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मेरी कामुकता स्टोरी में पढ़ें कि मैंने अपनी बेटी के बॉयफ्रेंड का लंड देखा तो मैं उससे चुदाई के लिए मचलने लगी. मैं अपने सेक्सी जिस्म को उसके सामने पेश करने लगी.
हैलो मेरी जान से प्यारे मेरे दोस्तो, मैं आपकी प्यारी सबीना, एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी में स्वागत करती हूँ. मेरी कामुकता स्टोरी के पिछले भाग मेरी बेटी ने अपने यार का लंड चूसा में अब तक आपने पढ़ा था कि शहजाद मेरी बेटी को अपना लंड चुसवा कर मेरे पास किचन में पानी लेने आया. जिस पर मैंने उसे अपनी गदरायी हुई चूचियों की झलक दिखाते हुए उसे अपनी वासना के जाल में फंसाने का जतन किया.
अब आगे मेरी कामुकता स्टोरी:
इस कहानी को सुनकर मजा लें.
वो मेरे मम्मों को देखते हुए दूसरी तरफ गया और ग्लास उठा कर नल से पानी लेने लगा. लेकिन वो बार बार पीछे मुड़ कर मेरे स्तनों को देख रहा था.
एक बार मैंने भी अपनी निगाह उठा कर उसकी आंखों में देख लिया तो उसने जल्दी से पानी निकाला और पीने लगा.
मैंने जब अपनी नज़र हल्की सी ऊपर उठाई तो देखा कि उसकी पैंट में हल्का सा उभार आ चुका था. वो अब शायद मूड में आ गया था.
मैंने भी मौका देख कर उसको बोल दिया- बेटा मुझे भी बहुत प्यास लगी है; मुझे भी पिला दो. वो एक सवालिया नज़र से मुझे देखने लगा क्योंकि मैंने उससे दोहरी मतलब की बात कर दी थी.
मैं उससे बोली- अरे पानी पिला दो. उसने नल से मेरे लिए भी पानी निकाला और मुझे देने लगा.
मैंने उसके हाथ से ग्लास पकड़ने की कोशिश की, लेकिन उसको ये दर्शाया कि मेरा हाथ गंदा है और मैं ग्लास नहीं पकड़ सकती. मैं उससे बोली- अरे मेरा हाथ तो आटा से सना हुआ है, तुम ही पिला दो.
वो मेरे सामने आया और मुझे पानी पिलाने लगा. इस समय भी उसकी नज़रें मेरे छाती की गहराई में टिकी थीं.
मैंने भी जानबूझ कर अपने दूध जरा से हिला दिए, जिससे वो हिल गया और उसके हाथ में पकड़े हुए गिलास से थोड़ा पानी गिर कर मेरी चुचियों के बीच में चला गया.
शहज़ाद सॉरी बोलते हुए ग्लास हटाने लगा और वो पानी पौंछने के लिए अपना हाथ आगे लाया. लेकिन मेरी छाती पर हाथ लगाने की उसकी हिम्मत नहीं हो सकी.
मैंने बोला- अरे जल्दी से पौंछो न … पानी मेरे अन्दर जा रहा है.
उसने एकदम से हाथ बढ़ा कर मेरे चेहरे से होते हुए मेरे गले और गहरी दूध घाटी को अपने कड़क हाथों से रगड़ कर साफ कर दिया. जैसे ही उसका हाथ मेरे गले के नीचे पहुंचा, मैं एकदम मदहोश सी हो गयी क्योंकि ये पहली बार था कि मेरे शौहर के बाद कोई गैर मर्द मुझे इस तरह से छू रहा था.
पानी पौंछ लेने के बाद उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उससे कहा- बेटा मेरा एक और काम कर दो, जरा मेरे बाल बांध दो. देखो न पूरे खुल गए हैं और बार बार मेरे चेहरे पर भी आ रहे हैं. इनसे मुझे बहुत गर्मी लग रही है. मेरे हाथ खराब हैं इसलिए मैं तुमसे कह रही हूँ, नहीं तो मैं खुद ही कर लेती.
ये कह कर मैंने उससे वहीं रखे हेयर बैंड की तरफ इशारा किया. तो उसने उसको उठाया और मेरे पीछे आ गया. वो मेरे सारे बाल समेटते हुए और मेरी चुचियों को देखते हुए मेरे बालों बांधा और कुछ देर बाद वो वहां से चला गया.
मैं अपनी चूचियों पर उसके हाथों का स्पर्श अब भी महसूस कर रही थी. मेरी चुत गीली हो चुकी थी. मुझे शहजाद का लम्बा लंड याद आ रहा था कि इसका लंड मेरी चुत में घुसे तो चैन पड़े.
अगले दिन शहज़ाद कुछ जल्दी ही मेरे घर आ गया था.
वैसे तो हमेशा वो रुबिका के कॉलेज से घर आ जाने के बाद ही आता था लेकिन आज जब मैं सारा काम करके बिना कपड़ों के नहा कर बाहर वाले कमरे में आयी थी कि तभी मेरे दरवाज़े पर दस्तक हुई.
मैंने उस दरवाज़े के छोटे से छेद से देखा तो बाहर शहज़ाद खड़ा था. मैं उसको रुकने को बोल कर जल्दी से अन्दर आ गयी. मैंने झटपट एक सलवार कमीज़ पहन लिया बिना अन्दर कुछ पहने, तुरंत जाकर दरवाज़ा खोला.
मेरे दरवाज़ा खोलते ही शहज़ाद मुझे ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया. मैंने भी मौका देख कर अपने गीले बालों को इस तरह झटका देते हुए घुमाया कि उसके चेहरे पर मेरे गीले बाल लग गए.
एक बार उसके चेहरे को अपनी जुल्फों की ठंडक से सींच कर मैंने उससे बोला- अन्दर आ जाओ. वो अन्दर आकर बैठ गया.
मैं उसी के सामने झुक कर तौलिया से अपना सिर पौंछते हुए उसका हाल-चाल पूछने लगी. उसकी टकटकी लगाए हुए नजरें मेरी छाती पर ही टिकी हुई थी. कुछ देर बाद मैं उसके लिए चाय बना कर ले आयी.
चाय रखते समय मैं खास करके उसके सामने झुकी, जिससे उसको मेरे मखमली सफेद गुम्बदों के दीदार हो सकें.
वो चाय पीने लगा और मैं किचन में चली गयी.
मैं जब कुछ देर बाद बाहर आई, तो शहज़ाद बिस्तर पर पैरों को लटका कर आधा लेटा हुआ था. मैं उसके पास गयी और उसकी जांघ पर हाथ रख कर सहलाते हुए उसके बगल में लेट गयी.
वो मेरी इस हरकत से एकदम से चौंक कर उठने लगा तो मैंने उसको बोला- लेटे रहो. मेरी बात सुनकर वो लेटा रहा.
मैं एकदम उससे सट कर बैठ गयी और उसकी जांघ पर हाथ रखे हुए उससे बातें करने लगी.
कुछ देर बातों ही बातों में मैंने उससे उसकी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा, तो उसने मुझे साफ मना कर दिया कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
थोड़ी देर में स्कूल से मेरी दोनों छोटी बेटियां घर आ गईं. मैं वहां से किचन में आ गयी.
जब रुबिका आयी, तो फिर इन दोनों का काम होता रहा.
इसी तरह से मैं शहजाद से काफी खुल गई थी और उसके साथ बिस्तर में लेट कर उसे अपने करीब लाने की कोशिश करने लगी थी. शहजाद भी मेरी चूचियों में खो गया था और उसे भी मेरी भूख का माजरा समझ आने लगा था.
इस तरह काफी दिन गुज़र गए.
दिसम्बर के आखिरी दिन की बात है. कल नया साल शुरू होने वाला था.
मेरे शौहर नए साल से एक दिन पहले अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती करने शहर से बाहर चले जाते हैं.
उस दिन मेरी बड़ी और सबसे छोटी वाली बेटी अपनी नानी के यहां चली गई थीं. मेरी अम्मी का घर मेरे शहर से बस साठ किलोमीटर की दूरी पर था और मेरी बच्चियों को ले जाने उनके मामा आए थे.
उस नए साल वाले दिन मैं घर पर एकदम बोर हो रही थी. तभी सुबह दस बजे शहज़ाद घर आया और कुछ देर बैठा.
मैंने उससे बोला- आज नया साल है और तुम कहीं घूमने नहीं गए? इस पर वो बोला- किसके साथ जाऊं … साथ चलने वाला कोई है ही नहीं. मैंने उससे कहा- अगर मैं तुम्हारे साथ चलूं तो तुम चलोगे?
इस बात पर वो एकदम से खुश हो गया और बोला- ठीक है, आप चलिए. मैंने उससे कहा- ठीक है, दोपहर में दो बजे आ जाना. साथ चलते हैं.
वो कुछ देर मुझसे बात करके अपने घर चला गया.
मैंने जल्दी से खाना बनाया और अपनी छोटी बिटिया के साथ खाने बैठ गई. कुछ ही देर में हम दोनों ने साथ में खा लिया, जिसके बाद वो सो गई.
उसके सोने के बाद मैंने अपनी बेटी की अलमारी से एक बहुत चुस्त जींस और शर्ट निकाल कर पहन ली. इस जींस में मेरी गांड एकदम किसी एटमबम की तरह लग रही थी.
ऊपर मैंने सफेद शर्ट पहनी जो कि बहुत ही ज़्यादा चुस्त थी. शर्ट के नीचे एक सफेद फैंसी ब्रा पहन ली.
मैंने अपनी इस शर्ट का ऊपर वाला एक बटन खुला रखा, जिससे मेरी चूचियों की घाटी साफ़ दिखे. ये शर्ट वाकयी इतनी चुस्त थी कि उसके बटन के बीच में से मेरे सीने के पास से खुल सा गया था.
इस समय मैं एकदम किसी 18 साल की लौंडिया की तरह सज संवर कर और हाई हील्स पहन कर अपनी बेटी के आशिक़ के साथ रंगरेलियां मनाने को तैयार हो गयी थी.
शहज़ाद घर के बाहर आ गया था. उसने मुझे फ़ोन करके बुलाया. मैं जल्दी से अपना बुरका, जो हमारे यहां काले रंग का ऊपर से पहना जाता है, उसको पहन लिया. इन कपड़ों में मैं घर के पास से नहीं निकल सकती थी. इसीलिए अपना एकदम ढीला वाला बुरका पहन कर बाहर आ गयी.
वो बाइक से आया था तो मैं उसके साथ बैठ गई.
हमारे शहर में एक नदी पड़ती है, जिसके पास नए साल वाले दिन खूब बड़ा मेला लगता है. शहज़ाद मुझे भी वहीं ले गया और गाड़ी पार्किंग में लगा दी.
मैंने उससे बोला कि मुझे अपना बुरका उतारना है.
वो मुझे एक किनारे ले गया और जब मैंने उसके सामने अपना बुरका उतारा, तो वो तो मुझे देखता ही रह गया. उसकी आंखें एकदम फ़ैल गईं क्योंकि इस अवतार में मुझे कोई पहली बार देख रहा था.
मैं मेरी बेटी के सब कपड़े हमेशा अकेले में पहन कर अपनी गर्मी शांत करने के लिए शीशे में देख कर एक एक करके उतार कर अपनी चुचियों को मसलती और अपनी चुत में उंगली करती थी.
मैंने उसके सामने बुरका उतार कर उसे पकड़ा दिया. उसने मेरे बुरके को ले लिया और पार्किंग में रखी बाइक की डिक्की में रख दिया.
अब हम दोनों मेले में घूमने चल दिए.
मैं उसका हाथ पकड़ कर उसके साथ गार्डन में दूसरी तरफ आ गयी. वहां काफी देर घूमने और कुछ झूले झूलने के बाद हम दोनों वहां से निकल आए.
बाहर काफी भीड़ हो गई थी. मैंने शहज़ाद का सीधे तरफ वाला हाथ इस तरह से पकड़ लिया, जैसे कोई प्रेमी जोड़ा वाली लड़की अपने ब्वॉयफ्रेंड का हाथ पकड़ती है.
मैं उसके जिस्म से चिपक कर चलने लगी. उसके हाथों से मेरे दोनों मम्मों बहुत ज़्यादा रगड़ और मसल रहे थे, जिसका वो और मैं दोनों मज़ा ले रहे थे.
वहां सब लोग हम दोनों को प्रेमी जोड़ा ही समझ रहे थे और लगभग सभी आदमी मुझे बहुत ताड़ रहे थे. मैं एकदम पटाखा माल लग रही थी. जींस में मेरी मटकती फूली हुई सी गांड और कसी शर्ट में बाहर को निकलने को आतुर मेरे मम्मे सभी के लंड खड़े कर रहे थे. जींस से पूरे बदन की नाप मेरे बड़े बड़े नितम्बों का आकार और शर्ट के ऊपरी भाग से मम्मों की झलक किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी थी.
उस वक़्त लगभग सब मुझपर ही आकर्षित हो रहे थे, लेकिन मेरा पूरा ध्यान अपने शहज़ाद पर था.
हम दोनों वहां से निकल कर नदी के तरफ आए और नाव देख कर शहज़ाद ने मुझसे नदी में सैर करने के लिए कहा. वो नदी के बीचों बीच बने में एक रेतीले टापू की तरफ चलने के लिए कहने लगा.
जब शहज़ाद ने मुझसे उधर चलने को पूछा, तो मैं झट से मान गयी.
हम दोनों नौका से से उस नदी के बीच बने रेतीले टापू पर आ गए, जहां आगे की तरफ कुछ लोग थे लेकिन और अन्दर जाने पर सन्नाटा था.
मैं और शहज़ाद दोनों मस्ती करने लगे एक दूसरे को पकड़ने के लिए भागने लगे. अंत में जब हम दोनों रेत के किनारे नदी में पैरों को डाल कर बैठे थे.
पहले मैंने शहज़ाद पर नदी का पानी फेंका. फिर शहज़ाद ने फेंका तो मेरी शर्ट भीग गई.
मेरी शर्ट हल्की और सफेद होने की वजह से जब उस पर पानी पड़ा, तो मेरी ब्रा साफ दिखने लगी. वो मेरी ब्रा में कैद मेरे मम्मों को देखने लगा. मैं भी उसे अपनी चूचियां दिखाने लगी और उसके साथ मस्ती करती रही.
वहां काफी देर मस्ती करने के बाद जब करीब 6 बज गए तो उधर अंधेरा सा होने लगा. हम दोनों वहां से उस मेले की तरफ आ गए.
यहां जैसे जैसे शाम बढ़ रही थी वैसे भीड़ और ज़्यादा होती जा रही थी. कुछ ही देर में उधर पैर रखने की भी जगह नहीं बची थी.
मैं शहज़ाद के साथ चल रही थी कि तभी मेरे पीछे दो लड़के मुझे देख कर कुछ बोलने लगे. जब मैंने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया तो वो दोनों मेरे पीछे आ गए और उस भीड़ का फायदा उठा कर वो दोनों मेरी गांड दबाने लगे.
जब ये बात मुझे महसूस हुई तो मैंने चुपके से ये बात शहज़ाद को कान में बोली. शहज़ाद ने गुस्से से उन दोनों को देखा लेकिन मैं उस वक़्त कोई झगड़ा नहीं चाहती थी तो मैंने शहज़ाद को रोक दिया.
शहज़ाद रुक गया तो मैंने उससे कहा- तुम बस मेरी हिफाज़त करो, वरना कहां तब सबसे लड़ते फिरोगे.
अब शहज़ाद ने अपना एक हाथ पीछे करके मेरी मटकती गांड पर रख दिया और मुझे अपने और पास खींच कर एकदम मुझसे चिपक कर चलने लगा.
आगे कुछ और ज़्यादा भीड़ थी, जिससे बगल बगल में चलना मुश्किल था, तो उसने मुझे अपने आगे कर दिया और पीछे से मेरी कमर पकड़ ली. अब मैं भी मौका देख कर अपनी गांड ले जाकर एकदम से उसके लंड से चिपका देती.
इसी तरह उस भीड़ को पार करते हुए शहज़ाद का लंड मेरी गांड से बार बार टकराने और रगड़ने के कारण एकदम टनटना गया और मुझे कुछ ज्यादा ही गड़ने लगा. लेकिन मैं इस सबका मज़ा लेती रही.
शहजाद का लंड भी मेरी गांड में घुसने को बेताब हुआ जा रहा था. मैंने अपनी बेटी के हक के लंड मतलब शहजाद के लंड से चुदने का पूरा मन बना लिया था. बस मैं उसे गर्म करके अपने काबू में करने का खेल, खेल रही थी.
मेरी कामुकता स्टोरी आपको कैसी लग रही है? आप मुझे मेल करना न भूलें. आपकी सबीना [email protected]
मेरी कामुकता स्टोरी का अगला भाग: बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा- 3
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