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नमस्कार मित्रो, मैं मल्लिका राय, यह कहानी दीपिका जी की है, जो मैं उनके बताये अनुसार लिख कर आपके सामने पेश कर रही हूँ!
मेरा नाम दीपिका है, उम्र 34 साल है हाइट 5.5 फीट, मेरे पति की उम्र 36 साल हाइट 5.8 फीट है।
हमारी शादी को 16 साल हो गए हैं, यानि कि 18 वर्ष की उम्र होते ही मेरे घर वालों ने मेरी शादी कर दी थी, तब मैं सेक्स के बारे में थोड़ा ही जानती थी।
मैंने सिर्फ मेरे पति के साथ ही सम्भोग किया है और उनके साथ ही करुँगी, वे मुझे हर तरह से खुश रखते हैं, मैं भी उनसे बहुत खुश हूँ।
मैं अभी भी दुबली हूँ एक एक्ट्रेस की तरह, मम्मे जरूर 2-3 माह में बहुत बड़े हो गए हैं बिलकुल खरबूजे जैसे, तने हुए और कड़क तो पहले से ही हैं, इतने कि पतिदेव दोनों हाथों में भरकर चूसते हैं, निप्पल भूरे हैं, चूत हमेशा साफ रखती हूँ।
आपने मेरी पिछली कहानी मेरी कुंवारी गांड की शामत आ गई पढ़ी और उसका मिला जुला रेस्पॉन्स मिला, बहुत बहुत धन्यवाद।
जब मेरी गांड एक बार फट गई तो उसके बाद तो पतिदेव हर 2-3 में ही मेरी गांड को बजाकर रख देते। अब मुझे भी गांड की चुदाई में मजा आने लग गया, इतना कि कई बार मेरी गांड खुद ही उनके लंड से चुदने के लिए बेताब हो जाती है।
मेरी गांड जो पहले समतल थी, अब कुछ उभर भी आई है।
यह कहानी जन्माष्टमी के अगले दिन की है। मैं राखी से लगभग डेढ़ माह पहले मेरे मायके गई हुई थी, क्योंकि मेरा स्वास्थ्य कुछ ठीक न होने की वजह से मैं पूरे साल नहीं गई थी।
मेरा मन नहीं कर रहा था इतनी जल्दी जाने के लिए, पर मायके वालों की जिद थी कि मैं जल्दी ही आऊँ! और पतिदेव ने भी मेरी एक नहीं सुनी।
लेकिन मैं इतने दिनों तक उनके लंड के बिना कैसे रही, बता नहीं सकती। फोन सेक्स करना चाहा, पर उन्होंने फोन पर ही मुझे बहुत तेज डाँट दिया। हस्तमैथुन करके इतने दिन और रात निकाल दिए।
जन्माष्टमी से दो दिन पहले पतिदेव मुझे मेरे घर ले आये। मैं बहुत खुश हुई, लेकिन मेरी सास-ससुर और बच्चे उनके मायके गए हुए थे।
घर आकर सबसे पहले मैंने चूत के बाल साफ़ किए, उसके बाद कमरे की सफाई करने लग गई जो कि पतिदेव ने मेरी गैरमौजूदगी में पूरा बिखेर दिया था।
रात को मैं पूरी नंगी होकर आईने के सामने खड़ी होकर खुद के पूरे बदन को बहुत देर निहारती रही।
अचानक ही पतिदेव कमरे आये, मैं थोड़ी घबराई, पर उन्हें देखकर सम्भल गई और मुझे पूरी नंगी देखकर सीटी बजाकर मेरे करीब आये, दोनों गालों पर एक एक चुम्मा दिया, फिर मेरे मम्मों के सहलाया, फिर मेरी जाँघों को, मेरी कमर, पीठ, चूतड़, यानी कि मेरे सारे अंगों को बहुत देर तक ऐसे ही सहलाते रहे।
उसके बाद उन्होंने मेरी उंगलियों में उंगलियाँ फंसाकर मेरे मम्मों के चूसा, दोनों मम्मों के बीच में भी जीभ से चाटा, अब बारी मेरी नाभि की थी।
लगभग 15 मिनट उन्होंने मेरी नाभि के साथ मस्ती की। मैं बहुत ही गर्म हो गई थी।
अब खड़े होकर वो मुझे किस करने लगे और मेरे नीचे के होंठ को उनके दांतों से काट भी रहे थे और जीभ से जीभ भी मिला रहे थे। कुछ थूक भी निकल रहा था।
अचानक ही पतिदेव ने मेरी चूत पर हमला बोल दिया, वे मेरी चूत को चाटने लगे। पहले तो मेरी खुली हुई फांकों को उनके होंठों से दबाकर खींचने लगे एक गुदगुदी से होने लगी और फिर एक बार खड़े होकर मेरे निप्पल को काटने लगे।
मुझे इस हरकत में बहुत मजा आ रहा था। वैसे तो पतिदेव की हर हरकत में मुझे मजा ही आता है।
निप्पल काटने के बाद फिर से मुझे किस करने लगे।
अब बारी फिर से मेरी चूत की थी, पहले तो मेरी चूत पर थूका और चूसा और फिर जीभ से चाटा क्या बताऊँ कितनी गुदगुदी और आनन्द आ रहा था!
मैं तो मस्ती में ही डूबे जा रही थी और एक कामुक हँसी भी मुख निकल रही थी।
पतिदेव थोड़ी देर चूत चूसकर मुख हटाते और फिर झटके से चूत पर हमला बोल देते। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब मेरा पूरा शरीर कांपने लगा था और थोड़ी देर में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और पतिदेव सारा रस चाट गए। पर एक बार से उन्हें तसल्ली नहीं हो रही थी, उन्होंने चूत चूसना जारी रखा।
आधे घण्टे से अधिक खड़े रहने के कारण और मेरी लगातार चूत चूसने से मेरे पैर अब लड़खड़ाने लग गए थे मैंने अपनी उँगलियों जिसे पतिदेव ने अभी तक नहीं छोड़ा था और कसकर पकड़ लिया और मेरी सिसकारियाँ व कामुक हंसी और बड़ गई।
दस मिनट तक जैसे तैसे मैंने संतुलन बनाये रखा और इतनी ही देर में फिर से झड़ गई और फिर से पतिदेव मेरी चूत का सारा रस पी गए।
मुझे भी थोड़ी राहत मिली, पतिदेव ने मुझे गोदी में उठाया तो मैंने भी उनकी कमर को दोनों टांगों से कसकर जकड़ लिया।वो कुछ देर मेरे मम्मों के साथ मस्ती करते और कुछ देर उन्हें चूसते।
अब बिस्तर पर बैठकर मेरी पीठ को सहला रहे थे और मैं भी उनकी पीठ को सहला रही थी।
जब मैं उनके कपड़े निकालने लगी तो उन्होंने मुझे रोक दिया और बोला- बहुत तक गया हूँ, फिर कभी करेंगे।
मैं जानती थी कि मुझे तड़पाने के ये ऐसा बोल रहे हैं। पर फिर भी मैंने उनसे काफी देर तक विनती की, कोई फायदा नहीं हुआ।
जब सोने लगे तो मैंने उनकी तरफ एक बार कामुक भरी निगाहों से देखा, तो उन्होंने सिर्फ चूत चाटने का ही बोला। मैंने भी हाँ कह दिया क्योंकि ना कहने का भी कोई फायदा नहीं था और मेरी चूत पर किसी भूखे शेर की तरह टूट पड़े।
मेरे पतिदेव वैसे भी मेरी चूत चाटने के बहुत शौकीन हैं और उसका रस पीने का भी।
7-8 मिनट में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया पर मुझे चूत चटवाने से सन्तुष्टि नहीं मिल रही थी, मैंने पतिदेव से कहा भी, तो उन्होंने फिर मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया, उन्होंने 4 बार मेरी चूत को चाट कर थोड़ी सन्तुष्टि दी और मैं नंगी ही उनके कन्धे पर सर रखकर सो गई।
सुबह जब उठकर देखा तो पतिदेव मुझसे पहले ही जाग चुके थे और मैं ब्रश करने बाथरूम में चली गई।
जैसे ही मैं कुल्ला करने लगी तो पतिदेव ने अचानक मुझे पीछे से जकड़ लिया, मेरी नंगी पीठ को चूम कर गुड मॉर्निंग बोला और मेरे मम्मों को मसलने लगे।
मुझे चाय पीने के लिए बोला और वे बेडरूम में आ गए।
मुझे सुसु आ रही थी पर मैंने नहीं की और बाथरूम से आकर मैं उनकी टीशर्ट पहनने लगी तो उन्होंने उन्होंने नंगी ही रहने के लिए बोला।
मैं नंगी ही उनके साथ बैठकर चाय पीकर बात करने लगी।
फिर थोड़ी देर बाद मैं टॉवल लेकर नहाने गई तो पतिदेव भी मेरे पीछे नंगे होकर आ गए, मैंने भी खुद को उनके हवाले कर दिया।
और वो मुझे नहलाने लगे, उन्होंने मेरे बदन के हर हिस्से पर साबुन लगाया और उसे पानी से साफ किया।
इस बीच मुझे बहुत तेज सू सू आने लगी जिसे मैंने बहुत देर से रोक रखा था।
जब सब्र से बाहर हुई तो मैंने पतिदेव को घुटनों के बल बैठाकर उनका सर पकड़कर उनके मुख को मेरी चूत पर लगा दिया और इतनी देर में मेरा पेशाब भी अपने आप निकल गई पर मैंने उसकी गति थोड़ी धीमी ही रखी।
पतिदेव मेरी सू सू को बिलकुल पानी की तरह पी रहे थे वो भी बिना एक बून्द व्यर्थ बहाये। वैसे वो मेरा मूत बहुत ही कम पीते हैं, केवल तब ही पीते हैं जब उनका मूड होता है।
जब वो हटने लगे तो मैंने उन्हें नहीं हटने दिया और आखिरी बूँद तक उनके मुख को मेरी चूत से ही लगाये रखा, जब सू सू करके मैंने उन्हें उठाया तो थोड़ा सू सू मुँह में रखा हुआ था और खड़े होकर उन्होंने मुझे तिरछा कर मेरे मुंह पर हल्के हल्के थूक दिया। मैं जब तक उन्हें रोकती तब बहुत देर हो चुकी थी।
अब मुझे फर्श पर बैठाकर फिर से उन्होंने मेरे बदन पर साबुन लगाया, फिर से पूरे बदन को पानी से साफ़ किया।
नहाने के बाद सबसे पहले उन्होंने खुद के बदन को पौंछा फिर उसी टॉवल से पहले मेरे गालों को साफ़ किया, फिर मेरे मम्मों को, पेट को मेरी चूत, जाँघों को और फिर मेरे बालों को…
मैं उन्हें ऐसे ही मुस्कुराते हुए देख रही थी।
और फिर मैं उनसे लिपट गई तो उन्होंने मेरी पीठ को पौंछना शुरू कर दिया, मैं भी उनके कूल्हों को सहला रही थी।
मेरे पति मुझे गोदी में उठाकर बैडरूम में ले आये और हेयर ड्रायर से मेरे बालों को सुखाया और कहा- चोटी मत करना, बालों को ऐसे ही बाँध लेना हेयर बैंड से।
मैंने भी हँसकर हाँ कह दिया और बालों को बांधने लगी। पतिदेव साड़ी, पेटीकोट ब्रा पैंटी लेकर आये और बोले- मैं तुम्हें साड़ी पहनाऊँगा।
मैंने भी हाँ तो कह दिया पर पेंटी और ब्रा पहनाने से मना कर दिया।
उन्होंने साड़ी तो पहनाई पर नाभि के इतने नीचे कि आधा इंच भी नीचे और कर दी जाए तो मेरी चूतड़ों की दरार दिखने लग जाती।
वैसे तो मैं भी पिछले कई वर्षों से साड़ी नाभि से बहुत नीचे ही बांधती आई हूँ पर इतनी नहीं जितनी पतिदेव ने आज पहनाई थी।
पर उनको तो मैं आज ऐसे ही अच्छी लग रही थी तो मैंने भी ऐसा ही किया।
मुझे साड़ी पहनाने के बाद मैंने उनके गालों पर एक किस दी और फिर उनके लंड पर और उनको भी मैंने कपड़े पहनाये।
जब रात आई तो मैं फिर नंगी होकर उनसे चुदने के लिए कहने लगी पर आज फिर चूत चाट कर सन्तुष्टि दी।
मैं समझ नहीं पा रही रही थी कि मुझे इस तरह से क्यों तड़पा रहे हैं?
अगले दिन जन्माष्टमी थी और रात को फिर उन्होंने वही क्रिया दोहराई। मुझे बहुत तेज गुस्सा आ गया था और रोना भी इतना कि मेरे आँसू निकल आये थे।
मेरी सेक्स कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। [email protected]
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