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सलोनी फिर रंगरलियां मना रही है? मैंने अन्दर देखा कि अन्दर सिर्फ़ जावेद चचा ही थे… मतलब आज पप्पू और कलुआ नहीं आए, या फिर चले गये थे।
मेरी बीवी सलोनी पूरी नंगी बेड पर लेटी थी उसके कपड़े फर्श पर फ़ैले हुए थे। जावेद चचा के तन पर सिर्फ़ बनियान थी, उनकी लुंगी और अण्डरवियर भी वहीं पड़े हुए थे।
पता नहीं चचा सलोनी को चोद चुके थे या फिर उसके बदन को चूस चाट कर ही मज़े ले रहे थे, अभी वे सलोनी की चूचियाँ सहला चूस रहे थे।
सलोनी का हाथ उनके खड़े हुये लंड पर धीरे धीरे ऊपर नीचे फिसल रहा था।
मैं उनकी बातें सुनने का यत्न करने लगा।
जावेद- मेमसाहब आप बहुत सुन्दर तो हो ही… बहुत सेक्सी भी हो… मुझको कल पूरी रात नींद नहीं आई, सिर्फ़ आपके बारे में सोचता रहा, मैंने अपने हाथ से तीन बार मुट्ठ मार कर लंड का माल निकाला तब भी यह शान्त नहीं हुआ, बस आपकी यह प्यारी चूत ही याद आती रही!
कलुआ और पप्पू तो आपको चोद कर इतने मस्त हो गये कि आज़ आए ही नहीं काम पर… आपने उनको इतना मज़ा दिया कि अब 2-3 दिन उनको होश नहीं आयेगा।
सलोनी- अहहा हा हा हहहा… सलोनी हंसने लगी।
जावेद- मेमसाहब, क्या आप मुझे वो ज़न्नत का मज़ा नहीं देंगी जो आपने उन दोनों को दिया?
सलोनी- मैंने कब मना किया चचा? कल तो उन लड़कों के सामने मुझे शरम सी आ रही थी, मुझे तो आपका लंड कल बहुत पसन्द आया था, इस ने मुझे मेरे पहले आशिक़ की याद दिला दी, यह बिल्कुल शमीम के लौड़े जैसा है। उसने मुझे बहुत मज़े दिए थे… मेरी ज़वानी का निखार उससे चुदाई करवाने के बाद ही आया था।
सलोनी की चुदाई तो पहले भी देखी थी… और उसके साथ बहुत मज़े भी किए थे लेकिन इस वक्त उसकी पहली चुदाई वाली घटना, वो भी उसी के मुख से इतने सेक्सी अन्दाज़ में सुनने के बाद मेरे लंड और मन को एक अलग ही रोमांच मिल रहा था।
मैंने तुरन्त अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और मेरा हाथ लंड पर वैसे ही चलने लगा जैसे सलोनी जावेद के लंड को सहला रही थी। वाह रे किस्मत… बीवी मेरी… बैडरूम मेरा… और मैं बाहर खड़ा अपने लंड को अपने हाथ से सहला रहा था जबकि यह बूढ़ा कमीना मेरी बीवी की बगल में नंगा लेट कर मेरी बीवी के कोमल हाथ से अपने लंड को सहलवा रहा है।
पर फिर भी मैं सह रहा था क्योंकि अपनी जो बातें वह चचा को बता रही थी, मुझको तो शायद ना ही बताती।
जावेद काका- हहहआ आपकी यही अदायें तो मारू हैं मेमसाहब, आपने जब से कल अपनी पहली चुदाई वो बातें बताई… सोच कर ही लंड के पानी की बूँदे टपक जाती हैं। आज आगे की बात सुनते हुये ही आपको चोदूँगा तो आप देखना… आप को ऐसा लगेगा कि शमीम मियाँ ही चोद रहे हैं आप को और आप फिर से कॉलेज वाली जिन्दगी में पहुंच गई हैं।
कहते हुए जावेद चचा ने कस के सलोनी के चूचों को मसला और हल्के से दांतों से काटा।
मुझे यह इसलिये पता चल गया कि सलोनी के मुख से तेज सीत्कार निकली और उसने मेरे परिचित अन्दाज़ में ही कहा- आहहहआ दांतों से नहीं… आहहह
और जावेद चचा अब उठकर कल की तरह ही सलोनी की जांघों के बीच आ गये और उसकी चूत को चाटते हुए बोले- तो मेमसाहब यह शमीम मियां दूसरे थे जिन्होंने आपकी चूत चोदी उन अंकल के बाद जिन्होंने आप को सबसे पहले चोदा था?
जियो जावेद चचा मेरे मन की हर बात पूछने के लिए… यही सब तो मैं न जाने कब से जानना चाहता रहा था।
सलोनी- हहहआ… क्या करते हो चचा? चूसो… हहआँ और चूसो… हहहाँआ पूरा… नहीं य अहहहा और…
सलोनी तो अपनी चूत की चुसाई का अब पूरा मज़ा लेने लगी थी।
सच में जावेद चूत चाटने में पूरे तजुर्बेकार थे, उनको तो चटाई के मामले में कुत्ते की श्रेणी में ही रखना सही होगा, अपनी जीभ को ऊपर से नीचे तक फ़िरा कर सलोनी की चिकनी चूत चाट रहे थे, सपड़ सपर सपड़… सपर… की आवाजें बाहर तक आ रही थी।
सलोनी- आहहहा हहहा ओह्ह ऊई… यम्माह… अहम्मा मआ मम्मी मेरी हहआ बुरररर… हह! पता नहीं कैसी कैसी आवाजें सलोनी अपने मुख से निकाल रही थी।
और चचा समझ गये कि सलोनी ऐसे कुछ नहीं बोलेगी… उन्होंने चूत चाटना बन्द किया और चचा ने सलोनी की जांघों को पूरा चौड़ा करके चुदाई के आसन में आ गये।
अब उनका सख्त खड़ा लंड सीधे सलोनी की चूत के मुँह पर था, चचा ने लन्ड को हाथ से निशाने पर नहीं नहीं किया, बस उसे चूत के छेद के ऊपर टिकाया और सलोनी की एक जोर सी चीख निकली उसके मुख से- आहह आअहहहा… आअ!
काका ने एक झटके में लंड का अगला हिस्सा चूत के अन्दर घुसा दिया था।
सलोनी – धीरे हल्के से… हहहआ ऐसा ही दर्द तो शमीम मुझे देता था हर बार! जावेद काका- हहा अरे, मैं कुछ पूछ रहा हूँ ना आपसे मेमसाहब… बताओ ना… क्या शमीम आपका दूसरा लंड था जिससे आपने चुदवाया?
सलोनी- ना! पहले पूरा धीरे धीरे अंदर करो, ऐसे कैसे बताऊँ आहहहा… सलोनी तो ऐसे कर रही थी जैसे पहली बार चुदवा रही हो।
पता नहीं उसको वाकयी दर्द हो रहा था या यह भी उसकी सेक्सी अदाओं में से एक थी।
जावेद काका ने एक बार फिर से कोशिश की मगर आराम से लंड कैसे अन्दर सरकता? सलोनी कैसी भी थी मगर उसको यह तो ख़ासियत ऊपर वाले से ही मिली थी, गॉड गिफ्ट!
कि उसकी चूत अंदर से एकदम कसी और ऊपर से बिल्कुल किशोरियों जैसी दिखती है। इसलिये जो सलोनी की चूत को एक बार देख ले, वह तो पागल ही हो जाता है।
अगर किसी ने चोद लिया, वह तो सलोनी पर अपना सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हो जाता है।
जावेद ने कई बार प्रयत्न किया कि आराम से धीरे धीरे लंड अन्दर जाये पर जितना वो अन्दर धकेलते, सलोनी की चूत उतना ही उसको बाहर को कर देती।
उनका हर धक्का बेकार जा रहा था, लन्ड का अगला दो इंच का हिस्सा ही चूत के अन्दर गया नज़र आ रहा था, बाकी लंड बाहर ही था।
और चचा तो पूरे खाये खेले थे, उनको लगा कि ऐसे बात नहीं बनेगी तो उन्होंने सलोनी के कूल्हों पर अपने दोनों हाथ कसे, उसको पलंग से थोड़ा ऊपर उठाया और इस बार कस कर एक धक्का लगा दिया।
एक बार फिर से सलोनी की चीख निकली- आई…ईई आआह्ह… ओह्ह…
अब जावेद चचा को सफ़लता मिल गई, उनका आधे से ज्यादा लंड चूत की दीवारों को फ़ैलाते हुए अन्दर चला गया था। काका का लंड चिकना था, उसके ऊपर चमड़ी नहीं थी तो वो सलोनी को बहुत मज़ा दे रहा होगा। यह बात सलोनी के चेहरे की मस्ती से ही पता चल रही थी।
और चचा ने तेज तेज धक्के लगाते हुये पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सलोनी के मुख से सिसकारियाँ और आनन्द मिश्रित आवाजें माहौल को जबरदस्त सेक्सी बना रही थी।
चचा एक बार फिर से रिलेक्स हो गये… उनको तो अभी खूब सारे मजे लेने थे- बताओ ना मेमसाहब… यह चुदाई तो अब चलती ही रहेगी, आप तो अब शमीम और अपनी चुदाई का किस्सा ब्यान करो!
सलोनी- आहहहआ अहह हआ… मेरे सारे राज सुनोगे क्या? अहहहआ मेरे शमीम राज़ा! अब मैं तुम्हें शमीम राज़ा ही बुलाऊंगी मेरे राज़ा… सच में तुम्हारा लंड बिल्कुल वैसा ही है। तुमने मुझे उस जिन्दगी की याद दिला दी… कितना मज़ा आता था उस वक्त मुझ! हहआह… हहहआ…
और अब शायद मुझे सलोनी के एक पुराने यार से चूत चुदाई के किस्से को सुनने का मौका मिलने वाला था? देखते हैं आगे?
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