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आंटी के मुँह से अपनी हरकतों को खुल्लम-खुल्ला सुना कर मेरी हालत पतली हो गई थी।
मैं उसकी बातें सुनकर हैरान हो गया, मैं तो डर गया था.. शायद निहारिका को सब पता था।
मेरी बोलती बंद हो गई थी.. मैंने कहा- नहीं तो.. मैंने कब देखा?
फिर निहारिका ने कहा- अब झूठ मत बोल.. मैं सब जानती हूँ। तेरा सुबह से लेकर रात तक मुझे देखना.. देखकर टेरेस में ही मुठ मारना.. कभी पार्किंग में मेरे शरीर को घूर-घूर कर देखना। क्या तुझे मैं इतनी अच्छी लगती हूँ?
अब मैं सब समझ गया था कि वो सब जानती है, तो मैं भी चालू हो गया.. बोला- हाँ.. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैं तुमसे बहुत आकर्षित हो चुका हूँ.. मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ.. मुझे दिन रात तुम्हारे ही खयाल आते रहते हैं.. और मुझे पता है कि तुम्हारा पति तुम्हें पूरी तरह से शारीरिक सुख नहीं दे सकता.. तुम्हें वो संतुष्ट नहीं रख सकता है.. मैं अपने आप पर अब ज्यादा नियंत्रण नहीं कर सकता.. मुझे तुम्हें चोदना है।
इतना खुला-खुला सुनकर निहारिका ने गाड़ी के कांच ऊपर किए और मेरी और मुड़कर बोली- एक बात बताऊँ.. जब से तू यहाँ रहने आया है.. तब से मैं तेरे सुन्दर शरीर से आकर्षित हो चुकी हूँ.. कितना हैन्डसम है रे तू.. तूने तो अभी-अभी मुझे देखना शुरू किया है.. पर मैं तुझे पहले दिन से देखती आई हूँ.. तू सुबह क्लास को जाता है.. दोपहर को आता है.. यह सब मैं देखती रहती हूँ.. मुझे तो तुझमें बहुत वासना भरी दिखती है.. आ मेरे पास आ और कर प्यार मुझे। सच में अभी तक मुझे पूरा शारिरिक सुख नहीं मिला। मैं भी तेरे प्यार के लिए कब से तरस रही थी।
उसकी बातें सुनकर मैं बहुत खुश हो गया मेरी किस्मत ही जाग गई थी, मैं झट से निहारिका को पकड़ कर चूमने लगा।
वो थोड़ा भी नहीं झिझकी.. उसने भी मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे प्रतिक्रिया देने लगी।
हम दोनों पूरे जोश के साथ एक-दूसरे के मुँह में जीभ डालकर चूस रहे थे जैसे कि सालों बाद प्रेमी प्रेमिका मिल रहे हों।
बहुत देर हम कार में चुम्बन करते रहे.. वो गर्म-गर्म साँसें ले रही थी।
मैं अपने हाथों से उसके स्तनों को मसलने लगा। आहह.. क्या बताऊँ निहारिका के स्तन पके हुए आम की तरह नर्म और मुलायम थे। मैं पहली बार किसी के स्तनों को दबा रहा था इसलिए दबाने में मुझे और भी मजा आ रहा था।
फिर उसके मुँह से आहें निकलने लगीं- अआह्ह्ह्ह.. ओओह्ह.. आइइइ..
फिर निहारिका ने मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और ऊपर से सहलाने लगी। हम दोनों के मुँह से सीत्कारें निकलती रहीं।
काफी तक यह सब चलता रहा और फिर मैं निहारिका के कपड़े उतारने लगा। वो बोली- रूको रूको.. यहाँ नहीं, चलो घर चलते हैं.. मेरे घर पर कोई नहीं है.. घर जा कर आराम से करते हैं। मैंने कहा- ठीक है।
उसने गाड़ी घुमाई और सीधे घर आ गए।
निहारिका का घर तो बड़ा ही शानदार था। घर का दरवाजा बंद करते ही मैंने पूरे रुमानी होकर निहारिका को अपनी ओर खींचा और अपना एक हाथ उसकी कमर पर रखकर दूसरे हाथ से उसके बालों में लगी पिन को निकालकर उसके बाल खुले कर दिए।
निहारिका बोली- कम ऑन डार्लिंग.. आज मुझे बहुत सारा प्यार करो.. फक मी।
फिर मैंने कहा- यस बेबी.. मेरा तो यह पहला सेक्स है.. पूरे जोश में होकर प्यार करूँगा तुझे.. और खूब चोदूँगा।
निहारिका बोली- क्या..? तुमने अभी तक सेक्स नहीं किया है? तो चल आज मैं तुझे इतना मजा दूँगी कि तू जिंदगी भर इस पल को कभी भूल नहीं पाएगा।
यह कहकर वो मुझसे चिपक गई।
वॉव.. उसके शरीर से एकदम मस्त नशीली सुगंध आ रही थी। उसके स्तन मुझे छू रहे थे और मेरा लण्ड भी टाईट होकर उसकी जांघ को लग रहा था।
मैं उसे चूमने लगा। पहली बार मैं यह सब कर रहा था.. पर मुझे सेक्स के बारे में पूरी जानकारी थी।
फिर मैंने एक-एक करके उसके सारे कपड़े उतार दिए.. अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी। अअहह.. क्या लग रही थी।
पहली बार मैं किसी औरत को नंगी देख रहा था, मेरा लण्ड तो कब से उत्तेजित होकर खड़ा था और पैंट से बाहर आने को तरस रहा था।
निहारिका ने नीले कलर की ब्रांडेड ब्रा पहनी हुई थी.. उसमें उसके आम जैसे स्तन तो मानो मुझसे चुसवाने का ही इंतजार कर रहे थे।
अब उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए, मैं अब सिर्फ अन्डरवियर में था। मेरा तना हुआ लण्ड अन्डरवियर में साफ दिखाई दे रहा था। यह देखकर निहारिका बहुत खुश हो रही थी।
फिर मैंने निहारिका की गर्दन चूमते हुए उसकी ब्रा का हुक खोला.. उसके दो रसीले आम देखकर मैं उन्हें मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा। साथ ही अपने एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगा।
वो सिसकारियाँ लेने लगी।
फिर उसने मेरी अंडरवियर उतारी और मेरे लण्ड को देखकर बोली- हाएए.. इतना बड़ा लण्ड.. ऐसे लण्ड के लिए तो मैं न जाने कितने सालों से तरस रही थी.. अब जाके मेरी प्यास बुझेगी.. लगता है.. आज बहुत मजा आने वाला है।’
यह कहकर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और बड़े शौक से चूसने लगी।
मुझे गुदगुदी सी हो रही थी और बहुत अच्छा लग रहा था, वो लण्ड चूसते हुए मादक आहें ले रही थी ‘आआउम.. आहह..’
मैं अपनी आँखें बंद करके मजे ले रहा था, पहली बार जो मैं अपना लण्ड चुसवा रहा था।
बहुत देर तक निहारिका मेरे लण्ड को चूसती रही। मैं अब झड़ने वाला था.. मैंने उससे बताया तो वो बोली- निकाल दे अपना सारा वीर्य मेरे मुँह में.. मुझे तेरा रस चखना है।
यह सुनते ही मैं जोर-जोर से अपने लण्ड को उसके मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं भी आहें भरने लगा ‘ओओओह.. याहहह.. सक इट.. बेबी.. सक इट..’
मेरी गति और बढ़ती गई और मैं झड़ गया, मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया..
वो मेरे सारे वीर्य को पी गई थी और अपनी जीभ से सारा लण्ड साफ कर चुकी थी। वो चटखारे लेते हुए बोली- आह्ह.. तेरा रस तो बहुत ही स्वादिष्ट था।
फिर मैंने निहारिका को खड़ा किया और उसके होंठों को चूमने लगा और चूमते हुए अपनी गोद में उठाया और बेडरूम में जाके बिस्तर पर लेटा दिया।
निहारिका बोली- अरे मेरे राजा, मेरी पैन्टी तो उतार कर देख.. तेरे लिए सरप्राइज है।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी.. मैं बोला- वाहह.. चूत पर तो एक भी बाल नहीं.. पूरी साफ है एकदम चिकनी चमेली।
निहारिका बोली- हाँ मेरे जानू.. आज तेरे लिए ही साफ की हुई है। आज मैंने पूरी योजना बनाई थी और बिल्कुल वैसा ही हुआ।
मैं यह सुनकर और जोश में आ गया और चूत चाटने लगा।
जैसे ही मैंने चूत पर मुँह लगाया.. निहारिका तड़प उठी और उसके मुँह से एक तेज मादक आवाज निकली ‘आआह.. आइइइ..’
वो चुदासे स्वर में बोली- सक इट.. बेबी कम ऑन सक इट.. आज मुझे खुश कर डाल।
मैं पहली बार किसी चूत को इतने करीब से देख रहा था और चूस रहा था।
मैंने दो अँगुलियों से चूत को फैलाया और जीभ को अन्दर तक डाला और वो मजे से सीत्कारने लगी- ओओओहहह.. माआ.. आउमम.. आहहम..
बहुत देर तक मैं उसकी चूत को चाटता रहा, उसकी सीत्कारें बढ़ती ही जा रही थीं।
इधर मेरा लण्ड फिर से रॉड की तरह टाइट हो चुका था, वो गर्म होती जा रही थी और उसके साथ मैं भी गर्म होता जा रहा था।
अब निहारिका से रहा नहीं जा रहा था, वो बोली- आआआहह.. अब बस करररर.. साले अब मुझसे नहीं सहा जाता आआहह.. अब डाल दे अपना लण्ड… मेरी चूत में.. ओओओहह.. बुझा दे मेरी प्यास.. चोद डाल मुझेऐऐ.. और कर ले तेरे पहले सेक्स का अनुभव..
फिर मैंने अपना लम्बा लण्ड हिलाया और निहारिका की चूत में घुसेड़ दिया। मुझे गजब सा फील हुआ।
वो जोर से चिल्लाई- आउउउच्च.. मार डाला तुमने। फिर मैं धीरे-धीरे अपने लण्ड को आगे-पीछे करता गया।
वो सिसकारियाँ लेने लगी ‘आउउउह्हह.. आआउह्ह.. फक मी.. आआउहहह.. कम ऑन फक मी डार्लिंग!’
मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ, मैंने अपनी गति बढ़ा दी ‘ओहहह… याहहहह.. बेबी.. मुझे बहुत मजा आ रहा है। तेरी चूत तो कमाल है।’
यह कहकर मैं उसके नर्म-नर्म स्तनों को दबाए जा रहा था, बीच-बीच में मैं उसके स्तनों को चूस रहा था- आहहहह.. क्या लग रहे थे.. जैसे कि किसी गुब्बारे को चूस रहा हूँ।
मैं उसके निप्पलों को दाँतों से काट रहा था।
फिर वो और जोर से सीत्कारने लगी और बोली- ओहहह.. आआहह.. और तेज और तेज.. कर.. पहली बार किसी असली मर्द से चुद रही हूँऊऊऊ.. आउउउहह.. आआउमम्म.. बहुत मजा आ रहा है.. और तेज और तेज.. माय डार्लिंग।
उसकी वो नशीली आवाजें मुझे और उत्साहित कर रही थीं.. मैं और तेजी से उसे चोदने लगा।
वो भी अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगी। उसका गोरा-गोरा शरीर अब लाल-गुलाबी हो रहा था।
वो और सीत्कारने लगी- ओहहह.. हयाहह.. डर्लिंग आइइइइ.. आइइइमा.. तुमने तो मार डाला रे.. आआइइइ..’
उसकी सीत्कारें पूरे घर में गूँज रही थीं.. तो मैं उसके मुँह में मुँह डालकर उसके होंठों को चूसने लगा।
अब तो वो मेरी पीठ पर अपने नाखूनों से नोंच रही थी.. पर मुझे जरा भी दर्द नहीं हुआ.. मेरा ध्यान तो चोदने में ही लगा था।
फिर मैं और जोर-जोर से उसे चोदने लगा और बोला- तू सच में बहुत मजा देती है साली.. ले बुझा दी तेरी प्यास.. अब मेरा रस निकल रहा है.. बोल बाहर निकालूँ अपना लण्ड?
वो बोली- नहीं साले.. डाल दे तेरा रस मेरी चूत में.. इसी के लिए तो मैं कब से तरस रही थी। मेरा नामर्द पति तो यह नहीं कर सका.. पर तू भर डाल मेरी चूत अपने वीर्य से आह्ह..
मैं अब झड़ने वाला था.. मैंने अपनी गति मशीन की तरह तेज़ कर दी। वो और जोरों से चिल्लाने लगी.. पर मेरे मुँह के कारण उसकी आवाजें वहीं दब रही थीं।
आखिरकार मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया।
आहह.. क्या लम्हा था वो.. मेरे शरीर में अजब सा हो रहा था, मैं तो सातवें आसमान पर था।
निहारिका की आँखों में पानी आ गया था.. शायद वो भी झड़ चुकी थी। उसने मुझे उसके ऊपर खींचा और मुझे कान में बोली- आई लव यू बेबी.. मुझे आज तक इतनी खुशी कभी नहीं हुई। तुमने मुझे सन्तुष्ट कर दिया। थैंक्यू म्मुआआ..
और मैं क्या बताऊँ मुझे जीवन में पहली बार झड़ने में इतना मजा आया था।
मैं जब तक मुम्बई था.. मौका मिलते ही निहारिका को चोद देता था।
उसके बाद निहारिका ने मुझे उसकी कई सहेलियों से मिलवाया.. जो अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नहीं थीं। मैंने उन सबको खुश कर दिया।
निहारिका ने तो मुझे कॉलबॉय बना दिया। मैं जब भी मुम्बई जाता हूँ.. उन्हें संतुष्ट करता हूँ। अब मैं नासिक में पढ़ता हूँ और साथ में कॉलबॉय का काम करता हूँ। इस काम से कुछ पैसे भी मिल जाते हैं।
यह थी मेरे पहले सेक्स की कहानी!
मेरे दूसरी बार सेक्स के अनुभव की कहानी तो और भी मजेदार है। मैं उसे जरूर लिखूँगा और आपके सामने अन्तर्वासना डॉट कॉम के माध्यम से पेश करूँगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल करके जरूर बताइएगा। [email protected]
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