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कहाँ चले गये वो दोनों लड़के? बाहर के दरवाज़े से लेकर रूम तक का फ़ासला मुझे बहुत ज्यादा लगने लगा, मेरे पैर जैसे उठ ही नहीं रह थे, मैं एक एक कदम बिना कोई आवाज़ किए रख रहा था, मैं बैडरूम तक जाना चाह रहा था, जानना चाह रहा थ कि आखिर मेरे पीछे हुआ क्या? अन्दर क्या चल रहा है?
अपने दिमाग में ऐसे ही कुछ सवाल लिए मैं दरवाजे तक पहुँचा जिस पर एक पर्दा हमेशा रहता है। मेरा हाथ उस पर्दे में से झांकने के लिए उठा ही था कि तभी मेरा हाथ जहाँ का तहाँ रुक गया!
अन्दर से एक लड़के की आवाज मुझे सुनाई दी, इस आवाज़ ने ही मेरे कई सवालों के जवाब दे दिए- आअह्ह ह्ह्ह्ह दीदी जी, आप बहुत अच्छी हो… मेरे लंड को जोर से हिलाओ… अह्ह आआह!
मेरा दिल जोर से धड़क गया… चहे यह सब मेरे लिये कुछ नया नहीं था, ऐसा ही कुछ अंदेशा मुझे हो रहा था पर पिछले 2-3 दिन से मेरी बात सलोनी से हो रही थी, उससे लग रहा था कि शायद अब शहर बदलने के साथ ही इस सब में कुछ परिवर्तन आए!
पर यह आवाज सुन कर मेरी उस सोच पर विराम लग गया कि ऐसा कोई बदलाव नहीं होगा, शहर, स्थान चाहे बदल जाए लेकिन सलोनी ऐसी ही रहेगी… वो मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी।
यूँ मैं भी इस सब का इतना आदी हो गया था कि साफ़ सुथरा जीवन अब मेरे बस की बात नहीं थी, एक बार मैं सिगरेट, शराब छोड़ने की सोच सकता हूँ… पर ओपन सेक्स का मज़ा शायद कभी नहीं छुटेगा। रोज रोज नई नई चूतों का चस्का जिसे लग जाये वो कैसे छुट सकता है।
शायद बिल्कुल ऐसा ही सलोनी के साथ था… नये लंड को देखते ही उसके मुँह में पानी आ जाता है… उफ़्फ़ सॉरी… मुँह में नहीं चूत में… ही… ही… सही बात है ना?
अब तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था, अन्दर चल रहे खेल को देखने के लिये मन बेचैन हो रहा था। मैंने एक तरफ़ से पर्दा हटकर अन्दर झांका… मेरा बेड पूरा दिख रहा था… अन्दर देखते ही मेरी आँखों की चमक तो बढ़ी ही, साथ ही मेरे अण्डरवीयर का आकार भी बढ़ गया।
अन्दर वे तीनों मुझे स्पष्ट दिख रहे थे… दे दोनों लड़के और मेरी सलोनी!
मैंने ध्यान से देखा… काले लड़के के बदन पर जो बनियान थी वो पेट से ऊपर चढ़ी हुई थी, उसकी निक्कर एक कोने में पड़ी थी। दूसरा गोरे लड़के ने अपने दोनों कपड़े उतार दिये थे… वो सलोनी के सामने पूरा नंगा खड़ा था, वह था तो पतला दुबला सा, उसकी हड्डियाँ तक दिख रही थी, फिर भी उसका लंड उसके बदन के हिसाब से काफ़ी लंबा लग रहा था, और लण्ड पूरा तना हुआ था।
सलोनी बिस्तर पर ऊपर से तो टॉपलेस बैठी दिख रही थी, उसके दोनों उरोज ऊपर को तने हुए थे… उन पर गुलाबी निप्पल भी पूरे तने हुए दिख रहे थे… नीचे पलौथी लगाई हुई थी तो पता नहीं चल रहा था कि उसने नीचे कुछ पहना है या पूरी नंगी बैठी थी।
दोनों लड़के उसके पास खड़े थे, दोनों के खड़े लंड सलोनी के दोनों हाथों में थे, वो उनको ऊपर से नीचे सहला रही थी, मुठिया रही थी, दोनों आँखें बन्द किये सलोनी के कोमल हाथों का मज़ा ले रहे थे।
मैं उनको देखते हुए उनकी बातें और सीत्कारें सुन कर मज़ा लेने लगा।
सलोनी- नाम क्या है तुम दोनों का?
काला लड़का- मालिक मुझे कलुआ कहते हैं.. आप भी मुझे कलुआ ही कहिये… और इसका नाम पप्पू है…
पप्पू- हाँ दीदी, मैं पप्पू… आआह्ह्ह हाआ दीदी मेरा लंड चूसिए ना… कलुआ का तो गन्दा है.. उसका तो छोटी मैडम भी नहीं चूसती पर मेरा तो अक्सर चूस लेती हैं।
यह सुन मैं चौंक गया, ये कल के छोकरे क्या बोल रहे हैं? ये दोनों ही पूरे चालू और हरामी लग रहे हैं… ये क्या क्या कारनामे कर चुके हैं?
मेरी जिज्ञासा का अन्त तो मुझे पता है कि मेरी सलोनी कर देगी, उसे सेक्सी किस्से सुनने-सुनाने में बहुत मज़ा आता है, सलोनी चुदाई के वक्त खूब बातें करती है, मुझे यकीन है कि वो इन लड़कों से सब कुछ बकवा लेगी।
मैंने अपना लंड लोअर से बाहर निकाला और हाथ में लेकर सहलाने लगा।
और मेरे आँख-कान तो पूरी तरह से अन्दर ही लगे थे… मैं उस समय अन्दर का एक भी दृश्य गंवाना नहीं चाहता था।
मैंने सलोनी की आँखों में एक चमक सी देखी वो बोली- वाह से चिकने… तू तो खूब खेला खाया लगता है? मैं तो समझी थी कि पहली बार देखकर लार टपका रहा होगा?
पप्पू शरमा कए बोला- अरे दीदी ये साला कलुआ… यह भी बहुत हरामी है, इसने तो मेरे से भी ज्यादा चुदाइयाँ करी हैं… इसी बहनचोद ने मेरे को पहली बार चूत दिलवाई और चोदना सिखाया।
यह सुन कर कलुआ तन कर खड़ा हो गया जैसे कोई ईनाम मिलने वाला हो, उसे लगा कि पप्पू उसकी तारीफ कर रहा है।
सलोनी ने उसके लंड को जोर से हिला कर बोली- यह तो इसके लंड को देखकर ही लगा था मुझे, कैसा नाग सा हो रहा है! अच्छा तुम दोनों ने इतनी हिम्मत कैसे की? तुम्हें कैसे लगा कि मैं कुछ नहीं कहूँगी… तुम्हारी बात मान लूँगी?
इस बार दोनों हँसे और बोला कलुआ- वो तो दीदी, आप पूरी नंगी हमारे सामने बिल्कुल नहीं शरमा रही थी, तभी लग गया था! हमें तो पता लग गया था कि हमें आप की इत्ती प्यारी फ़ुद्दी मिल जाएगी। अह्ह आह…आ… दीदी आराम से… सलोनी ने उसके लंड को कस कर मरोड़ दिया, वो चिल्लाया- टूट जाएगा दीदी!
पप्पू- हाँ दीदी, मुझे तो डर लगता है पर यह मादरचोद एकदम से ताड़ लेता है, इसके साथ मुझे भी चूतें मिल जाती हैं।
सलोनी दोनों के खड़े लंडों को देख रही थी कि अचानक उसने कलुए के लंड पर होंठ टिका दिये।
कहानी जारी रहेगी।
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