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दोस्तो, आपने कामुकता से भरी मेरी जवानी की सेक्स कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि कैसे शॉपिंग करते समय देवेश मेरी तरफ आकर्षित हुआ और फिर हम दोनों ने मिलकर चुदाई की और फिर रात को मेरे पति रवि ने मुझे चोदा।
अब आगे-
अगले दिन सुबह मैं उठी और क्योंकि रात को रवि के साथ हुईं चुदाई के बाद मैं नंगी ही सो गई थी तो मैंने उठकर अपना गाउन पहन लिया पर मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था। रोज की तरह मैंने रवि को उठाया और फिर रोहन को उठाने के लिए उसके रूम में गई।
मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया। मेरे चुम्बन से उसकी आंख खुल गई और वो उठ गया।
उठते ही उसने मुझे अपने गले से लगा लिया और मेरे मम्मों को अपने सीने से दबाने लगा और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा। पर मैंने उसको रोक दिया और बोली- अभी नहीं, तेरे पापा हैं घर पर… शाम को आकर कर लेना।
तो रोहन बोला- मम्मी, आज मैं कॉलेज से जल्दी आ जाऊँगा। तो मैंने कहा- ठीक है, आ जाना!
और वो उठकर तैयार होने लगा।
मैंने रवि और रोहन दोनों के लिए लंच बनाकर रख दिया और दोनों चले गए।
मैं अब अन्नू के रूम में उसको उठाने गई पर वो पहले से ही जाग चुकी थी। ग्यारह बजे अन्नू भी अपने स्कूल के लिए चली गई, फिर मैं घर के काम-काज में लग गई।
काम ख़त्म करने के बाद मैं नहाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतारे ही थे कि डोरबेल बजी।
मैं जानती थी कि यह मनीषा ही होगी तो मैंने अपने नंगे बदन को तौलिये से लपेट लिया जिससे मेरा तन ढक गया और मैं गेट खोलने के लिए जाने लगी। मैंने पीप होल से देखा तो बाहर मनीषा ही खड़ी थी।
मैंने दरवाज़ा खोलकर उसे अंदर बुला लिया। मुझे इस हाल में देखकर मनीषा बोली- क्या हुआ दी? आज का भी कुछ प्रोग्राम है क्या जो केवल तौलिया लपेटकर खड़ी हो? मैं मुस्कुरा कर बोली- नहीं यार, मैं नहाने ही गई थी कि तू आ गई।
मैंने उसे बैडरूम में बिठाया और उससे बोली- मैं बस पांच मिनट में नहाकर आती हूं! फिर नहाने चली गई।
थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम से नहा कर निकली, मैंने टॉवल को वैसे ही लपेटा हुआ था, मैं बैडरूम में आ गई।
मनीषा वहीं पर बैठी हुई थी। मैं टॉवल में ही उसके पास जाकर बैठ गई और हम आपस में बात करने लगी।
मनीषा बोली- दी, आप वो नई ब्रा और पैंटी लेकर आओ ना? तो मैंने अलमारी से दोनों जोड़ी निकाल कर उसे दे दी।
उसने उनमें से मैरून कलर वाली जोड़ी को पसंद किया था और मैंने अपने लिये काली जोड़ी को रख लिया।
मनीषा बोली- दी, मैं इन्हें पहन कर चेक कर लूँ? मैंने हां बोल दिया तो मनीषा बाथरूम की तरफ जाने लगी।
मैं बोली- यहीं पहन लो… मुझसे भी क्या शर्माना।
तो मनीषा बोली- फिर तो आपको भी मेरे साथ में ब्रा पैंटी पहन कर दिखानी पड़ेंगी। मैं बोली- हाँ ठीक है।
मनीषा ने सूट पहना हुआ था, तो वो कमीज उतारते हुए बोली- आप भी अपना टॉवल खोल लो।
अब वो केवल अपनी सफ़ेद ब्रा और सलवार में थी, उसके मम्मे भी बड़े और सख्त थे।
मैं मनीषा के सवाल का जवाब देते हुए बोली- मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है।
मनीषा अब तक अपनी सलवार भी उतार चुकी थी और अब वो मेरे सामने बस ब्रा और पैंटी में ही थी।
मेरी बात सुनकर मनीषा बोली- कल देवेश के सामने तो ख़ुशी ख़ुशी उतार दी और मेरे सामने नहीं उतार सकती? मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मैंने अपना टॉवल खींच दिया, मैं मनीषा के सामने बिल्कुल नंगी हो गई।
मनीषा की नज़र मेरे नंगे बदन को निहारने लगी। वो मेरे मोटे चिकने चूतड़, गदराई हुई गांड, मेरे भरे हुए गोल दूधिया मम्मों को एकटक देखे ही जा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उसको आवाज़ लगाती हुई बोली- मनीषा? क्या हुआ? कहाँ खो गई और ऐसे क्या देख रही है मुझे? मनीषा बोली- दी, आपका फिगर तो बहुत ही सेक्सी है शायद इसलिए आप पर हर कोई लाइन मारता है।
मैंने कहा- धत्त पागल… कुछ भी बोल रही है। अगर मैं इतनी सेक्सी हूँ तो तू कौन सी कम है। और मैंने मनीषा को उसकी ब्रा पैंटी उतारने को कहा।
उसने बिना किसी झिझक के अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी। अब हम दोनों एक दूसरी के सामने बिल्कुल नंगी थे। मनीषा भी कुछ कम नहीं थी उसके मम्मे भी भरे हुए थे और एक शानदार फिगर की मल्लिका है।
फिर हमने अपनी अपनी नई ब्रा पैंटी उठाई और पहनने लगी। मैंने सबसे पहले पैंटी पहनी और फिर ब्रा पहनने लगी पर कल की तरह आज भी मुझसे उसका हुक नहीं लगा तो मैंने मनीषा को हुक लगाने का बोला।
मनीषा अभी अपनी पैंटी ही पहन रही थी। वो ब्रा पहने बिना ही मेरे पास आई और ब्रा का हुक लगाने लगी। वो मुझसे चिपक कर अपने बूब्स को मेरी पीठ पर रगड़ रही थी और अपनी कमर और चूत को मेरी गांड से रगड़ने लगी।
हुक लगाकर वो हट गई और फिर वो अपनी ब्रा पहनने लगी। मनीषा की इस हरकत से मैं गर्म हो चुकी थी।
मैरून ब्रा पैंटी में वो किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। मनीषा को वो जोड़ी एकदम फिट आई और अब हम ये नई ब्रा पैंटी उतारने लगी।
मैं फिर से बिल्कुल नंगी हो गई थी और मनीषा ने अपनी पैंटी उतार दी थी। मैंने जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और अपने बूब्स और चूत को उसकी पीठ और गांड पर रगड़ने लगी।
मनीषा बोली- वाह दी, आप तो बदला लेने आ गई मुझसे? मैंने कहा- तूने हरकत ही ऐसी की थी कि बिना बदला लिए रहा नहीं गया।
अब मनीषा पीछे मुड़ी और मेरे गालों पर चुम्मियाँ देने लगी। मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे हमारे जिस्म आपस में मिल गए।
हमारे चूचे आपस में रगड़ खा रहे थे तो मैंने उन्हें मनीषा के वक्ष में दबा दिया। मनीषा की चुम्मियों के बदले में मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और वो भी मेरे होंठों को चूम रही थी।
अब मनीषा के हाथ मेरे मम्मों पर पहुँच गये और उन्हें दबाने लगी, कभी वह उन्हें मसलती तो कभी निप्पल खींच देती और उन्हें चूसने लगती। बदले में मैं भी अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसकी गांड को दबाने लगी।
फिर मैंने एक हाथ को आगे की तरफ किया और मनीषा की चूत पर रखकर उसे सहलाने लगी। मेरा एक हाथ मनीषा की चूत पर था और दूसरे से मैं मनीषा की गांड को सहला और दबा रही थी।
मनीषा भी अब मेरे बूब्स को छोड़कर मेरी गांड पर पहुच गईं और थोड़ी देर दबाने के बाद वो मेरी गांड पर चिमटी और चमाट मारने लगी।
मैं उसकी हर चिमटी पर ‘आआ आहहह हहह… ऊऊहह…’ करने लगी। थोड़ी देर मनीषा की चूत सहलाने के बाद मैंने उसकी चूत को दो उंगलियां डाल कर चोदना शुरू कर दिया।
मेरी इस हरकत से मनीषा सिहर उठी और चिल्लाने लगी- आआहह हहह… ओहह… दीदी… उहाहम.. हहुहोहम्म.. महुह.. उउईई माँ… आहहह दी..
अब मैंने मनीषा को बेड पर लेटा दिया और हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं मनीषा की चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी, मनीषा भी मेरी चूत को चाट रही थी।
मनीषा ने अपनी एक उंगली को थूक से गीला किया और मेरी गांड में डाल दिया।
एक उंगली जाने से मुझे कुछ ज्यादा असर नहीं हुआ तभी मनीषा ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी गांड के छेद में डाल दी। मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
अब वो लगातार अपनी उंगलियों से मेरी गांड और जीभ से मेरी चूत को चोद रही थी। मैं भी अब मजे से अपनी गांड और चूत को मनीषा के मुँह पर दबा रही थी।
मैं भी मस्ती में ‘ओह.. हाआ.. और चाटो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊहह.. और ज़ोर से चाटो.. अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दो.. बहुत मज़ा आ रहा है..ऑहह…. आ.. एयेए.. आहुउ..’ की सीत्कारें करने लगी।
मैं भी लगातार मनीषा की चूत को कभी उंगलियों तो कभी जीभ से चोद रही थी।
थोड़ी देर बाद वो अकड़ने लगी और उसकी चूत से उसका रस बाहर आने लगा जिसे पर मैंने अपना मुँह रख दिया। मनीषा मेरे मुंह पर ही झटके देने लगी और झड़ने लगी। मैंने उसका सारा पानी पी लिया।
झड़ने के बाद मनीषा ने अपनी उंगलियों को मेरी गांड से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया। अब वो अपनी दो उंगलियों से तेजी के साथ मेरी चूत को चोदने लगी।
मैं भी अपने चरम पर आ चुकी थी तो मेरी सिसकारियाँ और बढ़ गई, एकाएक मेरा बदन अकड़ने लगा। मैं अपने हाथों को मनीषा की कमर पर रखकर अपने ऊपरी शरीर को उठाते हुए झड़ने लगी।
मेरा योनि रस मेरी चूत से निकलता हुआ सीधे मनीषा के चेहरे पर गिरने लगा।
पूरी तरह से झड़ने के बाद जब मैंने मुड़कर मनीषा को देखा तो उसका चेहरा पूरा गीला था। मैंने उसके होंठों पर चुम्बन किया, फिर मनीषा उठकर बाथरूम चली गई और खुद को साफ करके वापिस आई और फिर हम दोनों नंगी ही बेड पर लेट गई।
थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी तो हम दोनों जल्दी बेड से उठे और अपने कपड़े पहन लिए। मैंने अंदर नई वाली ब्रा पैंटी पहन ली और ऊपर से सूट पहन लिया।
मैंने दरवाजे पर जाकर देखा तो रोहन खड़ा था। तभी मुझे याद आया कि आज वो जल्दी आने का बोलकर गया था पर मुझे याद नहीं रहा था।
दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे लिपट गया। मैंने देरी न करते हुए उसे बताया कि मनीषा आंटी आई हुईं हैं।
रोहन मेरा इशारा समझ गया और मुझे छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद मनीषा अपने घर जाने लगी, मैं उसे दरवाज़े तक छोड़ने गई, मैंने उससे कहा- अब तो आती रहना।
मनीषा मुस्कुरा कर बोली- हाँ बिल्कुल! और वो चली गई।
जब मैं अंदर आई तो मैंने देखा कि रोहन ड्रेसिंग टेबल पर रखी मेरी पैंटी जिससे मैंने कल अपनी चूत साफ की थी, उसको सूंघ रहा था।
इससे आगे की कहानी अगले भाग में। मुझे कई पाठकों के मेल आये जिनमें उन्होंने मेरी पिछली कहानियों के लिंक भेजने का जिक्र किया था तो मैं उन्हें यहाँ पर अपने अन्तर्वासना पेज का लिन्क दे रही हूँ, मेरी सभी कहानियों की सूचि इस पेज पर है।
आपको मेरी लेस्बीयन सेक्स कहानी कैसी लगी, आप अपने विचार मुझे मेल कर सकते हैं। [email protected]
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