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दोस्तो, मैं सुशांत चंदन, आप सभी ने मेरी बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और बहुत सारे ईमेल करके मेरा हौसला भी बढ़ाया है.. इस बात के लिए मैं आप लोगों का आभारी हूँ।
मैं एक बार फिर से बता दूँ कि मेरी सारी कहानी वास्तविकता पर आधारित ही होती हैं, लगभग 70% सच होता है क्योंकि बाकी के 30 % में मैं मसाला डाल कर कहानी को मज़ेदार बना देता हूँ.. ताकि आप लोगों को पढ़ने में मजा आए।
साथियों अब तक मैं बी.टेक. के अंतिम साल में पहुँच चुका हूँ.. सो अब नौकरी के लिए इंटरव्यू देना शुरू कर दिए हैं.. जॉब की तलाश में हूँ।
मैंने गेट के एग्जाम के लिए भी फॉर्म भरा हुआ था.. और उसका सेंटर मैंने ओडिशा का ही दिया था.. क्योंकि उधर बहुत सारी इलेक्ट्रिकल की कंपनी भी हैं और इसी बहाने उधर घूम भी लूँगा।
वैसे आपको याद होगा मैंने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग राउरकेला से ही किया था। वो इतनी बेहतरीन जगह है कि मुझे दुबारा उधर ही आने का मन कर रहा था.. लेकिन कभी मौका नहीं मिल पाया। मेरे गेट के एग्जाम का सेंटर राउरकेला फिर से पड़ा।
मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि एक बार फिर से मुझे तीन चूतें मिलेंगी.. क्योंकि पिछली बार जब ट्रेनिंग के लिए आया था.. तो यहाँ 40 दिन रुका था और तीन चूतों को चोद कर गया था।
अगर याद नहीं आ रहा हो या जो नए पाठक हों.. तो वो मेरी पिछली कहानियाँ पढ़ सकते हैं। नंगी नहाती मोनिका का बदन
वैसे फिर से मैं थोड़ा बता देता हूँ कि राउरकेला में मैंने तीन को चोदा था। एक थी मोनिका.. जो कि मेरे पापा के दोस्त की बेटी है और उसके बाद उसकी ही एक कुँवारी फ्रेण्ड सोनी को और अंत में मोनिका की माँ यानि पापा के दोस्त की बीवी को चोदा था।
मेरे मन में इस बात की कसक थी कि तीनों की चूत तो मैं ले चुका था लेकिन गाण्ड किसी की नहीं मारी थी। तो शायद मुझे इस बार यह मौका मिल जाए।
जैसे ही मैंने अपना एड्मिट कार्ड देखा.. तो मैंने सबसे पहले मोनिका को कॉल किया और उसे बताया कि मैं एग्जाम के लिए राउरकेला आ रहा हूँ।
तो वो खुश हो गई और उसने यह बात अपनी माँ को बताई।
फिर मैं ट्रेन पकड़ कर एग्जाम के 3 दिन पहले ही राउरकेला पहुँच गया।
मैंने पहुँच कर मोनिका को कॉल किया तो वो बोली- बाहर निकलो.. मैं कार में इंतज़ार कर रही हूँ।
मैंने कार देख ली और उसके पास गया, वो कार के पास खड़ी थी, मैंने उसको देखते ही गले लगा लिया।
यार क्या बताऊँ.. वो तो बहुत ज्यादा बदल गई थी.. पहले से और भी ज्यादा हॉट और सेक्सी लग रही थी।
मैंने गले लगते ही उसके चूतड़ दबा दिए.. तो बोली- यहाँ नहीं.. सब हमें ही देख रहे हैं.. कार में बैठो।
मैं कार में बैठ गया और उससे बोला- क्या बात है यार और भी ज्यादा हॉट और सेक्सी हो गई हो.. क्या कर रही हो? उसने बस ‘थैंक्स’ बोला।
फिर मैंने पूछा- माँ-पापा घर पर ही है क्या? तो वो बोली- हाँ.. ‘तब तो अभी घर पर कुछ नहीं हो सकता?’ वो बोली- शायद नहीं..
उस वक्त उसने जीन्स और टॉप पहन रखा था.. तो मैं उसके जाँघों पर हाथ रख कर सहलाने लगा।
उसने मेरा हाथ हटा दिया.. तो मैंने उसके कंधों पर हाथ रखा और हाथ को सहलाने लगा.. तो उसने मेरा हाथ भी हटा दिया। मैंने पूछा- क्या हुआ.. नाराज़ हो क्या?
बोली- हाँ.. तुमको दो साल बाद टाइम मिला आने का? तो मैं बोला- क्या करता.. आने के लिए कोई कारण ही नहीं मिल रहा था.. मैं तो तुम्हारी याद में रोज तड़पता था.. लेकिन क्या कर सकता था?
वो बोली- हाँ मिलना नहीं चाहते थे.. तो बहाना बना रहे हो। मैं बोला- डार्लिंग मैं बहाना नहीं बना रहा.. सच में बहुत मिस कर रहा था।
बोली- मुझे.. या मेरे बदन को? ‘अरे नहीं.. तुमको और तुम्हारे बदन को भी..’ ये बोलते हुए उसकी चूचियों को छूने की कोशिश करने लगा।
वो बोली- यहाँ कुछ नहीं.. घर चलो और वहाँ से कहीं और चलेंगे। मैं बोला- ओके मेरी जान।
हम दोनों घर पहुँच गए.. उसने रास्ते में कुछ नहीं करने दिया बल्कि चूचियों को भी नहीं दबाने दिया।
खैर.. मैं घर के अन्दर गया और उसके पापा और मॉम दोनों को प्रणाम किया। मुझे देख कर दोनों खुश हो गए.. ख़ास करके उसकी मॉम.. वो तो और भी हॉट और सेक्सी लग रही थी। मुझे देख कर लगा ही नहीं कि 2 साल पहले जिससे मिला था.. वो यही थी।
शायद इनकी उम्र बढ़ने की जगह घट रही हो, ये तो और भी जवान होती जा रही है। मेरा मन तो कर रहा था कि अभी ही पकड़ लूँ और गले से लग जाऊँ.. लेकिन नहीं कर सकता था.. क्योंकि सब वहीं थे..
तो मैं फ्रेश होने बाथरूम में गया और तब तक उसके पापा ऑफिस चले गए.. मैं अभी बाथरूम में नहाने जा ही रहा था।
मैं जब बाथरूम से निकला.. तो सिर्फ़ एक तौलिया ही लपेट कर निकला.. तो दोनों मुझे बहुत हवस की नजरों से देख रही थीं।
मैंने तो वैसे भी बॉडी बहुत अच्छी बना ली है, मुझे देखते ही दोनों बोलीं- वाउ… एब्स बना लिए हो। मैंने बस ‘थैंक्स’ बोल दिया।
तभी मोनिका को उसकी माँ ने कुछ लाने के लिए बाहर भेज दिया और खुद रसोई में खाना बनाने चली गईं।
मोनिका के जाते ही मैं रसोई में पहुँचा और उसकी माँ को पीछे से पकड़ लिया तब उन्होंने साड़ी और बैकलैस ब्लाउज पहना हुआ था।
मैं उनको कंधों पर चुम्बन करने लगा और उनके नंगे पेट को सहलाने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने मादक अंदाज में पूछा- कैसी हो मेरी जान? वो बोलीं- छोड़ो.. नहीं तो मोनिका आ जाएगी।
मैं बोला- जब तक नहीं आ रही है.. तब तक तो रूको.. मैं बहुत दिनों से तड़फ रहा हूँ। मैंने उनकी चूचियों को दबाते हुए चूमा, उनकी चूचियाँ अब तक हार्ड हो चुकी थीं।
वो मेरी तरफ़ घूम गईं और बोलीं- अभी जाओ और कपड़े बदल कर आओ.. मैं नाश्ता लगाती हूँ। मैं बोला- पहले एक होंठों से चुम्बन दो।
तब तो उन्होंने मेरे गालों पर एक चुम्बन कर दिया और बोलीं- जाओ.. तो मैं बोला- गालों पर नहीं..
और अपना तौलिया खोल कर लण्ड को दिखाते हुए बोला- इस पर.. वो बोलीं- नो.. अभी नहीं.. जाओ अब यहाँ से.. बाद में..
मैं बोला- किस मिलने के बाद ही जाऊँगा। उन्होंने जल्दी में मेरे लण्ड पर किस कर दिया और बोलीं- जाओ..
मैं उनके चूतड़ दबाते हुए कमरे में चला गया। फिर कुछ देर बाद मोनिका सामान ले कर आई.. रसोई में सामान रख कर कमरे में आई.. तो उसने देखा कि मैं नंगा ही खड़ा था।
वो लौट कर जाने लगी.. तो मैंने उसको पकड़ने की कोशिश की.. तब तक वो कमरे से बाहर निकल गई।
मैं भी कपड़े पहन कर बाहर आया.. तो देखा आंटी रसोई में खाना बना रही थीं।
मैंने पूछा- ऊपर और कमरे बनवा रहे हैं क्या? तो आंटी बोलीं- हाँ सब कुछ हो चुका है.. बस छत ढालना बाकी है।
मैं बोला- मैं देख कर आता हूँ। मैंने मोनिका को बोला- चलो मोनिका।
वो बोली- पहले नाश्ता तो कर लो.. फिर देखने जाना.. और तब तक मैं भी नहा लेती हूँ।
वो नहाने बाथरूम में गई और अन्दर से ढीला-ढाला सा स्कर्ट और टी-शर्ट पहन कर निकली। उसको देखने से लग रहा था कि इसने इस वक्त ब्रा नहीं पहनी हुई है। मैं समझ गया कि इसका भी मन हो गया है।
नाश्ता करने के बाद आंटी बोलीं- अब जाओ देख लो ऊपर का मकान.. मैंने मोनिका को साथ चलने को बोला.. तो वो नहीं जा रही थी।
लेकिन आंटी बोलीं- जाओ न.. दिखा दो.. तब तक मैं भी घर साफ़ करके नहा लेती हूँ। तो वो मेरे साथ ऊपर चली आई।
ऊपर आते ही मैंने उसको अपने तरफ़ खींचा और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिए। उफ़.. बहुत मुलायम थे उसके होंठ.. बता नहीं सकता कितने..
वो भी मेरा साथ देने लगी.. तो मैं अपना हाथ हटा कर नीचे उसकी कमर को सहलाने लगा और उसके चूतड़ों की तरफ़ बढ़ने लगा। अब तक मेरे हाथ उसके चूतड़ों तक पहुँच भी चुके थे और मैं उनको दबाने लगा था साथ ही ऊपर ‘लिप-किस’ में बिज़ी था।
लेकिन मेरा हाथ सही से नहीं बैठा हुआ था.. वो स्कर्ट के ऊपर से ही उसके चूतड़ को दबा रहा था। कुछ देर लिप किस करने के बाद हम अलग हुए। हम दोनों के चेहरे पर एक अलग सी ख़ुशी थी और वो मुझे देख कर मुस्कुरा दी।
मुझे तो वो ग्रीन सिग्नल लगा आगे बढ़ने का.. सो मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा और पीछे हाथों से उसके चूतड़ को दबाने लगा।
साथियों ये मोनिका के साथ मुझे मजे करने का अवसर तो था ही.. साथ में मोनिका के लिए भी एक अवसर था। मोनिका के लिए ये अवसर ख़ुशी का क्यों था इसको आप अगले हिस्सों में पढ़ सकेंगे।
इसकी मम्मी की चूत भी मेरे लौड़े के लिए बहुत बेकरार थी.. उसको भी लिखूँगा।
बस अगले पार्ट में मिलता हूँ.. तब तक मुझे अपने ईमेल लिखिए। [email protected]
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