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चूत चुदाई के बाद हम कमरे से बाहर आये, मैंने रूचि को देखा तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और पर मैंने अपने पर काबू रखा।
रूचि पिंकी की तरफ देकर हँसने लगी और पिंकी भी शरमा गई।
मेरा मन शांत तो हो गया था पर यह रूचि भी न… इसने फिर से मेरा मन भड़का दिया! यार, उसकी गोरी गोरी टाँगें… ऊऊ ओह… मन तो कर रहा था अभी इसकी टांगें खोल कर इसकी ताबड़तोड़ चुदाई कर दूँ। पर फिर भी जैसे तैसे कर के काबू रखा अपने ऊपर!
कुछ ही देर में पिंकी की सारी सहेलियाँ आ गई और पिंकी ने मुझे सबसे मिलवाया। एक दो तो क्या माल थी कसम से!
पिंकी ने उससे भी मिलवाया जिसका बर्थडे था, वो भी ठीक ही थी, उसका नाम सीमा था।
और मजे की बात तो यह थी कि इतनी लड़कियों में बस मैं ही एक लड़का था।
अब सब सीमा का बर्थडे केक तैयार कर के सजा दिया।
इतने में मेरी नजर रूचि पर पड़ी, रूचि लगातार मुझे ही देख कर मुस्कुराये जा रही थी।
केक कटा, खाना पीना हुआ, सब पार्टी का मजा कर रहे थे और अब सब डांस करने लगे। कुछ देर तक तो पिंकी ने मेरे साथ डांस किया फिर रूचि मेरे साथ डांस करने लगी और वो मुझे देखे ही जा रही थी, उसकी बॉडी मेरे से छू भी जाती।
अब सब मजे से पार्टी का मजा कर रहे थे और पूरा रूम बिखर गया था। सब डांस करने में इतना मस्त हो गए कि किसी को पता ही नहीं चला कि कब 9:30 बज गए और जब सबका ध्यान घड़ी पर गया तो सब जल्दी ही चले गए।
पिंकी मेरे पास आकर बोली- यार टाइम भी ज्यादा हो गया है और अब मैं रुक भी नहीं सकती। और रूचि यहाँ रूम की सफ़ाई अकेली करेगी, अच्छा नहीं लगता, आप यहाँ रुक कर उसकी हेल्प कर दो।
मैं भी यही कुछ सोच रहा था कि कैसे देर तक यहाँ रूकूँ, मैंने कहा- ठीक है।
पिंकी बोली- रूचि, यश कुछ देर तुम्हारी हेल्प करवा देगा रूम साफ़ करने में!
तो रूचि मना करने लगी। पिंकी बोली- अगर पापा का डर न होता तो मैं भी रुक जाती और यश मेरे बदले में यहाँ रुक कर तुम्हारी हेल्प कर के बाद में आ जायेगा और तुम मना नहीं करोगी। रूचि बोली- ठीक है!
हम पिंकी को गली के पास छोड़ कर वापस आ गए।
घर में आते ही जब कमरा देखा तो हालत ख़राब हो गई। सब जगह चिप्स, गुब्बारे, सजावट का सामान, डिस्पोजेबल ग्लास, प्लेटें बिखरी थी। हम दोनों बात करते करते रूम साफ़ करने लगे।
ऐसे ही रूम साफ़ करते हुए रूचि एक टेबल पर चढ़ कर अलमारी के ऊपर से कुछ हटा रही थी कि अचानक उसका पैर फिसला और मैं उसके पास ही था तो मैंने अपने हाथों में पकड़ लिया। इस वक़्त रूचि की कोमल और गोरी जांघों में मेरा एक हाथ था तो दूसरा रूचि की चूची पर था। जैसे ही रूचि ने मुझे देखा तो मैंने उसे छोड़ दिया और वो नीचे गिर गई।
रूचि उठी तो मैंने बोला- सॉरी! तो रूचि बोली- किसलिए? मैंने कहा- गलती से आपकी जांघों पर हाथ लगा और वहाँ भी… रूचि की चूची की तरफ इशारा करके बोला। तो रूचि बोली- कोई बात नहीं, आपने जानबूझ कर तो नहीं किया, मुझे बचाने पर ही ऐसा हुआ तो थैंक्यू मुझे बचाने के लिए।
रूचि के इतना कहते ही मैंने उसको अपने पास खींचा और उसके लबों पर अपने लब रख दिए और उसकी चूची को दबाने लगा।कुछ ही पल बीते होंगे कि मैंने उसको छोड़ दिया और सॉरी बोल कर थोड़ा दूर जा कर खड़ा हो गया।
रूचि बोली- ये गलत है यश, ये क्या किया तुमने? मैंने कहा- यार आज जब से तुमको देखा है, इतनी प्यारी और सेक्सी लग रही हो कि अपने पर काबू करना मुश्किल हो गया था। सॉरी रूचि!
रूचि मेरे पास आई, बोली- यश सच कहूँ तो आज जब तुम दोनों सेक्स कर रहे थे तो मैंने तुम को देख लिया था।
मैं यह सुन कर हैरान हो गया। रूचि बोली- मैं अपना काम कर रही थी और पिंकी की आवाज आ रही थी तो मुझसे रहा नहीं गया मैं अपने रूम के दरवाजे पर खड़ी हो कर आवाज सुन रही थी कि मेरा हाथ दरवाजे पर पड़ा तो दरवाजा खुला हुआ था और मैंने हल्का सा दरवाजा खोला तो देख कर हैरान हो गई की पिंकी घोड़ी बनी हुई है और आप उसके पीछे हो।
मैंने कहा- फिर तुमने कब तक देखा? ‘मैंने तो लास्ट तक देखा, जब देखा कि तुम दोनों अब बाहर आने वाले हो तो मैं वहाँ से हट गई। और तब से मुझे तुम बहुत ही मस्त लग रहे हो।’
रूचि के मुख से यह सुनते ही मैंने फिर से उसको अपने पास खींचा और कस के अपनी बाँहों में दबा दिया, फ्रॉक के ऊपर से उसकी पीठ पर हाथ चलाने लगा और उसको चूमने लगा। अब रूचि भी मेरा साथ दे रही थी।
मैंने उसको पलट दिया, उसकी दोनों चूची पकड़ कर दबाते हुए उसकी गर्दन पर पागलों को तरह चूमने लगा जिससे रूचि को मजा आने लगा, उसकी आवाज अब मीठी होने लगी और सिसकारियों में बदलने लगी।
जीन्स के अंदर से मेरा लंड रूचि की गांड पर रगड़ रहा था तो रूचि सिसकारियाँ भर रही थी- आअहह्ह ऊओह्ह ओह्ह आह्ह ऊईई ह्ह्ह आआ!
अब मैंने रूचि की फ्रॉक को उतार दिया, देखा तो रूचि ने सब पिंक ही पहना था ब्रा और पैंटी दोनों ही पिंक पहनी हुई थी। मैंने भी अपनी जीन्स को उतार दिया और साथ में शर्ट और बनियान को भी उतार दिया।
उसकी नाभि छोटी और गोल थी, देखने में बहुत ही सुन्दर लग रही थी तो मैं नीचे बैठ कर उसकी नाभि को चूमने लगा और जीभ को उसकी नाभि पर घुमाने लगा जिससे रूचि और भी गर्म हो गई।
मैं थोड़ा और ऊपर हुआ, उसकी ब्रा को खोल दिया। क्या चूची थी, एकदम टाइट और खड़ी हुई… इतनी मस्त लग रही थी कि रहा नहीं गया और उसकी चूची को चूसने लगा। रूचि अब और जोर से ‘आआःह्ह ह्ह्ह हआआ ह्ह आआ ऊऊई ओह्ह ह्ह्ह कर रही थी।
मैं एक हाथ उसकी पैंटी पर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा और एकदम से उसकी पैंटी को नीचे कर दिया। रूचि ने अब शर्म के मारे दोनों टाँगों को जोड़ लिया पर ज्यादा देर तक कहाँ जोड़ सकती थी, मैंने उसके चूचों को दबाना जोर से चालू कर दिया जिससे उसकी टाँगें खुल गई।
रूचि की चूत एकदम मस्त और चिकनी और अनचुदी लग रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने अब अपने अंडरवियर को उतार दिया, रूचि मेरे लंड को देखे जा रही थी, मैंने रूचि के हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया और आगे पीछे करने को कहा। ऊऊह्ह्ह… क्या मजा आ रहा था जब रूचि मेरे लंड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थी।
अब मैं दुबारा नीचे बैठा और रूचि की चूत को चाटने लगा, उसके हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे और रूचि ऊओह्ह्ह आःह ह्ह्ह् हस्स्सआ ह्ह्म्म्म ऊओम्म ह्ह्ह्ह्म कर रही थी।
अब मैंने रूचि को नीचे घुटनो के बल बैठा दिया और उसके मुँह में लंड डालने लगा तो वो मना करने लगी पर मैंने उसे मना लिया। क्या मजा आ रहा था।
कुछ देर ऐसे ही रूचि के मुँह को चोद कर अब मैंने रूचि से बोला- कोई क्रीम या वैसलीन है? तो रूचि जाकर लेकर आई। मैंने रूचि से पूछा- रूचि कैसा लगा अभी तक? तो बोली- मजा आ रहा है।
मैं एक उंगली रूचि की चूत में डालने लगा तो आसानी से जा ही नहीं रही थी। मैंने पूछा- तुमने कभी सेक्स किया नहीं है क्या? तो रूचि बोली- किया था बस एक बार… वो भी जल्दी जल्दी में! ज्यादा नहीं किया! पर तुम्हारे साथ तो कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा है।
मैंने रूचि की चूत में उंगली डाली तो रूचि ऊहह करने लगी और मैं उसकी चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा। रूचि भी अब मजे में मेरे लंड को आगे पीछे करने लगी थी।
मैं रूचि की चूत में जैसे ही दो उंगली डालने लगा तो बोली- आराम से करना!
और रूचि इसी बीच झड़ गई, उसने अपना सारा पानी निकाल दिया। अब रूचि मेरे लंड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगी तो कुछ देर में मेरा भी पानी निकल गया।
हम दोनों ही बेड पर लेटे हुए थे तो मैं रूचि के ऊपर चढ़ कर उसको चूमने लगा, उसके कान गाल चूची, लब, कान के पीछे गर्दन पर और धीरे धीरे पूरी बॉडी पर किस करने लगा।
फ़िर मैं नीचे पीठ के बल लेट गया व रूचि को अपने ऊपर पेट के बल लेटा दिया, उसकी चूत अब मेरे मुँह पर थी और मेरा लंड उसके मुँह पर! हम दोनों एक दूसरे को चूसने और चाटने लगे, रूचि मेरे लंड को चाट रही थी और मैं रूचि की चूत को चाट रहा था।
कुछ ही देर में दोनों मस्त हो गए, मैंने रूचि को पीठ के बल लेटाया और उसकी दोनों टाँगों को अलग कर के अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा तो रूचि और तड़प गई।
मैंने रूचि की चूत और अपने लन्ड पर वैसलीन लगा कर उसकी चूत पर लंड रखा और हल्का धक्का दिया तो लंड थोडा सा अंदर चला गया और रूचि अभी से ही उसकी हालत ख़राब हो गई, मैंने सोचा ज्यादा तेज नहीं करूँगा।
अब मैंने फिर से एक थोड़ा जोर के धक्का मारा और रूचि चीख पड़ी- आःह्ह! आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था, मैं हल्के हल्के से रूचि की चूत में लंड को अंदर बाहर करने लगा और रूचि भी अभी मस्त ही गई थी और वो भी अपनी गांड हिला रही थी।
मैंने अपनी थोड़ी स्पीड तेज करी तो अब रूचि की सिसकारियाँ तेज होने लगी- आआःह्ह्ह ऊऊ मम्मह्ह्ह ह्ह्हआआआ आअह्ह!
अब मैंने देखा कि रूचि मस्त ही चुकी है तो अब और तेज धक्के मारने लगा जिससे रूचि को अब और मजा मिल रहा था।
कुछ देर ऐसे ही रूचि को चोदने के बाद। उसे अपने ऊपर बैठाया और उसने दोनों टाँगें अलग कर ली और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और उछलने लगी। उसके बाल खुले हुए थे और रूचि उछलती तो उसकी चूची भी हिलती। हम दोनों ही मजे में आआह ह्ह्ह म्मम्म कर रहे थे। कुछ ही देर में रूचि झड़ गई और अब उसके गर्म पानी से मेरा माल भी निकलने वाला था तो मैंने रूचि को बेड पर लेटा दिया और उसके हाथ में लंड दिया, रूचि आगे पीछे करने लगी, कुछ ही पल में सारा माल रूचि के पेट पर गिरा दिया और हम दोनों ही बेड पर एक दूसरे को जकड़ कर लेट गए।
तो दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी कैसी रही, जरूर बताना। [email protected]
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