुछ मिनट एकटक मेरी तरफ देखा और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। फिर हमारे जिस्म आपस में लिपट गए और मैंने फिर उसे धीरे धीरे प्यार करना शुरू किया।
माथे से लेकर एड़ी तक मैं बस उसके शरीर को चूम और चाट रहा था और वो बस सिसकारियाँ ले रही थी। फिर मैंने अपना जीभ उसके चूत के दाने पर रखा और चूसने लगा, अब उसकी साँसें बढ़ने लगी और उसका शरीर कांपने लगा।
उसकी ‘उन्नहह आहह’ अब तेजी से निकल रही थी और मैं भी उसकी बुर खूब तेजी से चूस और चाट रहा था कि अचानक उसने मेरे बाल खींचने शुरू कर दिये, लग रहा था अब उसका गिरने वाला है।
और फिर कुछ ही सेकेंड में उसके पानी ने मेरा पूरा मुंह गीला कर दिया। हैरत की बात थी कि उसके बुर से जितना पानी निकलना चाहिए था उससे कहीं ज़्यादा पानी निकला।
अब वो पस्त हो चुकी थी लेकिन उसकी आग अभी भी उतनी ही थी।
वो उठी और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी और अपने सर को मेरे सीने से टिका कर मेरे सीने पर किस करने लगी। मैंने कहा- इसे मुंह में लो! तो उसने मना कर दिया।
हम फिर से एक दूसरे को किस करने लगे और कुछ ही समय में वो फिर से तैयार हो गई। और इस बार मैंने उसे बिल्कुल सीधा बेड पर लिटाया और उसकी चूत को चाटने लगा जिससे वो और भी गर्म हो गई।
मेरे लंड का पहले से ही बुरा हाल था तो मैं उठा और उसके ऊपर जाकर लेटकर अपने लंड को उसके बुर पर टिका कर रगड़ने लगा और उसको और बेचैन करने लगा।
कुछ ही देर में उसकी चुदास बढ़ गई और उसने अपनी गांड उचकाना शुरू कर दिया। अब मैंने भी बिना समय गवाएँ एक ज़ोर का धक्का मारा और अपना पूरा लंड उसके बुर के जड़ तक पेल दिया।
वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई। मैंने कहा- क्या हुआ? उसने कहा- कुछ नहीं, बस कई साल बाद अपने चूत में कोई लंड लिया है ना इसलिए… खैर तुम मेरी चिंता मत करो और जैसे चाहते हो चोदो मुझे।
मैंने अपने धक्के बढ़ाने शुरू किए और हचक के उसे चोदने लगा। अभी उसे चोदते हुए कुछ ही समय हुआ था कि वो फिर से एक बार झड़ गई। पर फिर भी अभी चोदते हुए लगभग 10 मिनट हो गए थे लेकिन हम एक दूसरे को महसूस कर रहे थे और बोल कुछ भी नहीं रहे थे।
करीब 20 से 25 झटके के बाद मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ? उसने कहा- मेरे अंदर ही निकाल दो, लंबे समय से मेरी चूत में कोई वीर्य नहीं गया है।
मैंने बिल्कुल वैसा ही किया और अपनी धार उसकी बुर में छोड़ दी। जैसे ही मेरा वीर्य उसके अंदर गया वो एक और बार झड़ गई और हम निढाल हो कर एक दूसरे के साथ गिर गए।
कुछ देर बाद एक बार और हम एक दूसरे से गूँथ गए और एक दूसरे को चोदने लगे। हमारे बीच यही पूरी रात चलता रहा, न उसने मुझे सोने दिया और ना ही मैंने उसे। और ऐसा काफी दिनों तक चलता रहा और हम खूब एंजॉय करते रहे।
अब वो भी हमेशा खुश रहती थी और हमेशा कहती थी कि तुमने सच में मेरी ज़िंदगी में रंग भर दिया। मैं तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूल सकती।
और ऑफिस के दोस्तों से भी मेरी बात होती तो वो बताते कि अब उसका स्वभाव एकदम चेंज हो गया है और अब सबसे प्यार से बात करती है। मैंने कहा- चलो कुछ तो अच्छा हुआ मेरे कारण।
मैंने कई दिन बाद अपना बैग उठाया और अपने रूम जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- मुझे जीना सिखा कर अब तुम मुझे छोड़ कर जा रहे हो? मैंने कहा- अरे नहीं, इतने दिनों से मैं अपने रूम पर नहीं गया हूँ, एक बार वहाँ भी जाकर देख लूँ, सब ठीक तो है। फिर मैं एक या दो दिन में चला आऊँगा।
उसने मुझसे प्रोमिस लिया वापस आने का, मेरे गले लगी, एक प्यारा सा स्मूच किया और कहा- जल्दी आना। और मैं अपने रूम पर आ गया।
अब मुझे भी उसके बिना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैं सब कुछ सही करके दूसरे दिन उसके पास चला गया। वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
हम कुछ और दिन एक साथ रहे और फिर एक दिन उसको किसी काम से बाहर कहीं जाना पड़ा तो उसने कहा- तुम यहीं मेरे घर पे रहो, मैं एक हफ्ते में वापस आ जाऊँगी। तो मैंने उसको मना कर दिया और आपने रूम पर आ गया।
कुछ दिन बाद उसका मेसेज आया कि वो 2 साल के लिए विदेश जा रही है कंपनी की तरफ से और मुझे भी साथ चलने को कहा तो मैंने मना कर दिया और उसके बाद हम फिर कभी नहीं मिले।
तो दोस्तो, यह थी मेरी एक और कहानी जिसने मुझे सिखा दिया कि अगर प्रयास सही हो तो कुछ भी पाया जा सकता है। आप सभी पाठकों से निवेदन है कि आपको मेरी लेखिनी पसंद आई या नहीं, मुझे लिखना ना भूलें, और साथ ही भाभियों और आंटियों से अनुरोध है कि अपने विचार मुझे ईमेल ज़रूर करें और अगर मुझसे कुछ बातें करना चाहती है तो मुझे लिखना न भूलें।
मुझे आपके पत्रों का इंतजार रहेगा। इसी के साथ आप सभी का सहृदय धन्यवाद। [email protected]
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