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मेरी पहली कहानी चाची का सैक्स भरा प्यार पढ़ कर मुझे बहुत से लोगों के ईमेल आए व सभी ने मेरे हौसला बढ़ाया और मुझे और कहानियाँ लिखने के लिए प्रेरित किया। तो दोस्तो, आप सभी की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए मैं अपनी अगली कहानी लिख रहा हूँ।
आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी यह कहानी भी पसंद आएगी।
जैसा मैंने अपनी पिछली कहानी में बताया था कि कैसे मैंने सुमन चाची को चोदा और उन्हें अपने लंड का दीवाना बना लिया। अब मैं और सुमन चाची जब भी मौका मिलता.. खुल कर चुदाई करते।
मैंने बताया था कि सुमन चाची की गाण्ड भी बहुत मस्त व टाइट थी और मैं उनकी गाण्ड में भी अपना लंड पेलना चाहता था पर सुमन चाची गाण्ड मरवाने के नाम से ही बिदक जातीं और कहतीं- इसे तो तेरे चाचा भी नहीं मार सके.. तू भी गाण्ड मारने का ख्याल अपने दिल से निकाल दे.. बस मेरी चूत के मज़े लेते रहो।
पर मैं भी हार मानने वाला नहीं था और इस कोशिश में रहता कि कैसे चाची की गाण्ड मारूं।
फिर किस्मत से एक दिन मौका मिल ही गया और मैंने जम कर चाची की गाण्ड मारी। दोस्तों.. चाची की गाण्ड मारने में चाची को और मुझे दर्द तो बहुत हुआ.. पर जितना मज़ा उनकी गाण्ड मारने में आया.. उसके आगे मैं अपना सारा दर्द भूल गया।
हुआ यूँ कि एक दिन सुबह-सुबह मेरे दोस्त का फोन आया कि आज किसी काम से बाहर चलना है.. जल्दी से तैयार होकर आ जाओ। मैंने कहा- ठीक है.. मैं कुछ देर में आता हूँ।
मैं नहा-धो कर फ्रेश हुआ और चाची को नाश्ते के लिए आवाज़ लगाई.. पर चाची ने कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने उनके कमरे में जा कर देखा तो सुमन चाची अभी भी लेटी हुई थीं.. शायद उनकी तबियत खराब थी और शायद इसलिए उन्होंने बच्चों को भी अभी तक नहीं जगाया था।
मैंने पूछा- क्या हुआ चाची? तो वो बोलीं- मेरी तबीयत थोड़ी खराब है.. इसलिए जल्दी नहीं उठ पाई.. पर तुम रूको मैं अभी उठ कर तुम्हरा नाश्ता बना देती हूँ।
मुझे लगा चाची को इस हालत में परेशान करना ठीक नहीं है.. इसलिए मैंने कहा- आप रहने दो.. मैं बाहर कुछ खा लूँगा।
फिर मैंने उन्हें अपने कमरे से एक दवा ला कर दी और कहा- ये खा लेना आप को आराम मिल जाएगा। दवा देकर मैं अपने दोस्त के पास चला गया।
रात को 10 बजे के आस-पास मैं घर आया और हाथ-मुँह धोकर फ्रेश हुआ।
खाना मैं अपने दोस्त के घर से ही खा कर आया था.. इसलिए सीधे अपने कमरे में जाने लगा कि तभी चाची का ख्याल आया कि सुबह उनकी तबीयत खराब थी।
इसलिए मैंने उनके कमरे में जा कर देखा तो चाची अभी भी बिस्तर पर लेटी हुई थीं।
मैंने पूछा- अब तबीयत कैसे है? तो चाची बोलीं- तबीयत तो ठीक है पर सारे शरीर में हल्का-हल्का दर्द है।
मैंने फिर पूछा- आपने कुछ खाया और दोनों बच्चे कहाँ हैं। मेरी बात सुनकर वो बोलीं- हाँ थोड़ा सा खाना खाया है.. और बच्चे अपने छोटे चाचा के साथ शादी में गए हैं, कल शाम तक आएंगे।
यह सुनकर मैंने कहा- मैं आपको एक और दवा दे देता हूँ.. उससे से शायद आपको आराम आ जाए। पर उन्होंने लेने से मना कर दिया।
तभी मैंने कहा- सुमन चाची.. मैं तुम्हारी मालिश कर देता हूँ.. इससे तुम्हें बहुत आराम मिलेगा।
दोस्तो, मैं बहुत अच्छी फीमेल मसाज करता हूँ। मैं अपनी मालिश से किसी भी फीमेल का पानी निकाल सकता हूँ.. बिल्कुल हम लड़कों के वीर्य की पिचकारी की तरह।
मैंने कभी चाची का पानी निकलते हुए नहीं देखा था.. बस जब चुदाई करता था तो उनके अकड़ने से व चूत की चिकनाई और उनके हाव-भाव से ही पता लगता था कि उनका पानी छूट गया.. पर कभी सीधे निकलते नहीं देखा।
जब मालिश के दौरान उनकी चूत से पानी की पिचकारी निकली.. तभी मुझे पता लगा कि फीमेल्स भी पानी छोड़ती हैं। अब तो मैं मसाज में इतना एक्सपर्ट हो चुका कि किसी भी लड़की या औरत का पानी निकाल सकता हूँ।
दोस्तो, यह भी एक तकनीक है.. जो हर किसी को नहीं आती है। कभी मौका मिला तो आप सभी को ज़रूर बताऊँगा।
मालिश की बात सुन कर चाची बोलीं- हाँ ये ठीक रहेगा। उनकी बात सुनकर मैं बोला- चलो मेरे कमरे में चलते हैं। वो बोलीं- नहीं.. यहीं पर कर दो.. वैसे भी घर में कोई नहीं है।
मैंने कहा- ठीक है.. मैं तेल लेकर आता हूँ। मैं अपने कमरे में गया और वहाँ से बादाम ले तेल की सीसी ले आया और घर का गेट बंद करके चाची के कमरे में आ गया।
मैंने कहा- सुमन चाची.. तुम अपने सारे कपड़े उतार दो। मेरे कहने से चाची ने अपने कपड़े बिना कुछ कहे उतार दिए व बिस्तर पर सीधी लेट गईं।
चाची को यूँ नंगी देख कर मेरे लंड में भी कुछ-कुछ होने लगा.. पर मैंने अपने पर कंट्रोल रखा.. क्योंकि उनकी तबीयत खराब थी।
अब मैं बिस्तर पर उनके बगल में बैठ गया व तेल की शीशी से तेल लेकर उनके पैरों पर लगाया, धीरे-धीरे उनके पैरों की मालिश करने लगा। कुछ ही देर की मालिश से चाची को अच्छा लगने लगा।
मैं पूरे इत्मीनान से मालिश कर रहा था। बीच-बीच में मेरे हाथ जब उनकी चूत से टकराते तो उनके मुँह से हल्की सी आवाज़ निकलती। मुझे लगा कि चाची अब गर्म हो रही थीं।
दोनों पैरों की अच्छे से मालिश केरने के बाद मैंने उनकी पीठ व चूचियों पर तेल लगाया और उनकी मालिश करने लगा। मैंने चाची के कंधों को अच्छे से दबा-दबा कर मालिश की.. जिससे उन्हें बहुत आराम मिला। फिर मैंने उनकी एक चूची को अपने हाथ में लिया और बड़े प्यार से उसकी मालिश करने लगा।
चाची के कान व चेहरा पूरा लाल हो चुका था और इससे साफ पता लग रहा था.. वो बहुत गर्म हो चुकी हैं। फिर मैंने उनकी दूसरी चूची की मालिश करनी शुरू कर दी।
कुछ ही देर में चाची पूरी मस्ती में आ गईं और अपने हाथों से अपनी चूत मसलने लगीं। चाची के निप्पल बिल्कुल कड़े हो गए।
अब मैंने थोड़ा तेल अपने हाथों में लिया और थोड़ा तेल उनकी बिना बालों की चूत पर लगाया। चाची अपनी चूत हमेशा क्लीन रखती थी। फिर मैंने उनकी चूत पर धीरे से मालिश शुरू की और कुछ ही देर में उनकी चूत से चिकनाई बाहर आने लगी।
तभी मैंने अपनी बीच की दोनों उंगलियाँ उनकी चूत में डाल दीं और एक हाथ उनकी चूत के ऊपर रखा व उंगलियों को तेज़ी से ऊपर की तरफ़ खींचने लगा।
मुझे ऐसा करते हुए अभी कुछ ही पल हुए थे.. चाची ज़ोर से चीखीं.. और मेरे हाथ को अपने चूत से निकाल दिया और फिर मैंने जो देखा.. उसके बारे मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी होता है।
चाची की चूत से रह रह कर पानी की पिचकारी निकल रही थी.. और चाची बुरी तरह से काँप रही थीं। उनके पानी से बिस्तर गीला हो गया था और अब वो बिल्कुल शांत लेटी हुई थीं।
मैंने पूछा- सुमन चाची कुछ आराम मिला तो वो सिर्फ़ मुस्करा दी।
मैंने कहा- सुमन चाची अब तुम उल्टी लेट जाओ.. मैं तुम्हारी कमर की भी मालिश कर देता हूँ। मेरे कहने से चाची धीरे से उल्टी हो कर लेट गईं।
दोस्तो, उनकी गाण्ड देख मेरा लंड लोवर से बाहर आने को हो गया.. पर मैं किसी तरह कंट्रोल किए रहा।
अब मैंने उनके पैरों पर.. उनके गोरे चूतड़ों पर व कमर पर तेल लगाया और मालिश करने लगा।
मैं उनकी अच्छे से मालिश कर रहा था कि तभी मैंने थोड़ा तेल अपनी उंगलियों पर लगाया व उनकी गाण्ड पर भी थोड़ा तेल लगाया। इसके बाद मैं धीरे अपनी उंगलियां उनकी गाण्ड पर रगड़ने लगा।
कुछ देर बाद एक उंगली उनकी गाण्ड में डालने लगा.. ऐसा करते हुए मैं थोड़ा डर भी रहा था कि कहीं चाची गुस्सा ना हो जाएं.. पर शायद उन्हें भी अच्छा लग रहा था.. तो वो कुछ नहीं बोलीं।
मैंने धीरे-धीरे अपनी आधी उंगली उनकी गाण्ड में डाल दी.. पर चाची ने कुछ नहीं कहा। मैंने फिर थोड़ा तेल उनकी गाण्ड पर डाला व अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने लगा।
अब मैं अपनी पूरी उंगली उनकी गाण्ड में डाल कर अन्दर-बाहर कर रहा था और चाची भी बिने किसी विरोध के मज़ा ले रही थीं। चाची फिर से गर्म हो रही थीं।
मुझे लगा कि आज मौका है चाची की मस्त गाण्ड मारने का और ये विचार मन में आते ही मैंने पूछा- सुमन चाची क्या मैं तुम्हारी आज गाण्ड मार लूँ।
चाची एकदम से पलटीं और मुझे घूरने लगीं।
मैं उनकी घूरने वाली नजर से जरा चौंक सा गया फिर उनकी तरफ उदास सी नजरों से देखने लगा और सोचने लगा कि पता नहीं ये आज गाण्ड मारने भी देंगी या नहीं..
अगले पार्ट में इस कहानी को आगे लिखूंगा.. तब तक आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा। [email protected]
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