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दोस्तो,
मेरा नाम विक्की है। मेरी उम्र 25 साल है और मेरा कद 6 फुट 2 इंच है। मैं जालंधर का रहने वाला हूँ। मेरे घर में मैं और मेरे माता पिता रहते हैं। मेरे पिता बिज़नेस मैन हैं और माँ भी उन्हीं के साथ बिज़नेस संभालती हैं।
आज मैं आप लोगों को जो बात बताने जा रहा हूँ, वह मेरे जीवन की सबसे मधुर यादों में से एक है।
यह बात आज से 5 वर्ष पहले की है, मैं अपनी ग्रेजुएशन के दूसरे वर्ष में था।
मेरे पिता जी के बिजनेस पार्टनर की अचानक हुई मृत्यु से उस वर्ष की शुरूआत में ही मेरे पिता को अपने बिज़नेस में काफी नुकसान हुआ था, हमारा बिज़नेस संभल ही नहीं रहा था।
दो महीने ऐसे ही बीत गए, घर के हालात काफी खराब हो गए थे। चूंकि हमारा घर काफी बड़ा है, तो पिताजी ने फैसला किया कि हम अपने घर की ऊपरी मंजिल किराए पर दे देंगे। कुछ ही दिनों में हमने किराएदार रख लिए थे।
यह एक फैमिली थी, जिसमें पति-पत्नी और उनकी दो बेटियाँ थीं।
अंकल जिनका नाम राजेश था.. उनकी उम्र पैंतालीस के करीब होगी और आंटी जिनका नाम मधु था.. उनकी उम्र चालीस के आस-पास की होगी।
उनकी बेटियाँ, नीतू 20 साल और शोभा की उम्र कोई 18 साल के पास होगी। बहुत ही जल्द हमारे परिवार आपस में काफी घुल-मिल गए और ऐसा लगने लगा था कि जैसे वह हमारे ही परिवार का हिस्सा हों।
इसी बीच मैं अपनी परीक्षा पास करके तीसरे वर्ष में एडमिशन ले चुका था।
कुछ वक्त और बीतने के बाद भी जब हमारा बिज़नेस नहीं संभला, तो मेरे मामा जी ने पापा से कहा कि वह मेरे ननिहाल, हिमाचल चले आएं। चूंकि मामा जी का बिज़नेस भी वहीं था.. तो उन्होंने कहा कि पापा वहाँ आकर उन्हीं के साथ मिलकर बिजनेस करें और जब पापा चाहें तो वापस आकर दोबारा अपना बिजनेस शुरू करें।
मम्मी और पापा मान गए.. पर सबसे बड़ी परेशानी थी मेरी.. मैंने अभी-अभी ग्रेजुएशन के आखरी वर्ष में दाखिला लिया था और मेरे लिए दोबारा से नए कॉलेज में एडजस्ट होने में परेशानी हो सकती थी।
सो यह तय हुआ कि मैं यहीं रहकर पढ़ाई करूँगा और ग्रेजूएशन पूरी करने के बाद.. अगर तब तक हमारा बिजनेस नहीं संभल पाया, तो मैं आगे की पढ़ाई हिमाचल में करूँगा।
मम्मी ने मेरे खाने और घर की साफ-सफाई के लिए एक नौकरानी को रख लिया था। पर उसने मम्मी से कहा कि वह सिर्फ सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक आ सकती है और घर की सफाई और रात का खाना बनाने के बाद चली जाएगी।
उसके बाद मेरे माता-पिता मेरे ननिहाल चले गए और वे वहीं रह कर मामा जी के साथ मिलकर व्यापार करने लगे।
अब असली कहानी शुरू होती है। मुझे हमेशा सुबह जल्दी उठने में परेशानी होती थी। जब तक मम्मी थीं.. तब तक तो कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि वह मुझे रोज़ सुबह मेरे दरवाजे पर तब तक दस्तक करती रहती थीं.. जब तक कि मैं उठ न जाऊँ!
पर अब मुझसे सुबह उठा नहीं जा रहा था, अलार्म लगा कर भी देखा, पर अलार्म बजने पर मैं उसे बंद करके दोबारा सो जाता था।
मैंने अपनी यह परेशानी फोन पर अपनी मम्मी को बताई.. तो उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.. वह आंटी से कह देंगी कि वह मुझे उठा दिया करें।
उस दिन के बाद से रोज़ सुबह आंटी मुझे उठा दिया करती थीं। कुछ वक्त तक सब ठीक रहा.. लेकिन एक दिन अचानक आंटी का पांव फिसल गया और उनके पांव की हड्डी टूट गई थी।
अब वह बिस्तर से बिल्कुल भी हिल नहीं सकती थीं, डॉक्टर ने उन्हें आराम करने को कहा था।
अब मुझे सुबह उठाने की जिम्मेदारी आ गई थी नीतू की, वह रोज़ सुबह मेरा दरवाज़ा ठकठका कर मुझे उठाती और मैं दरवाज़ा खोल कर उसे ‘गुड मार्निंग’ विश करता।
एक दिन रात को मैं ब्लू-फिल्म अपने लैपटॉप पर देख रहा था और उसे देख कर मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मारी और आकर सो गया। अगली सुबह मेरे दरवाज़े पर दस्तक हुई.. तो मैंने उठकर दरवाजा खोल दिया और अपनी रूटीन में नीतू को ‘गुड मार्निंग’ कहा।
पर मैंने देखा कि वह मुझे घूर रही है.. जबकि रोज़ाना मेरे दरवाज़ा खोलने पर वह मेरी ‘गुड मार्निंग’ विश का जवाब देकर चली जाती थी। मैंने उसे गौर से देखा और पूछा- क्या हुआ?
वह झेंप कर चली गई।
मुझे उसका व्यवहार अजीब सा लगा और फिर मेरा ध्यान मेरे लण्ड की तरफ गया.. जो इस वक्त तनकर पूरी तरह खड़ा था और मेरे लम्बे लौड़े का उभार पजामे में साफ दिख रहा था।
यह सोच कर मुझे झटका सा लगा और मैं ज़्यादा सोचे बिना तैयार होकर अपने कॉलेज चला गया।
शाम को वापस आने पर मैं खाना खा कर अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था.. तभी नीतू ने दरवाजा खटखटाया।
मेरे दरवाज़ा खोलने पर उसने कहा- मुझे लैपटॉप पर कुछ प्रेजेंटेशन बनानी है।
मैंने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा। तो उसने मुझसे कहा- क्या मैं तुम्हारा लैपटॉप यूज़ कर सकती हूँ?
मैंने हामी भर दी।
वह मेरे कमरे में बैठकर ही काम करने लगी.. मैं भी पढ़ने बैठ गया।
वह ठीक मेरे सामने बैठ कर काम कर रही थी।
मैंने देखा कि वह चोरी-चोरी मुझे देख रही है और मेरे देखने पर वह दूसरी तरफ देखने लगती थी।
मुझे कुछ अजीब लगा.. क्योंकि आज से पहले भी वह काम करने मेरे कमरे में आती थी.. पर कभी इस तरह से नहीं करती थी। मुझे लगा शायद यह सुबह की घटना की वज़ह से हो रहा है।
फिर अचानक नीतू ने मुझसे कहा- प्लीज़ तुम मेरी मदद कर दो। मैं उठ कर उसके पास आया और लैपटॉप अपनी गोद में रख कर उसकी मदद करने लगा।
वह मुझसे एकदम चिपक कर बैठी थी। फिर मैंने उसका काम खत्म करके उसे वापस भेज दिया। अगले दिन इतवार होने के कारण मैंने देर रात तक ब्लू-फिल्म देखी.. फिर मुठ्ठ मारकर सो गया।
सुबह दोबारा मेरा दरवाजा नॉक हुआ। चूंकि आज संडे था सो मैंने कहा- नीतू आज मुझे कॉलेज नहीं जाना है। उसने कहा- मुझे मालूम है पर मुझे कुछ काम है।
मैं खीझ के साथ उठा और जैसे ही दरवाज़ा खोला.. सामने नीतू खड़ी मुस्कुरा रही थी। मैं उसे देखकर दंग रह गया.. वह बहुत बन-संवर कर शायद अभी-अभी नहा कर आई थी।
उसके गीले बाल, गोरा चेहरा, तीखे नैन-नक्श उसे बहुत आकर्षक बना रहे थे। उसने डीप नेक वाला पीले रंग का सूट पहना था.. जो उसके 34-28-34 के जिस्म को और भी सेक्सी बना रहा था।
सच कहा है किसी ने.. कि लड़की गीले बालों में जितनी सेक्सी लगती है, उतनी और किसी तरह से नहीं।
मैं उसे बिना पलक झपकाए देख रहा था। तभी उसने मुझे पुकारा और मैं चौंक कर वापस अपने होश में आया। मेरी इस हरकत पर वो मुस्कुरा उठी।
मैंने उसे अन्दर आने के लिए कहा और वह आकर मेरे बिस्तर पर बैठ गई। बैठने से उसकी क्लीवेज और गहरी दिखाई दे रही थी।
यह देखकर मेरा लंड मेरे पजामे में फनफना उठा, जिसके उभार को उसने भी देखा।
मैंने उससे आने की वजह पूछी, तो उसने कहा- मुझे मेरा कल वाला काम पेन-ड्राईव में चाहिए।
मैंने उससे पैन-ड्राईव ले कर उसका काम उसे दे दिया। वह जाने लगी तो मैंने कहा- कुछ देर बैठो.. तो वह बैठ गई।
हम इधर-उधर की बातें करने लगे। वह बातें किए जा रही थी और मैं आखों से उसके यौवन का रस चूम रहा था।
आधे घंटे बाद उसने मुझे एक चिकोटी काटी और कहा- क्या मैं उसकी बात सुन भी रहा हूँ या नहीं। मैंने हड़बड़ा कर कहा- मैं तो सिर्फ तुम्हें ही सुन रहा हूँ।
तो वह झूठा गुस्सा दिखाकर उठी और जाते वक्त कह गई- सिर्फ देखने से कुछ नहीं होता। उसकी इस बात से मैं समझ गया कि यह तो पटने को तैयार है।
उसके बाद शाम को मैंने आंटी से कहा- मुझे सामान लाने बाज़ार जाना है.. मगर बाईक पर तो सामान नहीं ला पाऊँगा, तो क्या मैं नीतू को अपने साथ ले जा सकता हूँ। आँटी ने खुशी-खुशी नीतू को मेरे साथ भेज दिया।
बाज़ार में मैंने नीतू के साथ मिलकर काफी खरीददारी की और उसे एक प्रेजेंट दिया.. जिसमें मैंने एक नोट छिपा रखा था, जिसमें ‘आई लव यू’ लिख कर उसे दे दिया।
मैंने उससे कहा- यह गिफ्ट तुम घर जाकर अकेले में खोलना। मैंने ध्यान दिया कि उसके बाद उसके चेहरे पर एक मुस्कान सी आ गई थी।
उसके बाद हमने जितना भी टाईम साथ बिताया.. उस सारे समय वह बेहद खुश थी।
उसके बाद हमने डिनर किया और रात कोई आठ बजे हम वापस घर आ गए। मैं अपने कमरे में बैठा था, मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी।
तभी मैंने देखा तो नीतू मेरे कमरे में आई और मुझे गले लगकर मुझसे कहा- मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ। मैं खुशी में झूम उठा और उसे अपनी बांहों में खींच कर उसके माथे पर किस किया.. पर वह खुद को छुड़ा कर चली गई।
उसके बाद हम मौका ढूंढकर मिलते और किस कर लिया करते थे। अब हम आपस में नॉन-वेज मज़ाक भी कर लिया करते थे।
जब भी मैं उसे किस करते वक्त उसके होंठों पर काटता.. वह मेरा लंड मसलकर मुझसे बदला लेती।
मैं अपना दरवाजा लॉक किए बिना सोता था। रोज़ सुबह वह आकर मुझे उठाती और मैं उसे किस करके उसे अपने पास खींचने की कोशिश करता.. पर वह खुद को छुड़ा कर भाग जाती।
मेरे मन में अब उसे पाने की प्यास बढ़ती जा रही थी, पर वह थी कि मुझे किस से आगे ही नहीं बढ़ने दे रही थी।
मैंने इसके लिए एक प्लान बनाया।
वह रोज़ मुझे 7 बजे उठाने आती थी, तो एक दिन मैंने अलार्म घड़ी पर 6.30 का अलार्म लगा कर घड़ी को अपने से दूर रखा ताकि उसे बंद करने के लिए मुझे उठना पड़े।
सुबह अलार्म बजा और मुझे उठ कर उसे बंद करना पड़ा.. जिससे मैं सुबह उठ कर उसका इंतज़ार करने लगा।
जैसे ही उसके आने का वक्त हुआ, मैंने अपने पजामे को नीचे कर दिया.. जिससे मेरा लंड उसे दिख जाए।
मुझे यह सोच कर ही मज़ा आ रहा था कि आज वह मेरे लंड को नंगा देखेगी। मेरा लंड यह सोच कर बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
वह ठीक वक्त पर आई और मैं सोने का नाटक करने लगा। मैं अपनी आंखें हल्की सी खोल कर उसे देखने लगा। उसने मुझे नंगा देखा और घबरा कर वह चली गई।
मैं मायूस होकर जैसे ही उठने लगा था, तभी मैंने देखा कि वह वापस आई और आकर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर वह मेरे पास आकर खड़ी होकर मेरे लंड को घूर-घूर कर देखने लगी।
उसे इस तरह देखकर मेरे लंड में और अकड़ आ गई।
उसने धीरे से मुझे पुकारा, पर मेरी तरफ से जवाब न मिलने पर वह मेरे पास आई और उसने मेरे लौड़े को पकड़ लिया।
मेरा लंड तो जैसे फटने को हो रहा था।
उसके बाद उसने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह बहुत उत्तेजित हो गई थी। वह मेरे लंड को हिलाते-हिलाते मुझे भी देख रही थी कि कहीं मैं जाग तो नहीं गया। फिर अचानक उसने मेरे होंठों को चूमा और मुझे स्मूच करने लगी, साथ ही वो मेरे लंड को भी सहलाती रही।
अचानक मैंने भी उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और अपने पास लिटा कर उस पर चढ़ कर उसे चूमने लगा और उसके मम्मे दबाने लगा।
वह और तेज़ी से मेरे लंड को हिलाने लगी।
मैंने उसके होंठों को छोड़ कर उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया, फिर उसके कान के निचले भाग को.. और फिर कंधे पर।
मेरे हर बार चूमने पर वह एक मादक सिसकारी भर रही थी। मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर उठाना चाहा.. पर उसने मुझे धक्का देकर अलग किया और जाने लगी।
मैं गुस्से से उसकी तरफ देखने लगा.. तो उसने कहा- तुम आज कॉलेज मत जाना। मैं भी कॉलेज जाने के बहाने तुम्हारे कमरे में आ जाऊँगी।
यह सुन कर मुझे बेहद खुशी हुई। मैंने उठ कर फौरन नहाया और अपनी झाँटें साफ की।
अब चूत चुदाई की बेला आ गई थी.. इस दास्तान का पूरा मजा लेने के लिए अगले पार्ट में मिलते हैं।
अपने ईमेल जरूर भेजिएगा। [email protected] कहानी जारी है।
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