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अब तक आपने पढ़ा कि मैं मामी के साथ यौन क्रियाएँ करने लगा था.. जिसका वे मजा तो ले रही थीं.. तब भी अभी हम दोनों के बीच एक मौन छाया हुआ था।
अब आगे..
मेरा एक हाथ उनकी चूत पर.. और दूसरा हाथ उनकी चूचियों की सेवा कर रहा था।
मैं अपना हाथ उनके ब्लाउज में डालने लगा.. पर ब्लाउज इतना कसा था कि हाथ अन्दर जा ही नहीं रहा था।
तब मामी ने अपने जिस्म को हल्का ढीला किया.. तो मैं अब उनके ब्लाउज को खोलने लगा.. पर उत्तेजना इतनी ज़्यादा थी कि साला खुल ही नहीं रहा था।
मैं झुंझला कर ब्लाउज के बटन तोड़ने ही वाला था कि मामी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को हटा कर ब्लाउज के बटन खोल दिए।
फिर भी ना मैं कुछ बोला.. ना मामी कुछ बोलीं।
अब उनके कड़क-कड़क चूचुक मेरे उंगलियों में जकड़े हुए थे, मैं कभी चूचियों को दबाता.. तो कभी चूचुकों को रगड़ता।
मैं पहली बार यह सब असल में कर रहा था, अन्यथा तो हमेशा या तो सेक्स कहानियों में या फिर ब्लू-फ़िल्मों में ही ऐसा देखा था।
अब मैं मामी के मम्मों को मुँह में लेकर बड़े प्यार चूसने लगा, मामी की साँसें तेज़ होने लगीं.. फिर किसी तरह उन्होंने अपने पर कंट्रोल लिया.. क्योंकि बगल वाले कमरे में ही छोटे मामा और छोटी मामी सोई हुई थीं।
दोनों कमरों के ऊपर एक रोशनदान है जो खुला हुआ है.. मतलब कहीं ज़ोर से आवाज़ हुई.. तो शायद छोटे मामा सुन ना लें। मुझे डर भी लग रहा था और मस्ती में भी था।
मैं कुछ देर तक चूचियों का रसपान करते हुए.. धीरे-धीरे उनके पूरे जिस्म को चूमने लगा या कहो कि चाटने लगा था।
हम दोनों का जिस्म गर्म हो चुका था और पसीना भी निकल रहा था। चूमते चाटते मैं उनकी नाभि पर पहुँचा। मुझे किसी भी औरत में उसकी नाभि सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है।
मैं नाभि पर आराम से चुम्बन करने लगा। मामी थोड़ा सिहरने लगीं.. पर अभी भी उन्होंने एक शब्द नहीं बोला था.. न ही मैंने कुछ कहा था।
यहाँ तक तो ठीक था।
फिर मैंने पैरों से किस करना शुरू किया और उनके पेटीकोट को आराम अपने मुँह से ऊपर की ओर सरका सरका कर सभी जगहों पर किस करने लगा।
अब मैं मामी की जाँघों पर जा पहुँचा। वाउ.. क्या मखमली जांघें थीं.. उफ पूछो मत..!
मैं जाँघों पर आराम से किस करने लगा.. अब मुझे मामी के प्यार के रस की सुगंध आने लगी और मैं और जोश में आ गया..
पर मुझे उस समय चूत चूसने में कोई इंटेरेस्ट नहीं था.. इसलिए बस चूत के पास सर को ले गया और चूत सूंघने लगा.. अजीब सी मादक खुशबू थी।
अभी भी मामी कुछ भी नहीं बोली थीं। अब मैं फिर से मामी की चूचियों की चुसाई करने लगा और एक हाथ से दबाने लगा। इधर मेरे लंड महाराज की हालत खराब हो रही थी।
मेरे लंड महाराज जल्दी से जल्दी चूत महारानी के आगोश में समाने को तैयार खड़े हुए थे.. पर मैं अपने आप पर कंट्रोल किए हुए था। अब और देर ना करते हुए अपने लंड के सुपारे को मामी की बुर पर लगा दिया।
अचानक मामी ने मुझे पकड़ लिया और अपने सीने से सटा लिया और मेरे कानों में कहने लगीं- प्लीज़ अन्दर मत डालो.. यहाँ तक जो हुआ सो हुआ.. प्लीज़ उसके आगे और नहीं.. प्लीज़!
मैं पूरे जोश में था.. यह बात सुनने के बाद थोड़ा रुका, फिर मैंने मामी के कान में बोला- प्लीज़ मामी एक बार.. प्लीज़.. पर मामी मानने को तैयार नहीं थीं, मामी ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को ढक लिया।
मैं अपना हाथ उनकी चूत पर ले जाकर उनका हाथ हटाने लगा.. पर वो पूरा दम लगा कर हाथ दाबे हुई थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने भी पूरे दम से उनका हाथ हटाया और दोनों हाथों की उंगलियों में उंगलियाँ डाल कर हाथ को फैलाने लगा।
थोड़ी देर में मामी शांत हो गईं.. मैंने सोचा कि शायद मामी मुझसे नाराज़ हो गईं, मैंने मामी के कान के पास जाकर फिर धीरे से नर्म आवाज़ में बोला- क्या हुआ मामी.. इतना सब कुछ हो गया.. तब भी आप ऐसा कर रही हो? पहले ही मुझे रोक देतीं.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मामी खामोश रहीं.. एक शब्द कुछ नहीं बोलीं.. बस मुझे एकटक देख रही थीं।
एक बात हमेशा मेरे मन में रहती है कि तुम जिससे सेक्स करो तो मर्ज़ी से करो.. यदि दोनों की राजी है.. तो मज़ा 4 गुना हो जाता है। मैं यही सोचने लगा फिर मुझे लगा कि शायद मामी का मन सेक्स करने का नहीं है।
मैं उदास सा मुँह बना कर मामी को बोला- बिना आपकी मर्ज़ी के सेक्स नहीं करूँगा। मामी हल्के-हल्के हँसने लगीं.. और फिर से पकड़ कर कान में धीरे से बोलीं- मैं तो बस तुम्हारा मन टटोल रही थी.. और कुछ नहीं।
यह सुनते ही मेरा दिल ख़ुशी से मचल उठा.. फिर मैंने एक लंबा जोरदार होंठों पर चुम्मा लिया।
इधर लंड महराज मामी की चूत के छेद में घुसने को बेताब थे, मैं अपने लंड को मामी की चूत की दरार पर घिसने लगा।
मामी की चूत पहले से ही बहुत रसीली हो रही थी.. जिससे बड़े मज़े से लंड मियां रगड़ खा रहे थे, ऐसे लग रहा था जैसे लंड और चूत स्मूचिंग कर रहे हों।
इधर मामी अपने होंठों को दाँतों तले दबाए हुए लेटे थीं।
अब मैंने सोचा कि थोड़ा मामी को तड़पाऊँ.. इसलिए अपने लंड को हटा लिया।
मामी ने इशारे से पूछा- क्या हुआ? और धीरे से बोलीं- प्लीज़ जल्दी से डालो ना.. बहुत दिन हो गए है ये किए हुए..
मैं उनको किस करके उनके कान में बोला- क्या डालूँ? वो बोलीं- प्लीज़ डालो। मैंने फिर पूछा- क्या? बोलीं- आपको नहीं पता है? मैं बोला- मुझे तो पता है.. पर आपके मुँह से सुनना चाहता हूँ।
वो हल्के-हल्के से मुस्कुराने लगीं.. बोलीं- बहुत बदमाश हो आप.. अच्छा चलिए अपना लंड डाल दीजिए। मैंने पूछा- कहाँ? अब वो तड़पने लगीं.. बोलीं- प्लीज़ जल्दी से डाल दीजिए मेरी बुर में..
यह सुनते ही मेरे लंड महाराज अपनी औकात पर आ गए और अब मैं फिर से अपना लंड उनकी चूत के छेद पर सरकाने लगा और फिर लंड महाराज धीरे-धीरे चूत महारानी के आगोश में समाने लगे।
जैसा कि मामी बहुत दिनों बाद चुद रही थीं.. इसलिए उनकी चूत थोड़ी टाइट थी, मेरे लंड महाराज को घुसने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
फिर एक बार मैंने मामी को देखा.. उनके चेहरे का दर्द क्या खूब था.. उनकी आँखें बंद थीं।
ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में हूँ। मैं अपने लंड महाराज को चूत महारानी के अन्दर जड़ तक डालने लगा और फिर लंड महाराज और मामी की चूत महारानी का मिलन हो ही गया।
अब मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा, मामी भी पूरे जोश में उछल कर साथ देने लगीं।
उसके बाद धीरे-धीरे मेरे चोदने की स्पीड बढ़ती गई.. तकरीबन 3-4 मिनट के बाद लगा जैसे मैं स्वर्ग में उड़ रहा होऊँ।
कुछ पलों के बाद लगा कि अब मेरा निकलने वाला है.. सो मैं थोड़ा रुक गया। फिर थोड़ी देर बाद मामी के होंठों को चूमते हुए लंड को पूरी तरह चूत में उतार दिया।
इस बार मैं उन्हें पूरी स्पीड में चोदने लगा। हम दोनों के बदन लिपटे हुए थे.. मामी के मुँह से आवाज़ निकलने ही वाली थी कि मैं उनके होंठों को और ज़ोर से चुम्बन करने लगा।
इतनी गर्मी थी कि हम दोनों पसीने से भीग चुके थे।
फिर हम और मामी दोनों एक साथ झड़ गए, मामी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव दिख रहे थे, वो थोड़ी मुस्कुरा रही थीं। मैं उनके जिस्म पर लेटा हुआ था, वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थीं।
मैंने मामी को बताया- यह मेरी लाइफ का पहला सेक्स है। तो मामी कहने लगीं- मुझे भरोसा नहीं होता.. आपको तो सेक्स के बारे में बहुत जानकारी है।
मैं हँसते हुए बोला- यह तो सब अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ पढ़ कर और ब्लू फ़िल्मों से सीखा हूँ। मामी बोलीं- आप केवल दिखते शरीफ़ हैं.. पर है बहुत बदमाश। और वे हँस पड़ीं।
थोड़ी देर के बाद मैं उठ कर बाथरूम में पेशाब करने चला गया।
बाथरूम में लैम्प धीमी से रोशनी थी और बाथरूम में घुसते ही अपने लंड को देखने लगा, फिर लौड़ा पकड़ कर मैं धीरे से बोला- बेटा तेरी वर्जिनिटी लॉस हो गई.. मैं खुद ही हँसने लगा।
पेशाब करने के बाद जैसे ही बिस्तर पर आया। मामी को अपनी बाँहों ले लिया और उनके माथे पर एक चुम्बन किया, उनकी चूचियों को हल्के से दबा दिया.. वो चिहुंक उठीं, उन्होंने हल्के से आवाज़ कर दी। हम दोनों लोग डर गए कि कहीं छोटे मामा न सुन लें।
फिर थोड़ी देर में एक-दूसरे के चेहरे को देख मुस्कुराने लगे। वो मेरे बालों को इतने आराम से सहला रही थी.. मैं बता नहीं सकता.. कितना अच्छा महसूस हो रहा था।
फिर थोड़ी देर में धीरे-धीरे लंड फिर से कड़क हो गया। मैंने मोबाइल उठा कर टाइम देखा तो 3:30 हो गए थे। मतलब मेरे पास अब बस आधा घंटा ही बचा था।
मैं फिर से गर्म हो गया.. समय कम होने के वजह से अपने होंठों को मामी के होंठों से मिला कर स्मूच करते हुए एक हाथ से पेटीकोट को उठाया और लंड को चूत के अन्दर घुसेड़ दिया।
इस बार हम दोनों में थोड़ी और देर तक लगभग तकरीबन 5-6 मिनट का सेक्स हुआ।
फिर 3:45 पर मामी उठ कर अपनी चटाई पर चली गईं और सो गईं, मैं भी गहरी नींद में सो गया।
उसके बाद सीधे सवेरे लगभग 9 बजे मामी चाय लेकर आईं और बोलीं- बबुआ जी उठिए, चाय पी लीजिए।
मैंने बिना उनकी तरफ देखे चाय हाथ में ले ली और पीने लगा।
मैं रात की घटना के बारे में सोचने लगा, मामी भी कातिलाना मुस्कुराहट के साथ कमरे से बाहर रसोई की ओर चल दीं। थोड़ी देर में मामी 4-5 केले लेकर आईं और बोलीं- खा लीजिए नहीं तो कमज़ोरी हो जाएगी।
यह बात सुनते ही दोनों लोग हँसने लगे। तब छोटी मामी रसोई से ही पूछने लगीं- क्या हुआ इतने ज़ोर से आप लोग हँस रहे हैं?
मैं बोला- कुछ नहीं मामी, एक चुटकुला सुन कर हँस रहे हैं।
इसके बाद मेरे और मामी के बीच और बहुत बार सेक्स हुआ।
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