This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।
मैं उन दोनों को देखते हुए अपना लण्ड आहिस्ता आहिस्ता सहला रहा था। आपी को अपनी तरफ देखता पाकर मैंने उनकी आँखों में देखा.. आपी की आँखें नशीली हो रही थीं और लाल डोरे आँखों को मज़ीद खूबसूरत बना रहे थे।
आपी कुछ देर मेरी आँखों में आँखें डाले देखती रहीं और मीठी-मीठी सिसकारियाँ भरती रहीं। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों को उठाया और हाथ फैला कर अपनी गर्दन और हाथों को ऐसे हिलाया.. जैसे मुझे गले लगाने के लिए बुला रही हों।
मैं कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा और आपी भी अपने हाथ फैलाए मुझे मुहब्बत और हवस भरी नजरों से देखती रहीं। कुछ देर बाद उन्होंने फिर इशारा किया और अपने होंठों को किस करने के अंदाज़ में सिकोड़ कर मुस्कुरा दीं।
मैंने भी आपी को मुस्कुरा कर देखा और सिर झटकते हुए खड़ा होकर आपी की जानिब बढ़ा।
आपी के सिर के पास बैठ कर मैंने उनके होंठों पर एक भरपूर चुम्मी की और फिर उनके सीने के उभारों को चाटने और निप्पलों को चूसने लगा।
मैं आपी के निप्पल को चूस ही रहा था कि मुझे हैरत और लज़्ज़त का एक और झटका लगा, आपी ने आज पहली बार खुद से.. मेरे बिना कहे हुए.. मेरे लण्ड को पकड़ा था।
मैंने आपी के निप्पल को छोड़ा और हैरानी की कैफियत में आपी के चेहरे को देखा.. तो आपी ने शर्मा के मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और अपना चेहरा साइड पर कर लिया।
मैं कुछ देर ऐसे ही आपी के शर्म से लाल हुए चेहरे पर नज़र जमाए रहा।
आपी की आँखें बंद थीं.. लेकिन वो मेरी नजरों की हिद्दत को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थीं। उन्होंने एक लम्हें को आँख खोल कर मेरी आँखों में देखा और फिर से अपनी आँखों को भींचते हुए शर्मा कर बोलीं- सगीर क्या है.. ऐसे मत देखो ना..आआ.. वरना मैं छोड़ दूँगी.. इसको.. इसको..
यह कहते वक़्त आपी ने मेरे लण्ड को ज़ोर से अपनी मुट्ठी में दबाया। मैंने मुस्कुरा कर आपी को देखा और फिर फरहान पर नज़र डाली।
फरहान आपी की गाण्ड के सुराख को चाटने और चूसने में लगा था.. तो मैंने आगे होकर आपी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और आपी की चूत के दाने को मुँह में भर कर अपनी पूरी ताक़त से चूसने लगा।
आपी मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर कभी दबाती थीं तो कभी अपनी गिरफ्त लूज कर देती थीं।
अब हमारी पोजीशन कुछ 69 जैसी ही थी, मेरा लण्ड आपी के मुँह से चंद इंच ही दूर था और मैं अपनी बहन की गर्म-गर्म साँसों को अपने लण्ड और अपने टट्टों पर महसूस कर रहा था।
मेरा बहुत शिद्दत से दिल चाहा था कि आपी मेरे लण्ड को अपने मुँह में लें.. लेकिन मैं जानता था कि वो अभी इसके लिए राज़ी नहीं होंगी।
मैंने अपना चेहरा नीचे किया और अपनी ज़ुबान निकाल कर आपी की चूत को चाटने के लिए क़रीब हुआ ही था कि आपी की चूत से उठती मधुर.. मदहोश कर देने वाली खुश्बू का झोंका मेरी नाक से टकराया।
अपनी बहन की चूत से उठती यह महक मुझ पर जादू सा कर देती थी और मेरा दिल चाहता था कि ये लम्हात ऐसे ही रुक जाएँ और मैं बस अपनी बहन की टाँगों में सिर दिए.. अपनी आँखें बंद किए.. बस उनकी चूत की खुश्बू में ही खोया रहूँ।
आप में से बहुत से लोगों को यह बात शायद अच्छी ना लगे और वो सोचेंगे कि मैं क्या गंदी बातें लिखता हूँ.. लेकिन मैं वाकयी ही आप लोगों को सच बता रहा हूँ।
अजीब सा जादू था मेरी बहन की चूत की खुश्बू में.. जो मैं लफ्जों में कभी भी बयान नहीं कर सकता।
मैंने कुछ देर लंबी-लंबी साँसें नाक से अन्दर खींची और आपी की चूत की खुश्बू को अपने अन्दर बसा कर मैंने अपनी ज़ुबान से आपी की चूत को पूरा चाट लिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उनकी चूत पर एक किस करने के बाद आपी की चूत की पूरी लंबाई को.. आपी की चूत के दोनों लबों को समेट कर अपने होंठों में दबा लिया और अपनी पूरी ताक़त से चूत को चूसने लगा।
आपी की चूत की दीवारों से रिसता उनका जूस मेरे मुँह में आने लगा और मैंने उसे क़तरा-क़तरा ही अपने हलक़ में उड़ेल लिया।
कुछ देर इसी तरह आपी की चूत को चूसने के बाद मैंने उनकी चूत के दाने को चूसते हुए अपनी ऊँगलियों से आपी की चूत के दोनों पर्दों को खोला और एक ऊँगली चूत की लकीर में ऊपर से नीचे.. और नीचे से ऊपर फेरना शुरू कर दी।
आपी की हालत अब बहुत खराब हो चुकी थी.. उन्हें दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं रही थी, उनकी चूत और गाण्ड का सुराख उनके दोनों सगे भाईयों के मुँह में थे।
आप अंदाज़ा कर ही सकते हैं.. ज़रा सोचें कि आपकी सग़ी बहन ऐसे लेटी हो और उसकी गाण्ड और चूत का सुराख उसके सगे भाइयों के मुँह में हो.. तो क्या हालत होगी आपकी बहन की.. बस कुछ ऐसी ही हालत आपी की भी थी।
आपी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी।
मैंने आपी की चूत के दाने को अपने मुँह से निकाला और अपनी ऊँगली पर लगा हुआ आपी का जूस चाट कर अपनी ऊँगली चूस ली।
फिर अपनी उंगली को आपी की चूत के सुराख पर रखा और हल्का सा दबाव दिया.. तो मेरी उंगली क़रीब एक इंच तक अन्दर दाखिल हो गई।
उसी वक़्त आपी ने तड़फ कर आँखें खोलीं.. जैसे कि होश में आई हों। वे बोलीं- नहीं सगीर प्लीज़.. अन्दर नहीं डालो.. जो भी करना है.. बस बाहर-बाहर से ही करो ना..
‘कुछ नहीं होता आपी.. मैं ज्यादा अन्दर नहीं डालूंगा.. अगर ज्यादा अन्दर डालूं.. तो आप उठ जाना.. प्रॉमिस कुछ नहीं होगा।’
मैंने यह कह कर फिर से आपी की चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और अपनी फिंगर को आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा। लेकिन मैं इस बात का ख्याल रख रहा था कि उंगली ज्यादा अन्दर ना जाए।
आपी ने कुछ देर तक आँखें खुली रखीं और अलर्ट रहीं कि अगर उंगली ज्यादा अन्दर जाने लगे.. तो वो उठ जाएँ।
लेकिन आपी ने यह देखा कि मैं ज्यादा अन्दर नहीं कर रहा हूँ.. तो फिर से अपना सिर बेड पर टिका दिया और फिर खुद बा खुद ही उनकी आँखें भी बंद हो गईं।
मैं आपी की चूत का दाना चूसते हुए.. अपनी ऊँगली को चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।
आपी की चूत किसी तंदूर की तरह गरम थी। मैंने काफ़ी सुना और पढ़ा था कि चूत बहुत गरम होती है.. लेकिन मैं यह ही समझता था कि गरम से मुराद सेक्स की तलब से है.. लेकिन आज अपनी बहन की चूत को अन्दर से महसूस करके मुझे पहली बार पता चला था कि चूत हक़ीक़त में ही ऐसी गर्म होती है कि बाकायदा उंगली पर जलन होने लगी थी।
आपी की चूत अन्दर से बहुत ज्यादा नरम भी थी.. जैसे कोई मखमली चीज़ हो।
मैं अपनी बहन की चूत में उंगली अन्दर-बाहर करता हुआ सोचने लगा कि जब मेरा लण्ड यहाँ जाएगा.. तो कैसा महसूस होगा.. पता नहीं मेरा लण्ड ये गर्मी बर्दाश्त कर पाएगा या नहीं।
आपी भी अब बहुत एग्ज़ाइटेड हो चुकी थीं और उनका हाथ मेरे लण्ड पर बहुत तेजी से हरकत करने लगा था, कभी वो अपनी मुट्ठी मेरे लण्ड पर आगे-पीछे करने लगती थीं.. तो कभी लण्ड को भींच-भींच कर दबाने लगतीं।
कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि अब मैं डिसचार्ज होने लगा हूँ.. तो मैंने एक झटके से आपी का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड से हटा दिया.. क्योंकि मैं अभी डिसचार्ज नहीं होना चाहता था।
फरहान अभी भी आपी की गाण्ड के सुराख पर ही बिजी था। मैंने उसके सिर पर एक चपत लगाई और उससे ऊपर आने का इशारा किया और खुद उठ कर बैठ गया।
फरहान मेरी जगह पर आ कर बैठा.. तो मैंने साइड पर होते हो आपी का हाथ पकड़ कर फरहान के लण्ड पर रखा और खुद उठ कर आपी की टाँगों के बीच में आ बैठा।
फरहान ने आपी के हाथ को अपने लण्ड पर महसूस करते ही.. एक ‘आहह..’ भरी और बोला- आअहह… आपी जी.. आप का हाथ बहुत नर्म है..
यह कह कर आपी के होंठों को चूसने लगा मैंने फिर से अपनी उंगली को आपी की चूत में डाला और उनकी गाण्ड के सुराख को चाटते चूसते हुए.. अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद मैंने गैर महसूस तरीक़े से अपनी दूसरी उंगली भी पहली उंगली के साथ रखी.. और आहिस्ता-आहिस्ता उससे भी अन्दर दबाने लगा। लेकिन मैं इस बात का ख़याल रख रहा था कि आपी को पता ना चले।
आपी की चूत बहुत गीली और चिकनी हो रही थी। मैंने कुछ देर बाद थोड़ा सा ज़ोर लगाया.. तो मेरी दूसरी ऊँगली भी आपी की चूत में दाखिल हो गई।
उसी वक़्त आपी के मुँह से एक सिसकारी निकली और वो बोलीं- उफ्फ़.. सगीर.. नहीं प्लीज़.. बहुत दर्द हो रहा है.. दूसरी उंगली निकाल लो.. एक ही ऊँगली से करो न!
मैंने चंद लम्हों के लिए अपनी ऊँगलियों को हरकत देना बंद कर दी और आपी से कहा- बस आपी.. अब तो अन्दर चली गई है.. कुछ सेकेंड में दर्द खत्म हो जाएगा.. अगर दर्द नहीं खत्म हुआ तो मैं बाहर निकाल लूँगा।
मेरी बात के जवाब में आपी ने कुछ नहीं कहा और बस सिसकारियाँ लेने लगीं।
खवातीन और हजरात, अपने ख्यालात कहानी के अंत में अवश्य लिखें।
जारी है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000