This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मैंने अपने फुफेरे भाई का लंड अपनी चूत में कैसे लिया? मेरी बुआ का बेटा हमरे घर रह कर जॉब कर रहा था. मेरी चूत को लंड की जरूरत पड़ी तो …
मैं रूपा आपके सामने अपनी चुत की प्यास न बुझने वाली सेक्स कहानी में सुना रही हूँ. पिछले भाग अमीर बिजनेसमैन को पटा कर चुदाई करवा ली में आपने पढ़ा कि अशोक ने मेरी चुत की फांकों में अपना मोटा लंड लगा दिया था और वो अन्दर पेलने की कोशिश कर रहा था. मगर मेरी चुत एकदम टाईट थी.
अब आगे:
जब लंड चुत में नहीं घुसा, तो अशोक ने अपने मुँह से मेरी चुत की चुदाई शुरू कर दी. वो मेरी चुत को चौड़ी करके अपनी ज़ुबान से चुत की फांकों को खींच खींच कर बाहर कर रहा था और चुत के दाने को भी धीरे धीरे काट कर चुत को पूरी तरह से गर्म कर रहा था.
इस कहानी को लड़की की आवाज में सुनें.
इसका नतीजा तो निकलना ही था. अब चुत नीचे से उछाल मारने लगी ताकि उसके अन्दर कुछ घुस जाए.
सही समय देखते हुए अशोक ने अपने लंड पर अच्छी तरह से अपना थूक लगा कर चुत पर रखा और पूरे जोर से एक धक्का दे मारा. जिसका नतीजा निकला कि मेरी चुत फट गई और लंड को अन्दर लेने लगी.
हालांकि दर्द इतना अधिक हो रहा था कि क्या बताऊं. मेरी चीखें निकल रही थीं, मगर मैं सब बर्दाश्त कर रही थी. अशोक को पता था कि इसी दर्द में अगर उसने पूरा लंड घुसा दिया तो ठीक … वरना फिर नहीं होगा. कम से कम आज तो दुबारा चुदाई नहीं कर पाएगा.
उसने ताबड़तोड़ 4-5 तेज धक्के मार कर मेरी चुत को पूरी भोसड़ी बना दिया और अपना पूरा लंड चुत के अन्दर कर दिया.
लंड चुत के अन्दर करने के बाद अशोक मुझसे बोला- रूपा, चिंता ना करो. तुम्हारी रानी का रखवाला अन्दर जाकर पूरा निरीक्षण कर रहा है.
मुझे दर्द अभी भी कम नहीं था मगर हां अब कुछ कम लगने लगा था.
कुछ देर बाद मेरी चुत ने हरकत की और नीचे से एक बार उछली. अशोक को चुत ने अपनी भाषा में कुछ कहा और उसका लंड चुत से कुछ बाहर निकल कर फिर से अन्दर घुस गया.
चुत ने भी बखूबी जबाव दिया और चुदाई आरम्भ हो गई. वो मेरी चुत में ठोकर मारता रहा. चुत भी पूरी शिद्दत से लड़ती रही.
काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा और चुत भी पूरी तरह से उसके काम से खुश होकर मज़े लेती रही.
बीस मिनट की ठुकाई के बाद चुत में कुछ गर्म गर्म फुआरा सा छूटा, जिससे चुत की खुशी का ठिकाना ना था.
जब लंड के फुआरे का पानी खत्म हो गया, तो लंड भी कुछ ढीला सा पड़ने लगा और कुछ ही देर बाद चुत से बाहर आ गया.
बाहर आने पर तो वो इतना ढीला था कि मुझे सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि पता नहीं पहले कैसे यह लोहे की रॉड सा बना हुआ था.
अशोक ने कहा- डार्लिंग, इस लंड पर अब तुम्हारा ही नाम है.
यह कह कर उसने पक्की स्याही वाले मार्कर पेन से अपने लंड पर मुझसे लिखवाया ‘रूपा का लंड.’ फिर उसी पेन से मेरी चुत के ऊपर लिखा ‘अशोक की चुत.’
उस दिन दो शुरुआत हुई थीं. एक अशोक के ऑफिस की और दूसरी मेरी चुत अशोक के लंड की हो गई थी.
इस तरह से मैं अपनी चुत को चुदवा कर घर वापिस आ गई.
चुत को जब तक लंड की ठोकर ना लगे, तब तक ही ठीक है. मगर एक बार ठोकर लग गई, फिर तो उसका बुरा हाल होता है. बस यही हाल मेरी चुत का हो गया था. अब तो उसे जब देखो, साली चुत को लंड ही नजर आने लगा था.
मैंने नेट पर बहुत से चुदाई वाली पिक्चर्स देखनी शुरू कर दी थीं. फेसबुक पर कई दोस्त बना लिए, उनसे गंदी गंदी चैट करने लगी थी. मगर फेसबुक पर और नेट पर मैंने कोई और नाम रख लिया था ताकि कोई पहचान ना पाए.
मैं अब हफ्ते में एक दो बार अशोक के लंड का मज़ा अपनी चुत को दिलवाने लगी थी और उधर नेट पर सेक्सी लड़कों से चैट करके खूब गर्म रहने लगी.
कुछ दिनों पहले मेरी बुआ का लड़का मेरे पास आया. उसकी उम्र लगभग 28 साल की थी. बुआ के लड़के का नाम रोहन था. वो कुछ दिन हमारे घर पर रहा क्योंकि उसकी जॉब हमारे शहर में ही थी.
हमारा घर डबल स्टोरी है. ऊपर 2 कमरे हैं और नीचे 3 कमरे हैं. जिनमें से एक ड्राइंगरूम है. मतलब दो बेडरूम नीचे और दो ऊपर हैं. मेरा रूम ऊपर की फ्लोर में है और साथ का जब कोई मेहमान आता था तो वो उसमें रहा करता था. बुआ के लड़के को ऊपर का कमरा दे दिया गया और वो उस कमरे में रहने लगा.
खाना सभी लोग एक साथ खाते थे और फिर कुछ देर बातचीत करके अपने अपने कमरे में चले जाते. रोहन कुछ देर बाहर घूमकर वापिस आकर अपने रूम में जाकर सो जाता था.
कुछ दिनों तक तो मैंने कुछ गौर नहीं किया … मगर एक रात मुझे उसके रूम से रोशनी नजर आई, जिसका मतलब था कि वो जाग रहा था. उस समय रात के दो बजे थे, इस समय वो क्या कर रहा था मुझे ये जानने की उत्सुकता हुई. मगर मैं यह सोच कर चुपचाप सो गई कि मुझे क्या करना है.
कुछ दिनों बाद जब मेरी नींद खुली तो देखा कि रात को 2 या 2.30 बजे हैं. मेरा ध्यान रोहन के कमरे की तरफ गया तो मैंने पाया कि वो जाग रहा था.
अब मुझे लगा की दाल में कुछ काला है. मैंने सोचा कि चलो इसका पता लगाती हूँ कि आखिर माजरा क्या है.
सुबह जब वो ऑफिस चला गया, तो मैं उसके रूम में गई. चारों तरफ अच्छी तरह से देखा तो कुछ भी नजर नहीं आया, जिससे उस पर कोई शक़ कर सकता था. मैं सोच में पड़ गई कि आख़िर यह रात को 2 बजे करता क्या है.
कुछ देर के लिए मैं वहीं एक कुर्सी पर बैठने लगी तो मुझे लगा कि कुर्सी के कुशन के नीचे कुछ है. जब मैंने देखा तो पाया कि पॉर्न साहित्य, कुछ डीवीडी और कुछ चुदाई की पिक्चर्स वाली किताबें थीं.
सारे का सारा साहित्य बहन भाई की चुदाई वाला था. अब मुझे समझ में आया कि यह रात भर अपने मामा की लड़की की चुत में खोया रहता है.
फिर मैंने एक डीवीडी चला कर चैक की, तो वो भी बुआ और मामा के लड़के और लड़की की चुदाई की थी. मैंने सब कुछ उसी तरह से रख दिया ताकि उसे कुछ भी पता न लगे.
अब मैं उसके नंगे शरीर का अपने दिमाग में विचार करने लगी तो वो भी मुझे अशोक की कॉपी नजर आने लगा. मुझे यह तो पूरी तरह पता लग गया था कि रोहन मेरी चुत का दीवाना है. उसके लिए बस अब मुझे जाल बुनना बाकी था.
मुझे पता था कि मेरा ऑफिस रोहन के ऑफिस के रास्ते में आता था और वो बाइक पर ऑफिस जाता था.
दो दिन बाद मैंने उससे कहा- क्या तुम मुझे रास्ते में छोड़ सकते हो, अगर तुम्हें कोई प्राब्लम ना हो तो? वो बोला- क्या बात कर दी आपने … आपको तो आदेश देना चाहिए. मैं आपको अपने साथ ले आया करूंगा. मैंने कहा- नहीं, आने का टाइम काम पर निर्भर होता है इसलिए मैं यह तकलीफ़ तुमको नहीं दूंगी.
अगर मैं उसका सुझाव मान लेती, तो मुझे अशोक से मिलने में बहुत दिक्क्त होती.
अब मैं रोहन के साथ बाइक से जाने लगी.
एक दो दिन तो नॉर्मल रहा मगर तीसरे दिन मैंने उससे कहा- बाइक कुछ धीरे चलाओ वरना मैं गिर जाऊंगी. उसने कहा- आप मुझे कमर से पकड़ कर रखो दी … कुछ नहीं होगा.
मैंने वैसे ही किया और अपना हाथ कमर पर रखते हुए उसके लंड के पास को ले जाती. पीछे से मैं अपने मम्मों को जानबूझ कर उसके शरीर से चिपका देती ताकि उसे भी गर्मी चढ़ जाए.
इस सबसे मुझे महसूस हुआ कि उसके लंड में गर्मी आ चुकी थी क्योंकि मेरे हाथों को अब वहां पर एक उभार सा महसूस होने लगा था.
कुछ दिनों बाद रोहन मुझसे खुलने लगा और मुझे पता लगा कि वो एक लड़की को चाहता है मगर वो उसको कोई लिफ्ट नहीं देती.
मैंने कहा- मार गोली उसको, तुझे लड़कियों की क्या कमी है. बोल कल ही मामी से बोल कर तुम्हारे नन्हे मियां का इलाज करवा दूं. उसने पूछा- ये नन्हे मियां कहां से आ गए?
मैंने कहा- जिसकी वजह से तुम रात को दो दो बजे जाग कर उल्टा सीधा देखते हो. वो एकदम से मेरी तरफ देखने लगा मगर चुप रहा. मैंने कहा- अब डरो नहीं … मर्द हो मर्द बन कर जो चाहो, उसे हासिल करो.
उसे पता लग गया था कि मैं क्या कह रही हूँ. उसने मुझसे हाथ जोड़ते हुए कहा- देखो दी, आप किसी से कुछ ना कहना.
मैंने कहा- अगर कहना होता तो तुमसे लिफ्ट ही क्यों मांगती. कुछ तो समझा करो यार!
उसे मैंने अपनी चुत तक पहुंचने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया था और वो बहुत खुश था.
‘यू आर ग्रेट … मानना पड़ेगा. अब यह सेवक तुम्हारी पूरी सेवा करेगा, जब भी बोलोगी.’
साला एक ही बार में आप से तुम पर आ गया था और चुदाई की भाषा बोलने लगा था.
मैंने इठलाते हुए कहा- देखती हूँ.
हम दोनों के रूम्स में एक दरवाजा था, जो दोनों तरफ से बंद किया हुआ था.
मैंने कहा- रात को मेरे दरवाजे को ग्रीन सिग्नल मिलने लगेगा, जो सुबह के बाद रेड हो जाएगा. उसने कहा- हां मैं भी वैसे ही करूंगा.
रात को जब सब सो गए, तो मैंने झट से दरवाजा खोल दिया. वो उसे अपनी तरफ से बहुत ही पहले से खोल चुका था.
मैंने एक पारदर्शी नाइटी डाली हुई थी. मैं मादक अंदाज में चलते हुए उसके बिस्तर पर जाकर बैठ गई और बोली- कुछ भी करने से पहले तुम जिनसे सेक्स चैट करते हो, मुझे वो दिखाओ.
कुछ देर आना-कानी करने के बाद उसने अपनी चैट खोली और मेरे सामने चैट करना शुरू कर दी.
दूसरी तरफ से कोई लड़की थी. वो कह रही थी कि जानू आज देर क्यों लगा दी. मेरी चुत का पानी निकल रहा है, इसका कुछ इलाज करो. उसने कहा- आ जाओ, भाई का लंड तुम्हें ही याद कर रहा था.
फिर मैंने उससे कहा- कोई डीवीडी दिखाओ.
उसने एक भाई बहन की चुदाई की फिल्म लगा दी. जिसमें दोनों पहले अपनी मम्मी और पापा की चुदाई देख कर वही सब रिपीट करने लगे थे.
मैंने भाई के लंड को पकड़ा, तो लगा कि यह भी अशोक के लंड की बराबरी करता है.
उससे मैंने कहा- देखो रोहन, मेरी चुत पर हाथ रखने से पहले तुम्हें एक प्रॉमिस करना पड़ेगा कि तुम शादी के बाद भी मेरी चुदाई अच्छी तरह से करोगे. तुम पर कोई शक़ नहीं करेगा क्योंकि तुम मेरे बुआ के लड़के हो और सब लोगों कि नजर में तुम मेरे भाई हो. उसने कहा- ओके किया वायदा. यह लंड मेरी बीवी के होने पर भी तुम्हारी अमानत है. अब तुम भी वायदा करो कि अपनी शादी के बाद इस भाई का लंड से चुदती रहोगी … बोलो मंजूर है. मंजूर है, मंज़ूर है मंज़ूर है.
हम दोनों ने इस तरह से तीन बार बोल दिया. उसके बाद हमारे कमरे पूरे रंडी खाने की तरह से हो गए.
जिस दिन मैं अशोक से चुदवाने जाती तो बोल देती कि आज मीटिंग है, देर हो जाएगी.
अब मेरी चुत बिना लंड के नहीं रह पाती थी. दो लंड तो स्थाई सेवा में हो गए थे. मगर मैं चाहती थी कि मेरी चुत को कोई एक और लंड भी चोदे.
फिर मुझे ऑफिस के काम से कुछ दिनों के लिए मुंबई जाना पड़ा. वहां की सहायिका एक लेडी थी. उसने मुझसे कहा- मैडम यह मेरा नंबर है. आपको जब भी किसी चीज की जरूरत हो, तो बिना झिझक के आप मुझसे आधी रात को भी कह सकती हैं.
मैंने पूछा- आधी रात को भी क्या कोई सेवा होती है? उसने हंस कर कहा- जी, असली सेवा तो तभी शुरू होती है.
मैंने उससे कहा- जब आपकी ड्यूटी खत्म हो, तो मिल कर जाना. उसने कहा- मेरी तो सुबह 5 बजे तक की ड्यूटी है. आपको जब भी कुछ चाहिए हो, तो बता दीजिएगा.
मैंने उससे कहा- एक मिनट रूको और डोर बंद करके करीब आओ. वो आ गई.
मैं- हां अब बताओ, असली सेवा से तुम्हारा मतलब क्या है. पूरी तरह से खुल कर बताओ. वो बोली- मैडम किसी को पता नहीं लगना चाहिए वरना हमको सर्विस से डिसमिस कर दिया जाएगा.
मैंने कहा- तुम घबराओ नहीं, पूरी तरह से निश्चिन्त होकर बताओ.
तब उसने मुझे एक एलबम दिखाया, जिसमें 4-5 नंगी लड़कियां और नंगे लड़के थे. उनके नीचे रेट लिखा था. तब मैं समझ गई कि यहां पर लंड और चुत सप्लाई किए जाते हैं.
मैंने उससे कहा- अगर कोई लड़का कुछ मांगे तो बोलना कि अगर चाहो तो एक लेडी ऑफिसर पेश कर सकती हो. और अगर वो हां कहे, तो मेरे को उसके पास या उसको मेरे पास भेज देना. वो खुश होती हुई चली गई.
उसी रात ठीक 12 बजे मेरे कमरे की बेल बजी.
मैंने पूछा- कौन है? तो आवाज आई- मैडम आपने बोला था न … एक साब आपसे मिलना चाहते हैं और उन्होंने 10000 एडवांस भी दिया है. बोलिए क्या कहूँ?
मैंने कहा- ठीक है, उसे मेरे रूम में ले आओ.
कुछ ही देर में एक 40-45 साल का आदमी मेरे रूम में उस लेडी के साथ अन्दर आ गया. वो मुझे देखते हुए उस लेडी से बोला- ठीक है … अब तुम जाओ.
उसने रूम अन्दर से लॉक कर दिया. वो दारू के नशे में था. शायद उसने लंड खड़ा रखने के लिए वियाग्रा या वैसी ही कोई गोली खाई हुई थी. अन्दर आते ही वो मुझ पर टूट पड़ा.
उसने मुझे पूरी नंगी करके मेरी चुत को जो चूसना शुरू किया तो तब तक बंद नहीं किया, जब तक मेरी चुत से मूत नहीं निकल गया. मेरे मूत को भी वो पी गया.
फिर बोला- अब तेरी इस चुत को चोदूंगा.
उसका लंड तो 6 इंच से कम ही था और बहुत मोटा भी नहीं था. जब उसने लंड चुत में पेला, तो मुझे तो लगा कि कोई खिलौना मेरी चुत में अन्दर बाहर हो रहा है.
कोई आधा घंटा चुत चोदने के बाद लंड का पानी बहने लगा और सिकुड़ कर चुत से बाहर आ गया.
आज की चुदाई में मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आया था, तब भी मेरी सुलगती चुत में लंड नाम का कुछ तो भी चला गया था, जिससे मेरी चुदाई की प्यास कुछ शांत हो गई थी.
अगली बार मैं आपको इस सेक्स कहानी में अपनी चुत की न बुझने वाली प्यास का आगे का किस्सा लिखूंगी. प्लीज़ आप मेरी सेक्स कहानी के लिए अपने मेल भेजते रहें. आपकी रूपा रानी [email protected]
भाई का लंड कहानी का अगला भाग: इस चुत की प्यास बुझती नहीं- 3
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000