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नमस्कार दोस्तो.. मैं पिछले एक साल से अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ कर अपनी आपबीती के लिखने के बारे में विचार कर रहा था.. पर कुछ ठीक से लिख नहीं पा रहा था। अब बहुत हिम्मत करके अपनी आपबीती प्रस्तुत कर रहा हूँ अगर पसंद आए तो तारीफ जरूर करें.. नहीं तो गलतियों के बारे में अपनी राय जरूर दें।
मेरा नाम कमल राज है.. उम्र 26 साल, कद 5 फुट 11 इंच, रंग गोरा और बदन कसरती है.. क्योंकि मुझे जिम जाने का शौक है। मैं पटियाला से MBA करने के बाद चंडीगढ़ में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर रहा हूँ।
अपनी कंपनी में ही काम करने वाली लड़की परमजीत की मदद से उसी के घर का ऊपर का दो रूम का फ्लैट किराए पर ले कर रह रहा हूँ।
यह कहानी करीब 6 महीने पहले शुरू हुई.. जब मैं और पम्मी बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे। पम्मी 25 साल की शादीशुदा लड़की थी, उसकी 3 महीने पहले शादी हुई थी, उसका पति कनाडा में था और पम्मी अपने वीसा का इंतज़ार कर रही थी। उसके घर में उसके माता-पापा और एक 19 साल की छोटी बहन मीनू थी.. जो कॉलेज में पढ़ रही थी।
घर के सभी लोग काफी खुले विचार वाले थे। पम्मी ऑफिस में हमेशा जीन्स और शर्ट या टी-शर्ट में होती थी और घर में पम्मी औेर मीनू दोनों ही निक्कर और टी-शर्ट में रहती थीं। मुझे उन दोनों की गोरी-गोरी चिकनी-चिकनी जांघें देख कर बहुत अच्छा लगता था, मेरा लम्बा लण्ड तन खड़ा हो कर सलामी देने लगता था। मुझे सबके सामने उसे अपनी टांगों के बीच दबा कर संभालना पड़ता था।
पम्मी ऑफिस अपनी स्कूटी पर जाती थी और मैं अपनी मोटर साइकिल पर। परन्तु कभी उसकी स्कूटी मीनू कॉलेज ले जाती उसको मेरे साथ मोटर साइकिल पर ऑफिस जाना पड़ता था।
उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ.. मीनू स्कूटी ले गई और पम्मी को मेरे साथ ऑफिस जाना पड़ा।
वापिस आने में देर हो गई.. अँधेरा हो चला था, पम्मी मेरे पीछे कस के पकड़ कर बैठी थी। उसकी मस्त गोल-गोल 34 साइज की मक्खन जैसी मुलायम चूची मेरी पीठ पर दब रही थीं और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। साथ में मेरी जीन्स में लौड़ा भी तूफान मचा रहा था।
पम्मी ने जानबूझ कर अपना हाथ मेरी जीन्स के उभार पर रखा हुआ था.. पीछे से मस्तानी गर्म-गर्म जवानी वाली पम्मी झटके भी मार रही थी। मैंने उसे एक-दो बार टोका भी ‘यह क्या कर रही हो’ पर उसने हँस कर कमर पर घूंसा मारते हुए कहा- कमल.. मज़ा बहुत मज़ा आ रहा है यार.. बस तू चलता जा।
खैर.. हम घर पहुँच गए। चूंकि मीनू बाहर ही खड़ी थी, मैंने पम्मी को कुछ कहना ठीक नहीं समझा, वो ‘थैंक्स’ कह कर मुस्कुराती हुई मीनू के साथ अन्दर चली गई और मैं बाहर की सीढ़ी से ऊपर अपने फ्लैट में चला गया।
अभी मैं कपड़े बदल कर और चाय पी कर पम्मी के बारे में सोच ही रहा था कि बाहर से पम्मी की आवाज़ सुनाई दी।
मैंने दरवाज़ा खोल कर देखा कि आज पम्मी अकेली ही छत पर खड़ी थी। रोज़ शाम को पम्मी और मीनू साथ में ऊपर आ कर मस्ती करती थीं और मुझे चिढ़ाना उन पसंदीदा खेल था।
‘पम्मी क्या हुआ.. आज अकेली, मीनू कहाँ गई..’ मैंने हँसते हुए पूछा। ‘ओह.. हाय कमल.. कुछ नहीं यार, वो कहीं बाहर गई है, पर तू अन्दर क्या कर रहा है.. बाहर इतना अच्छा मौसम हो रहा है।’ वो मुस्कराती हुई मेरे पास आकर खड़ी हो गई..
मैं दरवाजे के पास खड़ा था- हाय राम सच्ची.. मुझे तो मालूम ही नहीं था.. मैं उसे चिढ़ाते हुआ हँस कर बोला।
‘अच्छा जी आज मैं अकेली हूँ तो हमारी बिल्ली हमी को मियाऊँ..’ उसने भी जोर से हँस कर मेरे और पास आते हुए बोला। ‘क्यों तुम दोनों ही हँसी-मज़ाक छेड़खानी कर सकती हो, मैं नहीं कर सकता और यह आज बाइक पर क्या बदमाशी कर रही थी.. साली बदमाश..!’
‘हाय राम.. मैं बदमाशी कर रही थी या तू बार-बार ब्रेक लगा कर झटके मार कर मस्ती कर रहा था..’ पम्मी बदमाशी से सेक्सी मुस्कान देते हुए मेरे और भी नज़दीक आ गई। उसकी टी-शर्ट में तने हुऐ कड़क निप्पल साफ दिख रहे थे। उसने टी-शर्ट के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। निक्कर में उसकी केले के तने जैसी कदली और चिकनी-चिकनी मस्त जाँघें बहुत सेक्सी और सुन्दर लग रही थीं।
उसे मालूम था कि मैं उसकी मस्त जवानी को घूर कर मज़ा ले रहा हूँ। ‘देख अब भी कैसे घूर रहा है.. साला बदमाश..’
पम्मी ने हँस कर मुझे साइड से पकड़ कर जोर से अपनी बांहों लेकर मेरे गाल पर चुम्मी ले ली और मेरी एक टांग अपनी टांगों के बीच में दबा ली।
मैंने भी अपना एक हाथ उसकी नंगी पतली गोरी-गोरी चिकनी-चिकनी लम्बी कमर पर लपेट लिया और अपने पास खींच लिया।
वो ख़ुशी से मुझसे लिपट गई और गाल पर चूमते हुआ पूछा- सच बता कमल.. बाइक पर मज़ा आ रहा था न। पम्मी ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर में डाल कर जोर से अपनी तरफ खींचा।
‘हाँ.. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था.. पर तुझे क्या हो रहा था साली बदमाश।’ मैंने भी अपना दूसरा हाथ उसकी टी-शर्ट के नीचे और शॉर्ट्स के ऊपर नंगे दिखते पेट और बड़ी सी सेक्सी नाभि पर रख दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
इससे मदमस्त चुदासी पम्मी के मुँह से ‘सि.. सी.. उहह.. उहह..’ निकल गई।
‘मुझे तो तुझसे भी ज्यादा मज़ा आ रहा था मेरे राजा.. ऊपर तेरी मर्दानी पीठ से दबा कर और नीचे तेरे हिप्स के दबाव से बहुत गर्म हो रही थी..’ उसने ये कहते हुए एक बार फिर से मुझे चूम लिया।
मैंने भी उसके प्यासे सुन्दर पतले-पतले गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों पर चूम लिया।
‘देख पम्मी.. ज्यादा बदमाशी मत कर.. अगर बल्लू (पम्मी के पति का नाम बल्लू था) को पता चल गया.. तो साला काट कर फेंक देगा।’
यह सुन कर पम्मी ने अपनी शार्ट के अन्दर नंगी चूत से मेरी टांग पर झटका मारा।
‘घंटा काट कर फेंक देगा साला हरामी.. हनीमून पर पांच दिन तक जोर लगाता रहा.. एक बार भी चूत का पानी तो निकाल नहीं सका.. तो अब क्या घंटा कर लेगा.. देख कमल तू अब मज़ा ख़राब न कर। मैं तो तुझे यह बताने आई थी कि आज तेरी बदमाशी से मैं बहुत गर्म हो रही हूँ और अब तेरे नाम का सड़का मारने जा रही हूँ.. पर तेरा क्या होगा राजा..’ पम्मी का एक हाथ फिसल कर मेरे लुंगी के अन्दर खड़े लण्ड पर चला गया और उसने अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
‘हाय राजा तेरा लौड़ा तो बहुत मस्त हो रहा है..’ ‘मेरा क्या होगा.. मतलब मैं तो सरला भाभी के नाम का सड़का मारूँगा मेरी प्यारी पम्मी रानी।’ मैंने भी चुटकी लेते हुए उसके गले पर चूमते हुए कहा।
‘हाय राम.. सरला भाभी के नाम का क्यों.. साले बदमाश खड़ा तो मैंने किया है.. चल आज मैं तेरा सड़का मारती हूँ।’ पम्मी मस्ती में मुस्कराते हुए अपनी मस्त गोल-गोल मक्खन जैसी चूचियां मेरी छाती से रगड़ रही थी।
मुझे भी उसकी गर्म मस्त चिकनी जवानी को कमर और पेट पर छूकर और उसके हाथ में लन्ड पकड़ने से बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने भी एक हाथ पेट से हटा कर टी-शर्ट के ऊपर चूची पर रख कर सहलाने लगा।
पम्मी मस्ती और चुदास में सिसियाने लगी- हाय.. सी.. उफ़.. राजा.. यह क्या कर रहा है.. अहह.. यहीं पर खड़े-खड़े ऐसे ही निकलवा देगा क्या.. तू बहुत जालिम बदमाश है राजा..
पम्मी पीछे को हटने की कोशिश करने लगी.. पर मैंने अपना हाथ उसकी कमर से जकड़ रखा था।
‘अब कहाँ भागने की कोशिश कर रही है पम्मी.. अभी तो कह रही थी कि तू मेरा सड़का मार कर निकालेगी.. चल आज मैं तेरी चूत में उंगली करके तेरा सड़का मारता हूँ।’ मैंने पम्मी की कमर पकड़ कर कमरे के अन्दर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया।
‘हाय राम मैं भाग कहाँ रही हूँ.. मेरे जालिम राजा.. पर तेरा यह छूना बहुत खतनाक है। पूरे बदन में आग लग जाती है और चूत एकदम से लफ्फारे मारने लगती है।’ पम्मी मुझे अपनी बांहों में लेकर जोर से लिपट गई और हमारे होंठ एक-दूसरे से चिपक गए। अब हम दोनों जीभ एक-दूसरे के मुँह में डाल कर चूस रहे थे।
मैंने उसकी निक्कर नीचे खींच दी और उसने मेरी लुंगी खोल कर निकाल दी।
‘उफ़.. वाह.. पम्मी तेरे चूतड़ तो एकदम मक्खन हैं यार.. और चूची एकदम मलाई जैसी मुलायम.. निप्पल भी क्या तन कर खड़े हैं..’ मैं एक हाथ से पम्मी के मस्त गोल-गोल चिकने-चिकने चूतड़ से खेल रहा था और दूसरा हाथ उसकी मस्ती चिकनी कमर सहला रहा था और टी-शर्ट के अन्दर डाल कर चूची से खेल रहा था।
पम्मी आहें भर रही थी- हाय.. सीईई.. उहह.. अहह.. मेरे राजा.. तेरा लौड़ा भी तो क्या मस्त मोटा तगड़ा कड़क गर्म-गर्म हो रहा है।
पम्मी एक हाथ में मेरा कड़ा लौड़ा पकड़ कर धीरे-धीरे आगे पीछे हिल रही थी और दूसरे हाथ को मेरी गर्दन में डाल कर अपनी मस्त चूचियों को मेरे सीने में दबा कर मसल रही थी।
मैंने उसकी टी-शर्ट उसके हाथ ऊपर करके निकाल दी। पम्मी ने मेरा कुरता निकाल दिया, अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक-दूसरे की बांहों में समाए हुए मस्ती में डूबे हुए थे। इस तरह हम एक-दूसरे को कई मिनट तक चूमते चाटते रहे।
मैं उसकी मस्त गोरी-गोरी चिकनी-चिकनी मस्त जवानी का रस उसकी कमर, पेट नाभि जांघें चूतड़ पर अपनी जीभ लगा-लगा कर चूस रहा था। पम्मी मेरी इस मस्त चुसाई की मस्ती में झूम रही थी और आहें भर रही थी ‘सी.. अहह.. मर गई राजा.. मार ही डालेगा क्या..’
उसके जवान बदन.. रसीले होंठों को चूस कर एक हाथ से लौड़ा पकड़वा कर मज़ा लेते हुए जवानी की और चुदास की आग में मैं मचल रहा था।
मैंने जांघ पर फिसलता हाथ पम्मी की बिना बालों वाली गोरी चिकनी मोटे-मोटे होंठों वाली फूली हुई चूत की लाइन में लगा कर उसके दाने को मसल दिया।
पम्मी उछल पड़ी- हाय.. आहह.. हहह उफ़ राजा.. अब चूत में उंगली कर दे न.. साले बहुत जोर से फड़क रही है.. सारा जवानी का रस ऐसे ही निकल जाएगा.. तूने प्रॉमिस किया था कि तू मेरी चूत में उंगली करके मेरी चूत का रस निकालेगा.. पर तूने तो पूरे बदन से ही रस निचोड़ डाला।
पम्मी मुझे अपनी बांहों में लिए हुए पलंग के पास लाकर मुझे पीछे को धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया और खुद अपनी जाँघें खोल कर मेरी जाँघों पर बैठ गई ‘उफ़.. बहुत जालिम यार है तू कमल.. बहुत मस्त प्यार के साथ सारा माल निचोड़ डालता है.. देख अब मैं क्या मज़ा देती हूँ।’
पम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरा खड़ा लन्ड पकड़ कर अपनी खुली हुई गीली-गीली चूत के होंठों और दाने पर रगड़ा जोर से मचल गई।
‘आह्ह.. क्या मस्त गर्म कड़क लौड़ा है.. उफ़ मेरी चूत तो एकदम से पानी छोड़ देगी राजा, अब तो मुझे बस इसे अपनी चूत में घुसा कर चोदना ही पड़ेगा और अगर तूने रोका तो सच में तेरे लन्ड का जबर चोदन कर दूंगी।’
मुझे भी बहुत जोश चढ़ गया, लौड़ा तो पहले से तन कर खड़ा था, मैं भी एकदम से उठ कर बैठ गया और दोनों हाथ से उसके चूतड़ पकड़ कर चूची को मुँह में लेकर जोर से चूस लिया और कड़क दाने को मसल डाला।
पम्मी जोर से उछल गई और सिसकार कर बोली- वाह.. वाह.. राजा अब आया न जोश.. सी.. अहह.. धीरे मसल साले दूध निकालेगा क्या.. उफ़ अपनी तो ऐसे ही बहुत ख़राब हालत हो रही है। देख चूत तो एकदम पानी-पानी हो रही है। पम्मी अपनी जांघें फैला कर अपनी ग़ुलाबी-गुलाबी गीली-गीली चमकती हुई चूत दिखाने लगी।
मैंने मुस्कराते हुए झट से एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी। पम्मी उचक कर जोर से चिल्लाई- हाय…सी.. उफ़… मार डाला साले चोदू सांड.. अह्ह उफ़.. ऐसे ही पानी झड़वा रहा है.. सी.. अहह उंगली मत कर.. बस अब तो अपना मस्त मोटा तगड़ा लौड़ा घुसा दे.. आह्ह..
पम्मी ने लन्ड को अपनी गीली-गीली चूत के होंठों के बीच में रगड़ कर टोपा गीला कर दिया और उसे चूत के होंठों पर रख धक्का मार दिया। टोपा और थोड़ा सा लन्ड गीली चूत में घुस गया। पम्मी दोनों हाथों से मेरे कंधे पकड़ कर चूत को दबाने लगी।
चूत खूब गीली रस से भरी थी और लौड़ा कड़क और चिकना हो रहा था, मैंने भी एक जोर का झटका मार दिया आधा लौड़ा मस्त कसी हुई चूत में घुस गया और पम्मी अकड़ गई।
मैंने सही मौका देखा और उसके चूतड़ पकड़ कर अपनी तरफ दबाया।
पम्मी होंठ दबा कर मादक सीत्कार करने लगी.. मैंने एक और झटका मारा। अब पूरा लंड रिपटता हुआ मस्त चुदासी रसीली चूत में घुस गया।
पम्मी चिल्ला रही थी- हाय.. उफ़.. मर गई राजा.. पूरा ही घुसा दिया.. जालिम चोदू.. उफ़.. अहह.. हाय!
मैं उसकी चूची चूसने लगा, मेरा एक हाथ मक्खन मलाई से चूतड़ों पर था और दूसरा कमर सहला रहा था। पम्मी आँखें बंद करके सर मेरे कन्धे पर रख कर मुझसे चिपकी हुए धीरे-धीरे चूतड़ हिला- हिला कर चूत में मस्त लन्ड का मज़ा लेते हुए आहें भर रही थी- हह….सी.. हाय उफ़ राजा.. आज तो तेरी चुदाई में असली मज़ा आ रहा है..
हम दोनों ही बहुत मस्ती में थे और दस मिनट तक इसी तरह चुदाई का मज़ा लेते रहे।
‘हा..हा.. राजा.. चोद डाल.. सी आह मर गई.. बहुत मस्त है तेरा लन्ड.. बहुत मज़ा आ रहा है.. मेरी चूत बहुत मस्ती में है राजा.. और पानी छोड़ने वाली है। बस लगा दे दो चार जोरदार दमदार धक्के.. उफ़..’
मुझे भी कसी चूत की गर्मी और रसीली चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था, मैं उसके मुलायम चूतड़ दोनों हाथ से ऊपर उठा कर नीचे से जोरदार झटके मारने लगा। चूतड़ से जाँघ लगने से ‘धप-धप’ और चूत के रस मस्त लन्ड ‘चप-चप’ कर रहा था।
चुदाई का मस्त समां था और दो जवानियां टकरा रही थीं.. पम्मी भी पूरी मस्ती में थी- हाय.. राजा.. आह्ह.. ले..ले.. मैं तो गई राजा.. गई.. उफ़.. सी….बस ठोक दे अपना मूसल जैसा लन्ड चूत में.. उफ़ क्या मस्त घोड़े का लन्ड है.. हा..हा..
मैं भी पूरे जोश में था.. मैंने झट से पलटी मारी और पम्मी को अपने नीचे दबा लिया। उसने अपनी लम्बी-लम्बी टाँगें मेरी कमर पर कसके लपेट लीं.. मैं अब ऊपर से धमाधम झटके मार रहा था।
‘ले साली चुदक्कड़.. ले और ले.. उफ़ क्या मस्त चुदासी चूत है सारा लन्ड का रस निचोड़ रही है साली..’ मेरा भी निकलने वाला था।
‘देख कमल राजा अभी झड़ना नहीं.. दोनों साथ-साथ छोड़ेंगे।’
पम्मी चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा ले रही थी और झड़ने वाली थी। वो मस्ती में बड़बड़ा रही थी- ले साले चोदू सांड ले.. हाय.. सी.. उफ़.. गई राजा.. गई छोड़ दे अपनी जवानी का रस.. मेरी चूत में.. अहह.. सी.. उहह..’
जैसे ही पम्मी ने चूत कसने के लिए अपनी जांघों को मेरी कमर पर कसा और सांस रोक कर झटका मारते हुए अपनी चूत की पिचकारी मारी.. मैंने भी अपने लण्ड की पिचकारी उसकी चूत की जड़ में मार दी और हम दोनों एक-दूसरे से लिपट गए। साँसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.. होंठ जुड़े हुए थे।
थोड़ी देर के बाद हम दोनों अलग हुए और उठ कर फिर चिपक गए।
‘वाह कमल तेरे लन्ड में तो बहुत दम है.. यार क्या जोरदार चूत फाड़ चुदाई कर डाली साले.. मज़ा आ गया यार..’
पम्मी मुझे होंठों पर चूम कर अपने कपड़े पहन कर बोली- रात को नीचे मेरे कमरे में आना राजा.. फिर से मज़ा करेंगे। ‘ठीक है.. देखेंगे साली बदमाश बहुत चुदास चढ़ी है..’
यह कह कर मैं भी अपने कपड़े पहनने लगा और पम्मी चली गई।
अपने विचार इस आईडी पर लिखें। [email protected]
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