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पम्मी की आँखें एकदम विस्फारित हुई पड़ी थी, वो डरते हुए मेरे पास आई और मेरे लन्ड को पकड़ने लगी लेकिन उससे पहले ही जूली ने आगे बढ़ कर मेरे लन्ड को अपने मुंह में ठूंस लिया और उसको लबालब चूसने लगी।
कम्मो ने कहा- चलो, अब हम सब बड़े केबिन में चलते हैं, वहाँ देखें क्या जलवा है।
जब हम सब बड़े केबिन में इकट्ठे हो गए तो कम्मो के कहने पर हम सबने अपने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। भैया भाभी तो झट नंगे हो गए और मैं और कम्मो भी शीघ्र ही निर्वस्त्र हो गए लेकिन वो नई फ़िल्मी कलियाँ आई थी वो कुछ झिझक महसूस कर रही थी।
लेकिन जब जूली ने मेरे लन्ड को देखा कि कैसे वो उन दोनों को सलामी दे रहा है तो वो भी झट कपड़े उतारने लगी लेकिन जब उस ने देखा कि पम्मी के मन में शायद कुछ संशय हो रहा था तो वो भी रुक गई और समझ गई कि पम्मी शायद थोड़ी बेचैनी महसूस कर रही है।
वो उसके पास गई और उसके कान में मुंह लगा कर कुछ पूछा तो पम्मी ने मेरे खड़े लन्ड की तरफ एक गहरी नज़र डाली और फिर वो भी कपड़े उतारने के लिए तैयार हो गई।
पहले जूली ने अपनी सलवार कमीज उतारी और उसके नीचे ब्रा और पैंटी भी पहन रखी थी, उसकी देखा देखी पम्मी ने भी अपनी सलवार कमीज उतार दी और अपनी बहुत ही सेक्सी पैंटी और ब्रा को उजागर कर दिया।
वहाँ हम सब अपनी सांस रोक कर उन दोनों फ़िल्मी कलियों को कपड़े उतारते हुए देखने में मग्न थे। मैं और मनोज भैया बड़े ध्यान से दोनों फ़िल्मी कलियों की आखरी कपड़ों की इंसटालमेंट को देख रहे थे।
अब दोनों ने अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे कर के ब्रा के हुक्स खोले और गौर से देखा तो जूली की ब्रा कुछ ढीली हुई और एक मुम्मा कुछ दिखा लेकिन जल्दी ही जूली ने उसको छुपा लिया और हम दोनों के खुले मुंह को देख कर वो मस्त मुस्कराई।
उन दोनों का ब्रा उतारने के तरीके से कम्मो खीज उठी और शशि भाभी और कम्मो दोनों उन दोनों फ़िल्मी तितलियों के साथ खड़ी हो कर अपने नग्न मोटे और सॉलिड मुम्मों को हिलाने लगी।
हम दोनों मर्द बड़े ज़ोर से हंसने लगे लेकिन जूली और पम्मी अपनी धीमी चाल से अपने ब्रा और पैंटी उतारने में मस्त थी जैसे कि वो स्ट्रिप टीज़ शो कर रही हों।
अब कम्मो ने एक झटके से पम्मी की ब्रा को नीचे कर दिया और जूली ने अपने आप ही ब्रा उतार दी। रह गई उन दोनों की पैंटीज… कम्मो ने हम दोनों को इशारा किया और मनोज भैया जूली के आगे खड़े हो गए और मैं पम्मी के सामने खड़ा हो गया और कम्मो के एक दो तीन कहने पर हम दोनों ने उन दोनों की पैंटीज को भी नीचे खींच कर उतार दिया।
शशि भाभी और कम्मो ने तालियां बजा कर हमारा हौसला बढ़ाया।
इधर जब मैंने पम्मी को नग्न अवस्था में देखा तो वो एक बहुत ही सेक्सी लड़की के रूप में सामने आई। गोल और उभरे हुए स्तन और गोल सॉलिड गांड और चूत पर छाई काले बालों की लटाएं उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रही थी।
जूली उसको लेकर मेरे पास आई और ज़बरदस्ती उसको मेरे लन्ड को चूमने के लिए मजबूर करने लगी।
पम्मी ने लन्ड को अपने हाथ में लेकर उसके शिश्न पर एक हलकी से चुम्मी दे दी पर जूली ने जोर लगा कर पम्मी के मुंह को मेरे लन्ड को पूरा अंदर लेने के लिए मजबूर कर दिया।
जूली पम्मी के पीछे खड़ी हो गई और उस पर ज़ोर डाल डाल कर मुझ से चिपकने के लिए प्रेरित करने लगी।
मैंने भी अब आगे बढ़ कर पम्मी को अपनी बाहों में कस लिया और उसके गोल गुदाज़ मम्मों को अपनी छाती से दबा दिया। मेरे हाथ पम्मी के गोल चूतड़ों पर फिसल रहे थे और मेरा लन्ड उसकी चूत के ऊपर नीचे हो रहा था।
उधर मनोज भैया जूली के संग चूमा चाटी में लीन थे और उसके सारे शरीर पर बड़ी तन्मयता से हाथ फेरने में लगे हुए थे।
पम्मी ने मेरे लौड़े को अपने हाथ में ले लिया और उसको ऊपर नीचे करने लगी।
उधर मनोज भैया ने जूली की चुदाई घोड़ी वाले पोज़ में शुरू कर दी लेकिन वो कम्मो के सिखाये हुए तरीके यानी स्लो एंड स्टेडी चुदाई करने लगे और साथ साथ ही उसके मम्मों और चूत को अपने हाथों से सहलाना भी जारी रख रहे थे।
कम्मो ने केबिन के फर्श पर चादर बिछा ली और वो और शशि भाभी दोनों फर्श पर ही गुत्थम गुत्था हो रही थी और शशि भाभी के लिए यह सब नया होने की वजह से वो बड़ा ही मज़ा ले रही थी।
शशि भाभी ने कभी लेस्बो सेक्स ना किया था और ना ही कभी देखा था और यही हाल मनोज भाई का था। दोनों ही बड़े हैरान हुए यह सारा लेस्बो काण्ड देख कर जब मनोज भैया ने देखा कि शशि भाभी को बहुत ही अधिक आनन्द की अनुभूति हो रही थी तो उनको शायद यह काण्ड थोड़ा थोड़ा समझ आने लगा कि संसार में स्त्री पुरुषों को काम सुख प्राप्ति के कई अनेक साधन हैं जो उनको ज्ञात नहीं।
मैंने अपना ध्यान अब पम्मी की तरह पूरी तरह से केंद्रित किया और उसकी चूत को चेक किया तो उसको कोई अधिक गीला नहीं पाया। मैंने फ़ौरन उसको लिटा कर उसकी चूत पर अपने मुंह से काफी गहरी चुसाई करने लगा और कुछ ही मिनटों में पम्मी की चूत पनियाती हुई टपकने लगी और फिर मैंने उसको सीधे लिटा कर चोदने लगा।
मोटे और लंबे लन्ड को शायद उसने पहली बार अपने अंदर महसूस किया था तो वह आँखें बन्द कर के चुपचाप लेटी हुई थी और मेरे लन्ड के करतब सिर्फ महसूस कर रही थी। क्योंकि पम्मी की तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही थी तो मुझको समझते देर नहीं लगी कि वो अपने आनन्द को भरसक छुपाने की कोशिश कर रही थी।
अब मैंने अपनी चुदाई की स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि मनोज और जूली और दोनों भाभियाँ अपने कामों को रोक कर हम दोनों के करतब देखने लगे।
तेज़ स्पीड के ताव को ना सहते हुए पम्मी का शरीर स्खलन के कगार पर पहुँच गया और थोड़ी देर की तूफान मेल स्पीड की चुदाई के बाद पम्मी आँखें बन्द करके तड़पने लगी और फिर एकदम उसका शरीर बुरी तरह से अकड़ा और मेरे शरीर के साथ लिपट कर कांपने लगा।
पम्मी के इस ज़ोरदार स्खलन को सबने अपना काम रोक कर देखा और बाद में ज़ोर ज़ोर से तालियां मार कर मेरा मनोबल बढ़ाया।
पम्मी ढीली पड़ गई थी और एकदम बेसुध से लेटी थी लेकिन मैं पुनः उसको चोदने की सोच ही रहा था कि जूली ने मनोज भैया के नीचे से मुझको इशारा किया- सोमू, बस और नहीं, पम्मी बर्दाश्त नहीं कर पायेगी। तुम मेरे साथ मनोज जी के बाद करना ज़रूर!
फिर जल्दी ही मनोज का पानी झाड़ कर जूली मेरे पास आई और मुझको सीट पर लिटा कर मेरे ऊपर से मुझको अपने मनपसंद तरीके से चोदने लगी और जब उसका भी मन भर गया तो वो भी नंगी ही पम्मी को साथ लेकर अपने साथ वाले केबिन में चली गई और साथ ही कम्मो भी उन दोनों के साथ चली गई उनके केबिन में!
टाइम देखा तो अभी केवल रात के 11 ही बजे थे और ऐसा लगा कि रात अभी जवान है और शशि भाभी और मनोज और कम्मो भी काफी जवान हैं तो कम्मो फिर मनोज के साथ लेट गई और मेरे साथ शशि चिपक कर सो गई।
अभी भी हम सब केबिन में नंगे थे, ट्रेन रूकती भागती चलती रही और हम जब भी नींद खुलती एक दूसरे के साथ रति कला में मग्न होते रहे। इस बीच मैंने शशि भाभी को 2-3 बार गर्भधान की खातिर कम्मो के बताये तरीके से चोदा और अपना वीर्य स्खलन भी चूत के अंदर ही किया।
करीब आधी रात को कम्मो मुझको उठा कर लड़कियों के केबिन में ले गई और बोली- ये दोनों तुमसे मिलने के लिए बेकरार हो रही थी तो मैं तुमको ले आई हूँ यहाँ… अब तुम जानो और यह दोनों। ओके लड़कियो, संभालो अपने बेबी को! यह कह कर कम्मो अपने केबिन में चली गई और दोनों लड़कियों ने मुझ को घेर लिया।
दोनों ने रेशमी नाइटी पहनी हुई थी और दोनों ही ठुमक ठुमक कर मुझको रिझाने की कोशिश कर रही थी। मैं पम्मी को इग्नोर करने लगा और जूली के आगे पीछे मंडराने लगा।
सबसे पहले पम्मी ने अपनी नाइटी उतारी और फिर जूली ने! जब मैं पम्मी को इग्नोर मारने लगा तो पम्मी स्वयं मेरे पास आई और एक बड़ी ही कामुक जफ्फी मारी और मेरे लबों पर हॉट किस करने लगी।
फिर नीचे झुक कर उसने मेरे खड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और फिर मेरे लंबे और मोटे लन्ड को पूरे का पूरा अपने गले के अंदर तक ले गई जो आज तक किसी भी लड़की ने नहीं किया था।
अब पम्मी ने एक धक्के से मुझको सीट पर लिटा दिया और लपक कर मेरे ऊपर चढ़ बैठी। अपनी दोनों टांगें और जांघें मेरी दोनों और फैला कर मेरे ऊपर चढ़ कर और मेरे खड़े लन्ड को अपनी एकदम गीली चूत में डाल कर ऊपर से आहिस्ता आहिस्ता धके मारने लगी।
मेरे छाती के निप्पल को जूली अपने मुंह से चूसने लगी और कभी मेरे अंडकोष को भी सहलाने लगी और साथ ही मेरे होटों पर अपने होंठ रख अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल कर मेरा रसपान करने लगी।
जूली पहले से ही सेक्स के मामले में काफी एक्सपर्ट थी जैसा कि मेरा अनुभव बना था गांव की शूटिंग के दौरान! मैं जूली के प्रेमालाप से बहुत अधिक कामातुर हो गया था लेकिन उधर पम्मी अपने मस्तानी चाल से मुझको ऊपर से चोदने में मग्न थी।
मेरे हाथ उसके गुब्बारों के साथ मस्त हुड़दंग बाज़ी कर रहे थे और उसके चोदने की स्पीड अब काफी तेज़ होती जा रही थी। यह देख कर मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और नीचे से तेज़ धक्काशाही शुरू कर दी।
अगले पांच मिनटों में ही वो स्खलित हो गई और सर फेंक कर मेरे छाती पर सर रख कर लेट गई।
मैंने उसको अपने ऊपर से उठाया और जूली को पकड़ कर सीट के साथ दोनों हाथ टेक कर उसके पीछे से मैंने उसकी छम छम बरसती चूत में अपना लौड़ा डाल दिया।
जूली खुश होते हुए बोली- वाह सोमू राजा, तुम तो बिलकुल नहीं बदले हो यार! वैसे के वैसे ही जोश और खरोश के साथ चुदाई करने लगते हो और तुमको मेरी पसंद वाले सारे आसन याद हैं।
पम्मी जो अब थक कर सीट पर लेटी हुई थी, बड़े गौर से जूली की चुदाई को देख रही थी और साथ ही साथ अपनी चूत पर हाथ भी चला रही थी।
जूली को चोदते हुए मुझ को नींद के झौंके भी आने लगे थे, मैं जल्दी में जूली को दो बार स्खलित करवा कर वहाँ से भाग लिया और अपने केबिन में आ कर नंगा ही नंगी शशि भाभी के साथ लेट गया और कुछ क्षणो में ही नींद की गोद में बेखबर सो गया।
सुबह कम्मो ने मुझको जगाया कि साढ़े छः बजने वाले हैं, हम शायद मुम्बई पहुँचने वाले होंगे।
मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े पहन लिए और मनोज और भाभी को देखा तो दोनों ही नंग धड़ंग पसरे पड़े थे। भाभी की चूत के काले बाल मेरे वीर्य के कारण एक दूसरे से जुड़े बैठे थे और वो अपनी टांगें खोल कर बेसुध सोई हुई थी।
मैं उठ कर बाहर आ गया और कम्मो को समझा दिया कि इन दोनों को जगा दूँ।
बाहर कॉरीडोर में मैं कोच अटेंडेट को ढूंढने लगा और वो आखरी खाली केबिन में लेटा हुआ आराम कर रहा था, मुझको देखते ही बाहर आ गया और बोला- साहिब, गाड़ी 3 घंटे लेट चल रही है, हम दादर कोई 10 बजे पहुंचेंगे।
मैं बोला- अच्छा… तो फिर हमारे चाय और नाश्ते का इंतज़ाम करना है तुमको! अब तुम 6 चाय अभी दे जाना और 6 ही नाश्ते आमलेट ब्रेड और मक्खन के साथ दे जाना अपने टाइम पर! ठीक है न? ये लो कुछ पैसे जो तुमको देने होंगे ना!
केबिन में वापिस आया तो भाभी उबासी लेती हुई अभी ही उठी थी, मैंने उनको कहा- आप नाइटी पहन कर फिर सो जाओ, गाड़ी काफी लेट चल रही है, आराम से उठो!
आधे घंटे बाद हमारे केबिन में अटेंडेंट चाय के कप और केतली रख गया और मैंने दूसरे केबिन को खटखटाया। जूली ने जब खोला तो देखा कि दोनों ही फ़िल्मी तितलियाँ नंगी ही पड़ी हैं।
मैंने झट दोनों को कपड़े पहनाये और अपने साथ लेकर बड़े केबिन में आ गया जहाँ सब चाय पर उनका इंतज़ार कर रहे थे।
चाय पीकर हम सब बड़े केबिन में ही बैठे रहे और जूली ने ही चुहलबाज़ी शुरू कर दी। वो भैया और कम्मो के साथ बैठी थी सो वो यदाकदा भैया के पजामे के नाड़े को खोलने की कोशिश करने लगी जिसको देखकर हम सब खूब आनन्द लेने लगे।
जूली की देखा देखी शशि भाभी को भी जोश चढ़ आया और वो मेरे साथ चुहलबाज़ी करते हुए मेरे अधखड़े लन्ड को अपने हाथ में पजामे के बाहर से पकड़ कर इधर उधर हिलाने लगी और देखते देखते ही लन्ड लाल जी पूरे तन गए जिसको देख कर पम्मी काफी हैरान हो रही थी।
उसने आगे बढ़ कर मेरे पजामे को ढीला करके मेरे लन्ड को बाहर निकाल लिया और उसको झूमते हुए देखने लगी। इससे पहले पम्मी कुछ करती, शशि भाभी अपनी नाइटी ऊपर करके मेरे लन्ड के ऊपर आ बैठी और अपने हाथ से मेरे लन्ड को अपनी चूत में डाल कर धीरे से नीचे आते हुए उसने मेरा पूरा लंड अपने अन्दर ले लिया।
भाभी की फुर्ती देख कर सब दंग रह गए और उसकी कारीगिरी की नक़ल उतारने हुए जूली भैया के लन्ड पर जा बैठी और अब दोनों आमने सामने बैठी हुई धीरे धीरे हमारे लंडों पर ऊपर नीचे होने लगी।
जल्दी ही दोनों अपना अपना पानी छोड़ बैठी और कम्मो के इशारे पर वो हमारे लंडो के ऊपर से हट गई और उनकी जगह पम्मी और कम्मो ने ले ली।
इसी तरह खूब हंसी ठट्ठे के बीच केबिन का दरवाज़ा खटका और दोनों औरतें जो छूटने वाली थी जल्दी जल्दी करके छूट गई और तब कम्मो ने उठ कर केबिन का दरवाज़ा खोल दिया और अटेंडेंट हमारा ब्रेकफास्ट लेकर आ गया।
उसके बाहर जाने के बाद ही खूब छेड़ा छाड़ी शुरू हो गई और मैं और भैया जी अब चारों औरतों के पीछे पड़ कर उनकी नाइटी ऊपर कर के उनकी चूतों के दर्शन करने की कोशिश करने लगे और वो भी हम दोनों का पजामा नीचे करने की होड़ लगाने लगी।
इसी हंसी खेल में कब हम अपने स्टेशन के पास पहुँच गए यह हम को पता ही नहीं चला और अटेंडेट ने ज़ोर से चिल्ला कर बताया कि दादर स्टेशन सिर्फ आधे घंटे में आने वाला है।
हबड़ा दबड़ी में दोनों फ़िल्मी कलियाँ अपने केबिन में चली गई और हम सब भी अपने बाहर वाले कपड़े पहनने लग पड़े। सब कोई एक दूसरे के सामने ही बिना किसी शर्म के अपने कपड़े चेंज करने लगे।
जल्दी ही हम सब तैयार हो गए और बड़ी बेसब्री से दादर स्टेशन का इंतज़ार करने लगे।
इस बीच हम सबने अपने मुम्बई के टेलीफोन नंबर आपस में एक्सचेंज कर लिए और फिर मिलने का वायदा भी किया एक दूसरे के साथ!
तब कम्मो शशि भाभी को ले कर टॉयलट में गई और थोड़ी देर में दोनों वापस भी आ गई और तब हमने देखा कि शशि भाभी बड़ी खुश लग रही थी और उसने भैया के कान में कह दिया कि उसकी प्रेगनेंसी कन्फर्म हो गई है जिसको सुन कर भैया बड़े प्रसन्न हुए और भाभी को उनके लबों पर चूम लिया।
शशि भाभी मेरा थैंक्स करने के लिए मेरे पास आई और मेरे को उठा कर एक बड़ी ही कामुक जफ्फी मारी और लबों पर थैंक्स की किस भी की!
कम्मो ने शशि भाभी को विश्वास दिलाया कि वो जब चाहे बम्बई में या फिर लखनऊ में उनको जब चाहे कंसल्ट कर सकती है।
जब दादर स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो मैंने ट्रेन के अंदर से ही रूबी मैडम को पहचान लिया और जब हम उतरे तो रूबी मैडम ने बड़े ही गर्मजोशी से हम दोनों से हाथ मिलाया और जूली और पम्मी से भी हाथ मिलाया और दोनों को मिलते रहने का आदेश दिया।
फिर हम रूबी मैडम की कार में बैठ कर होटल चले गए जहाँ एक काफी अच्छे दिखने वाले होटल में रूबी मैडम ने हम दोनों को एक ही कमरे में टिका दिया और बाकी काम की बातें कल पर छोड़ कर रूबी मैडम वापस चली गई।
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