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मौसी कहने लगी- मैं तुझे आज तेरे जन्म दिन का ऐसा तोहफ़ा दूँगी कि तू भी क्या याद रखेगा! मैंने कहा- मुझे मेरा गिफ्ट मिल गया!
मौसी ने कहा- अभी कहाँ… अभी तो शुरुआत है, तू अपने कपड़े उतार दे! मैंने कहा- क्यों?
मौसी ने कहा- 10th में पढ़ा है ना स्त्री पुरुष के लिंग के बारे में और उनके संबंधों के बारे में? मैंने कहा- पर उसमें तो यह बताते हैं कि बच्चा कैसे पैदा होता है तो क्या हम बच्चा पैदा करेंगे!
मौसी मेरी बात सुन कर हँसने लगी, मौसी ने कहा- नहीं बुद्धू… बच्चा ऐसा पैदा नहीं होता! बस जैसा मैं बोलती हूँ तू वैसा ही कर! मैंने कहा- मुझे क्या करना है? मौसी ने कहा- अपने कपड़े उतार दे और मेरे ऊपर आ जा! इतना कह कर मौसी बेड पर जाकर लेट गई।
मैंने अपने कपड़े उतारे और मौसी के ऊपर लेट गया। मैं आपको बता नहीं सकता मुझे कितना मजा आ रहा था, मैं तो बस पागलों की तरह मौसी से लिपटे जा रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था, मौसी मुझे कुछ नहीं कह रही थी।
थोड़ी देर बाद मुझे ऐसे लगा कि मेरी लुल्ली में से कुछ निकल रहा है और मैं ढीला पड़ गया। मेरी लुल्ली अब बैठ गई थी।
मैंने मौसी से कहा- ये क्या हो गया? अब हम वो सब कैसे करेंगे जैसा मैंने 10th में पढ़ा था? मौसी ने कहा- घबराने की कोई बात नहीं है, पहली बार ऐसे होता है! जैसे मैं बोलती हूँ, तू वैसा ही कर! मैंने कहा- ठीक है।
मौसी ने कहा- तू मेरे बूब्स को दबा, इनको मसल! मैंने वैसे ही किया। मौसी का हाथ मेरी लुल्ली और उसके नीचे वाले हिस्से पर था, मौसी बड़े प्यार से उन्हें सहला रही थी और मैं उनकी चूची मसल रहा था।
कुछ ही देर में मेरा फिर से खड़ा हो गया! मौसी मुझे पकड़ कर बड़े प्यार से मेरे होंठों को चूमने लगी।
हम दोनों में लिप किस काफ़ी देर तक चली। मैं साथ साथ मौसी के बूब्स दबा रहा था, मौसी भी मेरी लुल्ली को ऊपर नीचे करने लगी। मैंने मौसी से पूछा- आपको कितना मजा आ रहा है?
मौसी ने कहा- बहुत… पर असली मजा तो अभी आयेगा! मौसी ने कहा- ड्रेसिंग टेबल में कोल्ड क्रीम है, वो लेकर आ!
मैं ले आया, मौसी ने क्रीम निकाली और मेरी लुल्ली पर लगा दी और मुझे भी अपनी चूत पर लगाने को कहा। मैंने भी क्रीम लेकर उनकी चूत पर लगा दी।
अब मौसी ने मेरी लुल्ली अपनी चूत के छेद पर रखी और जोर से धक्का लगाकर अंदर डालने को कहा। मैंने वैसा ही किया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! जब मैं लुल्ली डालने लगा तो मौसी ने मेरी कमर को अपने दोनो पैरों से बाँध लिया।
जैसे ही मैंने धक्का लगाया, साथ में मौसी ने पैरों से मेरी कमर दबा दी, लुल्ली अंदर तो चली गई पर मेरी आँखों से आँसू निकल गए मेरे मुँह से इतनी जोर से चीख निकली कि पूरे घर में गूँज गई।
मैं छुड़ाने के लिए बहुत छटपटाया पर कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि मौसी ने अपने पैरों से मुझे बहुत जोर से जकड़ रखा था और ऊपर से मेरे हाथ भी पकड़ लिए थे!
मैंने मौसी से बहुत कहा छोड़ने के लिये पर मौसी नहीं मानी।
फिर मौसी ने मुझे थोड़ी देर बातों में लगाए रखा, मौसी ने मुझसे कहा- तू उस दिन क्या देख रहा था? मैंने कहा- किस दिन? मौसी ने कहा- जिस दिन तू पानी पीने नीचे आया था और मैं नहा कर बाहर निकली थी? मैं हँसने लगा और मौसी भी हँसने लगी।
मौसी मुझे छेड़ने के लिए पूछने लगी- बता क्या देख रहा था? मैंने कहा- आपको पता तो है! मौसी ने कहा- मैं तेरे मुँह से सुनना चाहती हूँ। मैंने कहा- आपके बूब्स… और क्या!
मौसी ने कहा- तो जब मैंने पूछा था कि इकबाल क्या देख रहे हो तो बताया क्यों नहीं? मैंने कहा- मैं डर गया था कि कहीं आप मौसा जी को ना बता दो!
उन्होंने कहा- अच्छा जी, जब तू ऊपर आया था तो डरा हुआ लग तो नहीं रहा था? मैंने कहा- उस रात को जब मैंने सोने के लिए आँख बंद की तो मुझे वही सीन दिख रहा था। उन्होंने कहा- अच्छा जी!
इतना कह कर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया मेरे होठों से होंठ मिला लिये और मुझे चूमने लगी। मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था।
फिर मैं अपने हाथों में उनकी चूची सहलाने लगा, उन्हें चूसने लगा। मौसी ने मेरे सिर को पकड़ रखा था!
कुछ देर बाद मौसी ने पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा? मैंने कहा- नहीं!
उन्होंने कहा- तो हो जा शुरू… लगा झटके! मैं धीरे धीरे हिलने लगा, मैंने अपने दोनों हाथों से मौसी के दोनों बूब्स पकड़ रखे थे और धीरे धीरे झटके मार रहा था और बीच बीच में मौसी मुझे लिप किस कर रही थी।
मौसी अपने मुँह से आह ऊँह आह की सेक्सी आवाज़ निकाल रही थी! मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं ज़न्नत में हूँ… बहुत मजा आ रहा था!
दस मिनट बाद मौसी ने कहा- थोड़े तेज धक्के लगा ना! मैंने वैसा ही किया, मौसी भी हर धक्के का जवाब धक्का लगा कर दे रही थी।
फिर कुछ ही देर में मैं और मौसी एक साथ झड़ गए, झड़ते झड़ते हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए मानो हम दो जिस्म और एक जान हैं! फिर हम दोनों ढीले पड़ गए और ऐसे ही बेड पर पड़े रहे।
मैं मौसी से अभी भी चिपका हुआ था।
थोड़ी देर बाद मौसी ने कहा- अब तेरी लुल्ली लंड बन गई है, देखना अब इसका साइज़ भी बढ़ जायेगा। मैंने अपनी लुल्ली की तरफ़ देखा, उस पर थोड़ा खून लगा था।
मौसी ने कहा- क्या देख रहा है? ये तो होना ही था! मुझे तो इसे हाथ में लेते ही पता लग गया था तेरा टाँका (सील) अभी टूटा नहीं है, मुझे आज थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी इसीलिए तो तुझे बातों में लगाया था जब तू छटपटा रहा था छुड़वाने के लिए!
मैं उन्हें देख कर मुस्कुराने लगा और वो मुझे देख कर! मौसी ने कहा- सफाई करने के बाद तू तो सो गया था ना? मैंने कहा- हाँ, पर भूख लगने के कारण मेरी आँख खुल गई थी।
मौसी ने कहा पर तेरी नीचे आने का भी पता नहीं चला कि तू कब नीचे आ गया। मैंने कहा- मेरी चप्पल नहीं मिल रही थी तो नंगे पैर ही नीचे आ गया था!
फ़िर मैंने कहा- अगर पता लग जाता कि मैं नीचे आ रहा हूँ तो? मौसी ने कहा- तो मैं दरवाजा बंद कर लेती। मैं हँसते हुए बोला- फिर तो अच्छा ही हुआ चप्पल नहीं मिली!
मैंने मौसी से पूछा- आप बिना कपड़ों के कमरे में क्या कर रही थी? मौसी ने कहा- मुझे बहुत गर्मी लग रही थी तो नहा कर ऐसे ही कमरे में आ गई थी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मेरे गीले बदन पर पंखे की हवा लग रही थी पर मैं यह नहीं जानती थी कि तू उठ जायेगा और हमारे बीच ये सब होगा!
मैं मौसी की आँखों में देख कर हँसने लगा और मौसी के निप्पल जोर से दबा दिये। मौसी के मुँह से हल्की सिसकारी और चीख निकल गई। मैंने कहा- आई लव यू! और अपनी मौसी डार्लिंग के होठों पर होंठ रख दिये, उनके बूब्स को अपने हाथों से सहलाने लगा।
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