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फिर हम रूबी मैडम की कार में बैठ कर होटल चले गए जहाँ एक काफी अच्छे दिखने वाले होटल में रूबी मैडम ने हम दोनों को एक ही कमरे में टिका दिया और बाकी काम की बातें कल पर छोड़ कर रूबी मैडम वापस चली गई। होटल का कमरा अच्छा था और ज़रूरत का सब समान उसमें मौजूद था।
कम्मो ने जल्दी ही सारा सामान खोल कर अलमारी में सजा दिया और मेरी नई ड्रेस निकाल कर पलंग पर रख दी। फिर वो अपने कपड़े ले कर नहाने के लिए बाथरूम में जा रही थी कि अचानक मुड़ी और बोली- छोटे मालिक आओ आज मैं आपको अपने हाथों से नहला दूं जैसे बचपन में नहलाती थी।
मैं चौंक गया और बोला- देख कम्मो, आज से तू मुझुको छोटे मालिक कह कर नहीं बुलायेगी, हमेशा सोमू कह कर ही बुलाया करेगी। ठीक है ना? और रही नहाने की बात तो वाह… इससे बढ़िया क्या हो सकता है, चलो इकट्ठे नहाते हैं आज!
यह कह कर मैं जोश में भर के उठा और अपने कपड़े उतारने लगा और कम्मो को देखा तो वो बुत बनी वहीं खड़ी थी, मैंने मज़ाक के लहजे में पूछा- क्या हुआ कम्मो रानी, चुप क्यों हो गई हो? आओ मुझको नहलाओ, जल्दी करो… खाने की भी भूख लग रही है।
कम्मो हँसते हुए अपने कपड़े भी बाहर ही उतारने लगी और फिर हम दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डाले बाथरूम में चले गए।
बाथरूम में घुसते ही मैंने कम्मो को एक बड़ी ही ज़ोरदार जफ़्फ़ी मारी और उसके चूतड़ों को भी थोड़ा सहलाया।
कम्मो ने शावर को चला दिया और हम दोनों उसके नीचे नहाने का लुत्फ़ उठाने लगे। तब कम्मो ने साबुन ले कर मेरे सारे शरीर पर लगाना शुरू कर दिया और जब साबुन मेरे सारे शरीर पर लग चुका तो मुझको ऐसा लगा कि साथ वाले रूम से कुछ आवाज़ें सुनाई दे रही हैं।
मैंने कम्मो को इशारा किया कि वो थोड़ी देर रुक जाए और मैंने शावर के नीचे जा कर अपने मुंह और सर पर लगे साबुन को धो दिया।
शावर से निकल कर मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की तो किसी ज़नाना आवाज़ के हल्के हल्के गाने की आवाज़ आ रही थी।
मैं अब बाथरूम की दीवारों को ध्यान से देखने लगा कि किधर से यह बड़ी ही मीठी और मधुर गाने की आवाज़ आ रही है। चारों तरफ देखने के बाद मुझ को एक कोने में एक छोटा सा रोशनदान नज़र आया।
कम्मो को चुप रहने का इशारा करके मैं कमरे में से एक कुर्सी उठा लाया और उसको ठीक रोशनदान के नीचे रख कर मैं उस पर खड़ा हो गया और धीमे से रोशनदान को खोला तो वहाँ भी ऐसा ही बाथरूम पाया जिसमें से एक लड़की की आवाज़ आ रही थी।
मैंने रोशनदान का पल्ला थोड़ा और ऊपर किया तो मैंने देखा कि जवान लड़की वहाँ खड़ी हुई अपने नंगे शरीर पर कोई क्रीम या लोशन लगा रही थी और साथ में थोड़ा गुनगुना रही थी।
क्योंकि मैं सिर्फ उसके चूतड़ ही देख पा रहा था जिसको देख कर मुझको लगा कि वो लड़की शायद बहुत ही खूबसूरत थी क्योंकि उसके कूल्हे रेशम के समान चमक रहे थे।
मैं चुपचाप नीचे उतरा और कम्मो को कुर्सी पर खड़ा कर दिया और अब वो अंदर देख रही थी।
यह अच्छा मौका था, मैं कम्मो की गांड और चूतड़ों को सहलाने लगा लेकिन मेरा लन्ड आज सुस्त सा लटका रहा और उसमें कुछ भी हरकत नहीं हो रही थी।
मैंने सोचा कि शायद रात की चुदाई के बाद वो बेहद थक गया होगा इसलिए उसमें कोई हरकत नहीं हो रही है। अब मैंने अपना ध्यान लन्ड से हटा कर कम्मो के चूतड़ों पर लगा दिया।
कम्मो की गोल और उभरी हुई गांड अक्सर बहुत ही कम औरतों में देखी जाती है। ज़्यादातर हिंदुस्तानी औरतों की गांड काफी चौड़ी और फैली हुई होती है जबकि बहुत कम ही औरतें ऐसी होती हैं जिनकी गांड गोल और उभरी हुई होती है।
कम्मो की गांड को गौर से देखने के बाद मुझको लगा कि कुदरत ने औरतों की गांड ऐसी बनाई है जिस के नीचे बनी चूत का छिद्र दोनों तरफ से दिखाई दे जाता है।
यही कारण है कि औरतों को आगे पीछे दोनों तरफ से चोदा जा सकता है जब कि अन्य जानवरो को केवल पीछे से ही चोदने का कुदरती चलन है।
मैंने ध्यान से देखा तो कम्मो की चूत के अति सुंदर होंट उसकी गांड के छिद्र के बाल साफ़ दिखाई दे रहे थे।
तभी कम्मो ने मेरे मन में उठ रहे विचारों के सिलसिले को छिन्न भिन्न करते हुए मुझको भी कुर्सी पर खड़े होने के लिए इशारा किया।
जब मैंने वहाँ चढ़ कर साथ वाले बाथरूम का दृश्य देखा तो एक बहुत ही सुंदर लड़की दिखी जो अब अपनी सफाचट चूत के ऊपर उंगली से अपनी फूली हुई चूत को धीरे धीरे रगड़ रही थी।
उसकी उंगली सधे हुए तरीके से उसकी भग को मसल रही थी और उसके मुंह पर अति आनन्द की अनुभूति वाला भाव साफ़ दिख रहा था और उसकी आँखें एकदम मुंदी हुई थी।
उसके मुंह से अस्फुट शब्द निकल रहे थे जो मेरी समझ में नहीं आ रहे थे लेकिन कम्मो कुछ कुछ समझ रही थी।
उसका एक हाथ अपनी चूत पर था और दूसरा अपने मोटे सिल्की मम्मों को टीपने में भी लगा हुआ था।
फिर जब वो स्खलन के निकट पहुँचने वाली थी वो वहाँ रखे एक स्टूल पर बैठ कर अब काफी तेज़ी से चूत और भग का मर्दन कर रही थी।
तब एक ज़ोरदार आह के बाद से उस लड़की का स्खलन हो गया और अपने हाथों को जांघों में भींच कर वो थर थर कांपने लगी।
थोड़ी देर स्टूल पर बैठने के बाद वो स्टूल से उठी और सीधी शावर के नीचे चली गई और नहाने लगी।
हम दोनों भी यह गर्म नज़ारा देख कर काफी उत्तेजित हो गए और तभी कम्मो का एक हाथ मेरे लौड़े पर जा पड़ा और जब मैंने नीचे उसकी तरफ देखा तो वो अपनी मालकिन के हाथों में अकड़ा खड़ा था।
यह देख कर मेरा मन ख़ुशी से झूमने लगा। नहा धोकर हम जल्दी से तैयार हो गए और फिर हम लंच करने होटल के डाइनिंग हाल में पहुँच गए।
जिस टेबल पर हम बैठे थे, वो काफी सेंट्रल जगह पर था और थोड़ी देर में हमने देखा वही लड़की धीरे धीरे चलती हुई हमारे ही टेबल के पास आकर रुक गई और बड़ी ही शायस्तगी से हमसे अपने टेबल पर बैठने की इजाज़त मांगने लगी।
मैं उठा और बड़े ही अदब से उसको हमारे टेबल पर बैठने के लिए कहा। वो हल्के से मुस्कराई और हमारा शुक्रिया करते हुए हमारे साथ बैठ गई।
फिर वह अपना परिचय देते हुए बोली- मेरा नाम रेशमा है और मैं यहाँ फिल्मों में काम करने के लिए आई हूँ, और आप? मैंने जवाब दिया- मेरा नाम सोमेश्वर सिंह है और ये मेरी भाभी कम्मो जी हैं, हम यहाँ घूमने के लिए आये हैं।
रेशमा को देखा तो वो बिल्कुल रेशम की बनी हुई लगी और उसका फ्रेश और एकदम साफ़ चेहरा बहुत ही सुंदर लगा।
उसको गौर से देखते हुए कम्मो बोली- आप शायद फिल्मों में अभी नई ही आई हैं क्यूंकि हमने आपको किसी फिल्म में नहीं देखा है। रेशमा थोड़ा शर्माते हुए बोली- जी हाँ, यह मेरी पहली फिल्म होगी।
हम दोनों ने गोश्त नवाबी और साथ में मलाई कवाब मंगवाए और रेशमा ने सिर्फ मटन कोरमा ही मंगवाया।
खाना खाते हुए हम तीनों एक दूसरे की डिशेस को आपस में शेयर करते रहे और साथ में बातों का भी आनन्द लेते रहे।
एक दो बार मेरे पैर रेशमा की टांगों को छू गए लेकिन उसने शायद कुछ नोटिस नहीं किया।
खाने के बाद पंजाबी कुल्फी का आनन्द लेते हुए मैंने रेस्टॉरेंट में देखा तो वो एकदम फुल था। हमने जल्दी से अपने बिलों पर दस्तखत किये और वहां से उठ गये।
हम दोनों अपने कमरों की तरफ चल पड़े और लिफ्ट में हम तीसरे फ्लोर पर पहुँच गए।
रेशमा भी हमारे साथ ही चल रही थी और मैं यह सोच रहा था कि उसका कमरा तो हमारे कमरे के साथ वाला ही है। हमारे कमरे से पहले ही रुक गई और अपनी चाबी निकाल कर अपने कमरे का दरवाज़ा खोलने के लिए आगे बढ़ी और फिर रुक गई और बोली- आप लोगों का कमरा कौन सा है?
कम्मो और मैंने आगे आ कर अपने कमरे की तरफ इशारा किया और दरवाज़ा खोल कर हम दोनों अंदर जाने लगे तो रेशमा बोली- थोड़ी देर मैं आप दोनों के साथ बैठ सकती हूँ क्या? कम्मो बोली- हाँ हाँ आ जाओ, हम दोनों के साथ बैठ जाओ, गपशप करते हैं।
हमारे साथ ही रेशमा भी कमरे के अंदर आ गई।
अब मैंने उसको ध्यान से देखा तो उसने एक बहुत ही आकर्षक सलवार सूट पहन रखता और उसको देख कर मेरी आँखों के सामने उसका पूरा नंगा बदन घूम रहा था।
तभी कमरे में लगे फ़ोन की घंटी बज उठी। मैंने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ रूबी मैडम बोल रही थी- अरे सोमू यार, सॉरी! स्टेशन पर मैं तुमसे और कम्मो से अच्छी तरह से बात नहीं कर सकी क्योंकि मुझको एक मीटिंग के लिए भागना था! और सुनाओ कमरे में सेट हो गए दोनों? किसी किस्म की तकलीफ तो नहीं? ‘नहीं!’
‘चलो ठीक है, रात को हम सब तुम्हारे ही होटल में खाना खाने का प्रोग्राम बना रहे हैं, मैं और मेरे साथ वो डायरेक्टर साहिब होंगे। आप लोगों का कोई और प्रोग्राम तो नहीं ना?’
मैंने कहा- नहीं रूबी मैडम, हमारा कोई प्रोग्राम नहीं, आप आ जाएँ। रूबी मैडम फिर फ़ोन पर बोली- सुनो सोमू राजा, तुम्हारे साथ वाले कमरे में एक लड़की रेशमा नाम की है, क्या उसको ज़रा बुला दोगे?
मैंने रेशमा की तरफ देखते हुए कहा- रूबी मैडम, वो तो यहीं बैठी है, लो उससे बात कर लो! यह कह कर मैंने फ़ोन रेशमा को दे दिया।
उन दोनों की बात कुछ मिन्ट्स ही चली और फिर रेशमा ने फ़ोन रख दिया और वो मुझसे बोली- अरे वाह, आप भी उसी काम से आये हैं जिस काम से मैं आई हूँ। मुझको भी रूबी मैडम ने डांस और फिल्म में रोले देने के लिए बुलाया है और तुम सोमू? मैं बोला- मुझको भी डांस के लिए बुलाया है।
कम्मो ने बात को आगे बढ़ाते हुए रेशमा को बताया- सोमू भैया ने जो पिछले साल डायरेक्टर साहिब की फिल्म आई थी न, उसमें बड़ा ही मादक डांस किया था जो बहुत ही मशहूर हुआ था शायद तुमने भी देखी होगी वो फिल्म?
रेशमा बोली- अरे हाँ, याद आया… वो चिपको डांस के नाम से बड़ा ही पॉपुलर हुआ था! उफ़, मैं भी कितनी बुद्धू हूँ, पहचान ही नहीं पाई यह तो सोमू ही तो था जो इतना सेक्सी चिपको डांस कर रहा था। अरे वाह मेरी किस्मत… इतने बड़े आर्टिस्ट के साथ मुलाकात हो गई आज!
रेशमा तेज़ी से उठी और आकर मुझ को बहुत ही सेक्सी जफ्फी मारी और कुछ देर मेरी आँखों में देखने के बाद मेरे लबों को चूमने लगी।
रेशमा ने बोलना जारी रखा- आओ सोमू राजा, थोड़ी देर मेरे साथ चिपको डांस कर लो!
यह कह कर वो मुझको खींचती हुई कमरे के मध्य में ले गई और फेस टू फेस डांस शुरू कर दिया।
मैंने कम्मो को बेबस नज़रों से देखा लेकिन वो केवल मुस्करा भर दी और इशारे से कहने लगी कि लगे रहो अपने प्यारे धंधे में!
कुछ मिनटों में मेरा लन्ड पैंट में अकड़ गया और वो ज़रूर रेशमा की कपड़ों में छुपी चूत के ऊपर से रगड़ा मार रहा होगा। रेशमा की कमर धीरे धीरे मेरे खड़े लन्ड के साथ चिपक रही थी और हल्के हल्के थिरकते हुए उसको रगड़ा मार रही थी।
रेशमा की बाहें मेरे गले का हार बनती जा रही थी और उसकी चूत मेरे लन्ड से बराबर रगड़ लगा रही थी। उसकी आँखें अधमुंदी हो रही थी और अब उसके हाथों ने मेरी कमर को अपनी थिरकती कमर के साथ ज़ोर से जोड़ रखा था।
रेशमा ने कम्मो की तरफ देखा और कम्मो ने उसको आगे बढ़ने की इजाज़त आँखों आँखों में ही दे दी थी और मेरे को भी सर हिला कर अपनी अनुमति दे दी थी।
अब कम्मो उठी और उसने रेशमा को मेरी बाहों से आज़ाद किया और उसको एक कोने में ले गई और उसके कान में कुछ खुसर फुसर की और फिर दोनों ने आपस में एक बड़ी कामुक जफ्फी मारी।
कम्मो और मैं मिल कर उस सुंदर फ़िल्मी परी के कपड़े एक एक कर के उतारने लगे।
हम दोनों तो वैसे भी उसको बाथरूम में पूरी नंगी नहाते हुए देख चुके थे फिर भी मन की जिज्ञासा को दूर करने के लिए मैंने अब पुनः उसके नग्न शरीर की सुंदरता को देखा और परखा।
रेशमा वाकयी में ही हुस्न की मलिका थी और उसके शरीर का एक एक अंग सांचे में ढला हुआ था।
मैंने फ़ौरन उसको अपनी बाहों की मज़बूत गिरफ़्त में ले लिया और उसके लबों को बेतहाशा चूमने लगा और फिर धीरे से अपना ध्यान उसके गोल और सॉलिड मुम्मों को चूसने में लगा दिया।
उसकी उभरी हुई चूत पर हाथ लगाया तो वो अभी पूरी तरह से भीगी और गीली नहीं हुई थी सो मैंने झुक कर अपना मुंह उसकी चूत को चूमने और चाटने के लिए वहां फिक्स कर दिया।
पहला जीभ का छूना और उसकी चूत में एक हल्की सी सिहरन का होना साथ ही साथ हुआ।
अब मैंने उसकी भग की जम कर चुसाई शुरू कर दी और उसकी दोनों जांघें मेरे सर को अपनी कैद में ले कर बुरी तरह से हिल रही थी।
थोड़ी देर की भग चुसाई से बड़ी से बड़ी पत्थर दिल औरत भी पसीज जाती है और अपना सब कुछ न्यौछावर कर देती है। जल्दी ही रेशमा ने मुझको खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया और मैंने जल्दी से उसको पलंग पर लिटा कर उसकी सफ़ेद संगेमरमरी टांगें चौड़ी करके उसकी सफाचट चूत के मुख पर अपना तना हुआ लौड़ा रखा और एक हल्के धक्के से सुपारे को उसकी रसभरी चूत में डाल दिया और फिर थोड़ा रुक गया और सिर्फ सुपारे को ही चूत के अंदर बाहर करता रहा।
पूरे लन्ड की इंतज़ार में रेशमा ने खुद ही नीचे से ज़ोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लन्ड लील गई।
मैंने एक सधे हुए खिलाड़ी की मानिंद उसकी हल्की चुदाई शुरू कर दी और फिर कभी तेज़ और कभी स्लो धक्काशाही से रेशमा का पहला स्खलन करवा दिया।
जैसे ही मैं थोड़ा रुका, रेशमा ने झट पासा पलट दिया और वो मेरे नीचे से अब मेरे ऊपर आ चढ़ी और स्वयम् ही मेरे लन्ड को अपनी चूत में डाल कर खूब तेज़ धक्काशाही करने लगी।
इस बार जब उसका स्खलन हुआ तो अपना सर पीछे की तरफ ले जा कर ज़ोर से हिलने लगी और फिर आगे आकर मेरी छाती से बुरी तरह से लिपट गई।
फिर हांफ़ते हुए मेरे से अलग होकर बिस्तर पर टांगें खोल कर पसर गई और उसकी चूत से निकल रहे सफ़ेद द्रव्य को बिस्तर पर फैलते देखती रही।
जब थोड़ी संभली तो मेरा बड़ा ही भाव भीना धन्यवाद करने लगी और बोली- बड़े अरसे के बाद एक महारथी लन्ड से सामना हुआ है जो बड़े बड़े संग्राम के बाद भी अकड़ा खड़ा रह सकता है। मरहबा मरहबा! लेकिन यह सोमू तो दिखने में तो कॉलेज का स्टूडेंट ही लगता है लेकिन क्या आलिशान लन्ड बाज़ी करता है।
यह बोलते बोलते ही रेशमा की आँख लग गई और वो नंगी ही गहरी नींद में सो गई।
कम्मो और मैं दोनों मुस्करा कर उसके साथ ही लेट गए और थोड़ी देर में सपनों की दुनिया में खो गए।
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