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अन्तर्वासना की हिन्दी सेक्स स्टोरीज के सभी चाहने वालों को मेरा नमस्कार!
प्रिय मित्रो और सभी सेक्सी कुँवारी लड़कियो और भाभियो… अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है, अगर कोई गलती हो जाए तो मुझे माफ़ करें।
मेरा नाम रॉकी हंटर (बदला हुआ) है, मेरठ का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र इस वक़्त 28 साल है, गेहुँआ रंग है और मेरी एथेलीट बॉडी है। मेरा लौड़ा 6.3 इंच लंबा और 2.3 इंच मोटा है जो किसी भी लड़की की ज़बरदस्त चुदाई के लिए काफी है।
मेरी यह कहानी अब से दो साल पहले की है जो मेरी सबसे पहली गर्लफ्रेंड की है जो मेरठ की ही रहने वाली थी। वह काफी सुन्दर है, उसकी लंबाई 5.4 इंच, रंग बिल्कुल गोरा, घने काले लंबे बाल, पतली सी कमर और उसका फिगर 34-28-32 का था जो किसी को भी पागल करने के लिए काफी है।
उससे मेरी पहली मुलाकात मेरे एक दोस्त के द्वारा हुई थी। जब मैं पहली बार उससे मिलने गया तो उसको देखकर बस देखता ही रह गया, मुझे तो यकीं ही नहीं हुआ कि मुझे भी कभी इतनी सुन्दर गर्लफ्रेंड मिलेगी।
उस दिन बस साथ बैठे और यहाँ वहाँ की बातें की और एक दूसरे के नम्बर लिए और फिर हम दोनों की फ़ोन पर दिन रात बातें होने लगी। और बातें होते होते प्यार से सेक्स पर पहुँच गई, हम फ़ोन पर भी सेक्स करने लगे।
हमने फिर एक दिन मिलने का समय तय किया। वो अपना कॉलेज का बहाना मार कर मुझसे तय समय पर मिलने आ गई और मैं उसे अपनी बाइक पर लेकर एक अच्छे होटल में गया जहाँ पर मैंने रूम बुक किया और उसे लेकर रूम में चला गया।
रूम में जाते ही मैंने रूम को तुरंत लॉक करके उसे अपने गले से लगा लिया, कस क़र उसे अपनी बाहों में भींच लिया और उसके गुलाबी गुलाबी होठों को चूमने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। हम बहुत देर तक एक दूसरे के होठों को चूमते और चूसते रहे।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसके मोटी चूचियों को दबाने लगा और उसे किस करने लगा। वो भी अब तक बहुत बेचैन हो गई थी और मेरे लंड को दबाने लगी थी।
मैं उसके गोरे बदन से उसके कपड़ों को उतारने लगा, सबसे पहले उसका नीले रंग का सूट उतार कर अलग किया और उसी रंग की सलवार भी उतार कर अलग कर दी थी। अब वो काली ब्रा और पैंटी में थी और उसके गोरे रंग पर काली ब्रा पैंटी गजब लग रही थी।
उसको इस हालत में देखते ही मैं पागल सा हो गया और उसको पागलों की तरह ऊपर से नीचे तक चूमने और चाटने लगा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसे सर से पैर तक अच्छे से चूमा।
अब वो बिल्कुल पागल हो चुकी थी, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए।
मैंने उसकी मोटी मोटी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूसना शुरू क़र दिया, पैंटी के ऊपर से ही उसकी मुलायम मखमली चूत को सहलाने लगा और धीरे धीरे चूत को दबाने लगा।
अब मैंने सबसे पहले उसकी ब्रा उतार दी और फिर धीरे-2 उसकी पैंटी को भी उतार दिया। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे और एक दूसरे को फिर से चूमने चाटने लगे, मैंने उसके गुलाबी होंठों को खूब चूसा और उसकी मोटी चूचियों को खूब ज़ोर से दबाने लगा।
तो वो कामुकता वश खुद ही कहने लगी- और दबाओ इन्हें और खूब चूसो इनको!
मैंने भी देर न करते हुए उसकी एक चूची को अपने मुख में भर लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा। मैंने उसकी दोनों चूचियों को बारी बारी से खूब चूसा और उसके निप्पलों को भी…
वो भी नीचे से मेरे लंड को भींचने लगी थी जो अकड़ कर एकदम लोहे की छड़ जैसा हो गया था। अब तक वो भी बिल्कुल गर्म हो चुकी थी और मैं भी पूरा गर्म हो गया था।
मैंने उसकी गोरी गोरी चूत पर हाथ लगाया तो वो बहुत गर्म लग रही थी जिस से उसकी चूत का रस भी बहकर बाहर आने लगा था और हम दोनों की हालत बिल्कुल ख़राब हो चुकी थी।
आधे घंटे तक चली इस चूमा चाटी में वो एक बार झड़ चुकी थी, मेरा भी पहली बार था तो मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने लंड को उसके हाथों में पकड़ा दिया और वो लौड़े को पकड़कर धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी।
थोड़ी सी देर बाद मैं झड़ने लगा और सारा वीर्य उसकी चूचियों पर और कुछ उसके मुख पर भी जा गिरा जिसे मैंने बाद में तौलिये से बिल्कुल साफ़ कर दिया और अपने लंड को भी साफ किया।
झड़ने के बाद हमने फिर से एक दूसरे को चूमना चाटना शुरू कर दिया, चूमा चाटी करने से हम दोनों फिर से गर्म होने लगे थे, उसकी चूचियाँ भी बिल्कुल सख्त हो गई थी जिन्हें अब मुँह में लेकर चूसने से पहले से भी ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मैं बीच बीच में उसके निप्पलो को दांतों से हल्का सा काट भी देता जिससे वो मचल जाती थी। अब उसकी चूचियाँ दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने उसे लौड़ा मुंह में लेकर चूसने को बोला पर उसने मना कर दिया तो मैंने भी कोई जोर जबरदस्ती नही की और लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया। वो लंड को आगे पीछे करने लगी और कुछ ही देर में मेरा लौड़ा फिर से पहले से ज्यादा सख्त और मोटा लग रहा था जिसे देख कर वो थोड़ी सी घबरा गई पर मैंने उसको प्यार से समझया कि कुछ नहीं होगा।
मैंने उसकी मखमली मुलायम चूत पर एक चुम्बन किया और उसके चूत के दाने को सहलाने लगा तो वो अपनी कमर ऊपर को उठाने लगी और कहने लगी- मुझे फिर से कुछ हो रहा है… प्लीज कुछ करो जल्दी से!
तो मैंने पहले अपने लंड पर अच्छी तरह से तेल लगाया, तेल लगने के बाद अब और ज्यादा खतरनाक लगने लगा था और उसमें और चमक आ गई थी। उसकी चूत तो पहले से ही काफी गीली थी पर मैंने उसकी चूत पर भी अच्छी तरह से तेल लगा दिया जिससे लौड़ा अंदर घुसने में कोई दिक्कत न हो।
अब मैंने भी और देर न करते हुए उसकी दोनों टांगो को उठाकर अपने कंधों पर रख लिया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे उसकी चूत बिल्कुल उठकर लंड के सामने आ गई जो फूल कर और भी सुन्दर लग रही थी।
उसकी चूत को देखते ही मेरा लौड़ा फुंफ़कारने लगा और मैंने उसकी चूत के छेद पर अपना लौड़ा रखा और उसे ऊपर नीचे रगड़ने लगा और उसे और तड़पाने लगा।
वो इस तड़प से पागल होकर अपनी चूत को ऊपर उठाने लगी मेरे लंड को अंदर लेने के लिए!
ज्यादा देर न करते हुए मैंने उसके दोनों चूचे ज़ोर से भींच लिए और लंड को उसकी चूत पर सेट करके एक ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा लंड उसकी मखमली चूत को चीरता हुआ आधा अंदर घुस गया। उस वक़्त मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैंने अपना लौड़ा किसी जलती हुई भट्टी में डाल दिया हो।
और वो भी धक्का लगते ही ऊपर को सरक गई पर मैंने उसको कस कर पकड़ लिया जिससे लौड़ा चूत के अंदर ही रहे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो रोने लगी, उसकी आँखों से दोनों तरफ आंसू बहने लगे थे और बोल रही थी- प्लीज़ अपना लौड़ा बाहर निकाल लो! मुझे नहीं चुदना, मुझे बहुत तेज़ दर्द हो रहा है।
मुझे पता था कि अगर इस वक़्त लौड़ा बाहर निकाल लिया तो फिर यह लड़की कभी मेरे लंड के नीचे नहीं आएगी। मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और लंड को बिना हिलाये ऐसे ही उसे चूमता रहा और उसको समझाने लगा- थोड़ा सब्र रखो, कुछ ही देर में सब ठीक हो जाएगा!
वो दर्द के मारे छटपटा रही थी पर मैंने भी उसको छोड़ा नहीं और उसको चूमता रहा और उसकी चूचियों को भींचने लगा। फिर थोड़ी देर बाद वो कुछ नार्मल सी होने लगी थी तो मैंने भी धीरे धीरे अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था।
और मैंने फिर मौका देखकर अपना लौड़ा हल्का सा बाहर को खींचा और पूरी जान लगा कर एक और तगड़ा धक्का लगा दिया जिससे मेरा लौड़ा उसकी गर्म गर्म चूत में बिल्कुल अंदर तक चला गया।
वो अचानक से हुए इस हमले से बिल्कुल हिल गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, चीखने चिल्लाने लगी तो मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को जकड़ लिया और उसने लंड को अपनी चूत से बाहर निकालने की खूब कोशिश की पर मैंने उसको कस कर पकड़ रखा था जिससे वो निकल नहीं पाई और उसने भी मेरी कमर में अपने नाखून गड़ा दिए थे पर मैंने भी उसे नही छोड़ा।
और ऐसे ही लंड को बिना हिलाये उसके होंठों को चूमने लगा और उसकी चूचियों को दबाने लगा। कुछ देर बाद उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और दूसरी को हाथ से धीरे धीरे दबाने लगा।
थोड़ी ही देर बाद उसका दर्द कम होने लगा और वो अब अपनी कमर को नीचे से हल्के-2 हिलाने लगी थी तो मैंने भी अपने लंड को हल्के हल्के हिलाना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाने लगा।
अब उसका भी दर्द काफी कम हो चुका था और अब वो दर्द मजे में बदलने लगा था और उसके मुँह से आअह्ह्ह… आअह्ह ह्हह्हह… इस्सस्स स्सस्सस आह्ह्ह ह्ह्ह्ह्… म्म्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह… ऊऊह्हह… ऊओह्ह की मादक आवाज़ें निकलने लगी थी।
मैंने अब अपनी चोदने की स्पीड बढ़ा दी जिससे कमरे में हम दोनों की चुदाई करने की आवाज आ रही थी पर मेरा ध्यान तो बस उसकी चूत चोदने पर था।
कुछ ही देर में उसका बदन अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि यह लड़की अब झड़ने वाली है और वो झटके खा खा कर ज़ोर ज़ोर से झड़ने लगी, उसने मुझे कस कर भींच लिया था तो मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी, मैं उसकी चूत में तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा।
15-20 धक्कों के बाद मेरा भी लंड झड़ने वाला था तो मैंने उसको पूछा- कहाँ निकालूँ? तो उसने कहा- मेरी चूत के अंदर ही निकाल दो!
मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में बिल्कुल जड़ तक अंदर घुसा कर सारा वीर्य उसकी चूत में अंदर तक भर दिया। झड़ने के बाद मैं ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और उसे होंठों पर चूमने लगा और वो भी मुझे चूमने लगी।
कुछ देर बाद लौड़ा अपने आप ही चूत से बाहर निकल आया।
हमारी ये चुदाई 15-20 मिनट तक चली।
उस दिन वो मेरे साथ 5-6 घंटे तक रही और मैंने उसको उस दिन कई बार जबरदस्त तरीके से चोदा। इस चुदाई में उसकी चूत सूज गई थी और उससे ठीक से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था तो मैंने उसको दर्द की 2 गोलियां दी जो मैं अपने साथ लाया था और एक गर्भ निरोधक गोली भी दी जिससे बाद में कोई दिक्कत न हो।
उसको लालकुर्ती से ऑटो में बैठाकर अपने घर आ गया। घर पहुँचने पर उसका फ़ोन आया तो बोली- आज बहुत ज्यादा मज़ा आया पर अभी भी दर्द हो रहा है।
उसके बाद भी मैंने उसको फिर कई बार उसी होटल में ले जाकर खूब चोदा। अब उसकी शादी हो चुकी है, उसने मुझे अपनी शादी में भी बुलाया था पर किन्ही कारणों से मैं जा नहीं पाया और तब से अब तक ना उसने कोई फ़ोन किया और न ही वो फिर दिखाई दी।
तो यह थी मेरी पहली सेक्स कथा जो बिल्कुल सत्य है। इसमें कुछ भी झूठ नहीं है। आप सभी से निवेदन है कि अगर कुछ गलती हुई हो तो माफ़ करें और अपने सुझाव दें जिससे मैं अपनी अगली कहानी को और ज्यादा मजेदार बना कर आप सबके सामने रख सकूँ।
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