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सम्पादक : वरिन्द्र सिंह
दोस्तो, आज मैं आपको अपनी एक बहुत ही सीक्रेट बात बताने जा रही हूँ। यह बात सिर्फ मुझे और मेरे बॉय फ्रेंड को ही पता है। अगरदेखा जाये तो वो मेरा बॉयफ्रेंड भी नहीं है। कई बार तो यह भी सोचती हूँ कि मैंने उसके साथ सेक्स करने के लिए हाँ कैसे कर दी, मगर अब जो हो गया सो हो गया। आप मेरी बात सुनिए और मुझे बताइये के मैंने जो किया वो गलत किया या सही किया।
मेरा नाम नैन्सी है और मैं दिल्ली में रहती हूँ। घर परिवार बहुत अच्छा है, शादीशुदा हूँ, पति बहुत प्यार करते हैं, दो साल का एक बेटा है। पति की सरकारी नौकरी है, आमदनी अच्छी है।
शादी से पहले मेरा एक बॉय फ्रेंड था, जिससे मैंने कई बार सेक्स भी किया था, मगर शादी के बाद मैंने एकदम से पतिव्रता नारी का धर्म निभाया, मैंने कभी किसी और की तरफ नहीं देखा।
देखने में मैं बहुत अच्छी हूँ, सुंदर हूँ, गोरा रंग, तीखे नयन नक्श, कजरारी आँखें, 32 बी साइज़ की ब्रेस्ट, उसके नीचे बहुत ही पतली सी कमर, और 32 कमर, कद है 5 फीट 3 इंच, लंबे काले बाल जो मेरी कमर तक आते हैं। मुझे खुद को पता है कि मैं बहुत खूबसूरत हूँ, लोग मेरे हुस्न की तारीफ अपनी आँखों से करते हैं, जो मैं अक्सर पढ़ लेती हूँ।
मैं हर किस्म का पहरावा पहन लेती हूँ, जीन्स, टी शर्ट, स्कर्ट, साड़ी, सूट, स्लेक्स, काप्री बस बिकनी ही नहीं पहन कर देखी। खैर अब मुद्दे पर आती हूँ।
हमारे पड़ोस में ही एक लड़का रहता है अनम, आज भी उनकी फ़ैमिली से हमारे बहुत अच्छे ताल्लुक़ात हैं, एक दूसरे के घर आना जाना रहता है। अनम मुझे भाभी कह कर बुलाता है, मेरा बहुत अच्छा दोस्त है।
ऐसे ही एक दिन मैं घर में अकेली थी, तो सुबह का कोई 11 बजे का वक़्त होगा, पति दफ्तर जा चुके थे, मैं भी नाश्ता करके बेड पे लेटी टीवी देख रही थी।
अभी नहाई नहीं थी, रात वाली ही नाईटी पहनी थी। एक तो नाईटी स्लीवलेस थी, दूसरे सिर्फ घुटनों तक की थी। अब इसका यह फायदा है कि बच्चे को दूध पिलाने में आसानी रहती है, और बच्चे के बाप के लिए ऊपर उठाने में भी आसानी रहती है।
तो मैं लेटी लेटी टीवी देख रही थी, तभी मेरा बेटा मेरे पास आया और मेरी छाती पर मुंह मारने लगा। मैंने अपनी नाईटी उठाई और उसको अपने सीने से लगा लिया। वो दूध पीने लगा और मैं ना जाने कब फिर से सो गई।
थोड़ी देर बाद मेरी आँख खुली तो देखा मेरे बिल्कुल पास मेरा बेटा भी सो रहा था, मगर अनम बिल्कुल मेरे पास मेरे बेड पे बैठा था। मैंने उसे देखा तो एकदम से मुझे अपना ख्याल आया, मैंने खुद को देखा, मेरी नाईटी बिल्कुल ऊपर गले तक उठी हुई थी, और इस हालत में मैं पूरी तरह से अनम के सामने नंगी होकर लेटी थी।
मैंने एकदम से हड़बड़ी में उठ कर अपने कपड़े ठीक किए- अरे अनम तुम कब आए? अनम ने बड़े प्यार से जवाब दिया- भाभी, मुझे आए तो 15 मिनट हो गए!
उसकी आँखों में शरारत साफ तैर रही थी, मतलब उसने मुझे बता दिया कि पिछले 15 मिनट से वो मुझे नंगी लेटी को देख रहा था। मैंने थोड़ा गुस्से में कहा- पर अगर अंदर आना था तो बैल बजा कर आते, यूं किसी के बेडरूम में चुपचाप से आना क्या अच्छा लगता है?
वो बोला- भाभी आप प्लीज़ गुस्सा मत करो, आपका दरवाजा खुला था, मैं तो वैसे ही अंदर आया था, मगर जब अंदर आकर आपको देखा तो बस देखता ही रह गया, मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि जिस औरत को मैं मन ही मन इतना पसंद करता हूँ, उसको कभी इस रूप में भी देखूँगा।
खैर मुझे उसकी इस बात का ज़्यादा बुरा इस लिए भी नहीं लगा क्योंकि गलती मेरी थी और इसके अलावा उनके घर से हमारे बहुत अच्छे सम्बन्ध थे, और अनम वैसे भी मेरे कहने पर हर काम भाग भाग कर करता था। जानती तो मैं भी थी कि अनम मेरे हुस्न का दीवाना है, मगर कभी उसने यह बात खुल कर मेरे सामने नहीं कही, तो मैंने भी कभी उसे लिफ्ट नहीं दी, मगर आज तो बात ही कुछ और थी।
मैं उठ कर जाने लगी तो अनम ने मेरी कलाई पकड़ ली- भाभी आप गुस्सा तो नहीं हो न, सच कहता हूँ भाभी, मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ, आपसे मन ही मन बहुत प्यार करता हूँ, माँ से पूछ लो मैंने तो यह भी कह रखा है कि मुझे आप जैसे ही पत्नी चाहिए, आप मेरी गलती की जो चाहे सज़ा दे लो, मगर मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। कह कर वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गया।
अब इस हालत में मैं बेड से उतार कर जा भी नहीं सकती थी, मैंने उसे कहा भी- अनम मुझे जाने दो। मगर वो ज़िद करने लगा- नहीं भाभी पहले आप मुझे माफ करो, अपने दिल से मेरे लिए सारा गुस्सा निकाल दो, प्लीज़! कह कर उसने मेरे दोनों घुटने पकड़ लिया और मेरी गोद में सर रख दिया जैसे कोई बच्चा हो।
मगर वो बच्चा तो नहीं था, क्योंकि जब उसने मेरे घुटने छूये तो मेरे मन में भी घंटी बजी, और जब उसने मेरी गोद में सर रखा तो मेरा दिल बड़ी ज़ोर से धड़का, मेरे बूब्स के निप्प्लों में और मेरी चूत में कुछ हरकत सी हुई, मेरे बदन में एक बिजली सी कौंधी।
मैंने अनम के सर पे हाथ रखा तो उसने भी अपनी हाथ मेरे घुटनों से सरका कर मेरी जांघों पर रख लिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
न जाने क्यों मेरे मन में सेक्स का विचार आया, दिल में ख्याल आया कि क्या अनम से साथ सेक्स करूँ? मगर मैंने तो आज तक किसी पर पुरुष के साथ कोई फालतू बात नहीं की… तो सेक्स?
मगर मेरा मन तो अब बार बार घंटी बजा बजा कर कह रहा था- नैन्सी, अनम के साथ सेक्स कर, नैन्सी अनम के साथ सेक्स कर!
अब मन के वशीभूत हो कर मैंने अनम का सर अपनी दोनों हाथों में पकड़ा और ऊपर उठाया- क्या चाहते हो अनम? मेरी बात सुन कर अनम बोला- भाभी आपसे मैं बहुत प्यार करता हूँ, मेरे दिल में आपके लिए बहुत इज्ज़त, बहुत सम्मान है, मगर मैं आपको एक बार अपनी बनाना चाहता हूँ, ताकि इस दिल में आपके लिए जो अरमान हैं, वो सब पूरे हो जाएँ।
मैंने जानबूझ कर पूछा- अपनी बनाना मतलब, अब भी तो मैं तुम्हारी अपनी ही हूँ? अनम बोला- आप बिल्कुल मेरी अपनी हो, मेरी भाभी हो, मगर मैं आपको मन से ही नहीं तन से भी हासिल करना चाहता हूँ। ‘मतलब?’ सब कुछ जानते समझते हुये भी मैंने कहा।
‘मतलब, मैंने आपसे एक बार, सिर्फ एक बार, सेक्स करना चाहता हूँ।’ अनम बोला। ‘नहीं अनम!’ मैंने अपने दिल की आवाज़ के विरुद्ध कहा- मैं तुम्हारे भैया को धोका नहीं दे सकती।
अनम बोला- भाभी, आप इसे इस तरह से न सोचें, आप इसे ऐसे सोचें कि आप सिर्फ मुझे अपना प्यार दे रही हैं, बस! कह कर उसने मेरे दोनों घुटनों को चूम लिया।
इस बार मुझे लगा के उसके चूमने से मेरी चूत में कुछ गीला गीला सा हुआ। मैंने पहले तो सोचा, करूँ या न करूँ, फिर सोचा शादी से पहले भी तो कितनी बार किया था मैंने, अगर देखा जाये तो वो भी अपने होने वाले पति के साथ धोखा था, अब अगर आज मैं इसके साथ भी कर लूँ, तो किसको पता चलने वाला है।
मैंने कहा- देखो अनम, मैं एक शादी शुदा औरत हूँ, मेरा एक बेटा है, मैं बदनाम हो जाऊँगी, मेरा घर टूट जाएगा। तो अनम एकदम से उठा और मेरे बराबर बैठ गया, मुझे कंधों से पकड़ कर बोला- नहीं, नैन्सी, मैं अपनी जान देकर भी तुम्हारा घर बचा लूँगा, तुम चिंता न करो।
भाभी से नैन्सी तक और आप से तुम तक का सफर उसने एक सेकंड में तय कर लिया।
मैंने कुछ न कहा तो उसने आगे बढ़ कर अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास किया, मैंने फिर भी कुछ न कहा, तो उसने हल्के से मेरे होंठों पे एक छोटा सा किस किया।
सच कहती हूँ, सारे बदन के रोंगटे खड़े हो गए, इतना जोश, इतनी उत्तेजना पैदा हुई उस एक छोटे से चुम्बन से। मेरी तरफ से कोई विरोध न देख कर अनम से फिर से दोबारा मुझे चूमा, इस बार उसने बड़े विश्वास से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये,
जब मैंने भी चुम्बन में उसका साथ दिया तो उसने मुझे अपनी आगोश में ले लिया और मैं एक आज्ञाकारी पत्नी या प्रेमिका की तरह उसके सीने से लग गई और जब मैंने भी अपनी बाहें उसकी कमर की गिर्द लिपटा दी तो अनम ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी बगल में ही लेट गया।
उसने मेरे माथे से मेरे बालों को हटाया और फिर मेरे माथे को चूमा, मेरी आँखों को चूमा- बहुत सुंदर आँखें हैं तुम्हारी नैन्सी मेरी जान!
फिर मेरे दोनों गालों को अपने होंठों में लेकर चूसा, और फिर मेरी ठोड़ी को अपने दाँतो से काटा, और अपने मुंह में लेकर चूसा और अपनी जीभ घूमा कर चाटा भी।
इस सब फॉर प्ले से मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी। मैंने खुद अनम का चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और खुद उसके होंठों पर एक लंबा चुम्बन दिया। वो बहुत खुश हुआ और उठ कर बैठ गया।
सबसे पहले उसने मेरे दोनों पैर चूमे, मेरे पांव के अंगूठे को अपने मुंह में लेकर चूसा, जैसे औरतें मर्दों का लंड चूसती हैं, मैं भी ऐसे ही चूसती हूँ। फिर सभी उँगलियों को चूमते हुये पांव से ऊपर टखने तक आया, मेरी चिकनी टांग पर हाथ फेर कर बोला- उफ़्फ़ कितनी चिकनी टाँगें हैं तुम्हारी!
और फिर मेरी टांग को चूमता चाटता ऊपर घुटने तक आया। मेरी टाँग को उठा कर उसने अपने कंधे पे रख लिया और दोनों हाथों से घुटने से फिराता हुआ नीचे को लाया और मेरी नाईटी जो घुटने तक थी, उसने सरका कर नीचे कमर तक कर दी और मेरी जांघ को बड़े प्यार से मसाज दी- अरे नैन्सी, बहुत सफाई की तुमने तो, एक भी बाल नहीं तुम्हारी चूत पर!
‘हट बेशर्म ऐसे नहीं कहते!’ मैंने उसे डांटा तो वो हंस दिया।
उसने मेरी दोनों टाँगें फैलाई तो मेरी चूत पूरी तरह से उसके सामने खुल गई। ‘अरे वाह, क्या बात है!’ उसके मुंह से निकला, मुझे शर्म भी आई, मगर अब शर्म का क्या फायदा जब मेरी चूत ही उसकी सामने नंगी हो चुकी थी।
वो नीचे झुका और मेरी चूत की भगनासा जो थोड़ी बाहर को निकली हुई थी, उस पर चूम लिया। मेरे बदन में करंट दौड़ गया, मैंने उसके सर पे हाथ रखा और नीचे को ही दबा दिया कि ‘चल चाट अब इसे!’
वो भी मेरा इशारा समझ गया और उसने सबसे पहले उस बाहर निकली भागनसा को ही अपने मुंह में ले लिया और अंदर को चूस लिया।
एक लंबी सी ‘आह’ मेरे मुंह से निकल गई। मैंने अपनी दोनों टाँगे उसके कंधों पे रख कर उसका सर अपनी दोनों जांघों में जकड़ लिया।
उसने भी जहां तक हो सकता था, अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर तक डाल डाल कर चाटना शुरू कर दिया। उसके दोनों हाथ मेरी कमर से मेरे पेट पर और फिर मेरे दोनों बूब्स पर आ गए।
और जब उसने मेरे बूब्स दबाये तो मेरे बूब्स से दूध की पिचकारियाँ फूट पड़ी। उसने एकदम से अपना सर ऊपर उठाया और बोला- ओह नैन्सी, तुम्हारे दूध आता है, मैं तुम्हारा दूध पीऊँगा।
मैं तो आँखें बंद करके लेटी थी, बोली- सब तुम्हारा है मेरी जान, जो चाहो पी लो! मेरी आवाज़ में गजब की कामुकता थी और पूरा समर्पण भी था।
वो मेरी चूत चाटता रहा और मेरे बूब्स के निप्पलों दबा दबा कर मेरा दूध निकालता रहा। कोई 5 मिनट की चटाई के बाद मेरा तो पानी छूट गया, तड़प कर मैंने उसके सर के बाल ही खींच दिये, मगर उसने जीभ चलानी चालू रखी।
जब मैं बिल्कुल शांत हो गई तो उसने अपना मुंह मेरी चूत से अलग किया। ‘कैसा लगा भाभी?’ उसने पूछा।
मैंने उसी तरह नंगी लेटी लेटी ने कहा- पूछो मत, बस मज़ा आ गया।
तो अनम ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए, एक मिनट में ही उसने अपनी जीन्स टी शर्ट और चड्डी उतार दी, कोई 7 इंच लंबा गहरा भूरे रंग का लंड बिल्कुल तना पड़ा था।
अनम ने मेरी दोनों बाहें पकड़ कर मुझे उठा कर बिताया और मेरी नाईटी उतार कर फेंक दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।
उसने मुझे उठा कर नीचे फर्श पर खड़ा किया, और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने भी उसे अपने से चिपका लिया, उसका तना हुआ लंड मेरे पेट से लग रहा था।
उसके बाद अनम ने मेरे होंठों को चूमा, मुझे उसके होंठों से, उसकी जीभ से अपनी चूत के पानी का स्वाद आया। यह स्वाद मैं पहले भी बहुत चखा है, जब कभी हाथ से करती हूँ, तो अक्सर अपनी उंगली अपनी चूत में डाल कर चाट जाती हूँ।
‘अपने यार का लंड चूसोगी, जानम?’ अनम ने पूछा। मैंने कहा- क्यों नहीं, मुझे लंड का स्वाद बहुत अच्छा लगता है।
तो अनम ने मुझे कंधो से नीचे को बैठाया, जब मैं पांव के बल नीचे फर्श पर बैठ गई तो मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और पहले तो उसको चूमा, फिर अपने चेहरे होंठों के आस पास घुमाते हुये अपने मुंह में ले लिया।
‘हाह…’ एक लंबी सी संतोष या आनन्द की आवाज़ निकली अनम के मुख से। ‘जानती हो नैन्सी आज पहली बार किसी औरत ने मेरा लंड चूसा है, इससे पहले सिर्फ सोचता था कि लंड चुसवा कर कैसा मज़ा आता होगा, मगर आज सच में उसका एहसास हुआ! चूसो मेरी जान, और चूसो, पूरा मुंह में ले लो, और आंड भी चाट जाओ।’
अब मैं तो शादीशुदा थी, मुझे बताने की क्या ज़रूरत थी, मैंने तो खुद ही उसका अच्छे से लंड चूसा, टोपा बाहर निकाल कर चूसा, उसके आंड भी चाट गई। पहले वो खड़ा था, फिर बेड पे बैठ गया, फिर लेट गया, मगर मैं उसका लंड चूसती रही।
फिर वो बोला- बस कर यार, अब ऊपर आ जा! मैंने उसका लंड छोड़ा और उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गई।
‘आज से पहले कभी किसी को चोदा है?’ मैंने पूछा। वो बोला- नहीं, तुम पहली हो जो मेरा कौमार्य भंग करोगी।
मैंने कहा- कुँवारे तो नहीं हो तुम? वो बोला- यह तो मुट्ठ मार कर सील तोड़ ली थी, वरना इस लंड ने आज पहली बार कोई चूत देखी है।
मैंने उसका लंड अपनी चूत पे सेट किया और बोली- ले लूँ अंदर? वो बोला- बड़े शौक से!
और जब मैं बैठी तो उसके लंड का टोपा घुप्प से मेरी चूत में घुस गया। मैं थोड़ा सा ऊपर को उठी और फिर बैठी और इस बार उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत में समा गया। एक दो बार और ऊपर नीचे किया और उसका सारा लंड मेरी चूत में चला गया।
‘एक मिनट यहीं रुको नैन्सी!’ वो बोला। ‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा। वो बोला- मैं इस अहसास को जीना चाहता हूँ कि जिस औरत से मैं इतने दिनों से मन ही मन प्यार करता था, आज मेरा लंड उसकी चूत में है।
मै थोड़ी देर उसका पूरा लंड अपनी चूत में लेकर बैठी रही, उसने मेरे दोनों बूब्स पकड़ रखे थे और दोनों को बारी बारी अपने मुंह में लेकर चूस रहा था। मेरे बूब्स से भी टपाटप दूध टपक रहा था जो उसके चेहरे, छाती सब जगह गीला कर रहा था।
फिर उसने मेरी कमर पे हाथ मार कर कहा- अब शुरू करो! मैं आगे पीछे होकर चुदाई करने लगी और वो नीचे लेटा कभी मेरा दूध पीता तो कभी मेरे स्तनों से खेलता, कभी मुझे चूमता।
बड़ी मुश्किल से कोई 5 मिनट ही वो रुक पाया, और 5 मिनट की चुदाई के बाद वो बहुत ही जोश में आ गया- ओह… ओह… नैन्सी, मेरी जान और ज़ोर से चोद साली, और ज़ोर से उछल, साली चोद, बहनचोद लगा ज़ोर, आह आह! कहता हुआ, नीचे से अपनी कमर चलाता हुआ वो झड़ गया।
मैंने वैसे तो उसका लंड अपनी चूत से निकाल दिया था, मगर फिर थोड़ा सा मुझे लगता है मेरे अंदर भी गिरा और बाकी सारा बाहर गिरा।
हम दोनों शांत हुये, नंग धड़ंग अगल बगल लेटे थे। फिर मैं उठी और उसे भी उठाया, दोनों बाथरूम में गए, साथ नहाये।
‘नैन्सी क्या कभी तुमने गांड मरवाई है?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- हाँ बहुत बार, मेरे पति अक्सर पीछे करते हैं गांड में! ‘मुझसे मरवाओगी?’ उसने फिर पूछा।
मैंने कहा- देखो अनम, आज जो कुछ हुआ हम दोनों के बीच, वो कह लो कि वक्ती जज़्बात में हो गया, मगर मैं नहीं चाहती कि ये सब दोबारा हो, अगर तुम चाहते हो कि हमारी दोस्ती बनी रहे तो प्लीज़ आज के बाद मुझे सेक्स के बारे में मत कहना, और न ही कभी ऐसे कोई डिमांड रखना, प्लीज़ मेरी रिकुएस्ट है तुमसे।
अनम बोला- ठीक है मेरी जान, तुमने मुझे ज़िंदगी का सबसे अनमोल तोहफा दिया, है, तो क्या मैं तुम्हारी इतनी सी भी बात नहीं मानूँगा, मगर अपनी दोस्ती मत तोड़ना।
मैंने कहा- मैं नहीं तोड़ूंगी, अगर तुम अपने दायरे से बाहर नहीं जाओगे। अनम ने कहा- ठीक है, मगर तुमसे हंसी मज़ाक, नॉन वेज जोक्स, और अगर कभी तुम अपने बेटे को दूध पिला रही हो और मैं सामने बैठा हूँ तो पर्दा तो नहीं करोगी।
मैंने कहा- तुम चिंता मत करो, दोस्ती पूरी तरह से खुली रहेगी, अगर मेरा कभी दिल किया, तो मैं तुम्हें दोबारा अपनी सेवा का मौका भी दे सकती हूँ, पर इसका कोई पक्का वादा नहीं है, सब मेरी मर्ज़ी और मेरे मूड पर ही है।
अनम बोला- मुझे मंजूर है।
उसके बाद हम दोनों रूम में आए, तो अनम बोला- अब आज तो मेरा यह आखरी दिन है, क्या आज मैं थोड़ा और प्यार कर सकता हूँ तुम्हारे बदन को?
मैंने कहा- अब और क्या प्यार करना है? वो बोला- बस थोड़ा सा! मैंने हाँ कह दिया।
उसके बाद उसने मुझे खड़ा कर के करीब करीब मेरा सारा बदन ही चाट डाला, चूत में, गांड में, बगलों में सारे बदन पर अपनी जीभ फेरी, उसका लंड फिर से तन गया।
वो बोला- जानम, एक और बार चुद ले? मैंने कहा- नहीं, अभी तुमने वादा किया, अभी तोड़ दोगे, सब्र रखो, शायद तुम्हारी किस्मत फिर किसी दिन जाग जाये।
उसके बाद मैं अपने कपड़े निकालने लगी अलमारी से तो वो मेरे पीछे खड़ा रहा। जब मैंने अपने कपड़े निकाल लिए तो उसने खुद मुझे अपने हाथों से मेरी ब्रा, पेंटी, स्लेक्स, और टॉप पहनाया।
मैं ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप करने लगी तो मुझे देख कर अपना लंड सहलाता रहा। जब मैं बिल्कुल तैयार हो गई तो उसने मुझे अपने सामने बैठाया और मुट्ठ मारी।
पहली बार किसी मर्द ने मेरे सामने मेरे नाम की मुट्ठ मारी, सारा वक़्त वो मुझे गंदी गंदी बातें कहता रहा और जब वो झड़ा तो खूब गाली देकर झड़ा। मुझे इस से कोई ऐतराज नहीं था।
कुछ देर आराम करने के बाद वो उठा, अपने कपड़े पहने और चला गया।
आज भी हम बहुत अच्छे दोस्त हैं, एक दूसरे को नॉन वेज जोक्स सुनाते हैं, बहुत बार एक दूसरे को नंगा देखा है, उसके सामने मैं कई बार नहाई हूँ। मगर न उसने अपना वादा तोड़ा, न मैंने।
अब सोचती हूँ कि एक और बार उसको निहाल कर ही दूँ। आप क्या कहते हो, दे दूँ उसको?
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