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यह देसी लड़की चुदाई कहानी मेरी अपनी बेटी की है. मजबूरी के चलते मुझे एक ऐसा कदम उठाना पड़ा जिसके बाद मेरी सोच कई तरह के रिश्तों को लेकर बिल्कुल ही बदल गयी.
दोस्तो, मैं आपको अपनी जिन्दगी से जुड़ी बहुत ही कड़वी सच्चाई बताना चाहता हूं. ये सच्चाई केवल या तो मुझे पता है या फिर मेरी बीवी को! या फिर उस आदमी को जिसकी वजह से ये सब कुछ हुआ था.
कहते हैं कि दोस्ती से बढ़कर कुछ नहीं होता मगर इस घटना ने मेरी सोच बदल दी. अब मुझे लगता है कि सेक्स और पैसे से बढ़कर कुछ नहीं होता. इन्सान पैसे के लिए और अपनी सेक्स इच्छा को पूरी करने के लिए कुछ भी कर सकता है.
आप सोच रहे होंगे कि ऐसा मैं क्यों कर रहा हूं. तो मैं आपसे कह रहा हूं कि आप मेरी आपबीती को पढ़ें और फिर खुद ही बतायें कि मैंने जो कहा है क्या वो सही है या मेरे साथ जो हुआ वो कितना गलत है। फैसला आप खुद कर सकते हैं.
मेरी पिछली कहानी थी: जेठ जी ने मेरा काण्ड कर दिया
अब मैं आपको देसी लड़की चुदाई कहानी बताता हूं. ये कुछ साल पहले की बात है. मेरा एक लंगोटिया यार है. वो साला एक नम्बर का मादरचोद है. मुझे पता था कि उसने गांव की कई औरतों की चुदाई की है.
यहाँ तक कि उसने दो अधेड़ उम्र की औरतें भी, जिनके बड़े बड़े बेटे हैं, पेल कर रख दीं. वो मेरे घर काफी आता जाता था.
एक बार मुझे 50 हजार रुपये की जरूरत पड़ी तो मैंने उससे मेरी मदद करने के लिए कहा. मुझे लगा कि वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है तो मुझे उससे मदद मांगने के लिए ज्यादा सोचना नहीं पेड़गा और वो बिना किसी ब्याज वगैरह के ही पैसे में मेरी मदद कर देगा.
मेरी पैसे वाली बात सुनकर उसने कहा- यार देख … तुझे तो पता ही है कि मुझे हमेशा नयी चूत चाहिए और तुझे इस समय पैसे की बहुत जरूरत है. तो बुरा मत मानना यार … पैसे के बिना कुछ भी नहीं मिलता.
मैंने उससे कहा- यार साफ साफ बता … पहेलियाँ मत बुझा, अगर दे सकता है तो बता, अगर तेरे पास नहीं हैं तो वो भी बता दे. वो बोला- यार पैसे तो मैं दे दूंगा लेकिन ये काफी बड़ी रकम है, देने से पहले कई बार सोचना पड़ता है. मुझे कहते हुए अच्छा तो नहीं लग रहा लेकिन फिर भी मैं तुझे दोस्त समझकर तुझे अपने दिल की बात बता रहा हूं. तेरी बेटी सोना मुझे बहुत पसंद है. एक बार मुझे उसकी लेने दे.
अपने दोस्त के मुंह से ये सुनते ही मेरा दिमाग चकरा गया. साला … मैं जिसको अपना जिगरी यार मानता था वो साला मेरी बेटी की चूत चोदने के बारे में मुझसे ही कह रहा था!
मेरा खून खौल गया लेकिन मैंने अपने गुस्से को अपने भीतर ही दबा लिया. अगर कोई और टाइम होता तो मैं उसकी गांड पर ऐसी लात मारता कि वो कभी मेरी बेटी की तरफ दोबारा आंख उठाकर नहीं देखता. अपनी पुरानी दोस्ती के लिहाज से मैं खून का घूँट पीकर रह गया।
मैंने उसे मना कर दिया कि और कहा- ये काम तो मैं नहीं करवा सकता. मैं कहीं और से जुगाड़ कर लूंगा. ये सुनकर फिर वो चला गया.
मैंने ये बात अपनी बीवी को बताई कि वो ऐसे कह रहा था तो मेरी बीवी कुछ देर सोचती रही.
फिर वो भी बोली- आज कल लोगों को क्या हो गया है. हमारी बेटी उसकी भी बेटी जैसी ही है. मुझे तो यकीन नहीं हो रहा. मैंने कहा- कोई बात नहीं रमा, तुम चिंता न करो. कहीं न कहीं से मैं पैसे का जुगाड़ कर लूंगा.
हम पति-पत्नी दोनों इधर उधर एक हफ्ते तक हाथ पैर मारते रहे मगर रूपए नहीं मिले. बिना गारंटी के कोई नहीं दे रहा था पैसे. बीवी भी परेशान थी क्योंकि उसके पिताजी का ओपरेशन होना था.
फिर एक रात बीवी ने मुझे कहा- सुनो … उससे एक बार फिर पूछ कर देखो न … क्या पता वो बिना शर्त मदद करने के लिए तैयार हो जाये? मैंने कहा- ठीक है, मैं बात करके देखता हूं.
अपने दोस्त सुरेश मैंने को फिर पूछा तो उसने वो ही डिमांड कर दी.
मैंने फिर बीवी को बताया- यार वो साला तो मान ही नहीं रहा है. हां लेकिन उसने ये जरूर बोला है कि पैसे लौटाने की कोई जल्दी नहीं है, अगर ना भी लौटा पाओ तो फिर भी किसी तरह वो संतोष कर लेगा.
बीवी बोली- वो सब तो ठीक है, मगर मुझे लग रहा है कि उसे पैसों की नहीं बल्कि हमारी बेटी की जरूरत है. फिर बीवी बोली- देखो जी … है तो तुम्हारा दोस्त ही, अगर हम एक रात के लिए अपनी आंखें बंद कर लें तो सारी मुसीबत आराम से दूर हो सकती है.
मैंने कहा- रमा, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? अपनी ही बेटी को तुम उसके साथ सुलाने की बात कर रही हो? तुझे पता है कि सोनी अभी 19 साल की पूरी हुई है. अभी तो वो जवानी की दहलीज पर पहुंची ही है और सुरेश एक खेला-खाया मर्द है. तुम नहीं जानती उसको, उसने गांव की किसी औरत को नहीं छोड़ा है.
वो बोली- तुम क्या बता रहे हो, मैं भी तो गांव में ही रहती हूं. औरतों में सब तरह की बातें होती रहती हैं. एक ने तो एक दिन ये भी बताया था कि उसका (लंड) है भी 7 इंच का. मैंने तो सुनते ही कान बंद कर लिये। गांव की सारी औरतें उससे बचकर ही रहती हैं.
हम दोनों में इस बात को लेकर बहुत बहस हुई और फिर आखिरकार हमने अपनी बेटी सोनी को उसके साथ सुलाने का फैसला कर लिया क्योंकि मेरे ससुर के ओपरेशन के लिए बहुत ही कम समय बचा था और ससुराल वालों की उम्मीद पूरी की पूरी मेरे ऊपर ही टिकी हुई थी.
उस दिन मुझे पहली बार अहसास हुआ कि पैसा कितनी बड़ी चीज है.
हमने तय किया कि हम सुरेश को अपने घर खाने पर बुलायेंगे और फिर उसको रात में यहीं रोक लेंगे और सोनी को उसके रूम में भेज देंगे. मैंने बीवी से कहा- कहीं सोनी के साथ हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे?
रमा बोली- तुम चिंता मत करो, मैं उसकी मां हूं. कई बार रात को उसे उसके कमरे में अपनी टांगों के बीच में उंगली करते हुए देख चुकी हूं. ये सब मैं आपको बताना नहीं चाहती थी लेकिन अब वो जवान हो गयी है. कल को बाहर जाकर कुछ कांड करेगी; इससे अच्छा है कि उसकी प्यास घर में ही शांत हो जायेगी और हमारा भी काम पूरा हो जायेगा। वैसे भी, मर्द कितना ही तगड़ा क्यों न हो. औरत जात के अंदर भगवान ने इतनी क्षमता दी है कि वो हर चीज को आराम से सहन कर जाती है. हमारी सोनी भी कर लेगी.
मैंने कहा- अरे रमा, तुम नहीं जानतीं वो कितना बड़ा हरामी है!! हमारी सोनी उसको कैसे झेल पायेगी. बीवी बोली- अरे आप औरतों को नहीं जानते, गांव की कई औरतें जो अपने मर्दों की लुल्ली नहीं ले पाती थीं वो भी सुरेश से चुदवा चुकी हैं.
अब मुझे भी रमा की बातों पर भरोसा हो गया था. मैंने तभी सुरेश को फ़ोन पर बता दिया कि हम राजी हैं और वो हमें पचास हजार दे दे. तुरंत उसने कहा- घर आ जा.
मैं उसके घर गया तो उसने मेरे सामने नोटों की गड्डियां निकाल कर फेंक दीं और उसने ये भी कहा- यार सुन … सोनी पूरी रात मेरे पास रहेगी. मैंने भी उससे कहा- यार देख … मेरी भी एक शर्त है कि तुझे हमारे घर ही आना होगा. हम अपनी बेटी को तेरे पास कहीं बाहर नहीं भेजेंगे।
वो तुरंत राजी हो गया। मैंने उसे कहा- यार सोनी बहुत छोटी है. उस पर हल्का हाथ ही रखना. उसने कहा- चिंता मत कर यार!
अगले रोज वो रात करीब 9 बजे आ गया. उसने और मैंने दो दो पैग दारू ली और हमने फिर साथ में डिनर किया.
फिर सुरेश को हमने एक कमरे में भेज दिया.
मेरी बीवी ने इसके बाद सोनी के हाथ में वैसलीन की एक छोटी डिब्बी दी और कहा कि इसे सुरेश अंकल को दे देना। बीवी ने उसे बता दिया कि वो आज की रात सुरेश अंकल के साथ ही सोयेगी.
रमा ने उसे नसीहत दी- घबराना मत बेटा, हम तो हैं ही न घर में … हाँ और अंकल अगर तुझसे खुश हो गये तो तुझे कल बहुत सारे कपड़े देंगे खरीद कर. तेरी पढ़ाई और शॉपिंग के लिए भी काफी सारे पैसे देंगे. ये सुनकर वो खुश होकर चली गयी. इसके आगे उसने कुछ नहीं पूछा. समझ तो वो भी गयी थी कि आज उसकी चूत को लंड मिलने वाला है और वो भी उसके घरवालों की मर्जी से।
वो रूम में चली गयी और सुरेश ने अंदर से किवाड़ बंद कर लिए.
मेरा और रमा का दिल धक धक कर रहा था. हम दोनों बगल वाले कमरे में थे. बीच में एक छोटी सी खिड़की थी जिसमें दो पल्लों के बीच में काफी जगह बनी हुई थी.
सुरेश ने कमरे की लाइट जला रखी थी और हमने बंद कर रखी थी. मैंने रमा से कहा- यार, देख ले कि वो सोनी के साथ क्या करता है? उसने कहा- तुम्हारा दिमाग ख़राब है? अपनी बेटी को पराये मर्द के साथ देखोगे? तुम ही देखो … मैं तो नहीं देखती।
जैसे ही सोनी अंदर गयी तो सुरेश ने दरवाजा बंद कर लिया.
सुरेश सिर्फ अंडरवियर और बनियान में था. पहले सोनी थोड़ा झिझकी मगर सुरेश ने उसे प्यार से हाथ पकड़ कर पलंग पर अपनी बगल में लिटा दिया.
सुरेश ने उससे कहा- सोनी, पहले एक कहानी सुन! वो उसे पास बैठाकर एक कहानी सुनाने लगा जिसमें एक आदमी रात में जंगल में खो जाता है और उसको वहां एक झोपड़ी में एक परिवार मिल जाता है और रात को आसरा लेने के बहाने वो उस औरत की चूत चोद देता है.
सोनी कहानी को ध्यान से सुन रही थी. चुदाई की कहानी सुनाकर शायद सुरेश उसको पहले से ही तैयार कर देना चाहता था. फिर कहानी सुनाते सुनाते ही वो सोनी की चूचियों को हाथों से सहलाने लगा.
फिर उसने सोनी की पप्पी लेनी शुरू कर दी. मेरी बीवी अब तक कम्बल ओढ़कर सो चुकी थी.
सोनी ने पहले तो एक दो बार सुरेश का हाथ अपनी चूचियों पर से हटाया लेकिन फिर उसको मजा आने लगा. अब सुरेश का एक हाथ सोनी की चूची दबा रहा था और दूसरा हाथ उसकी जांघ को सहला रहा था.
देखते ही देखते मेरी जवान बेटी के मुंह से आह्ह … आह्ह … की आवाजें आने लगीं. मैंने पहली बार अपनी कुंवारी जवान बेटी को चुदासी होते हुए देखा था और न जाने क्यों मेरा भी लंड उसकी सिसकारियों को सुनकर खड़ा होने लगा था. मुझे खुद यकीन नहीं हो रहा था.
सुरेश धीरे धीरे उसकी चूची दबा रहा था. फिर सुरेश ने सोनी को करवट लेकर ऐसे अपनी बाँहों में भींच लिया कि सोनी की कमर मेरी तरफ थी और सुरेश के हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर कमर पर सहला रहे थे.
सोनी इतनी मस्त हो गयी कि उसने अपनी दायीं जांघ उठा कर सुरेश की जांघ के ऊपर चढ़ा दी. उसे मजा आने लगा था. सोनी ने भी अपने हाथ से सुरेश की कमर पकड़ ली.
अब सुरेश का एक हाथ सोनी की गांड पर सहला रहा था और उसने उसकी स्कर्ट ऊपर उठा दी थी. मेरी बेटी के नंगे चूतड़ मेरी तरफ थे और उसकी ढीली सी कच्छी लटक सी गयी थी.
इसलिए अब उसकी चूत ऊपर की साइड से साफ दिखाई दे रही थी. धीरे धीरे सुरेश उसके गोल मटोल सुन्दर गोरे चूतड़ दबाने लगा. वो कोई भी प्रतिरोध नहीं कर रही थी.
मैंने सुरेश का बायां हाथ अपनी बेटी की जांघों के बीच में सरकता हुआ देखा.
अब सुरेश ने अपनी हथेली से सोनी की जांघों के बीच का मांस दबा लिया था और सोनी की आह निकल गयी.
सुरेश की दायीं भुजा के डोले पर सोनी ने सिर टिका रखा था. सुरेश साला एक तगड़ा मर्द था और हर तरह से डील डौल में भी उसका कोई मुकाबला नहीं था. जितना तगड़ा उसका शरीर था उतनी ही प्रबल उसके जिस्म में वासना भी थी.
अभी तक उसने अपनी बनियान और कच्छा नहीं उतारा था. वो बस सोनी को गर्म कर रहा था.
औरत का जिस्म ऐसा होता है कि किसी का भी लंड खड़ा होने लगता है. मेरे खुद के लंड में तनाव हर पल बढ़ता जा रहा था.
यही सोच रहा था कि सोनी आज क्या हालत होने वाली है. वैसे तो मेरी बीवी पूरी आश्वस्त थी कि हमारी बेटी की चूत सुरेश के लंड को झेल लेगी मगर फिर भी मुझे अंदर ही अंदर एक डर सता रहा था.
साथ ही मुझे अपनी बेटी की चुदाई का नजारा देखने के बारे में सोचकर उत्तेजना भी हो रही थी. मेरी बेटी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और एकदम एक लम्बा सा स्लॉट था करीब तीन इंच लम्बा … जो उसकी गांड के भूरे छेद के पास आकर लगभग गायब हो गया था।
धीरे धीरे सुरेश ने अपनी बनियान उतारी और फिर सोनी को सहारा देकर अपने ऊपर छाती पर खींच लिया. सोनी ने कोई असहजता नहीं दिखाई और वह उसकी छोटी छोटी चूचियों को सुरेश की बालों से भरी छाती पर टिकाते हुए आराम से उसके भारी भरकम बदन पर सेट हो गयी.
उसने धीरे से अपना सिर भी उसकी छाती पर टिका लिया जैसे कि वो कोई और नहीं बल्कि उसका पति ही हो.
अपनी बेटी के इस कामुक आलिंगन को देखकर मेरे लंड में झटके लगने लगे थे और सोच रहा था कि अब सोनी छोटी नहीं रही, वो तो औरत बनने के ख्वाब सजाये हुए है और उसका ये ख्बाव आज मेरे दोस्त के मोटे लंड से चुदकर पूरा भी होने जा रहा है।
वैसे तो इससे पहले वो इन सब चीजों से अनजान थी लेकिन एक मर्द के हाथ का स्पर्श औरत को खुद ही लाइन पर ले आता है और वो स्वयं ही सब कुछ उसके सामने खोलकर रख देती है. औरत का मर्द के स्पर्श से उत्तेजित होना बहुत ही प्राकृतिक सी क्रिया है।
अब सुरेश ने सोनी की कच्छी धीरे धीरे नीचे सरकानी शुरू कर दी थी। सोनी ने धीरे से कहा- अंकल क्या कर रहे हो?
मगर सुरेश ने उसको कुछ कहे बिना बस उसके चेहरे को नीचे झुकाया और उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये.
सोनी को अब उसने कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया. वो बहुत ही शातिर इन्सान था. बहुत ही आसानी से उसने सोनी को अपनी हवस की गिरफ्त में ले लिया था और मेरी बेटी भी जैसे उसका हर कहा मानती हुई उसके लौड़े के सामने जैसे अपनी चूत खोलने पर उतारू हुई जा रही थी।
मेरी बेटी भी सुरेश की फैंटेसी पूरी करने में उसकी हेल्प करने लगी. जैसे जैसे वो उसकी कच्छी खींच रहा था वैसे वैसे सोनी अपना नीचे का हिस्सा उठा रही थी और इस तरह उसकी कच्छी निकल गयी.
मैंने मेरी बीवी की तरफ देखा वो शायद अब तक गहरी नींद में सो गयी थी.
मेरा लंड मुझे चैन से एक जगह बैठने नहीं दे रहा था. मन कर रहा था कि मैं भी किसी तरह से इसका पानी निकालूं और क्यों न सुरेश और सोनी की चुदाई देखते हुए ही मैं भी अपनी वासना को शांत करूं?
इसलिए मैंने धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोला और बाहर निकल गया. मैं सोनी के कमरे के सामने चला गया. उसके दरवाजे के सामने एक झिरी में से मैं कमरे के अंदर झांकने लगा.
अब मुझे नजारा ज्यादा साफ दिख रहा था.
सुरेश अब मेरी बेटी सोनी की गांड और चूत को सहला रहा था और सोनी चुपचाप लेटी हुई थी. वो बीच बीच में केवल उत्तेजनावश अपनी गांड को उठा रही थी।
जब जब वो अपनी गांड उठा रही थी तब तब मुझे सुरेश के कच्छे में उभरा हुआ उसका लम्बा मोटा लण्ड तना हुआ दिखाई दे रहा था जिसको देखकर लग रहा था वो मेरी बेटी की कमसिन चूत को फाड़कर रख देगा.
मैंने भी उस हरामी का लंड कभी देखा नहीं था बस सुना था कि उसका लण्ड सबसे बड़ा और तगड़ा है और गांव की औरतें ज्यादातर इससे बचती हैं. हालाँकि वो शादीशुदा था मगर साला बहुत हरामी था और आज उसकी हवस की शिकार मेरी बेटी होने वाली थी.
देसी लड़की चुदाई कहानी पर अपनी राय देना बिल्कुल न भूलें. आपके कमेंट्स में बतायें कि हम पति पत्नी ने जो फैसला किया वो सही था या नहीं? क्या पैसे की मजबूरी में ऐसा कदम उठाना चाहिए? आपकी इस बारे में क्या राय है आप अपने मैसेज और कमेंट्स में जरूर लिखें. मेरा ईमेल आईडी है [email protected]
देसी लड़की चुदाई कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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