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मेरा नाम पीयूष है। मैं उ.प्र. के एक गाँव का रहने वाला हूँ। मेरे परिवार में मम्मी-पापा.. दो बड़े भाई.. एक बहन है और मैं सबसे छोटा हूँ। मेरे पापा एक टीचर हैं और माँ गृहणी हैं। बड़े भैया की शादी हो चुकी है और वो आर्मी में हैं।
मेरी माँ का नाम शालिनी है, उनकी उम्र 45 साल है। उनका रंग बहुत ही गोरा है। सबसे खास बात मेरी माँ की चूचियाँ और उनके उठे हुए चूतड़ हैं। माँ घर पर साड़ी पहनती हैं और वो गहरी नींद में सोती हैं।
एक दिन सुबह माँ जब सो कर उठीं तो बाहर जब पेशाब करने के लिए गईं.. तो मेरे पड़ोस में मनोज नाम का लड़का है.. वो भी उस वक्त बाहर ही खड़ा था।
जब उसने माँ को देखा.. तो वो छिप गया और पीछे से माँ की नंगी गाण्ड को देखने लगा। माँ जब पेशाब करने के बाद पीछे को मुड़ीं.. तो मनोज वहाँ खड़ा था। तब माँ उसे देखकर मुस्कराईं और चल दीं। मनोज की थोड़ी सी हिम्मत बढ़ गई।
आपको मैंने मनोज के बारे कुछ नहीं बताया है.. थोड़ा सा उसके बारे में भी जान लीजिए। मनोज कॉलेज में पढ़ता है और उसका मेरे घर आना-जाना लगा रहता है। उसकी उम्र मुझसे दो साल बड़ी है।
अगली सुबह मनोज मेरे घर 8 बजे आया। वो मेरे बारे में माँ से पूछने लगा और माँ से बात करते हुए अपने लंड को सहलाने लगा।
माँ ने ये सब करते देखकर भी उससे कुछ नहीं कहा और मुस्कुरा कर उसे बैठने को कह कर रसोई में चली गईं। कुछ देर बाद माँ उसके लिए चाय लेकर आईं और उसे झुक कर चाय देने लगीं। मनोज को माँ के लटकते मम्मे देख कर रहा नहीं गया और उसने मौका पाकर माँ की गाण्ड को हल्के सहला दिया।
माँ उसकी ओर देखते हुए मुस्कुरा कर चली गईं.. पर उन्होंने मनोज से अब भी कुछ नहीं कहा था।
मेरे गाँव से गंगा नदी निकलती है। इसलिए मेरी माँ हर तेरस को गंगा नदी में नहाने के लिए जाती हैं.. यह बात मनोज को मालूम थी।
उस दिन तेरस थी और जब माँ गंगा नदी में नहाने के लिए गईं.. तो वो भी उनके साथ पीछे-पीछे चल दिया।
सब गंगा स्नान के लिए पैदल ही जाते हैं। जब माँ गंगा नदी में नहाने के लिए गईं.. तो वो भी उसी जगह आ गया। माँ थोड़ा एकांत में नहाती हैं.. जहाँ पर आदमी कम हों.. क्योंकि मैं भी कई बार माँ के साथ गया था इसलिए मुझे यह बात मालूम थी।
माँ पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुए ही नहा रही थीं तभी मनोज पीछे से आकर उनसे चिपक गया और उसने अपना लंड माँ की गाण्ड में सटा दिया और दबाने लगा।
माँ ने एकदम से उसे देखा और उसको दूर हटा दिया लेकिन माँ उसे मना नहीं कर रही थीं.. क्योंकि उसे भी माँ अपने बेटे की तरह मानती हैं। इसलिए जब भी वो माँ को टच करता था.. तो माँ उसे मना नहीं करती थीं।
दो-तीन बाद दूर हटाने के बाद मनोज ने माँ के पेटीकोट को पानी के अन्दर से उठाकर माँ को फिर से पकड़ लिया.. इस बार उसने अपना लंड बाहर निकाल कर माँ की गाण्ड में लगा दिया.. परन्तु माँ ने उसे फिर पीछे धकेल दिया। इस पर मनोज ने माँ के पेटीकोट को खींचकर निकाल दिया और माँ नंगी हो गईं।
माँ उससे अपना पेटीकोट माँगने लगीं.. तो मनोज ने उनका पेटीकोट बाहर फेंक दिया।
मनोज बोला- पेटीकोट जब मिलेगा जब मैं जो कहूँगा.. वो आपको करना पड़ेगा।
माँ ने मजबूरी में ‘हाँ’ कह दिया.. क्योंकि माँ अन्दर पैन्टी भी नहीं पहनती हैं।
मनोज इसका फायदा उठाकर माँ के पास आया और अपना लंड माँ की गाण्ड में सैट करके दबाने लगा.. लेकिन लंड अन्दर नहीं जा पाया। तब मनोज ने माँ की गाण्ड पर ज़ोर से तीन-चार चमाट लगा दीं और उनके कान में बोला- आंटी, जैसे-जैसे कहूँ वैसे-वैसे करो।
माँ ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया। अब वो माँ को झुका कर अपना लंड उनकी गाण्ड में पेलने लगा।
माँ की गाण्ड जब लण्ड थोड़ा सा घुस गया तो माँ चीखने लगीं- धीरे-धीरे पेल.. लग रही है.. लेकिन मनोज स्पीड से धक्के मारता रहा और कुछेक मिनट चोदने के बाद वो माँ की गाण्ड में ही झड़ गया।
फिर वो ज़ोर से माँ के गाल पर थप्पड़ मार कर बोला- चल रंडी.. मेरा लंड चूस.. यह बात सुनकर माँ उसका लंड चूसने लगीं।
जब मनोज का लंड खड़ा होने लगा.. तो उसने लंड को मुँह से बाहर निकाल लिया और अब वो माँ की चूचियों को पीने लगा और उनके निप्पलों को काटने लगा.. माँ दर्द से कराहने लगी।
मनोज माँ से बोला- चुप रण्डी.. वर्ना तुझे सारे गाँव के लड़कों और आदमियों से चुदवाऊँगा।
उसके बाद वो माँ के होंठ चूसने लगा और चूसते-चूसते होंठों को काट भी रहा था।
वो बोला- तुझे तेरे चूचियों को चाहे जब चाहे जहाँ दबाऊँ.. तुमको मना नहीं करना है और तेरी गाण्ड को जब चाहे मसलूँ.. तुम मुझे मना नहीं करना.. तुझे चाहे जब चोदूँ.. चाहे जिससे चुदवाऊँ.. तुमको मना नहीं करना होगा।
माँ ‘हाँ’ में सर हिलाती रहीं।
मनोज- आंटी चल अभी पिछवाड़े की चुदाई ही ठीक है.. तेरी चूत का भोसड़ा तेरे ही घर आ कर बनाऊँगा।
फिर मनोज ने पेटीकोट लाकर दे दिया। माँ पेटीकोट पहनकर बाहर आ गईं और एक पेड़ के पीछे जाकर उन्होंने अपने कपड़े बदले।
मनोज उनके सामने खड़ा होकर सब देखता रहा। पहले माँ ने पेटीकोट लेकर सर से डाला और गीले पेटीकोट का नाड़ा खोला।
मनोज बोला- आंटी अपनी चूत तो दिखाओ। माँ हँस कर बोलीं- घर पर आकर देख लेना।
माँ कपड़े पहन कर घर आ गईं। अब अगले भाग में इससे आगे की कहानी लिखूंगा और ये भी बताऊँगा कि माँ ने इसके बाद कितने और लौड़ों से अपनी चूत की खुजली मिटवाई.. माँ कितने लोगों से चुदी और कैसे-कैसे चुदी।
आप लोगों के विचारों का स्वागत और इन्तजार है। [email protected]
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