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विडो सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी विधवा ननद चुदाई के लिए तरस रही थी. मैंने उसकी जरूरत को समझा औए डिलडो से उसकी चूत खोली, फिर अपने यार से उसे चुदाया.
हैलो फ्रेंड्स, मैं रूपा एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी में आपका स्वागत करती हूँ. विडो सेक्स कहानी के पिछले भाग पुराने प्रेमी के लंड का मजा लिया में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी ननद अनन्या को मनोज पसंद आ गया था.
अब आगे विडो सेक्स कहानी:
इस कहानी को लड़की की आवाज में सुनें.
मैंने कहा- ठीक है. मैं समझ सकती हूँ कि तुम पर क्या बीत रही है. मैं खुद भी बिना चुदे नहीं रह सकी. तुम्हारा भाई मुझे रोज 2 या 3 बार चोदता है, तब जाकर मेरी चुत की आग ठंडी होती है. हां किसी भी मर्द को काबू में करना हो तो उसे अपनी चुत और मम्मों की झलक तो दिखानी ही पड़ती है. तुम इस बात के लिए दिमागी तौर से तैयार हो जाओ. मनोज से मैं तुम्हारे सामने ही बात करूंगी कि वो शादी करना चाहता है या नहीं. अगर वो हां करे, तो अपने कपड़े उतारने में जरा भी आनाकानी ना करना. और जाने से पहले अपनी चुत और बगलों की सफाई अच्छी तरह से कर लेना … क्योंकि लड़कों का लंड इन्हीं चीजों को देख कर खड़ा हो जाता है. अच्छा तुमने अपने पति के बाद किसी और से भी चुत की सेवा करवाई है?
अनन्या- नहीं भाभी, मैं करवाना तो चाहती थी … मगर कोई ऐसा नहीं मिला, जो मेरा साथ पूरी तरह से दे. मैं- इसका मतलब तुम्हारी चुत बहुत ही भूखी है. इसका इलाज भी है मेरे पास.
मेरे पास एक कमर पर बांधने वाला नकली लंड है, मैं उससे तुम्हारी सेवा अभी कर देती हूँ ताकि तुम्हारी कुछ भूख शांत हो जाए.
मैंने अपनी अलमारी से नकली लंड निकाल कर अपनी कमर पर बांध लिया. जिसे देख कर वो बोली- भाभी तुम तो सच में ही लंड लिए हुए हो, यह तो पूरा असली का लंड नजर आ रहा है. देखो इस पर पूरी लंड के नसें भी नजर आ रही हैं. मैंने कहा- अब जरा इसे चुत में घुसवा लो … फिर बोलना.
मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया. उसकी चुत पर अपना मुँह मार कर पूरी तरह से चुसाई की और जब वो गांड उछालने लगी और उसकी चुत के लिप्स खुलने बंद होने लगे, तो मैंने झट से नकली लंड को उसकी चुत में एक ही झटके में डाल दिया.
वो बहुत जोर से चीखी क्योंकि उसकी चुत जमाने से बिना चुदी हुई थी और वो नई लड़की की तरह से ही हो चुकी थी. मैंने नकली लंड से अपनी कमर उछाल उछाल कर कस कसके धक्के मारे और वो पूरे मज़े लेकर चुदने लगी थी.
जब उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया, तो वो निढाल हो गई. मैंने लंड को बाहर किया और बोली- अब असली लंड के पास जाने के लिए तैयार हो जाओ.
कुछ देर बाद मैं अनन्या को अपने साथ लेकर मनोज के घर पर चली आई.
मनोज से दरवाजा खोला, तो मैंने उससे कहा- देखो … कौन मिलने आई है? जब उसने अनन्या को देखा तो नमस्ते करते हुए बोला- मेरी खुशकिस्मती है कि आपने इस घर में अपने पांव तो रखे. तब मैंने कहा- जरा बैठने तो दीजिए.
वो हम दोनों को अन्दर ले आया.
बैठने के बाद मैंने कहा- अगर आप चाहो तो ये खुशकिस्मत पांव आपके घर पर ही रह सकते हैं.
मनोज ने कहा- मेरी बहुत बड़ी खुशनसीबी होगी अगर आपकी बात सच हो तो! मैंने कहा- देखो मैं कोई लपेट कर बात तो करने वाली नहीं हूँ. सीधी सादी भाषा में ही बात करूंगी. अगर आप इसे अपनी जीवन साथी बनाना चाहें, तो मैं इसके भाई से बात करती हूँ. वरना कोई मजबूरी नहीं है. हम लोग दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे.
मनोज- नहीं रूपा जी, आप बात चलाइए. अगर वो मान जाते हैं तो मैं खुद को बहुत लकी मानूँगा. मैं- ठीक है, मैं बात करूंगी. जैसे ही वो एक दो दिनों बाद आते हैं, मैं बात करूंगी. मुझे पूरा विश्वास है कि वो मेरी बात मान जाएंगे. मैं समझती हूँ कि शादी पक्की ही समझिये. अच्छा अब आप लोग एक दूसरे से बातचीत करिए, मैं घर जाती हूँ. आप लोग लंच तक आ जाइएगा.
यह कह कर मैंने अनन्या को अलग से कहा कि अगर मनोज कुछ करना चाहे, तो थोड़ी नानुकर करके कर लेने देना. मुझे पूरा विश्वास है कि तुमको जैसे ही वो नंगी देखेगा, तो पूरा फिसल कर तुम पर लट्टू हो जाएगा.
मैं दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई.
अब आगे की अनन्या से सुनिए.
हैलो फ्रेंड्स मैं रूपा भाभी की ननद अनन्या आपको आगे की सेक्स कहानी सुनाती हूँ.
रूपा के जाने के बाद मनोज ने दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बोला- आपने सुन ही लिया होगा, जो मैंने रूपा से कहा है. अगर आपकी पसंद कोई और है, तो आप बिना झिझक कर बोल दें … मैं चुप रहूँगा. मैंने तो यह सोच कर कहा था कि हम दोनों की जिंदगी एक दूसरे से बहुत कुछ मिलती जुलती है. दोनों के लाइफ पार्ट्नर हमें बीच राह में ही छोड़ कर चले गए हैं.
मैंने कहा- अगर मुझको ना ही बोलनी होती तो मैं यहां किस लिए आती. मैं कुछ भी कहने से पहले आपके विचारों को सुनना चाहती थी. मैं नहीं चाहती हूँ कि मेरा अगला साथी मुझसे कुछ ऐसी बातें पूछे, जिसका जवाब देने में मुझे अच्छा ना लगे. आप भी जानते हैं कि मेरे पति का देहांत हो चुका है और मैं विधवा हूँ. मेरा सेक्स का अनुभव भी हो गया है. ऐसा ही आपके साथ भी है. अब अगर जिंदगी भर का साथ बना कर रहना है, तो कोई किसी से पुरानी बात पूछ कर उन यादों को जिंदा ना किया जाए. हमें सब कुछ भूल कर आगे का सफ़र तय करना है.
मनोज ने कहा- मैं आपकी बातों से पूरी तरह से सहमत हूँ. इस पर मैंने कहा- शादी की हां करने के लिए मेरी एक कंडीशन है.
उसने कहा- बताइए, अगर मेरे लिए संभव होगा तो मैं बिना झिझक के आपकी कंडीशन को मान जाऊंगा. मैंने कहा- अब तक आपने जो भी किया, उसका मुझे कुछ भी लेना देना नहीं है, मगर आजके बाद आप पूरी तरह से मेरे प्रति सिन्सियर रहेंगे और वैसे ही मैं भी आपके साथ करूंगी.
उसने मेरे हाथों को पकड़ कर कहा- लीजिए, यह इंसान आपसे वादा करता है कि आज के बाद किसी और की तरफ नजर नहीं जाने दूंगा. मैंने भी उसके हाथों को चूम कर कहा- मेरा भी आपसे यही वायदा है.
उसने मेरे होंठों को चूम कर कहा- हाथों से नहीं … होंठों से वायदा किया जाता है. मैंने कहा- ठीक है.
मैंने भी उसके होंठों को अच्छी तरह से चूमा और हल्की से मुस्कराहट बिखेरते हुए पूछा- अब ठीक है. उसने आंख दबाते हुए कहा- हां कुछ कुछ तो ठीक है … मगर .. मैंने पूछा- मगर क्या!
तब उसने मुझे अपनी बांहों में भींचते हुए बोला- इस तरह से. मैंने कहा- आप जरूरत से ज़्यादा आगे बढ़ रहे हैं.
उसने कहा- अगर जरूरत पर आओगी, तो पता है ना कहां तक जाएंगे?
मैं समझ चुकी थी और चुप रह गई. मगर वो रुका नहीं, उसने मेरे मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. मैंने कहा- यह सब शादी के बाद … अभी नहीं.
इस पर मनोज बोला- शादी कौन सी कल होगी. अभी तो तुम्हारे भाई को हां करनी है, फिर उसके बाद भी टाइम लगेगा. जब तक रोटी नजर ना आए … तो भूखे को भूख लगी होने पर भी इंतजार करना पड़ता है. मगर जब रोटी सामने आ जाए, तो उससे नहीं रुका जाता. तुम मेरे सर पर हाथ रख कर बोलो कि क्या मैं ग़लत हूँ.
मैं- नहीं तुम ग़लत तो नहीं हो, मगर फिर भी रोटी को थाली तक तो आने दो ना! वो- वो तो आ चुकी है मगर थाली से उठाने के लिए कोशिश तो करनी ही पड़ेगी ना!
मैं इससे पहले कुछ बोलती, उसने मेरे कपड़ों में अन्दर हाथ डाल कर मेरे मम्मों से खेलना शुरू कर दिया.
मुझे रूपा भाभी की कही हुई बात याद आ गई कि एक दो बार नानुकर करने के बाद, वो जो करे … उसे करने देना. मैं उसको कहती रही कि यह क्या कर रहे हो … कोई आ जाएगा.
तब उसने कहा- कहां से कोई आ जाएगा. तुम्हारी चौकीदार ही तुमको भूखे शेर के सामने परोस कर गई है. उसे क्या नहीं पता कि लड़का और लड़की जब अकेले हों और वो भी दोनों पूरी तरह से भूखे, तो क्या करेंगे. मैंने कहा- मनोज, अभी यह सब ठीक नहीं है.
मगर उसने मेरी एक ना सुनी और मैंने अपने हथियार डाल दिए. इस बार जब उसने मेरे होंठों को चूमा, तो मैंने भी उसका साथ दे दिया.
अब उसने मेरे कपड़े उतार दिए और धीरे धीरे मेरी चड्डी तक पहुंच गया.
चड्डी उतरते ही वो तो जैसे मेरी चुत पर टूट पड़ा.
कुछ देर बाद मुझसे बोला- सच सच बताना, चुत की यह सफाई आज ही हुई है क्या! तुमने खुद की है न या तुमको रूपा ने कहा था! मैंने कहा- हां, रूपा ने कहा था.
तब वो बोला- तुम्हारी भाबी बहुत होशियार है. उसने मेरे लंड का इंतज़ाम करके ही तुमको मेरे पास भेजा है. मैं कुछ नहीं बोली बस उसका लंड सहलाने लगी.
ये देख कर उसने अपने कपड़े भी उतार दिए.
जैसे ही वो नंगा हुआ तो मैंने देखा कि उसका लंड मेरे पहले पति से बहुत मोटा और लंबा था.
मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. उसने लंड हिलाते हुए कहा- अब इसे अपनी चुत का रस पिलाओ. मैंने कहा- शर्म नहीं आती इस तरह से बोलते हुए.
वो बोला- अच्छा होगा कि तुम भी जल्दी से सब सीख लो … वरना हमारा जीना मुश्किल होगा. शादी होती ही लंड और चुत के लिए. तुमको लंड चाहिए, मुझको चुत. हां बोनस में मुझे दो मम्मे और मिल जाएंगे. जब तुम लंड और चुत बोलोगी, तो देखना तुम्हारे मम्मों को यह लंड कितना उछालेगा. मैं चुप हो गई, कुछ ना बोली.
तब उसने कहा- बोलो ना अपने मुँह से कि आइए मेरे लंड राजा, आज तुमको यह चुत बुलाती है. तब देखना कितने झटके मारता हुआ ये लंड चुत तक पहुंचेगा.
मुझको बार बार कह कर उसने मुझे पूरी बेशर्म बनाकर मुझसे कहलवा कर ही छोड़ा कि लंड राजा आ जा.
मगर मनोज ने ठीक ही कहा था. मेरे ये कहते ही उसका लंड उछल उछल कर बेकाबू होने लगा. चुत के पास आकर उसके मुँह को चूमने लगा. मेरी चुत कुछ देर पहले ही नकली लंड से चुद कर आई थी, इसलिए उसे अपना मुँह खोलने में ज़्यादा टाइम ना लगाया.
मेरी चुत ने मनोज के पूरे लंड को अपने अन्दर निगल लिया. लंड के धक्के चुत पर … और चुत के धक्के लंड पर दोनों तरफ से पड़ रहे थे.
ये चुदाई का काम काफी देर तक चला. फिर मुझे लगा चुत के अन्दर लंड कुछ ज़्यादा ही अकड़ रहा है, मैं समझ गई कि लंड अब चरम पर आ गया है. बस तभी लंड ने अपना मुँह खोल दिया और चुत के अन्दर अपना फुआरा छोड़ दिया. उस गर्म पानी के चुत में लगते ही चुत तो मानो अपनी खुशी के हदें पार कर रही थी.
कुछ देर इसी तरह से रहने के बाद लंड महाराज अब ढीले होने लगे और चुत से बाहर आ गए.
इस समय लंड ऐसे लटका हुआ था जैसे उसमें जान ही ना बची हो.
मनोज ने कहा- अभी इसका दिल नहीं भरा है. देखना कुछ ही मिनट में फिर से तुम्हारी चुत में जाने के लिए तैयार हो जाएगा. मैंने कहा- देखती हूँ.
दूसरी बार की चुदाई शुरू हुई तो मनोज ने बोला- अब तुम अपनी चुत को लंड पर चढ़ाओ.
मैं लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे धक्के लगाने लगी. तब वो बोला कि ऐसे चुदाई होती है. धक्के मारो ताकि कमरे में फट फट फट की आवाजें आएं.
मगर जब मुझसे वैसा ना हो सका, तो उसने मुझे नीचे करके चुत की धज्जियां उड़ा दीं. कमरे में बस फॅक फॅक फॅक की आवाजें ही आ रही थीं.
अबकी बार लंड बाहर आने का नाम ही नहीं ले रहा था. खैर जितनी भी उछल कूद करले आख़िर तो उसका पानी निकलना ही था.
जैसे ही चुदाई खत्म हुई, रूपा का फोन आया और बोली- लंच तैयार है, जल्दी से आ जाओ.
मैंने मनोज से कहा, तो वो बोला- चलो चलते हैं. मगर असली लंच डिनर तो यही है.
फिर हम दोनों अपने घर आ गए. मैं किचन में गई तो रूपा ने मुझसे पूछा कि कुछ हुआ या नहीं? मैंने कहा- यह पूछो कि क्या नहीं हुआ! कुछ बाकी नहीं बचा. अब तुम मुझको पिल दो खाने के लिए.
रूपा ने कहा- उसी को कहो, वो लाकर देगा. मैंने कहा- हां यह भी ठीक है.
खाना ख़ाने के बाद हम तीनों पिक्चर देखने चले गए और रात को होटल से खाना खाकर ही वापिस आए.
अब आप मेरी भाभी रूपा से आगे की कथा सुनिए.
हैलो मैं रूपा.
मैंने अनन्या से पूछा- बताओ कहां सोना है. मेरे पास या मनोज के पास!
यह बात शायद मनोज ने सुन ली थी. वो बोला- अनन्या आज मेरी मेहमान है, तुम उसको कल अपने पास रखना.
मैंने कहा- ठीक है. मगर मेरी ननद का पूरा ख्याल रखना. वो कई दिनों से भूखी प्यासी है.
मनोज ने कहा- उसकी चिंता तुम छोड़ दो. अपने पति से बात करके उसको हमेशा के लिए मेर घर भेज दो. मैंने कहा- ठीक है.
घर आकर मनोज अनन्या को लेकर अपने घर चला गया, जहां आज दोनों ने रात को रंगीन करना था.
अगले दिन मैंने उसको फोन किया कि नाश्ते के लिए आ जाओ.
फोन मनोज ने उठाया था. वो बोला- नाश्ता पूरी रात होता रहा है, अब आपकी ननद रानी को नींद आ गई है. जैसे ही वो उठेगी, मैं उसको लेकर आता हूँ. शायद तब तक लंच का टाइम भी हो जाएगा. मैंने मनोज से कहा- जरा दूसरे कमरे में आकर बात करो.
वो बोला- अच्छा रुको.
फिर वो बोला- हां कहो. मैंने कहा- मेरा क्या … मैं भी भूखी हूँ. उसने कहा- अनन्या के जाने के बाद तुमको पूरा खाना खिलाऊंगा. मैंने कहा- ओके.
शनिवार और रविवार दो दिन पूरी तरह से चुदवा कर अनन्या वापिस चली गई. मैंने फ़ोन पर ही अशोक से शादी की बात कर ली थी. वो तो यह सुन कर बहुत खुश हुआ कि उसकी बहन मान गई है.
अशोक ने कहा- मेरे आते ही जो भी पहली तारीख निकलेगी, मैं उसी में शादी कर दूंगा.
अनन्या के जाने के बाद अशोक को वापिस आने में अभी दो तीन दिन और लगने थे.
मैंने मनोज से कहा- आज तुम मेरे घर आओगे या मैं तुम्हारे घर आऊं! वो बोला- मैं ही आता हूँ.
रात होने से पहले ही वो आ गया और डिनर करने के बाद बेडरूम में चला गया.
कुछ देर बाद मैं भी वहां पहुंच गई और उससे बोली- अब सुनाओ, अनन्या को कैसे फुसलाया और उसकी चुत में अपना माल कैसे डाला?
उसने कहा- सब तैयारी तो तुमने ही करवा दी थी. उसकी चुत को चमका कर भेजा था ना मेरे पास. ऐसी चमकीली फिसलती हुई चुत पर कौन नहीं फिसलेगा. कई दिनों से लंड की भी भूखी थी, ऊपर से नखरे कर रही थी और अन्दर से पूरा लंड चुत के अन्दर करवाना चाहती थी. उसको पूरा गर्म करके चुत को पूरी रसीली बना दिया, तो टांगें खोल कर लंड के लिए आ गई.
मनोज ने आगे बताया- पहले मैंने उसको अपने मुँह से चोदा था, जिससे उसकी चुत फड़कने लगे. चुत पूरा इशारा देने लगी थी कि लंड डालो जल्दी से. मैंने जरा भी देर नहीं लगाई और पूरा लौड़ा उसकी चुत में डाल दिया. जैसे ही लंड अन्दर गया, वो गांड उछाल उछाल कर लंड को अन्दर करवाने लगी. इसके बाद वो मस्त हो गई और मुझसे चुदवा कर ठंडी हो गई. उसकी चुत मेरा लंड लेने के हिसाब से फ़ैल गई थी.
दोस्तो, अगली बार आपको इस विडो सेक्स कहानी में आगे लिखूंगी. मुझे आप सभी के मेल मिल भी रहे हैं और मैं कोशिश भी कर रही हूँ कि आप सभी को जबाव दूं. मुझे आपके मेल मिलने से बड़ी प्रसन्नता होती है. प्लीज़ अपना प्यार बनाए रखना. आपकी रूपा रानी [email protected]
विडो सेक्स कहानी का अगला भाग: इस चुत की प्यास बुझती नहीं- 6
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