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सभी पाठकों को अंश बजाज की तरफ से नमस्कार.. दोस्तो, मेरी कहानियों को तवज्जो देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद..
अपनी निजी ज़िंदगी में उलझा हुआ सा मैं.. कहानी लिखने के लिए किसी न किसी तरह समय निकाल लेता हूँ.. और इसका कारण है आप लोगों से मिल रहा प्यार.. अब मुझे भी इसकी आदत सी हो गई है।
लेकिन आज जो मैं कहानी आपको बताने जा रहा हूँ यह कहानी मेरे दिल के बहुत करीब है.. एक पाठक के द्वारा बताई गई यह कहानी एक सच्ची कहानी है और इतनी प्यारी है जिसको मैं ज्यादा दिन अपने सीने में दबाकर नहीं रख सका और इसे लिखते हुए आपके लोगों के रूबरू रख रहा हूँ।
कहानी हरियाणा के करनाल में जन्म लेती है जबकि इसकी जड़ें हरियाणा के ही कैथल से जुड़ी हुई हैं। वो कैसे.. यह आपको कहानी पढ़कर पता लग जाएगा।
इस कहानी में दो किरदार हैं.. एक वो है समाज में जिसका मज़ाक उड़ाया जाता है.. जिसके यार-दोस्त उस पर हंसते हैं.. क्योंकि वो आम लड़कों जैसा नहीं है.. वो कुछ कुछ लड़कियों के हाव-भाव लिए हुए है.. उसके बात करने का अंदाज भी जनाना है… उसे लड़कियों में रूचि नहीं है।
जबकि इसमें उस लड़के की कोई गलती नहीं है, भगवान ने उसे बनाया ही ऐसा है… आम लड़कों के बीच में उसे घुटन सी महसूस होती है.. क्योंकि वो उनकी बातों की झूठी हामी भरता है.. जब वो लड़कियों की चूत और चूचों के बारे में बात करते हैं तो वो भी उसमें दिखावटी रुचि के साथ भाग लेता है, यह दिखाने की कोशिश करता है कि मैं भी लड़कियों में रुचि रखता हूँ, मैं भी इसी पुरूष समाज का हिस्सा हूँ.. ताकि दूसरे लड़के उसे अपने से अलग न समझें.. उसे दुत्कारें नहीं..
लेकिन उसकी आवाज़.. उसकी बातें.. उसकी चाल ढाल.. उसकी इन कोशिशों को बार-बार नाकाम कर देती हैं.. और वो लोगों की नज़र में मज़ाक बनकर रह जाता है और दिन-रात अंदर ही अंदर घुटता रहता है..
इस किरदार का नाम है आदर्श.. जो कैथल से अपनी पढ़ाई करने करनाल आया है.. करनाल में आकर वो एक कमरा किराए पर लेता है।
कहानी का दूसरा किरदार इस कमरे में पहले से ही रह रहा है.. यह किरदार बिल्कुल आम लड़कों की तरह है.. अभी-अभी जवान हुआ है.. खुद पर नए नए लुक्स ट्राय करना.. हेयर स्टाइल बदलना.. खुद को बार बार में शीशे के सामने जाकर देखना.. नए ऩए हेयर कट करवाना.. कपड़ों के फैशन का ध्यान रखना.. जवानी का जोश और वासना का नशा.. दोनों का सुरूर इस पर हर वक्त छाया रहता है।
हालांकि वो भी यहाँ पर पढ़ने के लिए आया है लेकिन हमेशा लड़कियों के बारे में सोचना, उनको ताड़ना, उन पर लाइन मारना.. उनको पटाने के तरीके ढूंढना.. चैटिंग करना और उनसे बातें करते हुए मुट्ठ मारना इसकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है। इस किरदार का नाम है राघव..
इस पाठक ने मुझे ईमेल किया और अपनी कहानी बताई.. अब आगे की कहानी आप राघव की जुबानी सुनेंगे!
उस दिन मेरा मकान मालिक एक लड़के के साथ मेरे कमरे में आया.. शायद वो किराए पर देने के लिए उसे कमरा दिखाने लाया था। लड़के ने कमरा देखा और रहने के लिए राज़ी हो गया, मुझे भी इसमें कोई आपत्ति नहीं थी.. और होती तो भी क्या कर लेता.. कमरा तो मकान मालिक का है वो जिसे चाहे रख सकता है.. तो कमरा फाइनल हो गया और लड़का एडवांस देकर चला गया।
अगले दिन वो सुबह 10 बजे अपना सामान लेकर आ पहुंचा। लड़का देखने में गोरा.. पतला सा नाटे से कद का था.. उसकी हाइट लगभग 5 फिट 2 इंच की होगी.. लेकिन चिकना लगता था देखने में..
उसने अपने सामान को कमरे में रखना शुरू किया और उसको सेट करके नहाने चला गया।
पहले दिन हमारे बीच कुछ खास बातचीत नहीं हुई.. फिर धीरे-धीरे बातों का सिलसिला बढ़ने लगा।
मैं बीएससी कर रहा हूँ और वो भी इसी की पढ़ाई करने के लिए यहाँ आया था।
हफ्ता भर गुजरने के बाद मुझे उसकी आदतें.. उसका बातें करने का अंदाज़ समझ में आने लगा.. वो लड़कियों की तरह से रहता था.. वैसी ही बातें करता था.. इसलिए मैं उसे मज़ाक में गांडू कह देता था.. और पता नहीं क्यों वो भी इस बात का बुरा नहीं मानता था।
फिर धीरे-धीरे तो मैं उसे गांडू कहकर ही बुलाने लगा।
महीना भर बीत गया और हम एक-दूसरे के साथ घुल मिलने लगे.. कभी कभी किसी बात को लेकर लड़ाई भी हो जाती थी लेकिन हम दोनों रूम पार्टनर की तरह अच्छे से रह रहे थे।
एक रात की बात है, आदर्श बाथरूम में नहाने गया हुआ था.. कमरे की लाइट बंद थी मैं अपने फोन में नंगी फिल्में देख रहा था.. मोटे लंड से चुदते हुए लड़कियों की उछलती हुई चूचियां देखकर और उनकी कामुक सिसकारियां सुनते सुनते मेरा 6.5 इंच का लंड मेरे अंडरवियर में तड़प रहा था।
मैं अंडरवियर के ऊपर से लंड को सहला रहा था.. और मुट्ठ मारने के लिए मचल रहा था लेकिन आदर्श के सामने मैंने कभी ऐसा नहीं किया था.. मैंने सोचा कि जब तक वो अंदर बाथरूम में है, मैं अपना लंड हाथ में लेकर रगड़ लेता हूँ ताकि इसकी गर्मी कुछ तो शांत हो!
झटके मारने के कारण मेरे लंड से निकल रहे रस ने अंडरवियर को लंड की टोपी के आस-पास से गीला कर दिया था और मेरे हाथों में भी चिपचिपा पदार्थ लग गया था।
मैंने गांड उठाकर अंडरवियर नीचे की तरफ खींचा और लंड को बाहर खुले में ले आया.. एक हाथ में फोन और एक हाथ में लंड लेकर मैं मुट्ठ मारने लगा।
दो मिनट बाद ही अचानक आदर्श ने बाहर निकलकर लाइट जला दी और मुझे चिपचिपे हाथों पकड़ लिया.. मेरा लंड मेरे हाथ में था और वो मेरी मुट्ठी में भरे खड़े लंड को देख रहा था।
मैंने भी उसको आंख मार दी.. और फिर से नंगी फिल्म देखता हुआ लंड की टोपी को ऊपर नीचे करते हुए मुट्ठ मारने लगा।
वो कुछ नहीं बोला और अपना तौलिया सुखाने चला गया। वापस आकर वो लाइट बंद करके अपने बिस्तर पर आकर लेट गया।
हम ज़मीन पर ही सोते थे और बिस्तर भी साथ में ही लगे हुए थे.. वो दूसरी तरफ करवट लेकर सोने लगा और मैं 5 मिनट बाद अंडरवियर में ही वीर्य की पिचकारी मारकर चैन से लेट गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
रात के 9.30 बज चुके थे और बाहर से गली की लाइट की हल्की हल्की रोशनी कमरे में आ रही थी… लंड को शांत करने के बाद मुझे नींद आ गई।
रात को 12 बजे के करीब मेरी आंख खुली, मुझे प्यास लगी थी.. मैं उठा तो वीर्य से सने अंडवियर में से वीर्य की तेज गंध आ रही थी.. और लंड तना हुआ था.. लेकिन मैं पानी पीकर वापस लेट गया।
मैं लेटा हुआ था लेकिन नींद नहीं आई थी अभी तक.. मैं अपनी गर्लफ्रेंड की चूचियों और चूत के बारे में ही सोच रहा था और लंड अकड़ा हुआ था। मुट्ठ मारने के कारण लंड की नसों में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था.. इसलिए दोबारा मुट्ठ मारना ठीक नहीं समझा मैंने!
20 मिनट बाद मैंने महसूस किया कि मेरे अंडरवियर पर कुछ हल्का हल्का टच हो रहा है। मैंने आंख खोलकर देखा तो आदर्श मेरे अंडरवियर को सूंघ रहा था।
मैं उठा और बोला- ये क्या कर रहा है बे? ‘कुछ नहीं.. मैं तो बस ऐसे ही…’ ‘तू सच में ही गांडू है क्या?’ ‘चल कोई बात नहीं.. ये ले कर ले..’
कह कर मैंने उसकी गर्दन को नीचे झुकाते हुए उसके मुंह को अपने खड़े लंड में दे दिया.. वो उसको चूमने चाटने लगा.. और हाथों से लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़कर रगड़ने लगा।
मैं तो पहले से ही गर्म था तो मैंने अंडरवियर को निकाल कर लंड उसके हाथ में दे दिया। उसके कोमल लड़कियों जैसे हाथ में जब लंड गया तो मुझे अजीब सा आनन्द महसूस हुआ.. मैं उसकी गर्दन को अपने पास लाते हुए उसके पतले-पतले होठों को चूसने लगा।
लंड को और मज़ा लगा, एक तरफ उसके नर्म हाथों में मेरा लंड था और दूसरी तरफ उसके होठों को चूसने का मज़ा.. मन कर रहा था अभी चोद दूं उसको!
मैंने उसके कपड़े निकाल कर उसको पीठ के बल लेटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर.. जांघों के बीच में उसके आंडों के नीचे लंड लगाकर उसके ऊपर लेट गया और होठों को चूसने लगा, उसके मुंह में अपनी जीभ दे दी।
लंड उसकी गांड में घुसने का रास्ता ढूंढ रहा था.. लेकिन ये सब करते हुए मैं अपनी गर्लफ्रेंड की चूत के बारे में ही सोच रहा था।
फिर मैं घुटनों पर खड़ा हो गया और उसके मुंह को लंड के पास लाकर उसके होठों में लंड को अंदर घुसा दिया। उसके नर्म कोमल मुंह में जब लंड गया तो आनन्द के मारे मेरी आह निकल गई ‘आह.. आह.. चूस यार… पूरा ले जा मुंह में.. आह.. चूस मेरे लंड को.. कहता हुआ मैं उसके मुंह को चोदने लगा।
फिर मैंने उसको दोबारा पीठ के बल लेटा दिया और उसकी टांग दोनों हाथों से दोनों तरफ फैलाकर लंड को गांड के छेद पर लगा दिया.. और लंड को अंदर पेल दिया।
गांड के अंदर जाते ही लंड की टोपी खुल गई और मैं सातवें आसमान पर चला गया। इस मजे को दोगुना करने के लिए मैंने पूरा जोर लगाकर लंड को उसकी गांड की गहराई में उतार दिया।
वो निकल कर भागने लगा, खींचा तानी में लंड बाहर आ गया लेकिन मैंने उसके हाथों को बिस्तर पर दबोच लिया और दोबारा उसकी गांड में लौड़ा दे दिया।
अब मैं उसको जोश में आकर चोदने लगा.. उसके हाथों को दबाए हुए उसकी गांड की चुदाई करने लगा। कुछ देर बाद उसको घुटनों के बल झुकाया और उसके गरदाए हुए नरम गद्देदार चूतड़ों के बीच में लंड को देकर अंदर धकेल दिया।
‘आह… मज़ा आ गया..’ गांड इतना मज़ा दे देती है मुझे पहली बार पता चला।
अब तो मेरी स्पीड बढ़ती ही चली गई.. वो भी सिसकारियां लेता हुआ लंड को अंदर बाहर पिलवा रहा था।
मैंने उसके कंधों को कसकर पकड़ लिया और जोर जोर से धचके मारने लगा.. कुछ देर बाद उसकी गांड में मेरा वीर्य निकल गया और मैं उसके ऊपर ही गिर गया।
पहली बार लंड को गांड का मज़ा मिला था इसलिए उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा, उसके जनाना बदन को खूब चूसा।
इसके बाद क्या हुआ.. ये आपको अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा.. कहानी पर अपनी राय देते रहिएगा.. दूसरे भाग के साथ जल्द ही लौटूंगा.. आपका अंश बजाज.. [email protected]
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