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अब तक आपने पढ़ा था कि मैं कोमल भाभी के जिस्म के साथ अठखेलियाँ करते हुए उन्हें अपने कमरे में खींच कर गया था और दरवाजे बन्द कर लिए थे।
अब आगे..
मैं भाभी को अपने कमरे में ले गया और दरवाजा लॉक कर दिया। भाभी को किस करने लगा और वो भी मुझे बिंदास चूमने लगीं क्योंकि बाहर ही मैंने उन्हें एकदम गर्म कर दिया था।
मैं किस करते-करते उनकी कमर पर और बाद में उनकी गांड पर हाथ फेरने लगा। वो मुझे और जोर से किस करने लगीं।
हम दोनों कई मिनट तक किस करते रहे.. बाद में अलग हुए। भाभी मुझे वासना से भरी कातिल निगाहों से देख रही थीं।
मैं उनके चेहरे से अपने हाथों को नीचे की ओर ला रहा था। उन्होंने आँखें बन्द कर ली थीं। मेरा हाथ उनके ब्लाउज पर पहुँच गया और उनके मम्मों को दबाने लगा। भाभी ‘आह.. आह..’ की आवाज़ निकाल रही थीं।
मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले.. तो उनकी ब्लैक कलर की छोटी सी रेशमी ब्रा दिखी। मैंने ब्रा को थोड़ा ढीला कर एक बूब को बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगा।
वो मेरा सर दबा कर बोल रही थीं- आह्ह.. चूसो देवर जी और चूसो.. रगड़ दो इसे आज.. ना जाने कबसे ब्रा में कसी थी।
मैं भी जोश में आ गया और उनके एक निप्पल को काट लिया। उनके मुँह से एकदम से आह निकल गई- आउच.. धीरे देवर जी।
हम दोनों वासना की आग में एकदम खो से गए थे.. तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई और हम दोनों अलग हो गए।
भाभी अपने कपड़े ठीक करने लगीं और मैंने ताश के पत्तों को टेबल पर बिखेर दिया, फिर जाकर मैंने दरवाजे को खोला.. तो भैया खड़े थे। मेरी धड़कन तेज हो गई थीं, मुझे लगा कि शायद उन्होंने सब सुन लिया होगा। मैं सामान्य बर्ताव करने लगा।
तभी वो बोले- तुम दोनों क्या कर रहे थे? मैं- भैया हम दोनों तो ताश खेल रहे थे। राहुल- मैं ये बताने आया था कि मेनगेट बन्द कर लो.. मुझे ऑफिस से कॉल आया है। मुझे जाना होगा, मैं सुबह तक आ पाऊँगा। मैं- ठीक है भैया।
फिर वो चले गए और मैं मुख्य दरवाज़ा बन्द करके वापस आ गया। हम बाल-बाल बचे थे।
भाभी मुझे देख कर लिपट गईं, वे मुझे किस करने लगीं और हम वापस हवस में अंधे हो गए।
मैंने भाभी की साड़ी को उतार दिया और उन्होंने मेरी शर्ट को खींच कर निकाल फेंका। मैं उन्हें किस करने लगा और उनके ब्लाउज के बटन खोल कर उसे उतार दिया।
उन्होंने भी मेरा लोअर उतार दिया.. और मेरे खड़े लण्ड को देखने लगीं। मैंने उनके पेटीकोट को उतार दिया, वो ब्रा और पैन्टी में रह गईं और मैं भी पूरा नंगा हो चुका था।
मैं- भाभी आज मैं आपको पूरी रात प्यार करूँगा.. कोई जल्दबाज़ी नहीं होगी।
कोमल- हाँ एक आप ही तो हो.. जो मुझे बिना कुछ पूछे ही मुझे जान लिए हो। मैं- भाभी लास्ट टाइम ‘कब’ किया था आपने?
कोमल- तीन महीने हुए हमारी शादी को.. पर उन्होंने मेरे साथ 8-10 बार ही सेक्स किया है। उनको तो टीवी से फुरसत ही नहीं मिलती। मैं- डोंट वरी भाभी.. मैं सब कुछ ठीक कर दूँगा।
यह कहकर मैंने भाभी के लबों को चूम लिया।
मैं भाभी को डाइनिंग टेबल पर ले गया, टेबल पर लिटाया और खुद नीचे खड़ा होकर उनकी दोनों टांगों को पकड़ कर उनकी पैंटी उतार कर चूत को चूसने लगा। उनकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और वो मादक सिसकारियां निकाल रही थीं।
कोमल- जय.. आह्ह चाट इसे.. इसमें बहुत खुजली हो रही है। मैं- भाभी ये इतनी रसीली है कि खा जाने को मन करता है। कोमल- आआह.. आह आसाह.. खा जाओ न.. आज जो मर्जी हो.. वो करो, सब कुछ तुम्हारा है देवर जी।
यह सुनकर मैं पागल हो गया और जोर-जोर से चूसने लगा। वो अपने दोनों हाथों और पैरों से मेरा सर चूत में दबाने लगीं। हम दोनों के इस खेल से पूरा घर कामुक आवाजों से गूंज रहा था।
मैं उनके ऊपर आया और उन्हें किस करने लगा। मैंने ब्रा उतार कर उनके मम्मों को मसला और चूसने लगा.. तो वो एकदम से मचल गईं और कुछ बड़बड़ाने लगीं।
पता नहीं क्या हुआ.. पर मैं तो उनके रसीले मम्मों को चूसने में लगा था।
कोमल भाभी की दूध जैसी गोरी और आइडियल फिगर बहुत मस्त थी.. ऐसे आइटम को चोदने से कौन चूतिया छोड़ेगा। वो पागल ही होगा.. मेरे भैया की तरह।
मैं भाभी को बेड पर ले गया, उनको इस तरह किया कि वो मेरा लण्ड चूसने लगीं.. मैं भी उनकी फुद्दी को चूसने लगा। हम एक तरह से 69 की पोजीशन में आ चुके थे।
जब मैं झड़ने वाला था.. तो उनके कहने पर मैं उनके मुँह में ही झड़ गया, वो मेरा सारा माल पी गईं।
उसके बाद हम दोनों अगल बगल लेट कर प्यार करने लगे। भाभी लगातार मेरे लंड से खेल रही थी और मेरे लब कभी भाभी के लबों पर तो कभी भाभी की चूचियों पर… मेरे हाथ भाभी के चूतड़ों पर थे।
थोड़ी देर में मेरा लंड खड़ा हुआ तो भाभी बोलीं- अब मत तड़पाओ देवर जी..
मैंने भी देर न करते हुए उनकी टाँगें फैलाकर अपना लण्ड निशाने पर टिकाया और धक्का मार दिया। पहले बार में थोड़ा ही गया था, पर वो इतने में ही चीख पड़ीं- आह.. मर गई मैं.. निकालो इसे..
पर मैंने एक नहीं सुनी.. और दूसरे धक्के में आधा लौड़ा चूत में घुस गया। वो और जोर से चीखने लगीं।
मैं उनका दर्द समझता था.. क्योंकि कम चुदाई की वजह से उनकी चूत एकदम टाइट थी। मैं आधा लौड़ा डाले हुए ही उन्हें किस करने लगा.. थोड़ी देर में दर्द कुछ कम हुआ।
मैंने उनकी आँखों में देखा और एक जोर से धक्का मार दिया। इस बार की चोट में मेरा पूरा लण्ड अन्दर चला गया था। उनकी आँखों में अँधेरा छाने लगा। मैं वापिस चूमने लगा।
कुछ पल बाद वो होश में आईं.. बाद में मैं धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा और अब वो भी खुश होती दिखीं।
अब वो बोल रही थीं- आह्ह.. और तेज चुदाई करो.. फाड़ दो मेरी चूत को।
मैं हचक कर चुदाई करने लगा और वो भी उठ-उठ कर चुदवाने लगीं।
मैं कुछ ही देर में झड़ने वाला था, उनसे पूछा.. तो बोलीं- अन्दर ही डाल दो।
मैंने उनकी चूत में ही अपना गरमागरम लावा निकाल दिया, वो भी इस चुदाई में दो बार झड़ चुकी थीं।
झड़ने के बाद मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया, मुझे थोड़ी थकान महसूस हो रही थी।
कुछ देर बाद भाभी उठीं और हम दोनों के लिए कॉफ़ी बना कर लाईं। हम दोनों ने कॉफी पी।
कोमल भाभी कहने लगीं- देवर जी.. आज अपने मुझे सच में शादी के बाद पहली बार औरत का सुख दिया। आप स्पेशल हो मेरे लिए। अब आपका जब भी मन करेगा, मैं आपको ना नहीं कहूँगी। आप बिंदास अपनी भाभी की चुदाई कीजिएगा। मैं पूरी आपकी हो चुकी हूँ।
मैं- थैंक यू भाभी मुझे खास बनाने के लिए। शायद हमें दूसरा मौका न मिले.. तो चलिए इस पल को और रात को जी भर के जी लेते हैं।
उन्होंने अपनी बाँहें फैला दीं।
मैंने अब उनको कुतिया बनाया और उनकी कमर पकड़ कर डॉगी स्टाइल में मस्त चुदाई की। कुछ देर बाद मैंने उनको अपने लंड पर बिठा कर चुदाई की।
धकापेल चुदाई हुई। अब तो वो चल भी नहीं पा रही थीं। रात के एक बज चुके थे। फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे एक-दूसरे से लिपट कर सो गए। रात को जब भी मेरी नींद टूटी.. तब मैंने उनके मम्मों को चूसा और वो सोते हुए भी सिसकारियां निकालती रहीं।
सुबह हुई तो वो पहले जाग गई थीं। मैं भी उठ कर फ्रेश हो गया। थोड़ी देर के बाद राहुल आ गए। फिर हमें चुदाई का मौका नहीं मिला।
एक दिन मैंने राहुल को समझाया। पहले तो वो नहीं माना.. पर बाद में मान गया कि किसी पति को अपनी बीवी को इग्नोर नहीं करना चाहिए।
उसने ये भी कहा- अब वो मैच नहीं देखेगा। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
उस रात मेरे भैया ने भाभी की जमकर चुदाई की। सुबह देखा तो भाभी बड़ी खुश नज़र आ रही थीं।
मैं- भाभी क्या हुआ.. आज बड़ी खुश लग रही हो? कोमल- पता नहीं क्या हुआ.. आज वो बोले कि मैच नहीं देखना.. आज तुम्हें देखना है। ये कहकर मेरी जमकर चुदाई की और मुझे रात भर सुख दिया। मैं- मैं न कहता था भाभी.. कि सब कुछ ठीक कर दूँगा.. कर दिया ना। कोमल- थैंक्स देवर जी.. पर आपके लिए मेरा दरवाजा खुला ही रहेगा। जब भी मन करे.. तब मेरी जवानी को लूट सकते हो।
उस दिन शाम को मैं वापस निकलने वाला था। इसलिए भाभी की एक बार फिर मस्त चुदाई की और फिर मैं वापस अहमदाबाद आ गया।
आज भी मुझे वो छुट्टियाँ याद हैं। हम दोनों अब भी मिलने पर कभी-कभी चुदाई करते हैं।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी। मेल जरूर कीजिएगा। भाभियाँ तो खास तौर पर मुझे याद कीजिएगा सच में मुझे भाभियाँ बहुत पसन्द हैं। [email protected]
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