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नमस्कार मित्रो, मैं मल्लिका राय, भूले तो नहीं ना जिसने कनाडा में मस्ती की थी।
मैं एक रईस घर से हूँ, पतिदेव एक बहुत बड़ी कंपनी के मालिक हैं, अभी मेरी उम्र 44 वर्ष है। मेरी पहली कहानी पढ़कर बहुत सारे लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि मैं 44 वर्ष की हूँ।
बहुत लोगों ने मुझे मेल में शिकायत की है मैंने कहानी में मेरा फिगर क्यों नहीं लिखा।
तो अब लिख रही हूँ – हाइट 5’7″ है, रंग एकदम गोरा, चूतड़ और जांघें बिल्कुल भरी हुई, चेहरा लम्बा, गाल भरे हुए, आँखें काली, बाल घने और लम्बे जो मेरी कमर तक आते हैं, नाक में छोटी सी नथ या बाली पहनती हूँ जो मेरे पतिदेव को पसन्द है।
मेरे चेहरे पर हमेशा चमक रहती है, कमर 26 और 28 के बीच ही रहती है। मम्मे बहुत बड़े, गोल, कड़क जो मैंने सर्जरी के द्वारा कराये हैं जिसे Breast Enhancement भी कहते हैं जैसे किसी पोर्नस्टार के होते हैं जो मैंने 16 वर्ष पहले कराये थे।
निप्पल एकदम काले, चूत पर बिल्कुल भी बाल नहीं रहने देती।
नियमित योगा करती हूँ, योगा की वजह से ही मैं अब तक इतनी फिट हूँ और इतना स्टेमिना है कि अभी भी एक साथ 7 लंड खा सकती हूँ और जो मैंने खाये भी हैं, जिसकी यदि मूड हुआ तो मैं बाद में लिखूंगी।
कुल मिलाकर एक मॉडल की तरह फिगर बनाकर रखा है। अब आप मेरे शरीर की बनावट का अंदाजा लगा सकते हैं।
मेरी कहानियाँ पढ़ी और उसका मुझे अभी भी बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, बहुत सारे लोगों ने मुझे उनकी नंगी फ़ोटो भेजी, सम्भोग के लिए कहा, कुछ ने सिर्फ दोस्ती और चैटिंग के लिए कहा।
मैं उन लोगों को भी बहुत बहुत धन्यवाद कहना चाहूंगी जिन्होंने मेरे नाम का हस्तमैथुन करते हुए मुझे वीडियो भेजा। कुछ ने एक बार तो कुछ ने दो बार और एक ने तो लगातार चार बार मेरे नाम का हस्तमैथुन किया।
हालांकि यह वीडियो मुझे थोड़ा सन्देहास्पद लगा… लगातार 4 बार कोई व्यक्ति हस्तमैथुन कैसे कर सकता है। मेरे पतिदेव भी लगातार 2 बार से अधिक हस्तमैथुन नहीं कर पाते हैं, और अधिकतम 3 बार पर बहुत ही कम, क्योंकि मैं कई बार उनके साथ ऐसा कर चुकी हूँ।
अब मैं कहानी पर आती हूँ।
मेरी कहानी पढ़ने के बाद मुझे एक महिला का ईमेल आया जो शादीशुदा थी और अपने आपको पतिव्रता बताया यानि उसने उसके पति के अलावा किसी और के साथ सम्भोग नहीं किया था। उन्होंने मुझे कहा कि मैं मेरी पहली गांड की चुदाई की कहानी लिखूँ।
जब मैंने उससे बात करना शुरू किया तो पता चला कि वो सच में ही पतिव्रता है क्योंकि वो महिला मेरी ही परिचित है। उनके ढेर सारे मेल देखकर मैं यह कहानी लिख रही हूँ।
बात तक की है जब मेरी शादी की दूसरी सालगिरह थी, हम दोनों पति-पत्नी बहुत उत्साहित थे क्योंकि हमारी पहली सालगिरह मेरे गर्भवती रहने के कारण मना नहीं पाये थे, यानि चुदाई नहीं कर पाये थे।
रात भर चुदाई के बाद भी सुबह पतिदेव मुझसे पहले उठ गए थे। जब मैं उठी तो देखा कि वो नहाकर सिर्फ अंडरवियर में ही कमरे में घूम रहे थे, उठते ही बिस्तर उन्होंने मुझे मुझे गाल पर एक लम्बा सा चुम्मा दिया, उसके बाद मैं भी फ्रेश होकर नहाने चली गई और सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में ही बाहर आ गई, ब्रा पेंटी भी नहीं पहनी थी।
कपड़े बदलने के लिए मैंने ब्लाउज निकाला तो उसके बाद उन्होंने मुझे पीछे से पकड़कर मेरे पेटीकोट का नाड़ा भी खोल पूरी नंगी कर दिया।
मैं उनसे छूटने का झूठा विरोध कर रही थी। वो मेरे गले पर बार बार चूम रहे थे।
थोड़ी देर बाद कमरे का गेट बजाकर हमें चाय के लिए बुलावा आया। पतिदेव ने 5 मिनट में आने का बोला, उसके बाद मैंने तुरन्त साड़ी पहनी जो मेरी सास ने मुझे गिफ्ट की थी।
उसे पहनने के बाद पतिदेव भी मुझे बहुत देर तक निहारते रहे, और फिर चुम्बन करने लगे। तभी मेरी सास की आवाज आई, हम तुरन्त ही चाय पीने के लिए हॉल में गए।
हॉल में जाते ही मेरी सास ने हम दोनों के गालों पर चुम्मा दिया, हमने भी सास ससुर के पैर छुए और बाकी सदस्यों ने भी विश किया। अब मुझे सिर्फ रात का इन्तजार था क्योंकि आज मेरी दूसरी बार दूसरी सील जो टूटने वाली थी मतलब मेरी कुंवारी गांड भी चुदने वाली थी, और मेरे पतिदेव 3 माह पहले से ही मुझे इसके लिए मना रहे थे।
वैसे वो मना तो पिछले 2 सालों से रहे हैं, पर अभी कुछ महीनों से कुछ ज्यादा ही पीछे पड़ गए थे, पर मैं जानती थी कि आज नहीं तो कल गांड तो फटनी ही है, तो क्यों ना आज ही शुरुआत कर दूँ, तो हाँ कर दी।
वो मेरी कुंवारी गांड की बहुत तारीफ़ करते हैं।
रात आने पर बेबी को सुलाकर मैंने वही साड़ी पहनी जो मैंने सुहागरात पर पहनी थी पर गहने नहीं पहने थे। दूध का ग्लास पहले ही मैं ले आई थी।
बिस्तर पर गुलाब के फूल पतिदेव ने फैलाये थे, खुशबू से कमरा महक रहा था। थोड़ी देर बाद पतिदेव भी कमरे में आये पर सच कहूं तो मुझे बिलकुल ऐसा ही लग रहा था यह मेरी पहली सुहागरात है, और बेशक यह मेरी पहली सुहागरात ही तो है आज मेरी सील जो टूटने वाली है पर गांड की, मेरे मन में भी पहली रात वाली फीलिंग आ रही थी, थोड़ा डर, थोड़ी ख़ुशी, थोड़ी गुदगुदी।
अब टाइम ज्यादा नहीं लूँगी। उन्होंने मुझे किस करना शुरू कर दिया था, मैं भी उनका साथ देने लगी।
चुम्बन करते करते तुरन्त उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, उन्हें मुझे नंगी करने की बहुत जल्दी रहती है सुहागरात को भी उनहोंने तुरन्त ही नंगी कर दिया था।मैंने भी उनकी शर्ट निकाल दी और बनियान भी!
वो मेरे दोनों मम्मों को हाथ में लेकर मसलने लगे तब मेरे मम्मे कुछ खास बड़े नहीं थे, उनको मसलने से दूध भी निकल रहा था।
कुछ देर तक ऐसे ही मम्मे मसलने के बाद जो दूध की धार लग रही थी उसे चाट कर साफ़ कर दिया पर इससे मेरा पूरा पेट और स्तन चिपचिपा हो गया था।
फिर पति मेरे दोनों मम्मों को चूसकर दूध पीने लगे, बीच बीच में निप्पल को भी काट रहे थे।
दस मिनट तक उन्होंने मेरा दूध पीने के बाद मैंने ही उन्हें हटाया, क्योंकि मुझे ही अब सब्र नहीं हो रही थी। वो अभी भी पेंट पहने हुए थे, मैंने ही उनका सर पकड़कर चूत पर लगाया। अब वो मेरी चूत चाट रहे थे, पर डर भी लग रहा था कि पहली बार गांड में लंड जायेगा तो क्या होगा?
उन्होंने मेरी चूत चाटते हुए ही उनकी पेंट और अंडरवियर को निकाल दिया।
जब मैं झड़ने के करीब पहुँची तो मैंने उन्हें अलग कर दिया, पर उन्होंने फिर मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया और आधा मिनट बाद ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और चूत ने पानी छोड़ दिया, वो सारा रस पी गए।
सारा रस चाटने के बाद उन्होंने ताकत से एक उंगली मेरी गांड में डाली, मुझे हल्का सा दर्द हुआ, मैंने चादर पकड़ ली। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पर एक गुदगुदी भी हो रही थी, मेरी धड़कनें तेज हो गई थीं और उत्तेजना में गांड भी ऊपर हो गई थी।
फिर वे मेरी नाभि को चाटने लगे, एक अलग ही अहसास हो रहा था, आज 7-8 महीने के बाद जो मेरी नाभि को चाट रहे थे, सच में इतना मजा आ रहा था। जब वो हटने लगे तो मैंने फिर उनका सर पकड़कर नाभि चाटने के लिए कहा,
कुछ देर नाभि चाटने के बाद जब हटे और मैं बैठी तो उन्होंने फिर बिस्तर पर लेटा दिया, दोनों हाथों की उँगलियों में उंगलियों को फंसा कर उनका लण्ड मेरे मुँह के पास लाए। मैं उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी।
कुछ देर ऐसे ही चूसने के बाद वो अब मेरा मुँह चोदने लगे। 3-4 मिनट में ही उनका लण्ड तैयार हो गया। उनका लण्ड पूरे 8 इंच का है और मोटाई 2.5 इंच है।
अब मैं भी बहुत गर्म हो गई थी, उन्होंने भी मेरी हालत समझते हुए लण्ड को चूत में डालने में देरी नहीं की। मेरी दोनों पैर को उनके कन्धे पर रखकर 3-4 झटकों में ही लण्ड मेरी चूत की दीवार को चीरता हुआ बच्चेदानी से जा टकराया और फिर पूरे कमरे में थप थप की आवाज गूंजने लगी।
मेरे मुंह से भी आनन्द आह अहह की आवाज की आवाज निकल रही थी और दोनों हाथों से चादर को खींच रही थी। 5 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद मुझे किस करने लगे और दूध पीकर अब मेरा एक पैर कन्धे पर रखकर धक्के लगाने लगे।
उनका लण्ड हर धक्के के साथ मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था।
10 मिनट की चुदाई के बाद मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा तो मैंने चादर छोड़ उनके हाथों को पकड़ लिया और 1 मिनट में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
पानी छोड़ते ही मैं थोड़ी ढीली पढ़ गई और पतिदेव ने भी धक्के लगाना रोक कर मुझे किस करना शुरू कर दिया और फिर मुँह को चोदने लगे।
तभी अचानक पतिदेव बोले- तैयार हो जाओ! और मुझे फर्श पर बिस्तर के सहारे घोड़ी बना दिया।
मैंने बिस्तर की चादर को तुरन्त भींच लिया, तभी पतिदेव हंसते हुए बोले- अभी से इतना डर रही हो तो गांड फाडूंगा तब क्या करोगी?
मैं कुछ नहीं बोली और वे लंड को गांड में फ़ंसाने लगे। मैंने भी गांड को ढीला छोड़ दिया पर लण्ड अंदर जा नहीं पा रहा था तो मेरी गांड में उंगली डालकर छेद को बड़ा करने लगे। फिर उंगली निकाल ली और एक साथ 2 उंगलियाँ घुसा दी।
जब छेद थोड़ा खुल गया तो लण्ड फंसाया तब कुछ हिस्सा अंदर गया, मुझे थोड़ा दर्द होने लगा।
उन्होंने लण्ड को बाहर निकाला और फिट उंगली डालकर छेद को बड़ा करने लगे। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद उन्होंने फिर लण्ड को अंदर घुसाया इस बार उनका आधा लण्ड अंदर गया, मेरे चेहरे की तो हवाइयाँ उड़ गई थी, इतना दर्द हो रहा था अगर मैंने चादर मुँह में नहीं ली होती तो पूरे घर में मेरी चीख पहुँच जाती।
पूरे बदन में सनसनी फैल गई थी, बस आँखों से आंसू ही निकलने बाकी रह गए थे, तो वो उनके एक और झटके ने निकलवा दिए जब उनका लण्ड मेरी गांड में पूरा अंदर तक समा गया था।
दर्द के मारे मैं तड़पने लगी थी और छुटने की कोशिश जिसमें मैं सफल भी रही, पर कब तक दूर रहती… मना करने का भी कोई फायदा नहीं था।
अब मेरी गांड का छेद खुल चुका था, तो पतिदेव का लण्ड चूसने लगी जो कि कुछ देर से ढीला पड़ा हुआ था, जब मैं उनकी पकड़ से आजाद हुई थी।
मैंने बहुत देर तक उनका लण्ड चूसा और अब मेरी गांड का दर्द भी कम हो चुका था।
जब उनका लण्ड पूरी तन गया तो उन्होंने मुझे फिर से घोड़ी बनाया, लेकिन इस बार मैंने पहले ही चादर मुँह में दबा ली थी क्योंकि मैं जानती थी कि गांड का छेद खुलने के बाद पतिदेव मुझे एक वहशी की तरह ही चोदेंगे।
और ऐसा ही हुआ, उन्होंने इस बार एक ही झटके में पूरा लण्ड मेरी गांड में उतार दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
उनके लण्ड की रगड़ से दर्द के साथ साथ एक मजा भी दे रहा था, सोचा नहीं था कि गांड की चुदाई भी इतनी हसीन और मीठा दर्द देती है, लेकिन मीठा दर्द थोड़ी ही देर के लिए था। अचानक उन्होंने धक्के लगाना बंद कर दिए और मुझे बिस्तर पर घोड़ी बना दिया और इस बार तो पूरी ताकत के साथ जोरदार धक्के लगा रहे थे, पर इस बार हसीन दर्द नहीं दर्द भरा दर्द हो रहा था।
दर्द के मारे मेरी हालात खराब होती जा रही थी और मेरी पकड़ भी कुछ ढीली पड़ती जा रही थी।
5 मिनट बाद फिर अचानक उन्होंने धक्के लगाना बन्द कर दिए तो मुझे भी थोड़ी राहत मिली। मैं उनका लण्ड चूसने लगी।
कुछ देर बाद पोज़ बदल कर मुझे चोद पर इस बार उन्होंने मुझे कुतिया बनाकर चोदा, इस आसन में मुझे भी बहुत मजा आ रहा था क्योंकि लण्ड आसानी से पूरा मेरी गांड में समा रहा था, मेरी दर्द भरी सिसकारियाँ निकलना जारी था।
थोड़ी देर बाद उन्होंने पोज़ बदला और मुझे गोदी में बैठा लिया और लण्ड गांड में फंसाकर खुद भी बिस्तर पर बैठ गए और मेरा दूध पीने लगे, मैं भी उनकी पीठ सहला रही थी।
कुछ देर ऐसे ही दूध पीने के बाद वो फिर खड़े हुए, एक हाथ मेरी कमर से व दूसरा हाथ मेरे चूतड़ पर और मैंने भी उन्हें टांगों से जकड़ लिया, मेरे हाथ उनके कन्धे पर थे।
मैंने आपको पिछली कहानी में बताया था कि यह मेरी और मेरे पतिदेव की भी सबसे पसन्दीदा पोज़ है। एक हाथ से कमर और दूसरे चूतड़ पकड़कर वो मुझे ऊपर नीचे करने लगे थोड़ी देर बाद वो धक्के लगाने लगे, ऐसा जब भी करते, मुझे बहुत मजा आता है।
क्योंकि मैंने उनकी कमर को टांगों से कसकर जकड़ रखा था तो वो ताकत से धक्के लगाते, इससे मजा और भी बढ़ जाता।
पर एकदम उन्होंने धक्कों की गति तेज कर दी, मैं समझ गई कि उनका निकलने वाला है। 2 मिनट बाद ही वो मेरी गांड में झड़ गए और ढीले होकर हाँफते हुए वही बिस्तर पर बैठ गए।
उनका लण्ड मेरी गांड में ही फंसा था, वीर्य गांड में से निकलता हुआ उनकी जांघों पर आ रहा था। मैंने भी उन्हें टांगों से जकड़ रखा था और पीठ सहला रही थी। वो भी मेरी पीठ को सहला रहे थे और पता नहीं मेरी गांड की तारीफ करते हुए क्या क्या बड़बड़ा रहे थे। मुझे भी गाण्ड में एक हसीन दर्द और जलन दोनों हो रहे थे।
उस रात उन्होंने 4 बार मेरी गांड मारी, लेकिन इतनी बेरहमी से कि कभी मिलूंगी ही नहीं या फिर कोई दुश्मनी निकाल रहे हों।
सुबह उठी तो मेरी गांड बहुत ही बुरी तरह से सूज रही थी इतनी कि मुझे ठीक होने के लिए 4-5 तक दवाई लेनी पड़ी।
लेकिन उसके बाद वे जब भी मेरी गांड मारने की कहते तो मैं उछल उछल कर गांड मरवाती हूँ और आज भी वैसा ही करती हूँ। सच में उस दिन मैं भी उन खुशनसीब औरतों में शामिल हो गई जिन्होंने अपने पति से ही चूत और गाण्ड की सील खुलवाई एक बात और कहूँ तो गांड मरवाने के बाद मुझे सच में एक पूर्ण औरत होने का अहसास हो रहा था।
तो यह है मेरी पहली गांड चुदाई की कहानी! आपको कैसी लगी मुझे मेल करके अपनी राय बताएँ, उम्मीद करती हूँ कि अच्छे कमेंट्स ही करेंगे। आगे भी और कहानियां लिखती रहूंगी। [email protected]
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